Lok Sabha Election Voter Turnout: वोटिंग डेटा पर सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय, ADR को 48 घंटे की समयसीमा में झटका |

Lok Sabha Election Voter Turnout: वोटिंग डेटा पर सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय, ADR को 48 घंटे की समयसीमा में झटका |

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Lok Sabha Election Voter Turnout: सुप्रीम कोर्ट ने एडीआर की याचिका खारिज की, कहा लोकसभा चुनाव के दो चरण शेष |

Lok Sabha Election Voter Turnout
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Lok Sabha Election Voter Turnout: सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत के आंकड़े उसकी वेबसाइट पर अपलोड करने के संबंध में कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पांच चरण पूरे हो चुके हैं और दो चरण अभी बाकी हैं। ऐसे में निर्वाचन आयोग के लिए अब वेबसाइट पर मतदान प्रतिशत के आंकड़े अपलोड करने के लिए आवश्यक संसाधनों और कर्मचारियों को जुटाना कठिन हो सकता है।

Lok Sabha Election Voter Turnout: सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चुनावी प्रक्रिया के इस अंतिम चरण में कोई अतिरिक्त कार्यभार निर्वाचन आयोग पर डालना उचित नहीं होगा। न्यायालय ने निर्वाचन आयोग की व्यावहारिक कठिनाइयों को समझते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करने से परहेज किया है।

Lok Sabha Election Voter Turnout: निर्वाचन आयोग पहले से ही चुनावी प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने में व्यस्त है और ऐसे में अतिरिक्त काम देने से मौजूदा चुनावी प्रक्रियाओं पर असर पड़ सकता है। अदालत के इस फैसले से स्पष्ट होता है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के साथ-साथ व्यावहारिकता को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने की याचिका खारिज

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Lok Sabha Election Voter Turnout: जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार आंकड़े अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत ने यह निर्णय लिया क्योंकि इस तरह के निर्देश देना अधिक दिनों तक चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और इससे निर्वाचन आयोग के कार्य को भी अवरुद्ध किया जा सकता है। इस याचिका के खिलाफ आयोग ने बताया कि ऐसा करना प्रक्रिया को निष्पक्षता और विश्वसनीयता के लिए हानिकारक हो सकता है।

Lok Sabha Election Voter Turnout: चुनाव आयोग ने एडीआर की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इससे भ्रम पैदा होगा। आयोग ने बताया कि लोकसभा चुनावों के दौरान मतदान प्रतिशत के आंकड़े को 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग को खारिज कर दिया है।

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Lok Sabha Election Voter Turnout: आयोग ने यह दलील दी कि ऐसे निर्देश देने से चुनावी प्रक्रिया में अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है और यह मतदान विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर सकता है। वे इसे चुनावी प्रक्रिया की सुचारू गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं मानते। आयोग के अनुसार, इस तरह के निर्देश देना प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को ध्वस्त कर सकता है जो कि चुनावी प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

Lok Sabha Election Voter Turnout: निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत के आंकड़े बिना सोचे-समझे जारी करने और वेबसाइट पर पोस्ट करने से लोकसभा चुनावों में व्यस्त मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी। आयोग ने कहा कि इससे मतदाताओं में असमंजस और उलझन हो सकती है।

Lok Sabha Election Voter Turnout: आयोग ने कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि उम्मीदवार या उसके एजेंट के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को फॉर्म 17सी प्रदान करने का कोई कानूनी अधिदेश नहीं है। इससे पूर्णत: सहमति नहीं होने के कारण, आयोग ने इसे एक आदेश या गाइडलाइन के रूप में माना जाना चाहिए, जिससे व्यवस्था में स्पष्टता और स्थिरता बनी रहे। वे इसे चुनावी प्रक्रिया के विषय में एक महत्वपूर्ण मामला मानते हैं जिसे संपादकीय स्वतंत्रता का हिस्सा समझा जाना चाहिए।

याचिका में क्या मांग की गई थी?

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Lok Sabha Election Voter Turnout: याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि सभी मतदान केंद्रों की फॉर्म 17 सी भाग-1 (दर्ज मतदान का विवरण) की स्कैन की गई सुपाठ्य प्रतियां मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जानी चाहिए। इससे मतदान प्रक्रिया को ट्रांसपेरेंट और विश्वसनीय बनाने में मदद मिलेगी और साथ ही आयोग को सटीक आंकड़े और डेटा तक पहुंचने में भी सहायक होगा। इसके अलावा, ऐसे उपाय से भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की संभावना भी कम होगी जो की चुनावी प्रक्रिया के लिए अत्यंत आवश्यक है।

यह निर्देश मतदाताओं के समृद्ध भागीदारी और प्रशासनिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देगा और चुनावी प्रक्रिया की सही गणना और विश्वसनीयता में सुनिश्चिति लाएगा।

 

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