- Middle East Crisis: विशेषज्ञों की राय; इजरायल के हमले पर युद्ध में कई देशों की भागीदारी संभव, अमेरिका और कुछ मुस्लिम देश ईरान का समर्थन कर सकते हैं |
- Middle East Crisis: क्षेत्रीय युद्ध में जा सकता है मध्य पूर्व
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- Middle East Crisis: बड़े स्तर पर जवाब दे सकता है इजरायल
- Middle East Crisis: किसका पलड़ा रह सकता है भारी
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Middle East Crisis: विशेषज्ञों की राय; इजरायल के हमले पर युद्ध में कई देशों की भागीदारी संभव, अमेरिका और कुछ मुस्लिम देश ईरान का समर्थन कर सकते हैं |
Middle East Crisis: ईरान ने मंगलवार रात (2 अक्टूबर 2024) को इजरायल पर एक बड़ा मिसाइल हमला किया। ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने इस हमले को गाजा और लेबनान में इजराइली हमलों, साथ ही IRGC, हमास और हिजबुल्लाह के शीर्ष नेताओं की हत्याओं के प्रतिशोध के रूप में बताया। ईरान का यह कदम एक गंभीर उकसावे के तहत आया है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
Middle East Crisis: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के इस हमले के तुरंत बाद प्रतिक्रिया दी, कहा कि ईरान को इसके परिणाम भुगतने होंगे। अमेरिका ने भी इजरायल का समर्थन करने की बात कही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक ताकतें इस संघर्ष में अपनी भूमिका निभा सकती हैं। दुनिया के कई देश ईरान के इस हमले की निंदा कर रहे हैं, जिससे स्थिति और अधिक जटिल होती जा रही है। यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में मध्य पूर्व में तनावपूर्ण हालात बन सकते हैं, और यह संघर्ष कई देशों को प्रभावित कर सकता है। वैश्विक समुदाय को इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कदम उठाने की आवश्यकता है।
Middle East Crisis: क्षेत्रीय युद्ध में जा सकता है मध्य पूर्व
Middle East Crisis: DAWN के एडवोकेसी डायरेक्टर राएड जरार ने अल जजीरा को दिए एक बयान में कहा कि मध्य पूर्व में वर्तमान में एक पूर्ण पैमाने पर क्षेत्रीय युद्ध चल रहा है, और यह बिना अमेरिकी नीति में बदलाव के खत्म नहीं होगा। उनका मानना है कि जब तक अमेरिका अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करता, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक संयुक्त राज्य अमेरिका यह नहीं कहता कि हम इजरायल को और हथियार नहीं भेजेंगे और इजरायली अपराधों को वित्तपोषित नहीं करेंगे।”
जरार के अनुसार, अमेरिका का इस स्थिति में हस्तक्षेप आवश्यक है ताकि युद्ध को रोका जा सके और क्षेत्र में स्थिरता लाई जा सके। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका की भूमिका इस संघर्ष में महत्वपूर्ण है, और इसके बिना शांति स्थापित करना मुश्किल होगा। इस प्रकार, राएड जरार की बातें यह दर्शाती हैं कि यदि अमेरिका अपनी नीतियों में बदलाव नहीं लाता, तो यह संघर्ष और भी बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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Middle East Crisis: बड़े स्तर पर जवाब दे सकता है इजरायल
Middle East Crisis: मिडिल ईस्ट काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स के फेलो उमर रहमान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि यह निश्चित है कि इजरायल ईरान के हमले का जवाब देगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह जवाबी कार्रवाई ऐसी हो सकती है जो एक बड़े युद्ध को जन्म दे सकती है। रहमान ने इजरायल की सैन्य क्षमताओं पर जोर देते हुए कहा कि यह देश बड़े पैमाने पर विनाश करने में सक्षम है, जैसा कि उन्होंने लेबनान में पहले भी किया है।
उन्होंने बताया कि इजरायल के पास बड़ी खुफिया जानकारियां हैं, जो उसे अपने प्रतिकूलों के खिलाफ प्रभावी युद्ध संचालन में मदद करती हैं। इस प्रकार, यदि इजरायल अपनी सैन्य शक्ति का उपयोग करता है, तो यह न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करेगा, बल्कि संभावित रूप से अन्य देशों को भी इस संघर्ष में शामिल कर सकता है। उमर रहमान का कहना है कि इस तरह की घटनाएं एक जटिल संघर्ष को जन्म दे सकती हैं, जिसमें कई देशों की भागीदारी हो सकती है। इसलिए, वैश्विक समुदाय को इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि युद्ध की संभावना को कम किया जा सके।
Middle East Crisis: किसका पलड़ा रह सकता है भारी
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इजरायल ईरान पर हमला करता है और युद्ध छिड़ता है, तो इस संघर्ष में कई अन्य देश भी शामिल हो सकते हैं। अमेरिका, जो हमेशा से इजरायल का सहयोगी रहा है, संभावित रूप से इस युद्ध में इजरायल के साथ उतर सकता है। इसके साथ ही, कुछ मुस्लिम देश ईरान के समर्थन में आ सकते हैं, जिससे यह स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
Middle East Crisis: अगर अमेरिका इस संघर्ष में भाग लेता है, तो ब्रिटेन और फ्रांस भी इजरायल का साथ देने के लिए आगे आ सकते हैं। ऐसे परिदृश्य में, इजरायल की सैन्य ताकत और सहयोगी देशों की समर्थन शक्ति उसे ईरान के खिलाफ भारी पड़ने का अवसर दे सकती है। इस स्थिति का नतीजा केवल मध्य पूर्व में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी असर डाल सकता है। संभावित संघर्ष के कारण क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ने की आशंका है, जिससे अन्य देश भी प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में वैश्विक समुदाय को इस टकराव की गंभीरता को समझते हुए एक समग्र और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
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