प्रमुख टैक्स सुधार: मोदी सरकार के 10 सालों में
1. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी)
जीएसटी को साल 2017 के जुलाई महीने में लागू किया गया था। यह टैक्स सुधार के लिए सबसे बड़ा और प्रमुख कदम माना जाता है। GST ने अलग-अलग राज्य और केंद्रीय टैक्सों को एक ही टैक्स में सम्मिलित कर दिया, जिससे पूरे देश में एक समान टैक्स प्रणाली लागू हुई। GST ने भारत के टैक्स संरचना को सरल बना दिया और व्यापारियों के लिए इसे समझना और लागू करना आसान हो गया।
GST के जरिए कैसे हुआ टैक्स सिस्टम आसान
जीएसटी ने इससे पहले देश में लगने वाले 17 लोकल टैक्स और 13 सरचार्ज को फाइव लेयर सिस्टम में व्यवस्थित किया, जिससे टैक्स सिस्टम आसान हो गया। इसके तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कारोबार की सीमा गुड्स के लिए 40 लाख रुपये और सर्विसेज के लिए 20 लाख रुपये हो गई। वैट के तहत यह सीमा औसतन पांच लाख रुपये से ऊपर थी।
जीएसटी से मिले कई फायदे
सात साल पहले पेश किए गए जीएसटी ने टैक्स कंप्लाइंस को आसान बना दिया है और इससे टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है। जिससे राज्यों के राजस्व में बढ़ोतरी हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी ने टैक्स उछाल को बढ़ाकर साल 2018-23 के दौरान 1.22 पर कर दिया है, जो जीएसटी से पहले 0.72 पर था। मुआवजा खत्म होने के बावजूद राज्यों का टैक्स उछाल 1.15 पर बना हुआ है।
जीएसटी के बाद राज्यों का वास्तविक राजस्व 46.56 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है वरना जीएसटी के बिना वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक राज्यों का राजस्व 37.5 लाख करोड़ रुपये होता।
2. इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव
2020 में सरकार ने एक वैकल्पिक टैक्स प्रणाली की घोषणा की, जिसमें कम टैक्स दरों के साथ कोई छूट और कटौती नहीं थी। यह करदाताओं को अपने लिए उपयुक्त विकल्प चुनने का अवसर देता है। विभिन्न वित्तीय वर्षों में, इनकम टैक्स स्लैब और दरों में भी कुछ बदलाव किए गए।
3. डिजिटलाइजेशन और ई-फाइलिंग
पिछले 10 सालों में मोदी सरकार ने टैक्स रिटर्न फाइलिंग को ऑनलाइन और डिजिटल माध्यमों से आसान बनाया है। इन सालों में ई-फाइलिंग, ई-वे बिल, और अन्य डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ाया गया है। आज के समय में टैक्सपेयर्स को टैक्स से जुड़े कामकाज के लिए कम से कम फिजिकल उपस्थिति की आवश्यकता होती है, जिससे पारदर्शिता और सुविधा में वृद्धि हुई।
4. विवाद से विश्वास योजना
विवाद से विश्वास योजना को केंद्र सरकार टैक्स से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए लाई थी, इस योजना के तहत करदाता अपने बकाया टैक्स का भुगतान कर विवादों को समाप्त कर सकते थे। इससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त हुआ और लंबित टैक्स मामलों का समाधान भी हुआ।
किसे मिला इस स्कीम का फायदा
जो मामले 31 जनवरी 2020 तक कमिश्नर (अपील), इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित थे, उन टैक्स के मामलों पर यह स्कीम लागू होती थी। बता दें जो भी लंबित केस हैं वह टैक्स, विवाद, पेनल्टी और ब्याज से जुड़े हुए होते थे।
5. बेनामी संपत्ति और काले धन पर अंकुश
बेनामी संपत्ति लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 में संशोधन कर इसे कड़ा किया गया। इतना ही नहीं नोटबंदी का फैसला भी काले धन को बाहर लाने और टैक्स आधार को बढ़ाने के उद्देश्य से ही लिया गया था।
6. कॉर्पोरेट टैक्स दरों में कमी
मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स दरों में काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, इसका उद्देश्य देश में निवेश को प्रोत्साहित करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और भारतीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना था।
साल 2019 के सितंबर महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉर्पोरेट टैक्स दरों में ऐतिहासिक कटौती की घोषणा की। इस घोषणा में पुरानी कंपनियों के लिए टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया। वहीं, नई विनिर्माण कंपनियों के लिए 25% से घटाकर 15% किया गया। यह छूट उन कंपनियों के लिए दी गई जो 1 अक्टूबर 2019 के बाद स्थापित हुई और 31 मार्च 2023 तक उत्पादन शुरू कर दी।
इसके अलावा, मैट दर को भी 18.5% से घटाकर 15% किया गया, जिससे कंपनियों को और राहत मिली।
इन सभी सुधारों ने भारत की टैक्स प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाया है। सरकार के इन प्रयासों से न केवल करदाताओं को सुविधा हुई है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है
टैक्स पर मोदी सरकार की ओर से बड़े ऐलान
भारत में 23 जुलाई को एनडीए अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है। मोदी सरकार ने 2014 से अब तक अलग-अलग बजटों में कई महत्वपूर्ण टैक्स संबंधी घोषणाएं की हैं।
वित्तीय वर्ष 2014-15 के प्रमुख ऐलान
- व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा में वृद्धि:
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दिया था।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख किया गया।
- धारा 80C के तहत निवेश की सीमा में वृद्धि:
- धारा 80C के तहत निवेश की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया गया था।
- गृह ऋण पर ब्याज की छूट सीमा में वृद्धि:
- गृह ऋण पर ब्याज की छूट सीमा को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख किया गया था।
इन सुधारों ने करदाताओं को आर्थिक रूप से राहत प्रदान की है और उनके निवेश के अवसरों को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, गृह ऋण पर ब्याज की छूट सीमा बढ़ने से गृह स्वामित्व को प्रोत्साहन मिला और रियल एस्टेट सेक्टर को भी मजबूती मिली। इन घोषणाओं के बाद, मोदी सरकार के विभिन्न अन्य टैक्स सुधारों ने देश की कर प्रणाली को और भी सुदृढ़ और प्रभावी बनाया है।
आगामी बजट में भी मोदी सरकार से ऐसी ही नई और राहतकारी घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है, जिससे देश के आर्थिक विकास को और गति मिलेगी।