CBSE Open Book Exam: सीबीएसई के ओपन बुक एग्जाम , छात्रों के लिए बेहतरीन या खातरनाक? विशेषज्ञों की राय |

CBSE Open Book Exam: सीबीएसई के ओपन बुक एग्जाम , छात्रों के लिए बेहतरीन या खातरनाक? विशेषज्ञों की राय |

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CBSE Open Book Exam: सीबीएसई का ओपन बुक एग्जाम , छात्रों के लिए नई संभावनाएं और चुनौतियाँ|

CBSE Open Book Exam
CBSE Open Book Exam: सीबीएसई के ओपन बुक एग्जाम , छात्रों के लिए बेहतरीन या खातरनाक? विशेषज्ञों की राय |

CBSE Open Book Exam:पिछले साल दिसंबर में, सीबीएसई ने कुछ विषयों के लिए ओपेन बुक एग्जाम का प्रस्ताव दिया था, जिस पर शासी निकाय की मंजूरी भी थी। शुरुआती दौर में, यह योजना क्लास 9 से 12 के लिए थी, जिसके लिए इस साल से ही ट्रायल शुरू हो रहे हैं। हालांकि, हाल ही में सीबीएसई ने इस निर्णय में बदलाव किया है। अब तय हुआ है कि इस साल, केवल क्लास 9 और 11 के छात्रों के लिए ही ओपेन बुक एग्जाम आयोजित किए जाएंगे। इससे छात्रों को सरकारी परीक्षाओं के लिए अधिक तैयारी करने का अवसर मिलेगा, लेकिन उन्हें नए पैटर्न के साथ अनजाने कवरेज का सामना भी करना पड़ेगा। इसके अलावा, छात्रों को ओपेन बुक्स में प्रतियोगिता की स्थिति में एक नई दिशा भी मिलेगी।

CBSE Open Book Exam:वर्तमान में, इस स्कीम को केवल कक्षा 10 और 12 के छात्रों के लिए नहीं लागू किया गया है। क्योंकि यह पहली बार है कि इस प्रकार का परीक्षा पैटर्न लागू हो रहा है, इसलिए पहले पायलट ओपन-बुक एग्जाम आयोजित किए जाएंगे। इसका मतलब है कि पहले ट्रायल किया जाएगा और फिर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इससे छात्रों को अधिक समय और अध्ययन के लिए मौका मिलेगा, जिससे वे इस नए पैटर्न के साथ परिचित हो सकें। इसके अलावा, पायलट एग्जाम के माध्यम से सीबीएसई को भी एक संकेत मिलेगा कि इस प्रकार की परीक्षा की संभावनाएं क्या हो सकती हैं और कैसे छात्रों के लिए सहायक हो सकती हैं।

क्या हैं ओपेने बुक एग्जाम?

CBSE Open Book Exam: ओपेन बुक एग्जाम का वास्तविक अर्थ समझने से पहले, हमें यह जान लेना चाहिए कि यह क्या है। यह परीक्षा पद्धति आम एग्जामों से काफी अलग होती है। इसमें, छात्र स्टडी मैटीरियल्स को एग्जाम हॉल में साथ ले सकते हैं और इसकी मदद से परीक्षा दे सकते हैं। इसका मतलब है कि यह एक प्रकार की स्वतंत्र परीक्षा होती है, जिसमें छात्रों को अपनी स्वयं की समझ, ज्ञान, और तैयारी का परिचय देने का मौका मिलता है।

CBSE Open Book Exam: ओपेन बुक एग्जाम देने वाले छात्रों के लिए यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है क्योंकि उन्हें खुद की तैयारी और समझ का मौका मिलता है। इसके साथ ही, इस प्रकार की परीक्षा से छात्र अपनी स्टडी मैटीरियल्स को भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और स्वयं को संशोधित कर सकते हैं। इसलिए, यदि छात्रों को इस प्रकार की परीक्षा की तैयारी में रुचि है, तो ओपेन बुक एग्जाम उनके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।ये नोट्स, किताबें, रिफ्रेंस मैटीरियल जैसा कुछ भी हो सकता है, जिनके लिए स्टूडेंट्स को लगता है कि वे इनकी मदद से आंसर दे सकते हैं. यानी आप किताबों के साथ परीक्षा देते हैं.

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तो क्या केवल आंसर कॉपी-पेस्ट करने होते हैं?

