Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश, 5 बड़ी राजनीतिक घटनाएं जो 5वें चरण की वोटिंग से पहले रातों-रात समीकरण बदलने के लिए प्लान कर रही हैं|

Lok Sabha Election 2024: चुनाव आयोग के मुताबिक 5वें चरण में 13 सीटों पर चुनाव होंगे – रायबरेली, अमेठी, मोहनलालगंज, बाराबंकी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, झांसी, लखनऊ, जालौन, गोड्डा, कैसरगंज, कौशांबी, और फैजाबाद |

Lok Sabha Election 2024
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Lok Sabha Election 2024: पांचवें चरण के मतदान से पहले उत्तर प्रदेश में कई लोकसभा सीटों का समीकरण बदल रहा है। कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रक्रिया को और गंभीर बना रही हैं। विशेषकर, कौशांबी, रायबरेली और जौनपुर में समीकरण का मामला बेहद तेजी से बदल रहा है। इन सीटों पर मतदान की गई राय को लेकर बड़े-बड़े पोलिटिकल दलों के बीच तनाव है।

यूपी में लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में 14 सीटों पर मतदान होने की तैयारी है। पिछले बार 2019 में इन सीटों में सिर्फ एक ही सीट पर इंडिया गठबंधन को जीत मिली थी। हालांकि, नए समीकरण के बाद लगभग तीन सीटों पर इंडिया गठबंधन को फायदा हो रहा है। इससे प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ी खिसकावट आ सकती है।

5वें चरण में कहां-कहां होने हैं मतदान?

Lok Sabha Election 2024: यूपी के 5वें चरण में चुनाव आयोग द्वारा अनुसूचित की गई सीटों पर मतदान होगा। इनमें रायबरेली, अमेठी, मोहनलालगंज, बाराबंकी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, झांसी, लखनऊ, जालौन, गोड्डा, कैसरगंज, कौशांबी और फैजाबाद शामिल हैं।

Lok Sabha Election 2024: 2019 में, रायबरेली को छोड़कर सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। हालांकि, इस बार पार्टी को वोटर्स के बीच गतिशीलता और समर्थन में अंतर देखने को मिल रहा है। यह घटनाएं सकते में बदलाव ला सकती हैं।

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जब तक यह घटनाएं वोट ट्रांसफर पर प्रभाव डालें, वहां कई सीटों का गुणा-गणित खराब हो सकता है। इससे पार्टी के द्वारा हासिल की जा रही जीत का असर पड़ सकता है।

इसलिए, उत्तर प्रदेश में होने वाले इस चरण के मतदान में, यह स्पष्ट है कि यूपी के पोलिटिकल लड़ाई में नई दिशा और रुझान आ सकते हैं। वोटर्स का समर्थन और उनके फैसलों का प्रभाव होना यहां बहुत महत्वपूर्ण है।

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अब उन 5 घटनाओं को विस्तार से समझिए

1. चुनाव में राजा भैया का तटस्थ रहने का ऐलान :

Lok Sabha Election 2024: कुंडा के विधायक और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के मुखिया राजा भैया ने लोकसभा चुनाव में तटस्थ रहने का ऐलान किया है। राजा भैया ने यह ऐलान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के कुछ दिनों बाद किया। बुधवार को अपने आवास पर बैठक के बाद राजा भैया ने कहा कि हम इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और न ही किसी के साथ गठबंधन में हैं, इसलिए हमने समर्थकों से कहा है कि जिसे मन हो, उसे वोट दें।

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की कौशांबी और प्रतपागढ़ लोकसभा सीटों पर राजा भैया का दबदबा है। कौशांबी लोकसभा के 5 में से 2 विधानसभा सीटों पर जनसत्ता दल के विधायक हैं। राजा भैया के तटस्थ रहने का निर्णय राजनीतिक मायने रखता है, क्योंकि वो अपने समर्थकों को स्वतंत्र वोट देने की सलाह दे रहे हैं। इससे प्रदेश की राजनीतिक दलों के बीच मतभेद और दबदबा बढ़ सकता है। इससे सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष की बातें उठ सकती हैं और चुनावी माहौल में नई दिशा दिख सकती है।

Lok Sabha Election 2024: 2019 के चुनाव में कौशांबी सीट पर राजा भैया के उम्मीदवार को 1 लाख 56 हजार वोट मिले थे। जीत-हार का मार्जिन करीब 39 हजार का था। इस बार यहां बीजेपी की तरफ से निवर्तमान सांसद विनोद सोनकर तो सपा की तरफ से कद्दावर नेता इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज मैदान में हैं।

