New Delhi : प्रसिद्ध लेखिका और समाजसेविका (Sudha Murti) ने राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया और अपनी विद्वता और संवेदनशीलता से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे ही उन्होंने अपनी बात रखनी शुरू की, सदन में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।
Social Worker Sudha Murti: मूर्ति को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। भारत के राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवाओं में उनके योगदान के लिए उच्च सदन में 12 सदस्यों को मनोनीत करते हैं।
Social Worker Sudha Murti: ने अपने भाषण की शुरुआत महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य के मुद्दे से की। उन्होंने कहा कि महिलाओं का स्वास्थ्य अक्सर परिवार और समाज में उपेक्षित रहता है, विशेषकर सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के मामले में। उन्होंने सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन के महत्व को रेखांकित किया और सरकार से इसे अनिवार्य करने का आग्रह किया। उनकी इस पहल को सभी सदस्यों ने जोरदार समर्थन दिया और तालियों से उनका स्वागत किया।
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Social Worker Sudha Murti :ने अपने दूसरे मुद्दे के रूप में भारतीय पर्यटन को उठाया। उन्होंने भारतीय धरोहर स्थलों के महत्व पर जोर दिया और कई महत्वपूर्ण स्थलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कर्नाटक, मध्य प्रदेश, और उत्तर-पूर्व भारत के अद्वितीय स्मारकों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन स्थानों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने की जरूरत है। उनका यह दृष्टिकोण भी सदस्यों को बहुत प्रभावित कर गया और एक बार फिर सदन तालियों से गूंज उठा।
अपने भाषण के अंत में Social Worker Sudha Murti ने भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हम भले ही भाषा, भोजन और परिधान में भिन्न हों, लेकिन हम सभी एक हैं।” उनके इस संदेश ने सभी को प्रेरित किया और सदन में उपस्थित सभी ने उनकी इस भावना की सराहना की।
Social Worker Sudha Murti का यह पहला भाषण न केवल उनके अनुभव और ज्ञान का परिचय था, बल्कि यह राज्यसभा में उनकी आगामी भूमिका के लिए एक शानदार शुरुआत भी थी। उनके विचारों और समर्पण ने यह साबित कर दिया कि वे अपने कार्यकाल के दौरान देश और समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
राज्यसभा में Social Worker Sudha Murti की इस धाकड़ स्पीच ने सभी को प्रेरित किया और सदन में तालियों की गूंज ने इस ऐतिहासिक क्षण को और भी खास बना दिया।
आइये जानते है Social Worker Sudha Murti की स्पीच की हर एक शब्द क्या कहा महिलाओ के लिए
Social Worker Sudha Murti माननीय सभापति महोदय, यह मेरे लिए गर्व का क्षण है कि मैं आज राज्यसभा में अपना पहला भाषण देने के लिए खड़ी हूं। मैं इस सम्मान के लिए हमारे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करती हूं। यह अवसर नारी शक्ति के दिन पर मिला है, जो मेरे लिए और भी महत्वपूर्ण है।
मैं हमेशा से गरीबों के लिए काम करती रही हूं और इसीलिए मेरा अनुभव यहां के अधिकांश सदस्यों से थोड़ा अलग है। मैं एक शिक्षिका हूं और पांच मिनट का समय मेरे लिए बहुत कम है, लेकिन मैं अपने भाषण में दो महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाना चाहूंगी।
पहला मुद्दा : महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित है। महिलाओं के स्वास्थ्य को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, खासकर सर्वाइकल कैंसर के मामले में। मैं एक डॉक्टर की बेटी और बहन होने के नाते इस समस्या से भलीभांति परिचित हूं। मैंने पिछले 30 वर्षों में इंफोसिस फाउंडेशन के साथ काम करते हुए इस पर विशेष ध्यान दिया है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एक वैक्सीन है जिसे 9 से 14 वर्ष की लड़कियों को दिया जा सकता है। मैं सरकार से आग्रह करती हूं कि इस वैक्सीनेशन को अनिवार्य किया जाए, ताकि हमारी बेटियां सुरक्षित रह सकें। यह एक छोटी सी पहल है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है।
दूसरा मुद्दा : पर्यटन से संबंधित है। भारत में कई विश्व धरोहर स्थल हैं, लेकिन कई महत्वपूर्ण स्थान अभी भी सूचीबद्ध नहीं हैं। जैसे कि कर्नाटक में श्रवणबेलगोला, मध्य प्रदेश में मांडू के स्मारक, और उत्तर-पूर्व में उनाकोटी के अद्वितीय मूर्तिकला। इन स्थलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना चाहिए ताकि वे वैश्विक स्तर पर पहचाने जा सकें और यहां पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। इससे न केवल हमारी संस्कृति और धरोहर का संरक्षण होगा बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
मैं राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान पूरे मनोयोग और समर्पण के साथ काम करने का वादा करती हूं। हम भले ही भाषा, भोजन या परिधान में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन हम सभी एक हैं। मैं इसी भावना के साथ इस सदन में सेवा करने के लिए तत्पर हूं।
जय हिंद, जय भारत माता। धन्यवाद।
कौन है सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति एक प्रतिष्ठित भारतीय लेखिका, शिक्षाविद, और समाजसेविका हैं। उनका जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के शिगाँव में हुआ था। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की और बाद में टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) में पहली महिला इंजीनियर के रूप में नियुक्त हुईं।
सुधा मूर्ति ने इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना की और इसके माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई स्कूलों, पुस्तकालयों और अस्पतालों की स्थापना में मदद की है। उनके सामाजिक कार्यों में प्रमुखता से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद शामिल है।
सुधा मूर्ति एक प्रसिद्ध लेखिका भी हैं और उन्होंने कई उपन्यास, कहानियाँ और निबंध लिखे हैं। उनकी लेखनी में सरलता, संवेदनशीलता और समाज के विभिन्न पहलुओं का गहन चित्रण देखने को मिलता है। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में “महाश्वेता”, “डॉलर बहू”, और “थ्री थाउजेंड स्टिचेज़” शामिल हैं।
सुधा मूर्ति का जीवन और कार्य समाज के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनकी उपलब्धियाँ और योगदान उन्हें भारतीय समाज में एक विशिष्ट स्थान दिलाते हैं।
सुधा मूर्ति के कितने बच्चे हैं?
नारायण मूर्ति से शादी की थी। उनके दो बच्चे अक्षता और रोहन हैं। अक्षता के पति ऋषि सुनक फिलहाल ब्रिटेन के पीएम हैं। 2022 में यूके के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद सुधा मूर्ति ने अपने दामाद के लिए खुशी और सपोर्ट जाहिर किया था।
सुधा मूर्ति के पति कौन है?
सुधा मूर्ति और इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति की शादी 10 फरवरी 1978 में हुई थी. जिसके बाद नारायण मूर्ति ने आईटी कंपनी इंफोसिस की नींव साल 1981 में रखी, जो आज देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है.