Nitish Repaid Modi's Debt : क्या नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी के कर्ज को चुका दिया? इस बार 2019 के जैसा खेला नहीं होगा |

Nitish repaid Modi’s debt : क्या नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी के कर्ज को चुका दिया? इस बार 2019 के जैसा खेला नहीं होगा |

 Nitish repaid Modi's debt

 Nitish repaid Modi’s debt : नीतीश कुमार की जेडीयू ने 12 लोकसभा सीटें जीतीं, एनडीए से बनी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी; 3 मंत्री पदों की मांग |

 Nitish repaid Modi's debt
Nitish repaid Modi’s debt

Today Breaking News, लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद, नई सरकार के गठन की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मीटिंग की, जिससे एनडीए की सरकार बनाने की संभावना हो रही है। प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी को लेकर फाइनल किया जा रहा है, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के लिए अनेक कयास लगाए जा रहे हैं।

Nitish repaid Modi’s debt : विशेषज्ञों का मानना है कि नरेंद्र मोदी ने इस बार कार्यकर्ताओं के अनुभव को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल में नये नामों को शामिल करने की संभावना है। इसके अलावा, राष्ट्रीय नीतियों को बदलने के लिए उनकी बड़ी उम्मीदें हैं। लेकिन, इस परिस्थिति में केंद्रीय मंत्रियों की ज़िम्मेदारियों को लेकर भी काफी चर्चाएं हैं।

अब यह देखना रहेगा कि आगामी दिनों में नई सरकार के गठन में कैसे परिणाम मिलते हैं और कैसे यह सरकार देश के विकास के मार्ग पर अग्रसर होती है।

Today Breaking News, बीजेपी ने इस बार 272 सीटों के बहुमत तक पहुंचने में सफलता नहीं प्राप्त की, जिसके कारण मोदी 3.0 सरकार की गठबंधन प्रक्रिया में रुकावट आई है। एनडीए के साथी दलों की अलग-अलग मांगों के संबंध में खबरें सामने आ रही हैं।

इस गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेता चंद्रबाबू नायडू ने पांच मंत्रालयों की मांग की है। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार ने भी तीन मंत्रालयों की मांग की है। इसके अलावा, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और एकनाथ शिंदे के गठबंधन भी मंत्री पद के लिए दावेदारी दे सकते हैं।

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बीजेपी के सामने कई चुनौतियां

Nitish repaid Modi’s debt : बीजेपी को अब मंत्रालयों के बंटवारे में कई चुनौतियां सामना करनी पड़ सकती हैं। इस समय, यह किसी भी सहयोगी दल को नाराज़ करने का खतरा भी झेल सकती है। चार साल पहले जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुआ था, तो नीतीश कुमार के सामने भी ऐसी ही स्थिति थी। उनके साथ बीजेपी ने गठबंधन किया और न केवल सरकार बनाई, बल्कि ज्यादा सीटों के बावजूद नीतीश कुमार को सीएम की गद्दी भी दी थी।

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इस समय, बीजेपी के लिए इसी तरह की रणनीति बनाना महत्वपूर्ण होगा। उन्हें सहयोगी दलों के साथ समझौते करने और संगठन को संभालने में सावधानी बरतनी होगी। वे यह भी ध्यान देना चाहेंगे कि गठबंधन के माध्यम से सरकार बनाने के पश्चात् कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ध्यान रखा जाए।

Nitish repaid Modi’s debt : अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी की तरह किसी शर्त पर अड़े बगैर उनके लिए सरकार बनाने की राह आसान बनाते हैं या नहीं। नीतीश कुमार का रवैया अपने में विशेष है, उन्होंने बिहार में चुनाव जीतने के बाद भी अपनी स्थिति को मजबूत किया है। वह चाहें तो बड़े सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं या फिर छोटे दलों के साथ भी सहयोग करके सरकार गठित कर सकते हैं। उनकी योजना और कार्यशैली ने उन्हें राजनीति में एक अलग पहचान दी है।

