india-budget-2024 : 2024 के बजट में राहत की उम्मीद !

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india-budget-2024 : मोदी सरकार के पिछले 10 सालों के दौरान टैक्स स्ट्रक्चर को सुव्यवस्थित करने, अनुपालन बढ़ाने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने को लेकर कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं।

india-budget-2024 : इन सुधारों ने न केवल कराधान प्रक्रिया को सरल बनाया है, बल्कि करदाताओं के विश्वास को भी बढ़ाया है। अब, आम आदमी को उम्मीद है कि इस बार उन्हें टैक्स के बोझ से कुछ राहत मिलेगी।

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india-budget-2024 : 2024 के बजट में राहत की उम्मीद !

सरकार ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) जैसे व्यापक कर सुधार लागू किए हैं, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ हुआ है। इसके अलावा, आयकर में छूट सीमा को बढ़ाने और टैक्स स्लैब में बदलाव करने जैसे कदम भी उठाए गए हैं, जो मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए राहतकारी साबित हुए हैं।

अनुपालन में सुधार के लिए ई-फाइलिंग, फेसलेस असेसमेंट और ऑनलाइन टैक्स भुगतान जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत की गई है। इससे टैक्स प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल हो गई है, और करदाताओं को आसानी से अपने कर दायित्वों को पूरा करने में मदद मिली है।

आम आदमी को उम्मीद है कि आगामी बजट में और भी अधिक राहतकारी कदम उठाए जाएंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके और उन्हें जीवन यापन में सहूलियत हो। सरकार की ओर से टैक्स स्ट्रक्चर में सुधार और पारदर्शिता के प्रयासों ने यह विश्वास पैदा किया है कि भविष्य में टैक्स का बोझ और भी कम हो सकता है।

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद कई वरिष्ठ पत्रकारों और विश्लेषकों ने माना कि इस चुनाव परिणाम में आम आदमी का दर्द छलका है. मनमोहन सरकार के दौर में जब महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता ने बीजेपी सरकार से उम्मीदें लगाई तो उसमें पहली बड़ी उम्मीद थी टैक्स से राहत.

इसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में जीएसटी लागू हुआ, लेकिन इस पर अभी तक कई तरह के कन्फ्यूजन हैं. इस सरकार से नौकरीपेशा वाले मिडिल क्लास को भी अभी तक कुछ खास नहीं मिला है.

मोदी सरकार के पिछले 10 सालों के शासन में प्रमुख टैक्स सुधार

india-budget-2024 : मोदी सरकार के पिछले 10 सालों के शासन में टैक्स ढांचे को सुव्यवस्थित करने, अनुपालन बढ़ाने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने को लेकर कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं। इन सुधारों का उद्देश्य टैक्स प्रणाली को सरल बनाना, टैक्स चोरी करने वालों पर अंकुश लगाना और टैक्स आधार को बढ़ाना था। यहां मोदी सरकार के कुछ प्रमुख टैक्स सुधारों का विवरण दिया गया है:

  1. वस्तु एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन: जीएसटी को 2017 में लागू किया गया, जिससे देशभर में विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एक ही कर प्रणाली के अंतर्गत लाया गया। इससे व्यापार और उद्योगों में कराधान की प्रक्रिया सरल हो गई और व्यापारियों के लिए अनुपालन करना आसान हो गया।
  2. डिजिटल टैक्स प्रशासन: ई-फाइलिंग, फेसलेस असेसमेंट और ऑनलाइन टैक्स भुगतान जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत से टैक्स प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और कुशल हो गई है। इससे करदाताओं को सुविधाजनक तरीके से अपने कर दायित्वों को पूरा करने में मदद मिली है।
  3. प्रत्यक्ष करों में सुधार: व्यक्तिगत आयकर में छूट सीमा को बढ़ाने और टैक्स स्लैब में बदलाव करने जैसे कदम उठाए गए हैं, जिससे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को राहत मिली है। इसके अलावा, कॉर्पोरेट टैक्स दरों में भी कटौती की गई है, जिससे व्यवसायों को प्रोत्साहन मिला है।
  4. कर अनुपालन में सुधार: कर अनुपालन को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं, जैसे कि पैन कार्ड को आधार से जोड़ना, समय-समय पर कर अदायगी की जांच करना और टैक्स चोरी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाना।
  5. टैक्स विवाद समाधान: कर विवादों को तेजी से निपटाने के लिए ‘विवाद से विश्वास’ योजना शुरू की गई, जिससे करदाताओं को पुराने विवादित कर मामलों को सुलझाने में सहायता मिली।

