Security Of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन

Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन

Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन

Security of Parliament : संसद भवन की सुरक्षा , CISF को जिम्मेदारी सौंपी गई|

Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन
Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन

Security of Parliament : तमिलनाडु के डीएमके के राज्यसभा सांसद एम मोहम्मद अब्दुल्ला ने संसद के सभापति जगदीप धनखड़ से CISF जवानों की शिकायत पर ध्यान आकर्षित किया है। अब्दुल्ला ने बताया कि 18 जून को CISF जवानों ने उनसे संसद में आने का कारण पूछा था। उनके अनुसार, जवानों ने उनकी यात्रा के उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए उनसे अभद्रता और अनवरत होकर पूछताछ की। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद वे आदर्शवादी नेता बनाने का प्रयास करेंगे और CISF के जवानों को उनकी ज़िम्मेदारियों के लिए सम्मान देने की मांग की है।

Security of Parliament : अब्दुल्ला ने शिकायत पत्र में लिखा है कि उन्हें इस घटना से गहरा प्रभाव पड़ा है और वे सदमे में हैं। उन्होंने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है ताकि संसद की गरिमा बनी रहे। उन्होंने कहा कि सभापति को गलती करने वाले कर्मियों पर कार्रवाई करना चाहिए। यह मामला संसद की स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय छवि को भी क्षति पहुंचा सकता है, इसलिए उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

अब्दुल्ला का कहना है कि CISF कर्मियों ने उनसे अभद्रता से पूछताछ की थी, जोकि सदस्यों की आत्माहत्या के लिए निरादरी की तरह है। इसलिए, उन्हें संसद के साथी सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए इस मामले में ठीक कार्रवाई की जरूरत है।इसके अलावा, अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि सभापति को इस मामले में न्याय दिखाने की जरूरत है ताकि संसद की सराहनीयता और गरिमा बनी रहे। यदि सही कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे संसद की संविदा और आत्मविश्वास पर भी असर पड़ सकता है।

Security of Parliament : अब्दुल्ला ने इस मामले में अपनी दुखभरी भावना व्यक्त की है। उन्होंने लिखा, “मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि CISF कर्मियों ने मुझसे कैसे पूछताछ की। मेरा मानना है कि संसद सदस्यों को किसी भी समय संसद में प्रवेश करने का अधिकार है, चाहे वहां कोई आधिकारिक काम हो या न हो। उन्हें सिर्फ अपने दौरे का उद्देश्य अध्यक्ष को बताना चाहिए।” इसके अलावा, अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर एक्शन लेने की मांग की है। उन्होंने चाहा कि संसद के सभापति इस मामले में कार्रवाई करें और गलती करने वालों पर उचित कार्रवाई की जाए। इससे संसद की गरिमा और संसद सदस्यों का सम्मान बना रहेगा।अब्दुल्ला के विचारों में एक समानता है कि संसद सदस्यों को अपने कार्य के लिए उचित सम्मान और आदर प्राप्त होना चाहिए, जो उनकी संसदीय कार्यक्षमता और राष्ट्रीय नायकता को बढ़ावा देगा।

अब्दुल्ला ने मीडिया के साथ इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन डीएमके प्रवक्ता एस अन्नादुरई ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते हुए बताया कि डीएमके सांसद अब्दुल्ला को रोका गया और उनसे पूछताछ की गई। इस मामले में अब्दुल्ला के विचारों का पता लगाना महत्वपूर्ण है, जैसे कि वे इस मुद्दे को कैसे देख रहे हैं और उनके साथ क्या घटना घटी।

इस सम्बंध में, अब्दुल्ला के बिना बयान दिए हुए स्थिति को समझना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि मीडिया रिपोर्ट और प्रवक्ता के बयान के बिना पूरी तस्वीर नहीं बनती। इसे अधिक जानकारी के लिए संदर्भित स्थितियों और लोगों से जानकारी प्राप्त करना जरूरी है। अब्दुल्ला के विचारों और संसद में हुए इस घटना की गंभीरता को समझने के लिए उनसे अधिक जानकारी प्राप्त करना जरूरी है।

Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन
Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन

मई 2024 में CISF ने संभाली थी संसद की सुरक्षा

Security of Parliament : संसद के सुरक्षा की जिम्मेदारी का जिक्र करते हुए, साल 2024 के मई महीने में CISF को इस कार्य को संभालने का मौका मिला था। पिछले एक महीने से, संसद भवन के सुरक्षा अब CISF के जवानों के द्वारा देखी जा रही है। इसके साथ ही, इस रिपोर्ट में हम देखते हैं कि संसद परिसर की सुरक्षा में कैसे बदलाव आया है और इसके पीछे का कारण क्या है।

Security of Parliament : आमतौर पर संसद के सुरक्षा तंत्र में परिवर्तन समाचार में ध्यान से देखने योग्य घटना होती है। यह संकेत भी हो सकता है कि संसद की सुरक्षा में खासा गंभीरता आ गयी है। इस परिस्थिति में, एक विशेष सुरक्षा नीति को लागू करना आवश्यक हो सकता है, जिससे संसद के सदस्यों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।संसद के प्रमुख परिसरों की सुरक्षा में यह बदलाव केवल सामान्य नहीं है, बल्कि यह एक सुरक्षित, नियमित और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, CISF को इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का भारी दायित्व संभालना पड़ेगा जिससे संसद की सुरक्षा में सुधार किया जा सके।

इससे भी पढ़े :- भारत में टैक्स वसूलने के विभिन्न तरीके , आम जनता का परिचय |

संसद परिसर की सुरक्षा में क्या बदलाव हुआ 

Security of Parliament : CISF से पहले संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी पीएसएस और लगभग 100 साल पुरानी वॉच एंड वार्ड समिति के पास थी। इस समिति की स्थापना विट्ठलभाई पटेल ने 3 सितंबर 1929 को की थी। बाद में 2009 में इसका नाम बदलकर संसद सुरक्षा सेवा (पीएसएस) कर दिया गया था।

इस समिति के जवानों के पास संसद के परिसर की सुरक्षा के विशेष कार्य के लिए जरूरी ट्रेनिंग और अनुभव था। उन्हें खास तौर पर ट्रेनिंग इसी बात की दी जाती थी कि जब संसद सत्र चल रहा हो और वहां देश के सभी सासंदों से लेकर गणमान्य व्यक्ति मौजूद हों तो उन्हें उनसे किस तरह के सवाल पूछना चाहिए। कहां रोका जाना चाहिए, कहां नहीं।

इसके बाद CISF को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे संसद के परिसर की सुरक्षा का कार्य नियमित और प्रभावी तरीके से हो सकेगा। CISF के जवानों को भी विशेष ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे संसदीय सत्र में सुरक्षा का कार्य सही ढंग से निष्पादित कर सकें।

CISF ने परिसर में सुरक्षा की जिम्मेदारी कब और कैसे संभाली? 

Security of Parliament : CISF कर्मियों ने इस साल अप्रैल महीने में दिल्ली पुलिस के 150 कर्मियों की जगह ले ली, जो पीएसएस के साथ संसद परिसर में तैनात थे। दरअसल, 13 मई को पीएसएस के प्रमुख संयुक्त सचिव (सुरक्षा) के कार्यालय ने एक आदेश जारी कर कहा कि CISF के डीआईजी से एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि 20 मई से संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारियां CISF को सौंपी जा सकती हैं।

Security of Parliament :  CISF की तैनाती से संसद के प्रवेश-व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ उसकी सुरक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा। CISF के जवानों का ट्रेनिंग और अनुभव भी संसद के प्रवेश-व्यवस्था को सुरक्षित बनाए रखने में मदद करेगा। इससे न केवल संसद के सदस्यों और कर्मचारियों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

इस संकट के समय में, संसद और उसके सदस्यों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। CISF की तैनाती से उन्हें विशेषज्ञता और निर्भरता मिलेगी ताकि वे संसद के तत्वावधान में कठिनाई नहीं आ सके। इससे संसदीय प्रक्रियाओं की निरंतरता और लोकतंत्र की स्थिरता का भी ध्यान रखा जा सकेगा।

क्या अब पूरे संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी CISF की है?

