Daily Print News

Unemployment : 2024 में एक गंभीर चिंता का विषय ,भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की कमी ?

Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की चुनौतियाँ; 2024 में एक गंभीर चिंता का विषय |

Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की % कमी क्यों
Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की % कमी क्यों

Unemployment : देश में Unemployment(बेरोजगारी) की समस्या अत्यंत गंभीर है, विशेष रूप से युवाओं के लिए अच्छे रोजगार के अवसरों की कमी है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भी Unemployment(बेरोजगारी) एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा। लोगों को मुफ्त में सामान देने से कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए लोगों को स्थायी रोजगार की आवश्यकता है।

देश में विकास तेजी से हो रहा है, लेकिन रोजगार के अवसर उसी अनुपात में नहीं बढ़ रहे हैं। पिछले पचास वर्षों के आंकड़े यह स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जितनी तेजी से बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से रोजगार नहीं बढ़ रहे हैं।

Unemployment : यदि इस समस्या को नजरअंदाज किया गया, तो भविष्य में यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है। Unemployment(बेरोजगारी) की इस बढ़ती समस्या के समाधान के लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे। युवा वर्ग को उचित प्रशिक्षण और शिक्षा के साथ-साथ नए उद्योगों और सेवाओं में रोजगार के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है, ताकि देश का विकास समावेशी और संतुलित हो सके।

Unemployment(बेरोजगारी) फिर बढ़ी!

Unemployment : भारत में Unemployment(बेरोजगारी) फिर से बढ़ गई है। इसी साल मई महीने में जहां Unemployment(बेरोजगारी) दर 7% थी, वहीं जून में यह बढ़कर 9.2% हो गई। एक निजी संस्था (CMIE) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों ने चिंता बढ़ा दी है।

CMIE के अनुसार, जून 2024 में भारत की Unemployment(बेरोजगारी) दर बढ़कर 9.2% हो गई है, जबकि मई 2024 में यह दर 7% थी। यह बढ़ोतरी शहरों और गांवों दोनों जगह देखने को मिली है। गांव में Unemployment(बेरोजगारी) की दर मई में 6.3% से बढ़कर जून में 9.3% हो गई है। वहीं, शहरों में यह दर 8.6% से बढ़कर 8.9% हो गई है।

Unemployment : दिलचस्प बात यह है कि Unemployment(बेरोजगारी) दर बढ़ने के साथ ही रोजगार ढूंढने वालों की संख्या भी बढ़ी है। जून में यह दर 41.4% हो गई, जो मई में 40.8% थी। हालांकि, रोजगार पाने वालों का अनुपात कम हुआ है। जून 2024 में यह दर घटकर 37.6% हो गई, जो मई में 38% थी। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि Unemployment(बेरोजगारी) एक गंभीर समस्या बनी हुई है और इसे हल करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार और संबंधित संस्थाओं को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा।

Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की कमी क्यों?

महिला Unemployment(बेरोजगारी) बहुत बढ़ी!

Unemployment : सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि महिलाओं में Unemployment(बेरोजगारी) काफी बढ़ गई है। CMIE के सर्वेक्षण के अनुसार, जून 2024 में 18.5% महिलाएं बेरोजगार थीं, जो पिछले साल की तुलना में 3.4% अधिक है। यह वृद्धि बताती है कि महिलाओं को रोजगार के अवसर कम मिल रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी गंभीर हो रही है। वहीं पुरुषों में भी Unemployment(बेरोजगारी) थोड़ी बढ़ी है। पिछले साल जून 2023 में 7.7% पुरुष बेरोजगार थे, जो इस साल बढ़कर 7.8% हो गए हैं।

Unemployment : महिलाओं में Unemployment(बेरोजगारी) की यह दर समाज के लिए एक चिंताजनक संकेत है। यह स्पष्ट करता है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभी भी कई सुधारों की आवश्यकता है। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर महिलाओं के लिए विशेष रोजगार योजनाओं का विकास करना चाहिए और उन्हें कार्यस्थल पर अधिक अवसर देने चाहिए। इसके अलावा, शिक्षा और कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर अवसर प्राप्त कर सकें।

Unemployment : पुरुषों की Unemployment(बेरोजगारी) दर में भी मामूली वृद्धि एक संकेत है कि रोजगार के अवसर कुल मिलाकर अपर्याप्त हैं। इसलिए, समग्र रोजगार नीति को सुधारने और नए अवसर पैदा करने की आवश्यकता है ताकि समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल सके।