इन सुधारों के परिणामस्वरूप, भारत की टैक्स प्रणाली अधिक पारदर्शी और कुशल बनी है, और टैक्स आधार में वृद्धि हुई है। आम आदमी को उम्मीद है कि आगे भी ऐसे सुधार जारी रहेंगे, जिससे टैक्स का बोझ कम हो और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिले।

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GST: टैक्स प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी)

india-budget-2024 : जीएसटी को साल 2017 के जुलाई महीने में लागू किया गया था। यह टैक्स सुधार के लिए सबसे बड़ा और प्रमुख कदम माना जाता है। GST ने अलग-अलग राज्य और केंद्रीय टैक्सों को एक ही टैक्स में सम्मिलित कर दिया, जिससे पूरे देश में एक समान टैक्स प्रणाली लागू हुई। GST ने भारत के टैक्स संरचना को सरल बना दिया और व्यापारियों के लिए इसे समझना और लागू करना आसान हो गया।

GST के जरिए कैसे हुआ टैक्स सिस्टम आसान

जीएसटी ने इससे पहले देश में लगने वाले 17 लोकल टैक्स और 13 सरचार्ज को फाइव लेयर सिस्टम में व्यवस्थित किया, जिससे टैक्स सिस्टम आसान हो गया। इसके तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कारोबार की सीमा गुड्स के लिए 40 लाख रुपये और सर्विसेज के लिए 20 लाख रुपये हो गई। वैट के तहत यह सीमा औसतन पांच लाख रुपये से ऊपर थी।

जीएसटी से मिले कई फायदे

सात साल पहले पेश किए गए जीएसटी ने टैक्स कंप्लाइंस को आसान बना दिया है और इससे टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है। जिससे राज्यों के राजस्व में बढ़ोतरी हुई। सरकारी आंकड़ों की मानें तो जीएसटी ने टैक्स उछाल को बढ़ाकर साल 2018-23 के दौरान 1.22 पर कर दिया है जो जीएसटी से पहले 0.72 पर था। मुआवजा खत्म होने के बावजूद राज्यों का टैक्स उछाल 1.15 पर बना हुआ है।

जीएसटी के बाद राज्यों का वास्तविक राजस्व 46.56 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है वरना जीएसटी के बिना वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक राज्यों का राजस्व 37.5 लाख करोड़ रुपये होता।

GST के इन फायदों के साथ, सरकार ने व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए कराधान प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे न केवल आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिला है बल्कि कर प्रणाली में विश्वास और स्थिरता भी आई है।

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प्रमुख टैक्स सुधार: मोदी सरकार के 10 सालों में

1. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी)

जीएसटी को साल 2017 के जुलाई महीने में लागू किया गया था। यह टैक्स सुधार के लिए सबसे बड़ा और प्रमुख कदम माना जाता है। GST ने अलग-अलग राज्य और केंद्रीय टैक्सों को एक ही टैक्स में सम्मिलित कर दिया, जिससे पूरे देश में एक समान टैक्स प्रणाली लागू हुई। GST ने भारत के टैक्स संरचना को सरल बना दिया और व्यापारियों के लिए इसे समझना और लागू करना आसान हो गया।

GST के जरिए कैसे हुआ टैक्स सिस्टम आसान

जीएसटी ने इससे पहले देश में लगने वाले 17 लोकल टैक्स और 13 सरचार्ज को फाइव लेयर सिस्टम में व्यवस्थित किया, जिससे टैक्स सिस्टम आसान हो गया। इसके तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कारोबार की सीमा गुड्स के लिए 40 लाख रुपये और सर्विसेज के लिए 20 लाख रुपये हो गई। वैट के तहत यह सीमा औसतन पांच लाख रुपये से ऊपर थी।

