- Kawad Yatra : केसी त्यागी ने नियम पर पुनर्विचार की अपील की, कहा- एनडीए की सफलता और मजबूती के लिए समीक्षा जरूरी |
- Kawad Yatra : RLD ने भी फैसले को बताया गलत
- Kawad Yatra के दौरान दुकानों पर मालिक का नाम लिखने पर रोहिणी आचार्य का बयान; बीजेपी की चिंता बढ़ी |
- Kawad Yatra : रोहिणी आचार्य ने क्या कहा?
- Kawad Yatra : यूपी में क्या लिया गया है फैसला?
- Kawad Yatra पर यूपी पुलिस के आदेश पर चिराग पासवान की स्पष्ट प्रतिक्रिया, ‘मैं इसका…’
- Kawad Yatra : यूपी सरकार के आदेश पर मचा सियासी बवाल
Kawad Yatra : केसी त्यागी ने नियम पर पुनर्विचार की अपील की, कहा- एनडीए की सफलता और मजबूती के लिए समीक्षा जरूरी |
Kawad Yatra के दौरान ढाबों और ठेलों पर मालिकों के नाम लिखने के आदेश को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की आलोचना बढ़ गई है। विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार और बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं, जबकि अब बीजेपी के सहयोगी दल भी इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। पहले उत्तर प्रदेश में एनडीए का हिस्सा राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने इस आदेश को गलत बताया था। अब बिहार में एनडीए गठबंधन के साथी दल, जनता दल (यूनाइटेड) ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने इस आदेश को आलोचना का पात्र बताते हुए कहा है कि यह फैसला उचित नहीं है। उनके अनुसार, इस तरह के आदेश से स्थानीय व्यापारियों और छोटे व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस विवाद ने यूपी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा कर दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस आलोचना का क्या जवाब देती है।
केसी त्यागी ने कहा, “बिहार में इससे भी बड़ी यात्राएं निकलती हैं और वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ वाली व्याख्या में यह लगाए गए प्रतिबंध उचित नहीं हैं। यह प्रतिबंध पीएम मोदी के विचारों और एनडीए की नीति के विरुद्ध हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि इस नियम पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। “हम एनडीए को खुशहाल और मजबूत देखना चाहते हैं और पीएम मोदी की कीर्ति को कम नहीं होने देना चाहते। इसलिए, हम चाहते हैं कि यह नियम वापस लिया जाए और इस पर समीक्षा हो,” त्यागी ने कहा।
त्यागी का मानना है कि एनडीए को सशक्त बनाने और समाज में सबके विकास के लिए यह जरूरी है कि ऐसे प्रतिबंधों पर पुनर्विचार हो। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री की नीतियों के अनुरूप समाज में विश्वास और विकास को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया जाना चाहिए। एनडीए की मजबूती और प्रधानमंत्री की लोकप्रियता के लिए इस तरह के नियमों की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है।
Kawad Yatra : RLD ने भी फैसले को बताया गलत
जेडीयू के अलावा बीजेपी के एक और सहयोगी दल, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), ने भी इस फैसले को गलत बताया है। आरएलडी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रमुख रामाशीष राय ने योगी सरकार की इस एडवाइजरी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा दुकानदारों को अपनी दुकान पर नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जाति और संप्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है।
रामाशीष राय ने कहा, “यह निर्देश गैर संवैधानिक है और इससे समाज में विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। प्रशासन को इस फैसले को वापस लेना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के निर्देश समाज के विभिन्न वर्गों के बीच तनाव और असहिष्णुता को बढ़ावा देते हैं, जोकि लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है।
आरएलडी के प्रमुख का मानना है कि ऐसे फैसले देश की एकता और अखंडता को प्रभावित करते हैं और इन्हें तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को संवैधानिक और समावेशी नीतियों का पालन करना चाहिए, जिससे सभी वर्गों के लोगों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा मिल सके।
Kawad Yatra के दौरान दुकानों पर मालिक का नाम लिखने पर रोहिणी आचार्य का बयान; बीजेपी की चिंता बढ़ी |
रोहिणी आचार्य ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को तीखे शब्दों में निशाने पर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने धर्म की गलत व्याख्या कर समाज और देश में धार्मिक विद्वेष, नफरत और उन्माद फैलाने का काम किया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ने Kawad Yatra के दौरान दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने का निर्देश जारी किया है, जिससे राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है।
इस विवाद के बीच, बिहार में भी बयानबाजी शुरू हो गई है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी, रोहिणी आचार्य, ने शुक्रवार (19 जुलाई) को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बीजेपी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि बीजेपी के इस कदम से समाज में विभाजन और तनाव बढ़ेगा।
आचार्य ने यह भी कहा कि बीजेपी की यह रणनीति उनके राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है, जो देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचा रही है। उनकी आलोचना से बीजेपी की परेशानी और बढ़ गई है, खासकर ऐसे समय में जब यह मुद्दा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है।
Kawad Yatra : रोहिणी आचार्य ने क्या कहा?
