- PK’s political impact: प्रशांत किशोर की अगुवाई में जन सुराज पार्टी की राजनीति में एंट्री; यूएन से रणनीतिकार तक का सफर |
- PK’s political impact: कौन हैं प्रशांत किशोर
- PK’s political impact: आठ साल की यूएन की नौकरी
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- PK’s political impact: चुनाव रणनीतिकार के रूप में सफर
- PK’s political impact: 2014 में बीजेपी की जीत से मिली पहचान
- PK’s political impact: आठ दलों के साथ कर चुके रणनीतिकार का काम
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- डॉक्टर पिता और पत्नी के साथ प्रशांत किशोर का परिवार: चुनावी रणनीतिकार से नेता बनने की कहानी
PK’s political impact: प्रशांत किशोर की अगुवाई में जन सुराज पार्टी की राजनीति में एंट्री; यूएन से रणनीतिकार तक का सफर |
PK’s political impact: जन सुराज पार्टी का बिहार की राजनीति में पदार्पण प्रशांत किशोर के नेतृत्व में हो रहा है, और यह चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। प्रशांत किशोर, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र की एक फंडेड स्कीम से अपने करियर की शुरुआत की थी, अब तक भारत के कई बड़े राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी अनूठी रणनीतियों ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में एक अहम चेहरा बना दिया है।
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस, भाजपा, जदयू, और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों के लिए सफल रणनीतियां बनाई हैं, जिससे कई पार्टियों को चुनावी जीत हासिल हुई। अब, उन्होंने खुद की राजनीतिक पार्टी ‘जन सुराज’ की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य बिहार की राजनीति में एक नई दिशा और विकल्प प्रदान करना है। इस पार्टी के जरिए वह प्रदेश के विकास, रोजगार, और शिक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने का वादा कर रहे हैं।
जन सुराज का मुख्य फोकस जनता को सशक्त बनाना और बिहार के विकास में योगदान देना है। प्रशांत किशोर की यह नई पारी न सिर्फ उनकी नेतृत्व क्षमता को परखने का समय है, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय भी शुरू कर रही है।
PK’s political impact: कौन हैं प्रशांत किशोर
PK’s political impact: प्रशांत किशोर का जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था। उनके पिता, श्रीकांत पांडेय, एक सरकारी डॉक्टर थे, और इस पृष्ठभूमि ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। प्रशांत किशोर को बचपन से ही शिक्षा और समाज सेवा में रुचि थी।उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च अध्ययन के लिए विदेश का रुख किया। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) से जुड़े एक फंडेड प्रोजेक्ट के तहत काम करते हुए उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा और विभिन्न दलों के लिए एक सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में पहचान बनाई।
प्रशांत किशोर को देशभर में तब पहचान मिली जब उन्होंने कई प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीतियां बनाई, जो बेहद सफल रहीं। उनकी सबसे चर्चित रणनीतियों में नरेंद्र मोदी के लिए 2014 का लोकसभा चुनाव, नीतीश कुमार के लिए बिहार विधानसभा चुनाव, और ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव शामिल हैं।अब, प्रशांत किशोर ने अपनी खुद की पार्टी ‘जन सुराज’ के जरिए बिहार की राजनीति में प्रवेश किया है, जिसका उद्देश्य प्रदेश में नए सिरे से राजनीतिक जागरूकता और विकास का मार्ग प्रशस्त करना है।
PK’s political impact: आठ साल की यूएन की नौकरी
PK’s political impact: प्रशांत किशोर ने अपने करियर की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के साथ की, जहां उन्होंने लगभग आठ साल तक काम किया। उनकी पहली पोस्टिंग स्वास्थ्य संबंधी एक यूएन फंडेड स्कीम के तहत संयुक्त आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुई थी। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य और विकास से जुड़े मुद्दों पर काम किया, जिससे उन्हें जमीनी स्तर पर काम करने और समस्याओं को समझने का अवसर मिला। यूएन में अपने कार्यकाल के दौरान किशोर ने वैश्विक और स्थानीय परिप्रेक्ष्य में विकासशील देशों की चुनौतियों को बारीकी से समझा।