जीएसटी से मिले कई फायदे

सात साल पहले पेश किए गए जीएसटी ने टैक्स कंप्लाइंस को आसान बना दिया है और इससे टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है। जिससे राज्यों के राजस्व में बढ़ोतरी हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी ने टैक्स उछाल को बढ़ाकर साल 2018-23 के दौरान 1.22 पर कर दिया है, जो जीएसटी से पहले 0.72 पर था। मुआवजा खत्म होने के बावजूद राज्यों का टैक्स उछाल 1.15 पर बना हुआ है।

जीएसटी के बाद राज्यों का वास्तविक राजस्व 46.56 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है वरना जीएसटी के बिना वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक राज्यों का राजस्व 37.5 लाख करोड़ रुपये होता।

2. इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव

2020 में सरकार ने एक वैकल्पिक टैक्स प्रणाली की घोषणा की, जिसमें कम टैक्स दरों के साथ कोई छूट और कटौती नहीं थी। यह करदाताओं को अपने लिए उपयुक्त विकल्प चुनने का अवसर देता है। विभिन्न वित्तीय वर्षों में, इनकम टैक्स स्लैब और दरों में भी कुछ बदलाव किए गए।

3. डिजिटलाइजेशन और ई-फाइलिंग

पिछले 10 सालों में मोदी सरकार ने टैक्स रिटर्न फाइलिंग को ऑनलाइन और डिजिटल माध्यमों से आसान बनाया है। इन सालों में ई-फाइलिंग, ई-वे बिल, और अन्य डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ाया गया है। आज के समय में टैक्सपेयर्स को टैक्स से जुड़े कामकाज के लिए कम से कम फिजिकल उपस्थिति की आवश्यकता होती है, जिससे पारदर्शिता और सुविधा में वृद्धि हुई।

4. विवाद से विश्वास योजना

विवाद से विश्वास योजना को केंद्र सरकार टैक्स से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए लाई थी, इस योजना के तहत करदाता अपने बकाया टैक्स का भुगतान कर विवादों को समाप्त कर सकते थे। इससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त हुआ और लंबित टैक्स मामलों का समाधान भी हुआ।

किसे मिला इस स्कीम का फायदा

जो मामले 31 जनवरी 2020 तक कमिश्नर (अपील), इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित थे, उन टैक्स के मामलों पर यह स्कीम लागू होती थी। बता दें जो भी लंबित केस हैं वह टैक्स, विवाद, पेनल्टी और ब्याज से जुड़े हुए होते थे।

5. बेनामी संपत्ति और काले धन पर अंकुश

बेनामी संपत्ति लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 में संशोधन कर इसे कड़ा किया गया। इतना ही नहीं नोटबंदी का फैसला भी काले धन को बाहर लाने और टैक्स आधार को बढ़ाने के उद्देश्य से ही लिया गया था।

6. कॉर्पोरेट टैक्स दरों में कमी

मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स दरों में काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, इसका उद्देश्य देश में निवेश को प्रोत्साहित करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और भारतीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना था।

साल 2019 के सितंबर महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉर्पोरेट टैक्स दरों में ऐतिहासिक कटौती की घोषणा की। इस घोषणा में पुरानी कंपनियों के लिए टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया। वहीं, नई विनिर्माण कंपनियों के लिए 25% से घटाकर 15% किया गया। यह छूट उन कंपनियों के लिए दी गई जो 1 अक्टूबर 2019 के बाद स्थापित हुई और 31 मार्च 2023 तक उत्पादन शुरू कर दी।

इसके अलावा, मैट दर को भी 18.5% से घटाकर 15% किया गया, जिससे कंपनियों को और राहत मिली।

