Kavad Yatra : कांवड़ यात्रा पर अब बिहार में भी सियासी संग्राम, जेडीयू से आरजेडी ने पूछे अहम सवाल |

Kavad Yatra : कांवड़ यात्रा पर अब बिहार में भी सियासी संग्राम, जेडीयू से आरजेडी ने पूछे अहम सवाल |

Kavad Yatra : कांवड़ यात्रा पर अब बिहार में भी सियासी संग्राम,

Kavad Yatra : प्रेम रंजन पटेल के बयान पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का आरोप, बीजेपी ने जेडीयू को जानबूझकर चिढ़ाया, क्या इसी तरह चलेगा देश?

Kavad Yatra : कांवड़ यात्रा पर अब बिहार में भी सियासी संग्राम,
Kavad Yatra पर अब बिहार में भी सियासी संग्राम,

22 जुलाई से पूरे देश के प्रमुख शिवालयों में Kavad Yatra शुरू होने वाली है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस यात्रा की अवधि एक महीने की होती है, जबकि बिहार और झारखंड में भी बड़े पैमाने पर Kavad Yatra आयोजित होती है। इस बार, Kavad Yatra ने राजनेताओं के बीच सियासी विवाद का रूप ले लिया है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने Kavad Yatra के दौरान दुकानदारों को नाम प्लेट लगाने का आदेश जारी किया है। इसका उद्देश्य कांवड़ियों की सुविधा और सुरक्षा को सुनिश्चित करना बताया जा रहा है।

हालांकि, इस आदेश के बाद बिहार में भी इस मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है। बिहार में बीजेपी के नेता भी ऐसी ही मांग बिहार और झारखंड की सरकारों से करने लगे हैं। उनके अनुसार, Kavad Yatra के दौरान दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने से यात्रा की व्यवस्था बेहतर होगी और कांवड़ियों को सुविधाजनक अनुभव प्राप्त होगा। इस तरह, Kavad Yatra अब न सिर्फ धार्मिक बल्कि राजनीतिक विमर्श का भी हिस्सा बन गई है।

क्या था प्रेम रंजन पटेल का बयान?

बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने Kavad Yatra के दौरान दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने की मांग उठाई, जिससे सियासी हलचल मच गई है। इस पर एनडीए गठबंधन में शामिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी नेताओं को नसीहत दी और मुहावरे का प्रयोग कर अपनी बात समझाने की कोशिश की। जेडीयू ने बीजेपी के इस प्रस्ताव को लेकर खुलकर आलोचना की।

आरजेडी ने जेडीयू से सवाल किया है कि क्या वे इस मांग से सहमत हैं, जिससे राजनीति में और भी तकरार बढ़ गई है। जेडीयू की प्रवक्ता अंजूम आरा ने जवाब देते हुए कहा कि देश की विविधता और एकता की ताकत ही हमारे समाज को मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि हर धर्म के लोग मिलकर एकजुट रहते हैं, और ऐसे में दूसरे प्रांतों के मॉडल को बिहार में लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जेडीयू का मानना है कि स्थानीय परंपराओं और आवश्यकताओं के अनुसार ही फैसले लेने चाहिए।

‘नीतीश कुमार ने समाज में विभेद नहीं किया’

बिहार ने सामाजिक समरसता और धार्मिक सौहार्द के मामले में कई सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जो अन्य राज्यों के लिए आदर्श बन चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी भी जाति, धर्म, या मजहब के आधार पर समाज में विभाजन की राजनीति नहीं की है। बिहार इसका जीवंत उदाहरण है, जहां Kavad Yatra उत्तर प्रदेश से भी बड़े पैमाने पर मनाई जाती है। यहां छठ पर्व भी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें सभी धर्मों के लोग सहभागिता करते हैं और एक-दूसरे की सेवा करते हैं।

Kavad Yatra के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग भी श्रद्धालुओं की सेवा में सक्रिय रहते हैं, जो देश की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। नीतीश कुमार ने इस संबंध में मुहावरा उद्धृत करते हुए कहा, “मंदिर में दाना चूंगकर चिड़िया मस्जिद में पानी पीती है” और “राधा रानी की चुनरी कोई सलमा बेगम सिलती है”, जो यह दर्शाता है कि धर्म के नाम पर भेदभाव की कोई जगह नहीं है। यह हिंदुस्तान की धरती की खासियत है, जहां विविधता के बावजूद सभी लोग एकता के साथ रहते हैं।

मृत्युंजय तिवारी ने जेडीयू पर साधा निशाना

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने प्रेम रंजन पटेल के Kavad Yatra पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बीजेपी जानबूझकर जेडीयू को भड़का रही है। तिवारी ने पूछा कि क्या राज्य और देश इसी तरह से चलेंगे जैसे प्रेम रंजन पटेल ने Kavad Yatra के दौरान दुकानों के सामने नेम प्लेट लगाने की बात कही थी। उन्होंने जेडीयू और नीतीश कुमार से पूछा कि क्या वे इससे सहमत हैं या नहीं।

तिवारी ने आरोप लगाया कि बीजेपी समाज में नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है और देश बीजेपी के नियमों और संविधान से नहीं बल्कि अपने संविधान से चलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर मॉडल की बात करते थे, लेकिन इस बार चुनाव में जनता ने उन्हें काफी हद तक नकार दिया और वे अयोध्या में भी हार गए। तिवारी ने चेतावनी दी कि अगर बीजेपी इसी रवैये पर कायम रही, तो उसे पूरी तरह से सफाया होने का सामना करना पड़ेगा।

बिहार में कावड़ यात्रा पर सियासत

बीते शनिवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने एक बयान में कहा कि बिहार में भी Kavad Yatra के दौरान दुकानदारों को अपनी दुकानों पर नाम प्लेट लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि Kavad Yatra आस्था और पवित्रता का प्रतीक है और उत्तर प्रदेश में इस पहल के सफल होने के बाद, अब बिहार में भी करोड़ों लोग Kavad Yatra में शामिल होते हैं।

पटेल ने यह भी कहा कि कांवरियों की पवित्रता का सम्मान करते हुए दुकानदारों को अपनी दुकान के बाहर अपने नाम का उल्लेख करना चाहिए। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि न केवल बिहार बल्कि झारखंड की सरकार को भी इस पहल को अपनाना चाहिए, क्योंकि सुल्तानगंज से जल उठाकर कांवरिये देवघर में जल चढ़ाते हैं। इस कदम से न केवल कांवरियों की यात्रा आसान होगी बल्कि दुकानदारों और आम जनता के बीच एक बेहतर सामंजस्य भी बनेगा। पटेल के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आई है, जिसमें उनके बयान को लेकर चर्चा और बहस शुरू हो गई है।

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