Security of Parliament : CISF जवानों की तैनाती संसद भवन के प्रवेश द्वारों और बाहर निकलने वाले गेट, वॉच टावर के माध्यम से होती है। इसके साथ ही, डॉग स्क्वाड और फायर ब्रिगेड को भी संसद के प्रवेश द्वारों के आसपास तैनात किया गया है। इन सुरक्षा उपायों के अलावा, CISF जवानों को सीसीटीवी मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम और कम्युनिकेशन सेंटर में भी तैनात किया गया है।

Security of Parliament :  CISF जवानों का मुख्य काम संसद भवन की सुरक्षा और निगरानी करना होता है। वे सुरक्षा की दृष्टि से संसद भवन के प्रवेश-व्यवस्था को संभालते हैं और अनुशासन बनाए रखने का ध्यान रखते हैं। उनके पास विशेष कार्यक्षेत्रों का अच्छा ज्ञान होता है जैसे कि सुरक्षा कैमरे, प्रवेश द्वार, वॉच टावर, फायर ब्रिगेड, और डॉग स्क्वाड। इन्हें नियमित ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे सुरक्षा के काम को सही ढंग से संपादित कर सकें।

इससे भी पढ़े :-  सीएम अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट से मिली जमानत |

संसद भवन की सुरक्षा में ये उपाय न केवल जवानों की जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद करते हैं बल्कि ये भारतीय संसद के शीर्ष संगठनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं। इससे संसद में चल रहे कार्यक्रमों और सत्रों में कोई भी अनियमितता नहीं आती है और लोकतंत्र की निरंतरता को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

क्यों लिया गया इतना बड़ा फैसला 

Security of Parliament : पिछले साल 13 दिसंबर 2023 को, लोकसभा में एक घटना हुई जिसने सभी को हैरान कर दिया। उस समय स्पीकर की कुर्सी पर बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल बैठे थे। उन्होंने खगेन मुर्मू को इजाजत दी कि वह अपनी बात रख सकें। मुर्मू ने बताया कि एक युवक विजिटर्स गैलरी से सदन में छलांग लगा दी थी।

Security of Parliament :  लोगों को सबसे पहले यह लगा कि कोई व्यक्ति विजिटर्स गैलरी से गिर गया है, लेकिन ठीक कुछ सेकंडों बाद, उस युवक ने सांसदों की बेंच के ऊपर से कूदकर आगे की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया। इसके बाद एक और लड़का भी विजिटर्स गैलरी से कूदा और दोनों ने नारेबाजी शुरू कर दी। लेकिन जल्दी ही सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया और वे सदन से बाहर निकाले गए।यह घटना सभी को चौंका देने वाली थी और इसने संसद की सुरक्षा पर सवाल उठाए। इसके बाद सुरक्षा को मजबूत करने के लिए और अधिक कठोर नियम और प्रक्रियाएं बनाई गईं। इस घटना ने सदन में सुरक्षा के मामले को लेकर जागरूकता बढ़ाई और सभी सांसदों को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

Security of Parliament : पकड़े जाने से पहले दोनों लड़कों ने अपने जूतों में छुपाया हुआ कैनिस्टर निकालकर जमीन पर फेंक दिया। जिससे कैनिस्टर से पीले रंग का धुआं निकलने लगा। जिस वक्त दो लड़के सदन में कूद रहे थे, उसी वक्त संसद के बाहर उनके 2 साथियों (एक महिला और एक लड़का) ने नारेबाजी करना शुरू कर दी। इन दोनों ने भी नारेबाजी के दौरान कलर स्मोक छोड़ा था। इसके बाद पुलिस दोनों को पकड़कर संसद मार्ग थाने ले गई। महिला की पहचान नीलम और लड़के की पहचान अमोल शिंदे के रूप में हुई थी।