तेजी से रफ्तार पकड़ रही है अर्थव्यवस्था

Unemployment : अच्छी बात यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बढ़ रही है। नेशनल सैंपल सर्वेक्षण कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई-सितंबर 2023 तिमाही में आर्थिक विकास दर 8.4% तक पहुंच गई थी। NSO के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि निर्माण, खनन और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों ने इस आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

Unemployment : वित्त वर्ष 2023-24 के लिए NSO के दूसरे अग्रिम अनुमानों से भारत की विकास दर 7.6% रहने का अनुमान लगाया गया है, जो जनवरी 2024 में जारी किए गए शुरुआती अनुमान 7.3% से भी ज्यादा है। यह सकारात्मक संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर रही है।

Unemployment : यह आर्थिक वृद्धि न केवल देश की समग्र वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न कर सकती है। हालांकि, इस आर्थिक विकास के लाभ को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने के लिए उचित नीतियों और उपायों की आवश्यकता है। इसके साथ ही, महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष रोजगार योजनाएं बनाकर उन्हें अधिक अवसर प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे भी इस आर्थिक प्रगति का हिस्सा बन सकें और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें।

भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की कमी

भारत में तेजी से बढ़ रहा शहरीकरण

Unemployment : साल 2023 में भारत में रहने वाले करीब एक तिहाई लोग शहरों में बसने लगे हैं। पिछले दस वर्षों में देखा जाए तो शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या में लगभग 4% का इजाफा हुआ है। इसका मतलब यह है कि अब पहले से ज्यादा लोग गांव छोड़कर शहरों में आकर बसने लगे हैं। इस दौरान, भारत में शहरीकरण में लगभग 4% की वृद्धि हुई है।

इसका अर्थ है कि अब अधिक लोग खेती छोड़कर सेवा क्षेत्र में काम करने लगे हैं। खेती आज भी भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और देश में काम करने वाले लगभग आधे लोग खेती से जुड़े हुए हैं। हालांकि, अब खेती का योगदान भारत की जीडीपी में पहले से कम हो गया है, वहीं दूसरी तरफ सेवा क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है।

Unemployment : शहरीकरण का यह बढ़ता रुझान दिखाता है कि लोग बेहतर जीवन स्तर और रोजगार के अवसरों की तलाश में शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। इससे शहरों में विकास की गति बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही नई चुनौतियाँ भी उभर रही हैं। शहरी क्षेत्रों में आधारभूत संरचना, परिवहन और आवास जैसी आवश्यक सेवाओं की मांग बढ़ रही है, जिसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की कमी क्यों

शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की कमी क्यों?

Unemployment : भारत में रोजगार का बड़ा हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector) में होता है, जिसमें कम वेतन, कम सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है। आर्थिक विकास के बावजूद अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार का अनुपात कम नहीं हो रहा है। शहरों में बड़ी संख्या में लोग आते हैं, लेकिन सभी को रोजगार नहीं मिल पाता है।

कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में लगातार गिरावट हो रही है, जिससे ग्रामीण आबादी शहरों की ओर पलायन कर रही है। कई लोग बेहतर जीवन की तलाश में गांव से शहरों की ओर पलायन करते हैं। इस तरह शहरों में आबादी का बोझ बढ़ जाता है और रोजगार के अवसरों पर दबाव बढ़ जाता है।

शहरीकरण की इस तेज रफ्तार के बावजूद, रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इससे शहरों में Unemployment(बेरोजगारी) और असमानता बढ़ रही है। अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार की स्थितियां सुधारने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

सरकार और संबंधित संस्थाओं को मिलकर ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जिसमें लोगों को सुरक्षित और स्थायी रोजगार मिल सके। इसके लिए कौशल विकास, शिक्षा और उद्यमिता को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि लोग आत्मनिर्भर बन सकें और देश की आर्थिक प्रगति में सक्रिय योगदान दे सकें।

महिलाओं को अक्सर पुरुषों की तुलना में कम रोजगार के अवसर मिलते हैं। उन्हें घरेलू कामों और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है, जिससे उनके लिए पूर्णकालिक काम करना मुश्किल हो जाता है। भारत में औद्योगिकीकरण की गति धीमी रही है, जिससे रोजगार के अवसरों की कमी हुई है। इसके अलावा, शहरों में बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे कि सड़कें, बिजली, और पानी भी रोजगार के अवसरों को कम करते हैं।

Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की % कमी क्यों
Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की % कमी क्यों

