One Nation Elections: वन नेशन वन इलेक्शन बिल को मंजूरी के बाद, शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार करेगी संसद में पेश, कानून बनने का रास्ता साफ |
One Nation Elections: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार, 18 सितंबर 2024 को वन नेशन वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस समिति ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें एक देश, एक चुनाव की सिफारिश की गई थी। इस फैसले के बाद देशभर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे देश के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति करार दिया है।
One Nation Elections: वहीं, सरकार का दावा है कि यह क
दम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त करेगा और चुनावी खर्च को कम करेगा। वन नेशन वन इलेक्शन का उद्देश्य पूरे देश में एक ही समय पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना है, जिससे प्रशासनिक और वित्तीय संसाधनों की बचत हो सके। इस मुद्दे पर अलग-अलग राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जिससे आने वाले समय में यह एक बड़ा राजनीतिक विषय बन सकता है।
1 . इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके बाद, रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव संपन्न होने के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएं। समिति ने यह भी कहा है कि पूरे देश में मतदाताओं के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो सके।
इसके साथ ही, सभी मतदाताओं के पास एकसमान वोटर कार्ड होने की भी सिफारिश की गई है, जिससे वोटिंग प्रक्रिया में एकरूपता आएगी। समिति का मानना है कि इससे न केवल चुनावी खर्च कम होगा, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया भी अधिक संगठित और सुव्यवस्थित होगी। इस कदम से चुनावी सुधारों की दिशा में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
2. One Nation Elections: केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन बिल को संसद में पेश कर इसे पास कराने की योजना बना रही है, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा। इस बिल के पीछे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समिति ने इस मुद्दे पर देश की 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था। इनमें से 32 पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया, जबकि 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया।
One Nation Elections: वहीं, 15 अन्य पार्टियों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वन नेशन वन इलेक्शन का उद्देश्य पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का है, जिससे चुनावी खर्च और संसाधनों की बचत हो सके। इस प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिससे यह मुद्दा आगामी सत्र में चर्चा का केंद्र बनेगा।
3. One Nation Elections: समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग को राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और समान मतदाता पहचान पत्र बनाने की सिफारिश की है। वर्तमान में लोकसभा और विधानसभा चुनाव भारत निर्वाचन आयोग के तहत होते हैं, जबकि नगर निगम और पंचायत चुनावों का आयोजन राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। समिति ने सुझाव दिया है कि इन प्रक्रियाओं को एकीकृत किया जाए, जिससे एक ही मतदाता सूची का उपयोग सभी चुनावों में हो सके।
One Nation Elections: इसके साथ ही समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकतर को राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, कुछ संशोधन संसद में पेश किए जाएंगे और इनके लिए संविधान संशोधन विधेयक लाए जाएंगे। इस प्रस्ताव का उद्देश्य देशभर में चुनाव प्रक्रियाओं को सरल और प्रभावी बनाना है, जिससे समय और संसाधनों की बचत हो सके।
4. One Nation Elections: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार “एक देश, एक चुनाव” का समर्थन कर चुके हैं। उनका मानना है कि चुनाव पूरे साल होने के बजाय केवल तीन या चार महीने में संपन्न हो जाने चाहिए, ताकि बाकी समय विकास और सुशासन पर केंद्रित किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराने से देश के संसाधनों की बचत होगी और प्रशासनिक कामकाज में बाधा नहीं आएगी।
One Nation Elections: लाल किले की प्राचीर से दिए गए अपने भाषण में भी पीएम मोदी ने इस विचार पर जोर देते हुए कहा था, “देश को एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए आगे आना होगा।” उनके अनुसार, एक साथ चुनाव कराने से न केवल चुनावी खर्च कम होगा, बल्कि बार-बार चुनावी माहौल से होने वाले राजनीतिक अस्थिरता को भी रोका जा सकेगा। इससे देश के विकास और नीति-निर्माण की प्रक्रियाओं में स्थिरता आएगी।
5. One Nation Elections: न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विधि आयोग 2029 से देश के तीन प्रमुख स्तरों—लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों (जैसे नगर पालिकाएं और पंचायतें)—के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। इसके तहत त्रिशंकु सदन की स्थिति में सरकार गठन के लिए एकता सरकार (यूनिटी गवर्नमेंट) के प्रावधानों पर भी विचार किया जा सकता है।