इन सभी सुधारों ने भारत की टैक्स प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाया है। सरकार के इन प्रयासों से न केवल करदाताओं को सुविधा हुई है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है

टैक्स पर मोदी सरकार की ओर से बड़े ऐलान

भारत में 23 जुलाई को एनडीए अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है। मोदी सरकार ने 2014 से अब तक अलग-अलग बजटों में कई महत्वपूर्ण टैक्स संबंधी घोषणाएं की हैं।

वित्तीय वर्ष 2014-15 के प्रमुख ऐलान

  1. व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा में वृद्धि:
    • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दिया था।
    • वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख किया गया।
  2. धारा 80C के तहत निवेश की सीमा में वृद्धि:
    • धारा 80C के तहत निवेश की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया गया था।
  3. गृह ऋण पर ब्याज की छूट सीमा में वृद्धि:
    • गृह ऋण पर ब्याज की छूट सीमा को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख किया गया था।

इन सुधारों ने करदाताओं को आर्थिक रूप से राहत प्रदान की है और उनके निवेश के अवसरों को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, गृह ऋण पर ब्याज की छूट सीमा बढ़ने से गृह स्वामित्व को प्रोत्साहन मिला और रियल एस्टेट सेक्टर को भी मजबूती मिली। इन घोषणाओं के बाद, मोदी सरकार के विभिन्न अन्य टैक्स सुधारों ने देश की कर प्रणाली को और भी सुदृढ़ और प्रभावी बनाया है।

आगामी बजट में भी मोदी सरकार से ऐसी ही नई और राहतकारी घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है, जिससे देश के आर्थिक विकास को और गति मिलेगी।

मोदी सरकार के प्रमुख बजट घोषणाएं (2014-2023)

2014-15 बजट

  1. व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा में वृद्धि:
    • व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दी गई।
    • वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई।
  2. धारा 80C के तहत निवेश की सीमा में वृद्धि:
    • निवेश की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दी गई।
  3. गृह ऋण पर ब्याज की छूट सीमा में वृद्धि:
    • ब्याज की छूट सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई।

2015-16 बजट

  1. धारा 80D के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम की सीमा में वृद्धि:
    • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम की सीमा 15,000 से बढ़ाकर 25,000 कर दी गई।
    • वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 30,000 कर दी गई।
  2. स्वर्ण मुद्रीकरण योजना:
    • इसके तहत लोग अपने सोने को बैंक में जमा कर ब्याज कमा सकते थे।

2016-17 बजट

  1. पीएफ निकासी:
    • 40% तक की पीएफ निकासी को कर मुक्त किया गया।
  2. गृह ऋण पर अतिरिक्त छूट:
    • धारा 24 के तहत 50,000 तक की अतिरिक्त छूट दी गई।
  3. विवाद निपटान योजना:
    • छोटे कर विवादों का निपटारा करने के लिए योजना की शुरुआत की गई।

2017-18 बजट

  1. जीएसटी लागू:
    • अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत कर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू किया गया।
  2. आयकर दरों में बदलाव:
    • 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर टैक्स दर 10% से घटाकर 5% कर दी गई।
  3. सरचार्ज:
    • 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की आय पर 10% और 1 करोड़ रुपये से अधिक आय पर 15% सरचार्ज लगाया गया।

2018-19 बजट

  1. शिक्षा सेस:
    • 3% शिक्षा सेस को 4% “स्वास्थ्य और शिक्षा सेस” में बदल दिया गया।
  2. मानक कटौती:
    • 40,000 की मानक कटौती की घोषणा की गई।
  3. ब्याज आय की छूट सीमा:
    • वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय की छूट सीमा 10,000 से बढ़ाकर 50,000 कर दी गई।

2019-20 बजट

  1. पूर्ण कर छूट:
    • धारा 87A के तहत 5 लाख तक की आय पर पूर्ण कर छूट की घोषणा की गई।
  2. स्टार्टअप्स के लिए कर लाभ:
    • स्टार्टअप्स को तीन साल तक 100 प्रतिशत कर छूट प्राप्त हुई।
  3. कॉर्पोरेट टैक्स दर में कमी:
    • 250 करोड़ रुपये तक के वार्षिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया गया।