शहरीकरण और आर्थिक विकास भारत में रोजगार की कमी की समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए शिक्षा, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे और औद्योगिकीकरण में निवेश करने की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए विशेष रूप से रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए नीतियों को सुधारना होगा, ताकि वे घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ काम भी कर सकें।

महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए, उन्हें उचित शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है। इसके साथ ही, कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना भी महत्वपूर्ण है। बुनियादी ढांचे में सुधार और औद्योगिकीकरण को तेज करके रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं, जिससे देश की समग्र आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

मनरेगा योजना में भी कई कमियां

देश में गांवों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत लोगों को काम दिया जाता है, जिससे उन्हें रोजगार मिलता है। लेकिन इस योजना में भी कई कमियां हैं। जैसे कि कानून में लिखा है कि अगर किसी को 15 दिन के अंदर काम नहीं मिलता है, तो उसे Unemployment(बेरोजगारी) भत्ता दिया जाएगा, लेकिन ऐसा बहुत कम ही होता है।

इसके अलावा, मजदूरी के पैसे भी देर से मिलते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादातर लोगों को साल में 100 दिन से भी कम काम मिल पाता है, जबकि कानून में 100 दिन का प्रावधान है। इन कमियों के कारण मनरेगा योजना अपने उद्देश्यों को पूरी तरह से प्राप्त नहीं कर पा रही है।

इस योजना की सफलता के लिए आवश्यक है कि सरकार और प्रशासनिक तंत्र इसमें मौजूद खामियों को दूर करें। मजदूरी का भुगतान समय पर हो और लोगों को कानूनी रूप से निर्धारित 100 दिन का काम मिले, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसके साथ ही, लोगों को इस योजना के तहत मिलने वाले लाभों के बारे में जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपने अधिकारों का सही उपयोग कर सकें और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकें।

Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की % कमी क्यों
Unemployment : भारत में शहरीकरण और आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार की % कमी क्यों

गांव में मनरेगा योजना के तहत लोगों को रोजगार दिया जाता है, लेकिन शहरों में ऐसी कोई बड़ी योजना नहीं है। कुछ राज्यों में छोटे स्तर पर ऐसी योजनाएं चल रही हैं, जबकि देशभर में एक बड़ी योजना की जरूरत है। इस संबंध में एक प्रस्ताव आया है जिसका नाम है ‘विकेंद्रित शहरी रोजगार और प्रशिक्षण’ (DUET) योजना। इस योजना के तहत शहरों में पानी की सप्लाई, सफाई और अन्य कार्य कराए जा सकते हैं। इससे शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और बुनियादी सेवाओं में सुधार होगा।

रोजगार पाने के लायक कैसे बनें: यही भी एक चुनौती

Unemployment(बेरोजगारी) की समस्या वास्तव में उस सवाल से जुड़ी है कि क्या लोग मौजूदा रोजगार के लिए काबिल हैं या नहीं। भारत में स्किल डेवलपमेंट और ट्रेनिंग पर अभी तक काफी ध्यान नहीं दिया गया है, जिससे बहुत से लोगों के पास वो हुनर नहीं है जो आज के कामों के लिए जरूरी होता है। इसलिए अब युद्ध-स्तर पर एक बड़े पैमाने पर वोकेशनल यानी हुनर आधारित पढ़ाई शुरू करने की जरूरत है।

साथ ही, छात्र-छात्राओं को कंपनियों में इंटर्नशिप के तौर पर काम करने का भी मौका देना चाहिए। इसी तरह का कार्य जर्मनी में अच्छे प्रकार से हो चुका है, जहां कंपनियां स्कूल से पढ़ने वाले बच्चों को ट्रेनिंग देती हैं और उन्हें बाद में नौकरी पर रखती हैं। इससे कंपनियों को भी फायदा होता है और युवाओं को भी रोजगार मिलता है। अमेरिका में भी ऐसी ही योजनाएं कार्यान्वित होती हैं।

अफ्रीका के केन्या और कोलंबिया जैसे देशों में भी व्यापारियों, सरकार और समाज सेवी संस्थाओं के साथ मिलकर विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जो रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में सफल रहे हैं। इन योजनाओं ने नौकरी प्राप्ति में महिलाओं और युवाओं को सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में भी इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। हमें कंपनियों, सरकार, व्यापारियों और समाज सेवी संस्थाओं को एक साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा और समाज का समृद्धिकरण होगा।

इससे भी पढ़े :-

Exit mobile version
Skip to toolbar