22 साल पहले, 2001 में, इसी दिन यानी 13 दिसंबर को, संसद में एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी थी। इस दिन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादी अपने आतंकी हमले के जरिए संसद भवन पर एक दहाड़ेदार हमला कर चुके थे। यह घटना भारतीय सुरक्षा इतिहास में अहम घटना मानी जाती है, जिसने देश को एक नई दिशा में बदल दिया।

इस हमले में उन्होंने एक आतंकी वाहन का इस्तेमाल करके संसद भवन के पास ही एक पुलिस रेडियो गैले में प्रवेश किया। जब उन्हें पहचाना गया तो उन्होंने गोलियों की बरसात शुरू कर दी। इस दहाड़ेदार हमले में नौ लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।इस घटना ने देश में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत को और भी महसूस कराया। इसके बाद से सुरक्षा के मामले में भारत ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, ताकि देश को इस तरह के आतंकी हमलों से नुकसान न हो।

यह घटना साबित करती है कि संसद भवन की सुरक्षा का मुद्दा हमेशा से एक जटिल मुद्दा रहा है, और सरकार को इसे हमेशा सकारात्मक ढंग से संभालना चाहिए।

इससे भी पढ़े :-  यूपी और बिहार में 47,000+ पदों पर भर्ती , अवसर हाथ से जाने न दें, जल्दी करें |

क्या है CISF 

Security of Parliament : CISF (CISF) का पूरा नाम “केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल” है, जो भारतीय सरकार के अधीन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है। यह बल सरकारी और निजी क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए प्रमुख भूमिका निभाता है। CISF की स्थापना साल 1969 में हुई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी और निजी क्षेत्रों के महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।CISF का कार्यक्षेत्र विशाल है और इसमें सरकारी भवन, हवाई अड्डे, परमाणु प्रतिष्ठान, मेट्रो नेटवर्क, नगर रेलवे, अलग-अलग उद्योगों और संगठनों की सुरक्षा शामिल है। CISF के जवान सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत समर्थनीय होते हैं और वे सुरक्षा से जुड़े विभिन्न कार्यों में सक्षम होते हैं।

Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन
Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन

इस बल की विशेषता यह है कि वह अपने कार्य को नियमित तौर पर नहीं बल्कि अप्रत्याशित स्थितियों में भी काफी योग्यता और साहस से निपटता है। CISF जवानों को नायकत्व, समर्पण, और निष्ठा के साथ काम करने की शिक्षा देता है, जिससे वे हमेशा देश की सुरक्षा और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

Security of Parliament : CISF में शामिल होने वाले जवानों को उच्चतम स्तर की ट्रेनिंग और कई प्रकार की सुरक्षा चुनौतियों से निपटना पड़ता है। इस बल के जवानों को आधुनिक हथियारों और तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे किसी भी परिस्थिति में तत्परता से कार्य कर सकें। CISF का मुख्य उद्देश्य सरकारी और निजी क्षेत्रों की सुरक्षा है, और इसके जवानों को इस काम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए विशेष तौर पर तैयार किया जाता है।

Security of Parliament : CISF के जवानों को विभिन्न सुरक्षा प्रक्रियाओं और तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है जैसे कि मैटल डिटेक्शन, बैग्गेज स्कैनिंग, सीसीटीवी सुरक्षा, और तेजी से घटना का प्रतिबंधन करने के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग कैसे करना है। इसके अलावा, वे सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को भी अपनाते हैं ताकि वे समाज में अच्छे नागरिक के रूप में भी उत्कृष्ट काम कर सकें।

CISF के जवानों का साहस, समर्पण, और सेवा भावना सराहनीय है। वे समय-समय पर आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्रामों में भाग लेते हैं जिससे उनकी क्षमता और प्रोफेशनलिज्म में सुधार होता रहता है। इस प्रकार, CISF जवानों के लिए एक अच्छी करियर और सेवा का अवसर प्रदान करता है जो देश की सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इससे भी पढ़े :-  सीबीएसई के ओपन बुक एग्जाम , छात्रों के लिए बेहतरीन या खातरनाक? विशेषज्ञों की राय |

पीएसएस का मुख्य कार्य क्या था?