CBSE Open Book Exam: जब स्टडी मैटीरियल साथ में ले जाए जाते हैं, तो उससे आंसर लिखना होता है या नहीं, यह बहुत से लोगों का सवाल है। ओपेन बुक एग्जाम में आंसर लिखने की प्रक्रिया अनुकरणीय नहीं होती है। इस प्रकार की परीक्षा में छात्रों को सीधे-सीधे जवाब नहीं लिखने होते। इसमें वे स्वयं के अध्ययन से प्राप्त किए गए ज्ञान का उपयोग करते हैं और स्वयं के विचारों और समझ के आधार पर उत्तर देते हैं।

CBSE Open Book Exam: ओपेन बुक एग्जाम के पेपर में ऐसे सवाल नहीं होते जिनके उत्तर आसानी से किसी अन्य स्रोत से लिए जा सकें। यह परीक्षा छात्रों को समझ, विश्लेषण, और स्वतंत्र विचार का मौका देती है जिससे उनकी असली ज्ञान की परीक्षा होती है। इसके अलावा, छात्रों को स्टडी मैटीरियल्स को समझने और उसे समाप्त करने का अवसर भी मिलता है, जो उनकी शिक्षा को और भी स्थायी बनाता है।ओपेन बुक एग्जाम में सवालों की संरचना इस प्रकार होती है कि कैंडिडेट के ज्ञान की परख की जा सके। यहाँ, सवालों का मुख्य उद्देश्य छात्र की समझ और विचारशीलता का मापना होता है। छात्र के पढ़े हुए विषयों के कॉन्सेप्ट को कितना अच्छे से समझा गया है, और उसे विभिन्न स्थितियों में अप्लाई करने की क्षमता, इन सवालों से मापी जाती है।

CBSE Open Book Exam: ओपेन बुक एग्जाम में, सवाल ऐसे बनाए जाते हैं कि कैंडिडेट को सीधे-सीधे जवाब देना मुश्किल होता है। यहाँ, छात्रों की विषय की प्रैक्टिकल अंडरस्टैंडिंग को जांचा जाता है, और वे सीधे उत्तर नहीं दे सकते। सवालों में गुमावदारी, ट्रिकी स्थितियाँ और उनके अनुप्रयोग पर छात्रों को ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे उनकी निर्णयक और सोचने की क्षमता का मूल्यांकन हो सके। इस प्रकार, ओपेन बुक एग्जाम छात्रों की असली समझ और विचारशीलता को परखने का एक अच्छा तरीका सिद्ध होता है।

एनईपी पर आधारित है ये पैटर्न

CBSE Open Book Exam: नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के द्वारा परीक्षा पैटर्न में बदलाव की चर्चा हो रही है। इस नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है कि छात्रों को रट्टू तोता नहीं बनाकर, उन्हें प्रैक्टिकल ज्ञान और विषय की समझ विकसित करके भविष्य के लिए तैयार किया जाए। इसके तहत, एनईपी शिक्षा कंपीटेंसी बेस्ड लर्निंग पर फोकस करती है, जिससे छात्रों को कॉन्सेप्ट्स क्लियर हों और वे उन कॉन्सेप्ट्स को आगे भी आम जिंदगी में सफलतापूर्वक लागू कर सकें।

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इस नई पॉलिसी के अनुसार, परीक्षाओं में बदलाव आएगा ताकि छात्रों की विकास की दिशा में सकारात्मक परिणाम हों। इससे छात्रों को सिर्फ किताबों का ज्ञान ही नहीं मिलेगा, बल्कि वे वास्तविक जीवन में भी अपने शिक्षा के सिद्धांतों को सफलतापूर्वक उपयोग में ला सकेंगे। इससे छात्रों का मानसिक विकास सहज होगा और वे अपने कैरियर के लिए बेहतर तैयार होंगे। इस प्रकार, नई शिक्षा नीति के अनुसार परीक्षा पैटर्न में बदलाव स्टूडेंट्स के भविष्य के लिए एक उत्तम कदम साबित हो सकता है।

क्या है फैसले में बदलाव

CBSE Open Book Exam: ओपेन बुक एग्जाम का आयोजन सिर्फ कुछ विषयों के लिए किया गया था, जहां कोर सब्जेक्ट्स को कवर करने का उद्देश्य था। इसमें कक्षा 9 और 10 के लिए अंग्रेजी, विज्ञान, और गणित के विषयों की परीक्षा होती थी, तथा कक्षा 11 और 12 के लिए अंग्रेजी, गणित, और जीवविज्ञान के विषय की परीक्षा आयोजित की जाती थी। हालांकि, अब सीबीएसई ने केवल कक्षा 9 और 11 के छात्रों के लिए ही ओपेन बुक एग्जाम करने का निर्णय लिया है। इससे इस साल कक्षा 10 और 12 के लिए ओपेन बुक एग्जाम नहीं होंगे।

पहले होंगे पायलट एग्जाम

CBSE Open Book Exam: नया पैटर्न अप्लाई करना आसान नहीं होता है। इसलिए फाइनल एग्जाम से पहले इस तरह की परीक्षा का ट्रायल आयोजित किया जाएगा। ट्रायल के दौरान परीक्षा की दिशा में कई महत्वपूर्ण मुद्दों का अनुभव किया जाएगा।