Lok Sabha Election 2024: 2022 के चुनाव के आंकड़ों की मानें तो कौशांबी सीट पर बीजेपी को करीब 2 लाख 75 हजार वोट मिले थे। सपा को सभी विधानसभा में मिलाकर 4 लाख 30 हजार वोट मिले थे। करीब 2 लाख वोट जनसत्ता दल को मिले थे। इससे साफ़ है कि इस बार कौशांबी सीट पर चुनाव बहुत ही रोमांचकारी होने वाला है।

Lok Sabha Election 2024
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Lok Sabha Election 2024: बीजेपी ने अपने वोटर्स की संख्या में बड़ी वृद्धि देखी है, जबकि सपा ने भी अच्छी तरह से अपने समर्थकों को संबोधित किया है। जनसत्ता दल को भी वोटर्स का समर्थन मिला है। इससे यह साबित होता है कि इस बार कौशांबी में नेताओं के बीच महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा होगी और वोटर्स का दबदबा महत्वपूर्ण होगा।

2. धनंजय सिंह और केशवदेव मौर्य का यूटर्न  :

Lok Sabha Election 2024: नामांकन से पहले भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने यूटर्न ले लिया है। जौनपुर की एक सभा में धनंजय सिंह ने बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है। धनंजय सिंह की पत्नी बीएसपी के सिंबल पर यहां से नामांकन भी दाखिल की थी, लेकिन आखिर वक्त में उनका पर्चा वापस हो गया। पूर्वांचल की जौनपुर लोकसभा सीट पर छठे चरण में मतदान प्रस्तावित है।

धनंजय सिंह का नाम नामांकन के दौरान खड़ा हो गया है और उन्होंने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया है। इसके बाद से जौनपुर की राजनीतिक स्तिथि में खिचाकी आई है।

इस चरण में पूर्वांचल की जौनपुर लोकसभा सीट पर मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस सीट पर उम्मीदवारों के बीच कीटाणुवाद बढ़ गया है, जिससे इस सीट पर मतदान का दायरा बहुत तंग हो गया है। धनंजय सिंह का नामांकन इस सीट पर नया दौर खोल सकता है।

इसी सीट पर बीएसपी के एक अन्य उम्मीदवार भी हैं, जिन्हें बीजेपी के समर्थन का भरोसा है। यहां के नामांकन भी राजनीतिक महसूसात को देखते हुए जरूरी हो गए हैं।

Lok Sabha Election 2024: धनंजय 2014 में आखिर बार जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। उन्हें इस चुनाव में करीब 65 हजार वोट मिला था। 2022 में मल्हनी विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़ा था और वह दूसरे नंबर पर रहे थे। वर्तमान में धनंजय की पत्नी श्रीकला रेड्डी जौनपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं।

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Lok Sabha Election 2024: धनंजय की तरह ही महान दल के केशवदेव मौर्य ने भी यूटर्न ले लिया है। मौर्य अभी तक यहां पर सपा को समर्थन दे रहे थे, लेकिन आखिर वक्त में उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया है।

Lok Sabha Election 2024: जौनपुर सीट पर बीजेपी से कृपाशंकर, सपा से बाबू सिंह कुशवाहा और बीएसपी से श्याम सुंदर यादव मैदान में हैं। पिछली बार सपा के समर्थन से बीएसपी के श्याम सुंदर यादव ने जीत हासिल की थी।

3. राहुल गांधी के पीएम दावेदारी पर अखिलेश की चुप्पी :

Lok Sabha Election 2024: 5वें चरण के मतदान से पहले अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल ने लखनऊ में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश से राहुल के पीएम दावेदारी को लेकर सवाल पूछा गया तो अखिलेश ने सवाल ही टाल दिया। कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार राहुल गांधी के फेस को पीएम प्रोजेक्ट करने में जुटे हैं। कांग्रेस के लिए यूपी में 5वां चरण का चुनाव ही सबसे अहम है। पार्टी इस चरण में लोकसभा की 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

इनमें रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी और झांसी सीट शामिल हैं। यूपी के ये स्थान संकेत देते हैं कि चुनावी माहौल में इन स्थानों का महत्व विशेष रूप से है। इसीलिए, कांग्रेस ने इन सीटों पर विशेष ध्यान दिया है। इन स्थानों पर चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस की स्थिति यूपी में भी मजबूत हो सकती है। इस चरण में चुनावी माहौल को देखते हुए कांग्रेस ने यहां पर अपनी स्ट्रैटेजी बनाई है और पार्टी के नेता भी इसे ध्यान में रख रहे हैं।

4. कांग्रेस का गढ़ बचाने सोनिया मैदान में उतरीं :

Lok Sabha Election 2024: 2024 लोकसभा चुनाव में पहली बार कैंपेन करने के लिए सोनिया गांधी मैदान में उतरीं। सोनिया रायबरेली में बेटे राहुल के लिए लोगों से वोट देने की अपील की। सोनिया ने रैली संबोधित करते हुए कहा कि मैं आपको अपना बेटा सौंप रही हूं और राहुल आपको निराश नहीं करेंगे।