PK’s political impact: यूएन में अपने अनुभवों के बाद प्रशांत किशोर ने भारतीय राजनीति की ओर रुख किया और चुनावी रणनीति के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया। उन्होंने 2011 में नरेंद्र मोदी के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव में काम किया और उनके प्रयासों ने उन्हें एक सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने कई प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चुनावी अभियानों का नेतृत्व किया, जिसमें उनकी रणनीतियों की अहम भूमिका रही।
अब प्रशांत किशोर ‘जन सुराज’ के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें वे बिहार की राजनीति को नया मोड़ देने और राज्य के विकास के लिए काम करने का संकल्प ले चुके हैं।
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PK’s political impact: चुनाव रणनीतिकार के रूप में सफर
PK’s political impact: संयुक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में आठ साल तक काम करने के बाद, प्रशांत किशोर ने 2011 में एक नए सफर की शुरुआत की, जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा। उनके चुनावी रणनीतिकार बनने की शुरुआत गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई, जब उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनावों में मोदी के लिए रणनीति बनाई। इस सफलता ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख चुनावी रणनीतिकार के रूप में स्थापित कर दिया।
PK’s political impact: प्रशांत किशोर, जिन्हें आमतौर पर “पीके” के नाम से जाना जाता है, ने इसके बाद कई प्रमुख राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए चुनावी रणनीतियां तैयार कीं। 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए उनकी रणनीतियों ने एक निर्णायक भूमिका निभाई, जिससे पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली। इसके बाद उन्होंने बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों में भी विभिन्न दलों के लिए सफलतापूर्वक काम किया।
अब प्रशांत किशोर ‘जन सुराज’ पार्टी के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें उनका उद्देश्य बिहार की राजनीति में बदलाव लाना और जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देना है। उनकी पार्टी का फोकस सामाजिक सुधार, विकास, और लोगों को सशक्त बनाने पर है।
PK’s political impact: 2014 में बीजेपी की जीत से मिली पहचान
PK’s political impact: प्रशांत किशोर (पीके) को 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ऐतिहासिक जीत के बाद विशेष पहचान मिली। उन्होंने उस समय भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लिए एक व्यापक चुनावी रणनीति तैयार की थी, जो बेहद सफल रही। उनकी रणनीति ने न केवल भाजपा को शानदार जीत दिलाई, बल्कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने में भी अहम भूमिका निभाई।
PK’s political impact: पीके की अनोखी चुनावी योजनाओं और उनके प्रबंधन कौशल ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक प्रमुख चुनावी रणनीतिकार के रूप में स्थापित किया। 2014 के चुनाव के बाद, उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों के साथ भी काम किया। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में उन्होंने महागठबंधन के लिए रणनीति बनाई, जिसमें नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने बड़ी जीत हासिल की।
PK’s political impact: प्रशांत किशोर की रणनीतियों का मूल फोकस जमीनी हकीकत को समझना और जनमत के अनुसार प्रभावी प्रचार अभियान तैयार करना रहा है। अब प्रशांत किशोर अपनी पार्टी ‘जन सुराज’ के माध्यम से खुद की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें उनका मुख्य उद्देश्य बिहार के विकास और सामाजिक सुधारों के लिए काम करना है।
PK’s political impact: आठ दलों के साथ कर चुके रणनीतिकार का काम
PK’s political impact: 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर (पीके) ने कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए चुनावी रणनीति तैयार की, जिससे कांग्रेस को बड़ी जीत मिली और राज्य में सरकार बनाने में सफलता प्राप्त हुई। यह जीत पीके की कुशल रणनीति और जमीनी हकीकत को समझने की क्षमता का परिणाम थी, जिसने उन्हें एक और चुनावी सफलता दिलाई।
2019 में, प्रशांत किशोर ने आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लिए भी चुनावी रणनीति बनाई। इस चुनाव में, वाईएस जगनमोहन रेड्डी की पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया और राज्य में सरकार बनाई। इस जीत ने पीके को एक बार फिर से सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में स्थापित किया।
