IAS Puja Khedkar : ऑडी में लाल बत्ती और प्राइवेट चेंबर की मांग ने ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर को मुसीबत में डाला, हुआ तबादला; जानें पूरी कहानी |

IAS Puja Khedkar : ऑडी में लाल बत्ती और प्राइवेट चेंबर की मांग ने ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर को मुसीबत में डाला, हुआ तबादला; जानें पूरी कहानी |

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IAS Puja Khedkar: महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस पूजा खेड़कर की वीआईपी मांगों से हुआ तबादला, पुणे से वाशिम भेजी गईं |

IAS Puja Khedkar: महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर को वीआईपी सुविधाओं की मांग करना महंगा पड़ गया है। उनके इन मांगों के चलते उनका ट्रांसफर पुणे से वाशिम कर दिया गया है। पूजा खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग करके वीआईपी नंबर प्लेट मांगी थी और अपनी प्राइवेट ऑडी कार पर लाल बत्ती लगाई थी। इसके अलावा, उन्होंने पुणे कलेक्टर का प्राइवेट चैंबर भी अपने लिए आरक्षित कर लिया था। इन सभी घटनाओं के बाद, अधिकारियों ने उनके खिलाफ सख्त कदम उठाया और उनका तबादला कर दिया।

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IAS Puja Khedkar : ऑडी में लाल बत्ती और प्राइवेट चेंबर की मांग ने ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर को मुसीबत में डाला, हुआ तबादला; जानें पूरी कहानी |

IAS Puja Khedkar: इस घटना ने प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बड़ी चर्चा का विषय बना दिया है, और यह मामला अनुशासन और नियमों के पालन के महत्व को उजागर करता है। पूजा खेड़कर की इस घटना से स्पष्ट है कि अधिकारियों को अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए।

IAS Puja Khedkar: पुणे के अपर कलेक्टर अजय मोरे के खिलाफ उन पर आरोप है कि वे 18 से 20 जून के बीच मुंबई गए थे और इस दौरान पूजा खेड़कर ने अजय मोरे के सामने वाले कमरे में मौजूद टेबल, चेयर और सोफा को हटा दिया। उन्होंने न केवल फर्नीचर को हटाया, बल्कि उस कमरे पर कब्जा भी कर लिया और अपने लिए टेबल, चेयर और फर्नीचर की व्यवस्था कर ली। इसके बाद उन्होंने उस कमरे का इस्तेमाल अपनी सुविधाओं के लिए किया। यह घटना एक सरकारी अधिकारी की नैतिकता और नियमों के पालन पर सवाल उठाती है, जहां अधिकारियों को सरकारी संपत्ति का सही उपयोग करना चाहिए।

‘मेरी बेइज्जती हो जाएगी…’

IAS Puja Khedkar: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपर कलेक्टर अजय मोरे ने कलेक्टर सुहास दिवास से इस बात की शिकायत की है कि पूजा खेड़कर ने उनके कमरे में रखे फर्नीचर और अन्य सामान को बाहर निकाल दिया था। इसके बाद पूजा खेड़कर ने कलेक्टर को एक संदेश भेजा जिसमें उन्होंने कहा कि अगर आप ऐसा करेंगे तो मेरी बेइज्जती होगी।

विकलांगता का फर्जी प्रमाण पत्र भी बनवाया

IAS Puja Khedkar: पूजा खेड़कर अपनी ऑडी कार में आती जाती थीं। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपनी प्राइवेट कार पर महाराष्ट्र सरकार का बोर्ड लगवाया। उन्हें इस बारे में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कथित तौर पर आईएएस ऑफिसर बनने के लिए अपनी विकलांगता का फर्जी प्रमाण पत्र भी दिखाया। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपनी आधिकारिक भवन, स्टाफ और कॉन्स्टेबल की मांग की, साथ ही गाड़ी पर वीआईपी नंबर प्लेट की मांग भी की थी। इन सभी आरोपों के चलते उन्हें सरकारी अधिकारियों द्वारा जांच के लिए बुलाया गया है।

बेटी की डिमांड के लिए पिता ने भी बनाया दवाब

IAS Puja Khedkar: पूजा ने रेवेन्यू असिस्टेंट को निर्देश दिया कि वह उनके नाम पर लेटर हेड, विजिटिंग कार्ड, पेपर वेट, नेम प्लेट, रॉयल सील और इंटरकॉम जारी करें। इसके साथ ही उन पर यह भी आरोप है कि पूजा के पिता, जो खुद एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं, ने जिला कलेक्टर कार्यालय में दबाव डाला कि उनकी बेटी की मांगों को पूरा किया जाए। पूजा खेडकर ने मसूरी से अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पुणे में अपर कलेक्टर के रूप में तैनाती पाई थीं, जहां उन्होंने असिस्टेंट कलेक्टर के पद के लिए ट्रेनिंग भी प्राप्त की थी। इसके बावजूद, उनका तबादला पूरी ट्रेनिंग से पहले ही मध्य महाराष्ट्र के वाशिम जिले में हो गया है।

कौन है पूजा खेडकर? 

IAS Puja Khedkar: पूजा खेड़कर ने 2021 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और 821 वीं रैंक हासिल की। उन्होंने खुद को दिव्यांग घोषित करते हुए कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के खिलाफ याचिका दायर की थी। पूजा खेड़कर ने अपने तर्क में बताया कि दिव्यांग उम्मीदवारों को एससी और एसटी उम्मीदवारों की तुलना में अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें समान लाभ प्राप्त होना चाहिए। उन्हें यूपीएससी कम्युनिकेशन में 2 फरवरी 2022 को छपी जानकारी के अनुसार अपॉइंटमेंट नहीं मिला था।

खुद को बताया मानसिक रूप से अस्वस्थ

IAS Puja Khedkar: इसके बाद पूजा ने अदालत में हलफनामा दायर किया। उन्होंने अपने आत्मविश्वास को दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से अस्वस्थ बताया। इसी आधार पर पूजा ने यूपीएससी के निर्णय के खिलाफ आदेश की मांग की थी। इसके बाद 2023 में सुनवाई में जस्टिस एमजी शेवलीकर की पीठ ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत उनके हलफनामे को स्वीकृति दी। अब एक साल बाद यह कहानी सामने आई है कि खेडकर का ट्रांसफर होकर वाशिम में तय कर दिया गया है।

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