Doctor Murder Case: कोलकाता रेप-मर्डर केस पर डॉक्टर्स का विरोध, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुलझाने में विफलता पर सीबीआई को सौंपने की चेतावनी दी |
Doctor Murder Case: कोलकाता की आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान संजय रॉय के रूप में की गई है, जो अस्पताल का कर्मचारी नहीं है, लेकिन उसे अक्सर अस्पताल परिसर में देखा जाता था। इस घृणित अपराध के बाद संजय रॉय को शनिवार, 10 अगस्त को पुलिस ने गिरफ्तार किया। वर्तमान में वह 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में है।
Doctor Murder Case: यह मामला कोलकाता में गंभीर चिंता का विषय बन गया है, जहां डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। वे आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और न्याय की गुहार लगा रहे हैं। इस घटना के बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया है कि अगर इस केस की जांच में कोई प्रगति नहीं होती, तो इसे सीबीआई के सुपुर्द किया जाएगा। राज्य सरकार की इस चेतावनी ने मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।
Doctor Murder Case: रिपोर्ट के अनुसार, संजय रॉय कोलकाता पुलिस के साथ सिविक वॉलंटियर के तौर पर काम करता था। सिविक वॉलंटियर ट्रैफिक प्रबंधन, आपदा राहत, और अन्य पुलिस कार्यों में सहायता के लिए नियुक्त किए जाते हैं। ये वॉलंटियर संविदा पर भर्ती होते हैं और उन्हें नियमित पुलिसकर्मियों की तरह स्थायी सेवाएं या लाभ नहीं मिलते।
Doctor Murder Case: सिविक वॉलंटियर की मासिक वेतन ₹12,000 होती है, जो उन्हें उनके काम के लिए प्रदान की जाती है। वे अपने कार्य में पुलिस को सहयोग करते हैं, लेकिन उनका कर्तव्य और जिम्मेदारियां पूरी तरह से पुलिसकर्मियों के समान नहीं होती हैं। हालांकि, इस स्थिति में संजय रॉय का नाम एक गंभीर अपराध में शामिल होने के कारण, उनके दायित्व और भूमिका की जांच भी की जाएगी। यह घटना पुलिस और सिविक वॉलंटियर प्रणाली की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को दर्शाती है।
कोलकाता पुलिस का कब हिस्सा बना आरोपी?
Doctor Murder Case: रिपोर्ट्स के अनुसार, संजय रॉय ने 2019 में कोलकाता पुलिस के डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रुप में एक वॉलंटियर के रूप में काम करना शुरू किया था। इसके बाद, उसे पुलिस वेलफेयर सेल में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, संजय रॉय को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पुलिस आउटपोस्ट पर भी तैनात किया गया। इस तैनाती के कारण उसे अस्पताल के विभिन्न विभागों तक पहुंच प्राप्त हो गई, जिससे उसकी गतिविधियों को स्वतंत्रता मिली।
Doctor Murder Case: इस स्थिति ने उसकी पहुंच को बढ़ा दिया, जो कि अस्पताल में उसके अवैध प्रवेश और दुष्कर्म जैसी गंभीर घटनाओं की संभावनाओं को जन्म देती है। संजय रॉय की भूमिका और जिम्मेदारियों की समीक्षा की जानी चाहिए, खासकर जब उसके पास संवेदनशील स्थानों पर पहुंच थी। इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्थाओं और वॉलंटियर की तैनाती की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए उचित उपायों की आवश्यकता महसूस हो रही है।
पुलिसकर्मी होने का रौब झाड़ता था आरोपी संजय रॉय
Doctor Murder Case: संजय रॉय अस्पताल में एक अवैध रैकेट का हिस्सा था, जो मरीजों के रिश्तेदारों से पैसे ऐंठने का काम करता था। इस रैकेट के तहत, संजय मरीजों को सरकारी अस्पताल में बेड न मिलने पर पास के नर्सिंग होम में बेड दिलाने के लिए भी अतिरिक्त पैसे वसूलता था।
Doctor Murder Case: संजय ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग करते हुए पुलिस बैरक में भी कभी-कभी ठहरने के लिए अपने संपर्कों का इस्तेमाल किया। वह अक्सर “कोलकाता पुलिस” लिखी टी-शर्ट पहनता था और उसकी बाइक पर भी केपी (कोलकाता पुलिस) का टैग लगा होता था। इन वस्त्र और टैग के माध्यम से, संजय ने खुद को पुलिसकर्मी के रूप में पेश किया, जिससे कई वॉलंटियर्स और अस्पताल के कर्मचारियों को लगा कि वह वास्तव में पुलिसकर्मी है।
संजय का यह झूठा रौब और धोखाधड़ी उसके अवैध गतिविधियों को छिपाने में मददगार साबित हुआ, और उसकी वास्तविक भूमिका और स्वभाव को सही समय पर पहचानने में मुश्किल पेश आई। इस घटनाक्रम ने सुरक्षा और निगरानी की प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा किया है।
मुझे फांसी पर लटका दो: आरोपी संजय रॉय
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस द्वारा पूछताछ शुरू किए जाने के बाद, संजय रॉय ने अपने अपराध को खुलकर स्वीकार कर लिया। उसने इस जघन्य अपराध के लिए किसी भी प्रकार का पछतावा नहीं जताया और पुलिस से सीधे तौर पर कहा, “अगर तुम चाहो तो मुझे फांसी पर लटका दो।”
Doctor Murder Case: पुलिस ने आरोपी को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पहचान कर गिरफ्तार किया। उसकी गिरफ्तारी के बाद, जांच में उसके मोबाइल फोन से अश्लील सामग्री भी बरामद की गई। हत्या और दुष्कर्म के बाद, संजय अपने घर गया और सो गया, जहां उसने सबूत मिटाने के लिए अपने कपड़े धोए। इसके अलावा, पुलिस को उसके जूतों पर खून के धब्बे भी मिले हैं।
वर्तमान में, संजय रॉय को 23 अगस्त तक पुलिस हिरासत में रखा गया है। इस मामले ने सुरक्षा और कानून व्यवस्था की व्यवस्था को चुनौती दी है और समाज में इस तरह के अपराधों की गंभीरता को उजागर किया है।
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