PK’s political impact: प्रशांत किशोर की सफलता का राज उनकी गहन राजनीतिक समझ और जनता की नब्ज़ को पहचानने की कला में छिपा है। उन्होंने कई राज्यों में राजनीतिक परिदृश्य बदलने में मदद की है। अब, वे अपनी खुद की पार्टी ‘जन सुराज’ के जरिए बिहार की राजनीति में परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका लक्ष्य बिहार को एक बेहतर और विकसित राज्य बनाने के लिए जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है।
PK’s political impact: प्रशांत किशोर ने बतौर चुनावी रणनीतिकार 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए काम किया, जहां अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में पार्टी ने भारी जीत दर्ज की। उनकी रणनीतियों ने AAP को लगातार दूसरी बार सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई। प्रशांत किशोर की टीम ने दिल्ली में जमीनी स्तर पर प्रचार अभियान को मजबूती दी और एक सटीक राजनीतिक योजना तैयार की, जिससे पार्टी को 70 में से 62 सीटें हासिल हुईं।
PK’s political impact: 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में, उन्होंने डीएमके के नेता एम.के. स्टालिन के लिए रणनीति तैयार की। किशोर की योजना और उनके नेतृत्व ने डीएमके को सत्ता में वापस लाने में मदद की, और स्टालिन मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में भी प्रशांत किशोर की टीम ने जमीनी स्तर पर चुनावी प्रचार को दिशा दी और मतदाताओं की नब्ज़ को बखूबी समझा।प्रशांत किशोर की रणनीतियों ने कई राज्यों में राजनीतिक दलों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब उन्होंने अपनी पार्टी ‘जन सुराज’ के जरिए बिहार की राजनीति में कदम रखा है, जहां वे राज्य के विकास और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा रखते हैं।
इससे भी पढ़े:- प्रशांत किशोर पैदल पहुंचेंगे कार्यक्रम स्थल, विदेश से आए मेहमान, 200 से अधिक सीटों पर जीत का दावा |
PK’s political impact: जेडीयू के साथ किया था सियासी डेब्यू
PK’s political impact: प्रशांत किशोर (पीके) ने सक्रिय राजनीति में अपनी शुरुआत नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) [जेडीयू] के साथ की थी। वह 16 सितंबर 2018 को जेडीयू में शामिल हुए और अक्टूबर 2018 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह कदम उनकी राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जहां उन्होंने एक रणनीतिकार से नेता बनने का सफर तय किया। जेडीयू में शामिल होने के बाद, पीके ने बिहार की राजनीति में गहराई से सक्रिय भूमिका निभाई और पार्टी के विकास और विस्तार में योगदान दिया।
हालांकि, पार्टी के भीतर विचारधारात्मक मतभेदों के कारण, पीके और जेडीयू के रिश्ते में खटास आ गई। विशेष रूप से, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के मुद्दों पर उनके मतभेद प्रमुख रूप से सामने आए। इसके चलते 2020 में उन्होंने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया।अब प्रशांत किशोर ने अपनी खुद की पार्टी ‘जन सुराज’ के जरिए बिहार की राजनीति में फिर से सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की है। इस नई पार्टी के साथ उनका उद्देश्य राज्य में नए राजनीतिक बदलाव लाना और बिहार के विकास के लिए प्रभावी कदम उठाना है।
डॉक्टर पिता और पत्नी के साथ प्रशांत किशोर का परिवार: चुनावी रणनीतिकार से नेता बनने की कहानी
PK’s political impact: साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तो उस समय चर्चा का केंद्र एक गैर-राजनीतिक नाम बना, और वह नाम था प्रशांत किशोर (पीके)। एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में, पीके ने भाजपा की चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए एक प्रभावशाली चुनावी रणनीति तैयार की, जिसने पार्टी को 282 सीटें जीतने में मदद की।
उनकी रणनीतियों ने न केवल मोदी को सत्ता में लाने का काम किया, बल्कि प्रशांत किशोर को भी राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख चुनावी रणनीतिकार के रूप में स्थापित कर दिया। इसके बाद, उन्होंने विभिन्न राज्यों में कई प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए काम किया और कई चुनावों में सफलताएँ हासिल कीं।