One Nation Elections: एक साथ चुनाव कराने का यह प्रस्ताव चुनावी प्रक्रिया को अधिक सुचारु और व्यवस्थित बनाने का उद्देश्य रखता है। इस कदम से न केवल बार-बार होने वाले चुनावों के कारण होने वाली प्रशासनिक अड़चनों को कम किया जा सकेगा, बल्कि चुनावी खर्चों में भी बड़ी कटौती संभव होगी। एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत और प्रशासनिक कार्यों में तेजी लाने के प्रयास के रूप में इसे देखा जा रहा है, जो देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
6. One Nation Elections: बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता “वन नेशन, वन इलेक्शन” का समर्थन कर चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने 17 सितंबर 2024 को एक बयान में कहा था कि एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान ही इस योजना को लागू करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की व्यवस्था को सरकार जल्द से जल्द अमल में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमित शाह के अनुसार, इस व्यवस्था से देश में चुनावी प्रक्रिया अधिक संगठित और कारगर होगी, जिससे प्रशासनिक कार्यों में बाधा नहीं आएगी और संसाधनों की बचत होगी। बीजेपी का मानना है कि बार-बार होने वाले चुनावों से देश के विकास कार्य प्रभावित होते हैं और इससे राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ती है। इसलिए, सरकार का लक्ष्य है कि पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाएं ताकि सुशासन सुनिश्चित हो सके और संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सके।
7. One Nation Elections: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों पर ब्रीफिंग देते हुए बताया कि 1951 से 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते थे। उन्होंने कहा कि इस बार भी समाज के सभी वर्गों से राय मांगी गई है, और सरकार अगले कुछ महीनों में इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी। वैष्णव ने जानकारी दी कि समिति ने 191 दिनों तक इस मुद्दे पर गहन अध्ययन किया और इसे लेकर 21,558 प्रतिक्रियाएं प्राप्त कीं।
One Nation Elections: इनमें से 80% लोगों ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” का समर्थन किया। सरकार का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी और प्रशासनिक कार्यों में व्यवधान कम होगा। इस फैसले से देश की चुनावी प्रक्रिया को सरल और अधिक संगठित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है, जिसका समर्थन समाज के बड़े हिस्से से मिल रहा है।
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8. One Nation Elections: “वन नेशन वन इलेक्शन” को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा है कि यह व्यवहारिक नहीं है। उनका आरोप है कि बीजेपी इस प्रस्ताव के माध्यम से चुनावी समय में असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। खरगे ने यह भी कहा कि एक देश, एक चुनाव की व्यवस्था लागू करना संभव नहीं है और इससे देश के विभिन्न स्तरों पर चुनावी प्रक्रियाओं में उलझनें पैदा हो सकती हैं।
उनका मानना है कि यह प्रस्ताव केवल एक राजनीतिक रणनीति है, जो चुनावी लाभ उठाने के लिए तैयार की गई है। कांग्रेस का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था से चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं, और इसलिए इसे लागू करने से पहले व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
9. One Nation Elections: केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर व्यापक चर्चा की गई है, जिसमें देश के सभी चीफ जस्टिस, राजनीतिक दलों के नेता और चैंबर ऑफ कॉमर्स शामिल थे। गिरिराज सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
उनका कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से कानून-व्यवस्था में सुधार होगा, क्योंकि चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों की पूरी तैनाती आवश्यक हो जाती है, जिससे अन्य क्षेत्रों में संसाधनों की कमी होती है। गिरिराज सिंह ने जोर देकर कहा कि यह व्यवस्था देश की प्रगति और स्थिरता के लिए जरूरी है। इस पहल से चुनावी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।
10. One Nation Elections: “वन नेशन, वन इलेक्शन” व्यवस्था लागू करने की तैयारी के बीच केंद्र सरकार को 16 सितंबर 2024 को जेडीयू का समर्थन प्राप्त हुआ। जेडीयू ने इस व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे नीतियों में निरंतरता बनाए रखने में मदद मिलेगी और बार-बार होने वाले चुनावों से उत्पन्न होने वाली परेशानियों से भी राहत मिलेगी। पार्टी का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा, जिससे चुनावी खर्च और संसाधनों की बचत होगी।
One Nation Elections: जेडीयू के समर्थन से यह प्रस्ताव और भी मजबूत हो गया है, और इसके लागू होने से देश की चुनावी प्रक्रिया में स्थिरता और सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। इस समर्थन से सरकार को एकजुटता और सहयोग की भावना का संचार मिला है, जो आगामी चुनावी सुधारों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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