ऐसा नहीं कहा जा सकता कि नीतीश कुमार बिना किसी शर्त पर खड़ा होगा, लेकिन उनकी सरकार गठन की प्रक्रिया में उनका रवैया देखने लायक होगा। यह भी देखा जाएगा कि एनडीए के साथ उनका सम्बन्ध कितना मजबूत होता है और कैसे यह समझौते और गठबंधन के नतीजे देश के लिए नई राजनीतिक दिशा स्थापित करते हैं।

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74 विधायक देकर बिहार में बीजेपी ने बनवाई थी नीतीश की सरकार

Latest News 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार की 243 सीटों में से 74 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि जेडीयू सिर्फ 43 सीटें ही जीत सकी थी। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 144 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इस स्थिति में, बीजेपी के 74 विधायकों ने जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।

Nitish repaid Modi’s debt : इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य राज्य के विकास और समृद्धि को बढ़ावा देना था। बीजेपी के विधायक जेडीयू के साथ गठबंधन के बाद भी कई बार तनाव उठे, लेकिन सरकार ने अपने कार्यों से लोगों का भरोसा जीता। यह साझेदारी बिहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने में सफल रही है। इसके बाद से, बिहार में सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और राज्य में विकास की रफ्तार भी तेज हो गई है।

Latest News 2022 में, दो साल के बाद, सत्ता में परिवर्तन हुआ और जेडीयू ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बना ली। उस समय उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों को इकट्ठा कर INDIA गठबंधन भी बनाया था। हालांकि, बाद में गठबंधन की बैठकों में उन्हें किनारे कर दिया गया।

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Nitish repaid Modi’s debt : बिहार में महागठबंधन की सरकार भी ज्यादा समय तक नहीं चल सकी और नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फिर पलटी मारी और एनडीए में आ गए। यह स्थिति नीतीश कुमार के रवैये को भी दर्शाती है, जो राजनीतिक गतिविधियों में अपनी दक्षता दिखा चुके हैं। उनकी चर्चा अब फिर से बढ़ गई है, क्योंकि वह एनडीए के साथ मिलकर राजनीतिक विकल्पों को सामने रखने में उच्च स्थान पर हैं।

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2019 वाले खेला तो नहीं करेंगे नीतीश?

Nitish repaid Modi’s debt : नीतीश कुमार की सरकार बनने में कितनी मदद करेंगे, इसे लेकर सवाल उठाना लाज़मी है क्योंकि 2019 में मोदी 2.0 सरकार के गठन से ठीक पहले उनके पलटने की खबरें आई थीं। बीजेपी और जेडीयू अलायंस ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 जीती थीं, लेकिन जब सरकार बनाने की बारी आई तो नीतीश पलट गए और समर्थन नहीं देने का फैसला कर लिया।

इस संदर्भ में, नीतीश कुमार के रवैये और उनके राजनीतिक संघर्षों को ध्यान में रखना जरूरी है। उनकी सरकार के बनने की संभावना का अंदाज़ तो है, लेकिन उनकी पूर्व संगठन की चर्चाएं भी दर्शाती हैं कि किस तरह के संघर्षों के बावजूद उन्होंने राजनीतिक समीकरणों को पलट सकते हैं। इसलिए, उनके इस नए कदम का जनता और राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण मायने हैं।

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Nitish repaid Modi’s debt : सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि तब नीतीश कुमार ने दो मंत्री पद की मांग रख दी थी और शायद बीजेपी राजी नहीं हुई। हालांकि, उस वक्त बीजेपी के पास प्रचंड बहुमत था और सहयोगी दलों के पास मंत्री पद मांगने के लिए उतनी बार्गेनिंग पावर नहीं थी।

इस विषय पर चर्चा करते हुए, यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी के लिए नीतीश कुमार के साथ गठबंधन की बात कितनी स्थायी और उपयुक्त थी। दोनों पक्षों के बीच समझौते की भूमिका और सहयोग की गहराई का यह पर्याप्त उदाहरण है कि राजनीतिक समीकरणों में कैसे बदलाव और समर्थन की दिशा में गतिविधि होती है। इस संदर्भ में, नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच हुए संवाद और उनके बाद में फैसले का महत्वपूर्ण पाठ्यांश है।

 

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