Lok Sabha Election 2024: रायबरेली सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता है और 2004 से यहां सोनिया खुद सांसद हैं। आखिर वक्त में सोनिया गांधी की रैली को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी इस सीट पर किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती हैं। इसकी 2 बड़ी वजहें भी हैं।

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Lok Sabha Election 2024: पहली वजह यह है कि रायबरेली को सोनिया गांधी ने काफी समय से अपना बसेरा बनाया हुआ है। यहां के लोग उन्हें बड़ी सम्मान और भरोसा देते हैं। दूसरी बड़ी वजह यह है कि रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर इस बार के चुनाव में। यहां की जनता ने सोनिया गांधी के बेटे राहुल को बहुत पसंद किया है और वहां के लोगों में उनके प्रति विश्वास भी है। इसलिए, सोनिया गांधी ने यहां के चुनाव में अपने बेटे को प्रमुख रूप से उतारा है ताकि पार्टी को बड़ी जीत हासिल करने में मदद मिले।

1. राहुल पिछली बार रायबरेली के बगल की अमेठी सीट से चुनाव हार गए थे। यह सीट भी कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यहां से सोनिया गांधी सांसद रह चुकी हैं।

2. रायबरेली सीट पर लगातार कांग्रेस का मार्जिन घट रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस यहां से साफ हो गई थी। यह बदलाव चुनावी माहौल में भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे प्रदर्शन पर निर्भरता भी बढ़ती है और आगे की रणनीति पर असर डालता है। इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस को रायबरेली सीट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि पार्टी को इस स्थान से पुनर्जीतन करने में सहायता मिले।

5. सपा विधायक मनोज पांडे बीजेपी में शामिल :

Lok Sabha Election 2024: 5वें चरण के चुनाव से पहले रायबरेली के ऊंचाहार सीट से सपा विधायक मनोज पांडे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। अमित शाह ने एक रैली में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। पांडे के समर्थकों ने इस दौरान शक्ति प्रदर्शन भी किया। मनोज पांडे राज्यसभा चुनाव के समय ही सपा से बागी हो गए थे, लेकिन रायबरेली से टिकट नहीं मिलने पर नाराज बताए जा रहे थे। पांडे के नाराजगी को सही करने के लिए पिछले दिनों अमित शाह उनके घर गए थे।

इसके बाद पांडे ने भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया और उन्हें पार्टी के सदस्य बना दिया गया। इस स्थिति में रायबरेली में चुनाव की स्थिति में थोड़ी हलचल आ सकती है। यह घटना चुनावी माहौल में एक महत्वपूर्ण घटना हो सकती है, क्योंकि एक जाने-माने नेता की यह परिवर्तन संकेत दे सकता है कि रायबरेली के चुनाव में किस तरह की रणनीति बनी जा सकती है।

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Lok Sabha Election 2024: पांडे की इस हलचल से यह भी साबित होता है कि चुनाव के लिए पार्टियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और उन्हें जनसमर्थन प्राप्त करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। इस समय में रायबरेली सीट पर जनता की नजरें रहेंगी कि इसमें कौन से उठाए गए कदम उन्हें समर्थन प्राप्त करेंगे।

Lok Sabha Election 2024: पांडे 2012 से रायबरेली के ऊंचाहार सीट से विधायक हैं। 2022 के चुनाव में उन्हें 82,514 वोट मिले थे। बात 2019 की करें तो 2019 में सोनिया गांधी को ऊंचाहार सीट पर 1 लाख 3 हजार वोट और दिनेश सिंह को 76 हजार वोट मिले थे। ऊंचाहार में अगर मनोज पांडे को बड़ा खेल करते हैं, तो यहां का समीकरण राहुल गांधी के लिए खराब हो सकता है।

Lok Sabha Election 2024: पांडे के वोटों की संख्या में इस बारे में विचार करना चाहिए कि क्या यह खेल राहुल गांधी के लिए समर्थन में कोई कमी ला सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह बड़ी समस्या बन सकती है, क्योंकि ऊंचाहार सीट का प्रभाव भी पूरे प्रदेश में महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, पांडे के इस नए कदम का प्रभाव राजनीतिक समीकरण पर भी पड़ सकता है।

Lok Sabha Election 2024
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Lok Sabha Election 2024: सोनिया गांधी को ऊंचाहार सीट पर इतने वोट मिलने के कारण यहां का समीकरण बदल रहा है। इसमें विपक्षी दलों की स्थिति भी मजबूत हो सकती है और वे राहुल गांधी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए, यह देखने में दिलचस्प होगा कि कैसे पांडे की सपोर्ट और उनकी वोट का उपयोग होगा चुनावी समीकरण को समझने के लिए।

 

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