- FIR Against Sitharaman: बेंगलुरु की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्री के खिलाफ याचिका पर कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया |
- FIR Against Sitharaman: शिकायत में क्या- जानिए पूरा मामला
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- FIR Against Sitharaman: कहां दायर होगी वित्त मंत्री के खिलाफ एफआईआर
- FIR Against Sitharaman: वित्त मंत्री के साथ और भी नेताओं के खिलाफ की गई थी शिकायत
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FIR Against Sitharaman: बेंगलुरु की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्री के खिलाफ याचिका पर कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया |
FIR Against Sitharaman: बेंगलुरू की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) द्वारा दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से वित्त मंत्री ने अवैध रूप से धन की वसूली की। इस मामले में कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए वित्त मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी।
FIR Against Sitharaman: हालांकि, इस मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है। इससे पहले चुनावी बॉन्ड को लेकर कई विवाद उठ चुके हैं, जिसमें इस बात का संदेह जताया गया है कि ये प्रणाली धन के प्रवाह को नियंत्रित करने और राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता को कम कर सकती है।जैसे-जैसे देश में कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह मामला एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। विपक्षी दल इस अवसर का लाभ उठाकर वित्त मंत्री पर दबाव डाल सकते हैं। इस मामले के राजनीतिक ramifications देखना दिलचस्प होगा।
FIR Against Sitharaman: शिकायत में क्या- जानिए पूरा मामला
FIR Against Sitharaman: जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने याचिका में आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनावी बॉंड के माध्यम से डर और दबाव का इस्तेमाल करते हुए अवैध धन वसूली की है। इसी आरोप के चलते बेंगलुरू की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने अब कार्रवाई करते हुए वित्त मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
FIR Against Sitharaman: वर्ष 2023 में, चुनावी बॉंड योजना को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने चार याचिकाकर्ताओं की बात सुनने के बाद इस योजना को असंवैधानिक ठहराया और इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। चुनावी बॉंड या इलेक्ट्रोरल बॉंड की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को वित्तीय सहायता प्रदान करना था। हालांकि, इस योजना पर सवाल उठाए गए थे कि यह पारदर्शिता को नुकसान पहुंचा रही है और धन के स्रोत को छिपाने का साधन बन रही है। अब, इस नए घटनाक्रम के बाद वित्त मंत्री के लिए राजनीतिक चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, खासकर चुनावों के नजदीक आने के साथ।
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FIR Against Sitharaman: कहां दायर होगी वित्त मंत्री के खिलाफ एफआईआर
FIR Against Sitharaman: बेंगलुरु की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने आदर्श अय्यर की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंगलुरू के तिलक नगर पुलिस स्टेशन को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश चुनावी बॉन्ड के माध्यम से जबरन वसूली के आरोपों से संबंधित है। जेएसपी के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने इस मामले में अपनी पहली याचिका अप्रैल 2023 में 42वें एसीएमएम कोर्ट में दायर की थी, जिसमें उन्होंने वित्त मंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने अदालत से मांग की थी कि वित्त मंत्री की कथित अवैध गतिविधियों की जांच की जाए और उचित कार्रवाई की जाए।
FIR Against Sitharaman: बेंगलुरू की कोर्ट ने अब इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई का आदेश दिया है, जिससे यह मामला राजनीतिक परिदृश्य में नया मोड़ ला सकता है। इस निर्णय के बाद, वित्त मंत्री के खिलाफ होने वाली कानूनी कार्रवाई और उनके कार्यों की जांच से जुड़ी चर्चा बढ़ गई है। यह मामला चुनावी बॉंड प्रणाली की पारदर्शिता और नैतिकता पर भी सवाल उठाता है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
FIR Against Sitharaman: वित्त मंत्री के साथ और भी नेताओं के खिलाफ की गई थी शिकायत
FIR Against Sitharaman: याचिकाकर्ता आदर्श अय्यर ने अपने मुकदमे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, तत्कालीन कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील और बी वाई विजयेंद्र के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। याचिका में कहा गया है कि इन नेताओं ने चुनावी बॉंड के जरिए अवैध धन वसूली में संलिप्तता दिखाई है। इसके अलावा, उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि वे इस मामले में निष्पक्षता से कार्य नहीं कर रहे हैं।
FIR Against Sitharaman: याचिकाकर्ता का आरोप है कि यह सभी लोग आपस में मिलकर राजनीतिक लाभ के लिए धन की अवैध वसूली कर रहे हैं, जिससे लोकतंत्र की सच्चाई और पारदर्शिता पर सवाल उठता है। उन्होंने मांग की है कि संबंधित अधिकारियों की जांच की जाए और यदि आवश्यक हो, तो इन नेताओं के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए। इस मामले से संबंधित सुनवाई में बेंगलुरू की पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव कोर्ट ने अब एफआईआर दर्ज करने का आदेश देकर इस विवाद को और भी गंभीर बना दिया है, जिससे भाजपा और संबंधित नेताओं की राजनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।
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