Monsoon Arrival: मानसून की प्रारंभिक एंट्री,वैज्ञानिकों का रहस्य उजागर, जानें वजह |

Monsoon Arrival: मानसून की प्रारंभिक एंट्री,वैज्ञानिकों का रहस्य उजागर, जानें वजह |

Monsoon Arrival: मानसून की प्रारंभिक एंट्री,वैज्ञानिकों का रहस्य उजागर, जानें वजह |

Monsoon Arrival: मानसून के पूर्वानुमान , केरल और पूर्वोत्तर में दस्तक की संभावना, वैज्ञानिकों का कारण विश्लेषण |

Monsoon Arrival: मानसून की प्रारंभिक एंट्री,वैज्ञानिकों का रहस्य उजागर, जानें वजह |
Monsoon Arrival: मानसून की प्रारंभिक एंट्री,वैज्ञानिकों का रहस्य उजागर, जानें वजह |

Monsoon Arrival: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बुधवार (29 मई, 2024) को एल निनो ज़ोन के पार चलने के चलते मानसून की प्रारंभिक एंट्री की संभावना बताई है। इस दौरान, दक्षिण पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान के अनुसार, गुरुवार (30 मई, 2024) को केरल के तटों और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में मौसम को दस्तक दे सकती है।

Monsoon Arrival: आईएमडी ने बताया कि एल निनो ज़ोन के पार चलने से मानसून के प्रवाह में परिवर्तन हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत का समय सामान्य से पहले हो सकता है। आईएमडी के अनुसार, एल निनो के कारण पारिस्थितिकी बदलाव हो रहा है जो मौसम पूर्वानुमान में दस्तक दे सकता है।

Monsoon Arrival: मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस संभावना के बावजूद, अभी तक इसकी निश्चितता को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इसे अभ्यासपूर्ण रूप में देखा जा रहा है और मौसम के निर्धारण में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं।

Monsoon Arrival: मानसून की शुरुआत की संभावना से, किसानों, नदी किनारे और जलवायु संरक्षण के अन्य क्षेत्रों में ध्यान रखने की सलाह दी जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि लोगों को मौसम की संभावित परिणामों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि वे अपने काम-काज को सही समय पर अनुकूल बना सकें।

Monsoon Arrival: मौसम विभाग ने पहले केरल में 31 मई तक मानसून की दस्तक देने की संभावना जताई थी, लेकिन अब इसमें परिवर्तन आ गया है। अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम में मानसून का आगमन सामान्यतः पांच जून को होता है, लेकिन इस बार यह आगमन समय से पहले हो सकता है।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसका पीछा कारण एल निनो फेनोमेना का बढ़ता प्रभाव हो सकता है। एल निनो एक प्राकृतिक घटना है जो प्रभावी रूप से मौसम को परिवर्तित कर सकती है। यहां तक कि एल निनो के कारण भारी बर्फबारी, बाढ़ और बारिश की कमी जैसी आपदाएं भी हो सकती हैं।

Monsoon Arrival: एल निनो के पारदर्शी प्रभाव के कारण मौसम के पूर्वानुमान में अनियमितता आ सकती है। इसे विज्ञानिक एल निनो गृह वायवीय लाभ और संबंधित जलवायु बदलाव के साथ जोड़ा जा सकता है।

Monsoon Arrival: मानसून की प्रारंभिक एंट्री,वैज्ञानिकों का रहस्य उजागर, जानें वजह |
Monsoon Arrival: मानसून की प्रारंभिक एंट्री,वैज्ञानिकों का रहस्य उजागर, जानें वजह |

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Monsoon Arrival: मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, यह बदलाव नियमित नहीं है, लेकिन वहाँ के मौसम का अवलोकन करते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि इस बार दक्षिण पश्चिम मानसून का आगमन समय से पहले हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए संभावित प्रभावों का विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि इससे होने वाले किसी भी असामान्य प्रभावों का सामना किया जा सके।

मानसून समय से पहले आने का कारण क्या है?