Security of Parliament : पीएसएस का मुख्य काम संसद भवन परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, लेकिन CISF की स्थापना के बाद, इसकी जिम्मेदारियाँ बड़ी मात्रा में बढ़ गईं। अब CISF के जवानों को संसद के सभी प्रवेश द्वारों और बाहर निकलने वाले गेटों की निगरानी करनी होती है। इसके साथ ही उन्हें संसद के अंदर और बाहर सुरक्षित रखने के लिए वॉच टावरों, डॉग स्क्वाड, फायर ब्रिगेड, सीसीटीवी मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम, और कम्युनिकेशन सेंटर में काम करने की जिम्मेदारी भी दी जाती है।

Security of Parliament : CISF के जवानों को बागवानी, फायर-फाइटिंग, तकनीकी उपकरणों का प्रशिक्षण, विभिन्न रोजमर्रा की सुरक्षा प्रक्रियाओं का ज्ञान, और संबंधित कार्यों की जानकारी प्रदान की जाती है। इसके अलावा, वे अप्रिय घटनाओं का सामना करने के लिए भी तैयार रहते हैं जैसे कि आतंकी हमलों, चोरी-डकैती, या अन्य संकटों से बचाव के लिए कौशल को बढ़ावा दिया जाता है।CISF का यह संशोधित दस्तावेज़ भारतीय संसद की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है और इससे संसद के प्रवेशद्वारों की सुरक्षा में और भी बेहतरी आई है। इससे न केवल संसद के सदस्यों की सुरक्षा में सुधार हुआ है बल्कि संसदीय क्षेत्र में आये व्यक्तियों और स्थानीय लोगों की भी सुरक्षा में बेहतरी आई है।

Security of Parliament : पीएसएस ही आपातकालीन स्थितियों जैसे आग, आतंकवादी हमला, आदि के लिए तत्पर रहना और उचित कार्रवाई करना था। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि संसद की सभी सत्र सुचारू और सुरक्षित ढंग से चल सके। साथ ही संसद भवन परिसर में सुरक्षा के उच्चतम मानकों का पालन किया जाए।पीएसएस के जवानों को अपातकालीन स्थितियों में तत्परता से काम करने की तालीम दी जाती है ताकि उन्हें किसी भी आने वाली चुनौती का सामना करने की क्षमता हो। उन्हें विभिन्न प्रकार के हथियारों और सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग करना सिखाया जाता है।

Security of Parliament : पीएसएस के जवानों की तालीम में आतंकवादी घटनाओं के लिए संघर्ष रणनीतियां और सुरक्षा कार्यवाही की विशेष बातें शामिल होती हैं। उन्हें आपातकालीन परिस्थितियों में तेजी से प्रतिक्रिया देने और स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया जाता है।इसके अलावा, पीएसएस के जवानों को नैतिकता, देशभक्ति, और दयालुता के मार्गदर्शन के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ये सभी गुण उन्हें उच्च नैतिक मूल्यों के साथ काम करने की प्रेरणा देते हैं और उन्हें समाज में उत्कृष्ट सामाजिक नागरिक बनने की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।

 

इससे भी पढ़े :-  सुनीता केजरीवाल के पति की रिहाई , जेल से बाहर आते ही क्या करेंगी और कौन-कौन सहयोग करेगा?

4 thoughts on “Security of Parliament : भारतीय संसद की सुरक्षा , सांसदों की अभद्रता और जिम्मेदारी का विवेचन

Leave a Reply