2020-21 बजट

  1. वैकल्पिक नई टैक्स व्यवस्था:
    • 2.5 लाख तक की आय पर 0%, 2.5-5 लाख पर 5%, 5-7.5 लाख पर 10%, 7.5-10 लाख पर 15%, 10-12.5 लाख पर 20%, 12.5-15 लाख पर 25%, और 15 लाख से ऊपर की आय पर 30% टैक्स दर।

2021-22 बजट

  1. वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट:
    • 75 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को, जो केवल पेंशन और ब्याज आय प्राप्त करते हैं, को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से छूट दी गई।
  2. छोटे और मझौले उद्यमों को राहत:
    • विभिन्न घोषणाएं की गईं।

2022-23 बजट

  1. वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर कर:
    • वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (क्रिप्टोकरेंसी और अन्य) पर 30 प्रतिशत कर की घोषणा की गई।
    • डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर पर 1% TDS की घोषणा की गई।
    • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर सरचार्ज की दर को 15% तक सीमित किया गया।

ये बजट घोषणाएं न केवल करदाताओं के लिए राहतकारी साबित हुईं, बल्कि देश की आर्थिक संरचना को भी मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आगामी बजट सत्र में भी सरकार से ऐसे ही प्रभावी और लाभकारी घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है।

बजट 2024 से उम्मीदें

इस बार बजट में देश के लोगों को उम्मीदें हैं कि सरकार मिडिल क्लास के लिए कुछ ऐलान कर सकती है। भारत के सैलरी क्लास लोगों को भी इस बार के बजट से काफी उम्मीदें हैं, क्योंकि लंबे समय से आम जनता को टैक्स के मोर्चे पर कोई राहत नहीं मिली है।

मिडल क्लास के लिए संभावित टैक्स राहत

  1. मिडल क्लास पर टैक्स बोझ कम करने की उम्मीद:
    • अगर सरकार मिडल क्लास के लोगों पर टैक्स बोझ कम करती है, तो आम आदमी का खर्च कम हो सकता है और उसकी बचत बढ़ सकती है।
    • जिन लोगों की सालाना कमाई 15 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें टैक्स में छूट मिल सकती है। ये बदलाव शायद नए टैक्स सिस्टम में किए जा सकते हैं, जहां 15 लाख रुपये तक की कमाई पर 5 से 20% टैक्स लगता है और 15 लाख से ज्यादा इनकम पर 30% टैक्स देना पड़ता है। हालांकि, ये अभी सिर्फ उम्मीदें हैं।
  2. 10 लाख रुपये सालाना कमाने वालों के लिए टैक्स रेट में कमी:
    • सरकार 10 लाख रुपये सालाना कमाने वालों के लिए टैक्स रेट कम करने पर विचार कर सकती है।
    • पुरानी टैक्स व्यवस्था में सबसे ज्यादा 30% टैक्स लगने वाली कमाई की सीमा को भी बढ़ाने का फैसला किया जा सकता है, क्योंकि जब किसी व्यक्ति की कमाई 3 लाख रुपये से बढ़कर 15 लाख रुपये हो जाती है, तो उस पर लगने वाला टैक्स छह गुना ज्यादा हो जाता है, जो कि बहुत ज्यादा है।

स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने की उम्मीद

  1. स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि:
    • वर्तमान में नौकरीपेशा लोगों के लिए 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है।
    • इस बजट में इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जा सकता है। यह कदम नौकरीपेशा वर्ग को सीधा लाभ देगा।

होम लोन पर संभावित राहत

  1. होम लोन पर टैक्स राहत:
    • देश की आम जनता को होम लोन पर भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं।
    • उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में होम लोन लेने वालों को इनकम टैक्स एक्ट के तहत ज्यादा राहत दी जाएगी।
    • यह उन लोगों के लिए बड़ी राहत होगी जो आने वाले समय में घर खरीदने की योजना बना रहे हैं।

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