Monsoon Arrival: न्यूज एजेंसी पीटीआई ने मौसम वैज्ञानिकों के हवाले से बताया कि मानसून के जल्दी आने का एक कारण चक्रवाती तूफान रेमल हो सकता है। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा, “पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से गुजरे चक्रवात रेमल ने मानसून के प्रवाह को बंगाल की खाड़ी की ओर खींच लिया। ये पूर्वोत्तर में मानसून के जल्दी आने की एक वजह हो सकता है।”

Monsoon Arrival: चक्रवाती तूफान रेमल एक प्रमुख तूफान है जो भारतीय मौसम के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। इसका प्रभाव भारतीय मौसम प्रणाली पर भी गहरा हो सकता है। इस चक्रवाती तूफान के कारण मानसून के आगमन में अनियमितता हो सकती है और उसकी संतुलन क्षमता पर असर पड़ सकता है।

Monsoon Arrival:  मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, रेमल के बढ़ते प्रभाव की वजह से मानसून के प्रवाह को पूर्वोत्तरी दिशा में खींचा जा सकता है, जिससे इस समय के लिए मानसून का आगमन अधिक तेजी से हो सकता है। इससे भारत के कई क्षेत्रों में मौसम में परिवर्तन आ सकता है, जिससे उनके तापमान और वर्षा की मात्रा में असमानता हो सकती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, चक्रवाती तूफान के प्रभाव को समझकर उपयुक्त कदम उठाने चाहिए ताकि इसके प्रभावों का सामान्य लोगों के जीवन और संपत्ति पर कम असर हो सके।

Monsoon Arrival: चक्रवाती तूफान रेमल का प्रभाव पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम में ही सबसे ज्यादा हुआ है। यह तूफान विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई रीजन में होता है और इसका प्रभाव सामान्यतः इन राज्यों में ही महसूस होता है।

Monsoon Arrival: रेमल का चक्रवाती तूफान होने का कारण वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न कारकों के अध्ययन के आधार पर निर्धारित किया गया है। इस तूफान का प्रभाव मुख्य रूप से समुद्री स्थितियों, आकार, और चाल के कारण वायुमंडलीय घटनाओं पर निर्भर करता है।

Monsoon Arrival: चक्रवाती तूफान के कारण इन राज्यों में वृष्टि की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है जो की समृद्धिकारी है। इससे खेती और वन्यजीवन पर असर हो सकता है, विशेषकर उपजाऊ क्षेत्रों में अच्छी खेती होने की संभावना बढ़ जाती है।

Monsoon Arrival: रेमल के चक्रवाती तूफान के प्रभाव का मौसम विज्ञान में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इससे संबंधित राज्यों में मौसम में आए बदलाव की जानकारी प्राप्त होती है। यह जानकारी न केवल लोगों के लिए बल्कि खेती, पर्यटन, और जलवायु विज्ञान में निर्देशिका के रूप में भी महत्वपूर्ण है।

पूर्वोत्तर राज्य में लोगों की गई जान

Monsoon Arrival: चक्रवाती तूफान रेमल के कारण पूर्वोत्तर के राज्य (Northeast India) में भारी बारिश और भूस्खलन आया है। इस कारण 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और कई अन्य लोग लापता हैं। इसके अलावा कई घर भी ढह गए हैं।

Monsoon Arrival: मिजोरम के आइजोल जिले में विभिन्न स्थानों पर हुए भूस्खलन और बारिश के बाद 4 और शव बरामद होने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है। वहीं असम में 4, नगालैंड में 4 और मेघालय में 2 लोगों की जान गई है।

यह घटना अत्यंत दुखद है जिससे लोगों की जानें गई हैं और कई लोगों की संपत्तियां और घरों को भी नुकसान पहुंचा है। भूस्खलन के कारण स्थानीय लोगों के लिए संकट की घड़ी है और सरकार को भी उनकी सहायता करने के लिए तत्परता से काम करना चाहिए।

इसके अलावा, चक्रवाती तूफान के पूर्वानुमान और उसके प्रभाव की समझ से विशेषज्ञों को सीखने का अवसर मिलता है कि आगामी वर्षों में ऐसे प्राकृतिक आपदाओं का सामना कैसे किया जा सकता है। इससे हम समुद्री आपदाओं के प्रति अधिक सजग और तैयार हो सकते हैं।

 

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