CBSE Open Book Exam: ट्रायल परीक्षा में यह देखा जाएगा कि इसमें समय कितना लग रहा है, स्टूडेंट्स को कौन-कौन सी समस्याएं आ रही हैं, और कहां क्या कमी है जिसे सुधारना होगा। इससे स्टूडेंट्स की परीक्षा की प्रक्रिया में सुधार होगा और उन्हें बेहतर तैयारी का मौका मिलेगा।इस साल नवंबर और दिसंबर में ओपेन बुक एग्जाम का आयोजन किया जाएगा। इसमें स्टूडेंट्स को अपने स्टडी मटेरियल्स साथ लाने की अनुमति होगी और उन्हें अपनी समझ और ज्ञान को बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।

इस प्रकार, ट्रायल परीक्षा द्वारा स्टूडेंट्स को नए पैटर्न के अनुसार परीक्षा की तैयारी करने का मौका मिलेगा और वे आत्म-मूल्यांकन करके अपनी तैयारी को सुधार सकेंगे।

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क्या हैं फायदे

CBSE Open Book Exam: इस तरह के एग्जाम से होने वाले फायदों की बात करें तो ये स्टूडेंट्स को रट्टू तोता बनने से बचाते हैं। ये उनकी क्रिटिकल थिंकिंग को बढ़ाने में मदद करते हैं और इनसे कैंडिडेट्स पर चीजें याद रखने का प्रेशर नहीं होता। इसके साथ ही वे कॉन्सेप्ट क्लियर करते हुए पढ़ते हैं और केवल किताबी ज्ञान नहीं लेते बल्कि उस ज्ञान को इंप्लीमेंट करके कैसे रियल लाइफ की समस्याओं को निपटा जा सकता है, ये भी सीखते हैं।

मोटे तौर पर कहें तो ये पैटर्न थ्योरेटिकल नॉलेज की जगह प्रैक्टिकल नॉलेज को बढ़ावा देता है जोकि एनईपी का लक्ष्य है। इससे उन्हें विषय की डीपर अंडरस्टैंडिंग होती है और वे सूचनाओं की विवेचना करना सीख जाते हैं।

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क्या हो सकते हैं नुकसान

CBSE Open Book Exam: इस तरह की परीक्षाओं के नुकसान की बात करें तो एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के एग्जाम्स से स्टूडेंट्स की रिसोर्सेस, जैसे किताबों और नोट्स, पर डिपेंडेबिलिटी बढ़ जाएगी। इससे बिना किताबों के, वे सही आंसर नहीं दे पाएंगे। कुछ लोगों का ये भी मानना है कि सभी के पास अच्छे स्तर के रिसोर्सेस नहीं होते, इसलिए कुछ छात्र इसे आसानी से मैनेज कर पाएंगे जबकि कुछ को इसमें दिक्कत हो सकती है।

इस तरह की परीक्षाओं से स्टूडेंट्स की रिसोर्सेस पर ज्यादा भरोसा होना शुरू हो सकता है, जो किसी न किसी रूप में उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे स्टूडेंट्स का जीवन भी ज्यादा स्ट्रेसफुल हो सकता है और उन्हें अच्छे अंक प्राप्त करने में मुश्किलतें आ सकती हैं।इसके अतिरिक्त, कुछ छात्रों को ये एग्जाम्स पास करने के लिए अधिक तैयारी करनी पड़ सकती है, जो उनके साथ दूसरे विषयों और कामों को नजरअंदाज़ करने की तरफ मोड़ सकता है। इसलिए, इस तरह की परीक्षाओं के नुकसान की खबर छात्रों के लिए सच्ची तरह से एक मुद्दा हो सकती है।

CBSE Open Book Exam: टाइम मैनेज करना एक और समस्या हो सकती है क्योंकि आमतौर पर आंसर या कोई कॉन्सेप्ट तलाशकर लिखने में कुछ स्टूडेंट्स को समस्या आती है। इससे परीक्षा का प्रारूप पूरी तरह बदल जाएगा। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि स्टूडेंट को विषय की समझ न हो और वो कॉपी से कुछ बहुत समझकर लिख दे। इससे एक अच्छे आंसर और औसत आंसर का गड़्ढा बनेगा, जिसकी मार्किंग कैसे होगी इस पर भी विचार करना पड़ेगा।

इससे विषय की समझ पर भी एक बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। स्टूडेंट्स को प्रारूप में बदलाव के साथ-साथ टाइम मैनेजमेंट के लिए भी तैयार होना होगा। इससे स्टूडेंट्स को आधुनिक परीक्षा प्रणाली में अभ्यास करने का मौका मिलेगा जिससे उनकी परीक्षा प्रदर्शन क्षमता में सुधार हो सकेगा।इसके साथ ही, इस प्रकार के एग्जाम्स में स्टूडेंट्स को सही तरीके से समय व्यवस्था करने का अभ्यास भी होगा। वे आधुनिक परीक्षा के तथ्य, आंकड़े, और समाधानों को ध्यान में रखकर अपनी परीक्षा रणनीति को बेहतर बना सकेंगे।

 

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