रोहिणी आचार्य ने एक्स पर लिखा, “लोकसभा चुनाव में अयोध्या की सीट हारने की खीज और अपनी खोती जमीन की हताशा में बीजेपी की उत्तर प्रदेश सरकार ने मुसलमान भाइयों के आर्थिक बहिष्कार के घृणित उद्देश्य से Kawad Yatra के दौरान दुकानों पर नाम की तख्ती लगाने का फरमान जारी किया है। यह नफरत और विभाजन फैलाने का एक नया प्रयास है, जो समाज में और अधिक तनाव उत्पन्न करेगा।”
लोकसभा चुनाव में अयोध्या की सीट हारने की खीज और अपनी खिसकती जमीन की हताशा में नफरती – विखंडनकारियों की जमात भाजपा की उत्तरप्रदेश सरकार ने मुसलमान भाइयों के इकोनॉमिक ( आर्थिक ) – बॉयकॉट के घृणित उद्देश्य से कांवड़ – पथ पर नाम की तख्ती लगा कर सामान बेचने का फरमान जारी किया है ..… pic.twitter.com/9eBjzSjhvM
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) July 19, 2024
रोहिणी ने अपने पोस्ट में लिखा, “श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा के लिए की जाने वाली धार्मिक यात्रा को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है। धर्म की गलत व्याख्या करके समाज और देश में नफरत और हिंसा फैलाना भाजपा की राजनीति का हिस्सा बन गया है। स्थिति तब और बिगड़ गई जब अयोध्या की हार के बाद इन लोगों ने अयोध्या के हिंदुओं के बहिष्कार के लिए अभियान छेड़ दिया। देश अब इनकी विकृत मानसिकता को अच्छी तरह समझ चुका है और गंगा-जमुनी तहजीब को तोड़ने-बांटने की इनकी हर कोशिश अब नाकाम रहेगी। भाजपा की राजनीति हमेशा से धार्मिक विद्वेष और उन्माद फैलाने पर आधारित रही है, लेकिन अब जनता इनके मंसूबों को पहचान चुकी है और इन्हें सफल नहीं होने देगी।”
Kawad Yatra : यूपी में क्या लिया गया है फैसला?
दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह फैसला कांवड़ यात्रियों में किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति से बचने के लिए लिया गया है। इसका उद्देश्य आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति को रोकना और कानून-व्यवस्था को बनाए रखना है। इस आदेश के चलते राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया है।
Kawad Yatra पर यूपी पुलिस के आदेश पर चिराग पासवान की स्पष्ट प्रतिक्रिया, ‘मैं इसका…’
यूपी सरकार के एक आदेश पर देशभर में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इस आदेश के विरोध में चिराग पासवान ने एक बड़ा बयान दिया है। मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने Kawad Yatra मार्ग पर ढाबा संचालकों और खानपान की दुकानों के मालिकों के नाम अंकित करने का आदेश दिया है। इस फैसले को लेकर पूरे देश में सियासी हलचल मच गई है। चिराग पासवान ने शुक्रवार को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस आदेश का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि जब भी जाति या धर्म के नाम पर कोई विभाजन होता है, तो मैं इसका समर्थन नहीं करता। उनका मानना है कि ऐसे आदेश समाज में विभाजन और असमानता को बढ़ावा देते हैं। पासवान ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक या जातिगत विभाजन का वह कड़ा विरोध करते हैं। उनके अनुसार, सरकार को ऐसे निर्णयों से बचना चाहिए जो समाज को बांटने का काम करते हैं और लोगों में असमानता की भावना पैदा करते हैं।
Kawad Yatra : यूपी सरकार के आदेश पर मचा सियासी बवाल
22 जुलाई से शुरू हो रही Kawad Yatra के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक अहम निर्णय लिया है। योगी सरकार ने घोषणा की है कि यात्रा मार्ग पर स्थित सभी दुकानों के संचालकों या मालिकों को अपनी पहचान स्पष्ट रूप से लिखनी होगी। सरकार का कहना है कि यह फैसला कांवड़ यात्रियों की आस्था की पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। आदेश के अनुसार, हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पाद बेचने वाले दुकानदारों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी दुकानों और ठेलों पर मालिक का नाम लिखना अनिवार्य होगा ताकि कांवड़ यात्री यह जान सकें कि वे किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान में स्पष्ट किया है कि पूरे उत्तर प्रदेश में Kawad Yatra मार्ग पर स्थित खाने-पीने की सभी दुकानों पर नेम प्लेट लगानी होगी। इस आदेश के पालन से यात्रा मार्ग पर सुरक्षा और पारदर्शिता बनी रहेगी, जिससे यात्रियों को कोई असुविधा न हो और उनकी आस्था का सम्मान बना रहे।
मुजफ्फरनगर पुलिस ने Kawad Yatra के मार्ग में आने वाली सभी दुकानों और रेस्टोरेंट के मालिकों को अपने नाम का बोर्ड लगाने का आदेश जारी किया है। इस आदेश के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्ष के नेता इस फैसले पर उत्तर प्रदेश सरकार को निशाना बना रहे हैं। कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस आदेश का विरोध किया है, जबकि कुछ ने इसका समर्थन भी किया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत कई दलों ने इस पर आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि इस तरह के आदेश से समाज में विभाजन की भावना पैदा हो सकती है।
दूसरी ओर, समर्थक दलों का मानना है कि इस फैसले से यात्रा के दौरान पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इस मुद्दे पर बढ़ती सियासत से यह स्पष्ट हो रहा है कि Kawad Yatra के दौरान धार्मिक आस्था और प्रशासनिक निर्णयों के बीच संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। पुलिस और प्रशासन का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करना है, जबकि विपक्ष इस आदेश को विभाजनकारी मानते हुए इसका विरोध कर रहा है।
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