PK’s political impact: अब, प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी ‘जन सुराज’ लॉन्च करने का निर्णय लिया है। इस नई राजनीतिक पहल के माध्यम से, उनका उद्देश्य बिहार की राजनीति में बदलाव लाना और समाज के विकास के लिए प्रभावी कदम उठाना है। पीके का लक्ष्य राज्य के लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता देना और उन्हें सशक्त बनाना है। उनकी यात्रा ने यह साबित किया है कि चुनावी रणनीति से लेकर राजनीति में सक्रिय भूमिका तक का सफर कैसे तय किया जा सकता है।
PK’s political impact: साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तो उस समय एक गैर-राजनीतिक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, और वह नाम था प्रशांत किशोर। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की, जिसने भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई। उनकी विशिष्ट रणनीतियों और प्रभावी प्रचार ने उन्हें एक प्रमुख चुनावी रणनीतिकार के रूप में स्थापित किया।प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता, श्रीकांत पांडे, एक डॉक्टर थे। उनके परिवार का चिकित्सा क्षेत्र से गहरा नाता रहा है, क्योंकि उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं।
PK’s political impact: किशोर ने अपने करियर की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में की और उसके बाद राजनीति में कदम रखा। आज, वे अपनी नई पार्टी ‘जन सुराज’ लॉन्च करने जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य बिहार की राजनीति में सकारात्मक बदलाव लाना है। प्रशांत किशोर की यात्रा यह दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने पेशेवर जीवन में विविधता लाकर समाज की सेवा कर सकता है। उनकी राजनीतिक रणनीतियों ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का कार्य किया है।
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PK’s political impact: प्रशांत किशोर ने अपनी उच्च शिक्षा की यात्रा की शुरुआत पटना साइंस कॉलेज से की, लेकिन कुछ समय बाद वह वहां से निकलकर हिंदू कॉलेज चले गए। हालांकि, उनकी तबीयत खराब होने के कारण उन्हें बीच में ही कॉलेज छोड़ना पड़ा। अंततः उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री लखनऊ से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने हैदराबाद में एक यूनिवर्सिटी से पोस्ट-ग्रेजुएट की पढ़ाई की।
PK’s political impact: प्रशांत किशोर की व्यक्तिगत जिंदगी में भी एक खास मोड़ आया, जब उनकी मुलाकात जाह्नवी दास से हुई। जाह्नवी असम राज्य की निवासी हैं और पेशे से डॉक्टर हैं। दोनों की पहली मुलाकात संयुक्त राष्ट्र के हेल्थ प्रोग्राम के दौरान हुई, जहां उन्होंने एक साथ काम किया। उनकी समझदारी और एक-दूसरे के प्रति सम्मान ने उनके रिश्ते को मजबूत बनाया।आज, प्रशांत किशोर अपनी पत्नी के साथ एक सशक्त पारिवारिक जीवन जी रहे हैं। उनका व्यक्तिगत और पेशेवर सफर यह दर्शाता है कि वे न केवल एक सफल रणनीतिकार हैं, बल्कि एक अच्छे पति और परिवार के सदस्य भी हैं। उनकी कहानी से यह भी संदेश मिलता है कि कठिनाइयों का सामना करके भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद, प्रशांत किशोर ने 2015 में इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) की स्थापना की। इसके साथ ही, उन्होंने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चुनावी रणनीति तैयार की। उनकी रणनीतियों ने जेडीयू को 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण जीत दिलाने में मदद की, जिससे किशोर की पहचान एक प्रमुख चुनावी रणनीतिकार के रूप में स्थापित हुई। इसके बाद, 2016 में कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर को अपनी चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए नियुक्त किया। हालांकि, 2017 में कांग्रेस को लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा।
PK’s political impact: किशोर की रणनीतियों में उनके व्यापक अनुभव और राजनीतिक समझ का लाभ मिलता है। उन्होंने हर चुनाव में एक नए दृष्टिकोण के साथ काम किया, जिससे राजनीतिक दलों को चुनावी चुनौती का सामना करने में मदद मिली। प्रशांत किशोर का करियर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ सफलताओं और विफलताओं से भरा रहा है। उनकी यात्रा ने यह साबित किया है कि चुनावी रणनीति में नवीनता और यथार्थता दोनों आवश्यक हैं। अब, वह अपनी पार्टी ‘जन सुराज’ के माध्यम से बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं।
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