The new law implemented in India: भारतीय न्याय संहिता लागू होते ही दिल्ली में पहली एफआईआर, रेलवे स्टेशन के पास गुटखा बेचने वाले शख्स पर केस
The new law implemented in India :भारतीय न्याय संहिता (BNS) Bharatiya Nyaya Sanhita ने 163 साल पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ले ली है। (BNS) के तहत कई तरह के अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य अपराधों पर कड़ी नकेल कसना और न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना है।
दिल्ली में Bharatiya Nyaya Sanhita लागू होते ही पहला मामला दर्ज किया गया है। रेलवे स्टेशन के पास गुटखा बेचने वाले एक शख्स पर इस नई संहिता के तहत केस दर्ज हुआ है। यह कदम सरकार द्वारा तंबाकू और गुटखा जैसी हानिकारक वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। गुटखा बेचने वाले शख्स को कानून के मुताबिक कठोर सजा का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय न्याय संहिता के तहत गुटखा बेचने पर सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसमें स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों की बिक्री को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस कानून के लागू होने के बाद, तंबाकू उत्पादों की अवैध बिक्री पर नियंत्रण पाने की उम्मीद है।
नए कानून Bharatiya Nyaya Sanhita के तहत, अपराधियों को न केवल जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि उन्हें भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। इससे समाज में अनुशासन और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा मिलेगा। सरकार का मानना है कि इस तरह के कड़े कदम उठाने से अपराध दर में कमी आएगी और लोग कानून का पालन करने के प्रति अधिक जागरूक होंगे।
Bharatiya Nyaya Sanhita के लागू होने के साथ ही देश में अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। सरकार का लक्ष्य है कि देश को अपराध मुक्त बनाया जाए और नागरिकों को सुरक्षित माहौल प्रदान किया जाए। दिल्ली में दर्ज हुई पहली एफआईआर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
First FIR in BNS : भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत सेंट्रल दिल्ली के कमला मार्किट थाने में नए कानून के हिसाब से सोमवार (1 जुलाई) को पहली एफआईआर दर्ज हुई है। देर रात पेट्रोलिंग कर रही पुलिस की टीम ने देखा कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक शख्स ने बीच सड़क पर रेहड़ी लगाई हुई है। वह उस पर पानी और गुटखा बेच रहा था, जिससे लोगों को आने-जाने में दिक्कत हो रही थी। इसके बाद पुलिस ने इस शख्स के खिलाफ First FIR in BNS के तहत FIR दर्ज की।
पुलिस ने कई बार रेहड़ी लगाकर बिक्री करने वाले शख्स से वहां से हटने को कहा, ताकि रास्ता साफ हो जाए और लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो। हालांकि, वह पुलिसकर्मियों की बात को नजरअंदाज करता रहा और उसे मानने से इनकार कर दिया। उसने अपनी मजबूरी बताई और वहां से चला गया। इसके बाद पुलिस ने उसका नाम-पता पूछकर नए कानून Bharatiya Nyaya Sanhita की धारा 285 के तहत FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह इस कानून के तहत दर्ज की गई पहली एफआईआर है।
Bharatiya Nyaya Sanhita ने 163 साल पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ली है। Bharatiya Nyaya Sanhita के तहत कई तरह के अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य अपराधों पर कड़ी नकेल कसना और न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना है। पुलिस का यह कदम तंबाकू और गुटखा जैसी हानिकारक वस्तुओं की अवैध बिक्री पर रोक लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
तीन नए आपराधिक कानूनों ने किन पुराने कानूनों की जगह ली?
The new law implemented in India : दरअसल, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से देशभर में लागू हो गए हैं। इन्हें तीन नए आपराधिक कानूनों के तौर पर जाना जा रहा है। इन कानूनों ने ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। भारतीय दंड संहिता 163 साल पुराना कानून था, जिसकी जगह अब Bharatiya Nyaya Sanhita ने ले ली है। Bharatiya Nyaya Sanhita में धोखाधड़ी से लेकर संगठित अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
भारतीय न्याय संहिता में क्या है खास?
The new law implemented in India: भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस में 358 सेक्शन हैं, जबकि आईपीसी में 511 सेक्शन हुआ करते थे. इसमें 21 नए तरह के अपराधों को शामिल किया गया है. 41 अपराधों के लिए कारावास की सजा की अवधि को बढ़ाया गया है. 82 अपराधों में जुर्माने की राशि को भी बढ़ाया गया है. बीएनएस में 25 ऐसे अपराध हैं, जिसमें कम से कम सजा का प्रावधान किया गया है. नए कानून में 6 ऐसे अपराध हैं, जिनके लिए सामाजिक सेवा का दंड दिया जाएगा. साथ ही अपराध के 19 सेक्शंस को हटा दिया गया है.
हालांकि, यहां गौर करने वाली बात ये है कि जिन अपराधों में मुकदमों को 1 जुलाई से पहले दर्ज किया गया है, उनमें कार्रवाई आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत ही होगी. केंद्र सरकार ने फरवरी में ही गजट नोटिफिकेशन जारी कर तीनों नए आपराधिक कानूनों को 1 जुलाई से लागू करने का ऐलान किया था.
जानिए 10 मुख्य पॉइंट्स, जिनमें हुआ बदलाव
- आपराधिक मामले का फैसला, सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर सुनाया जाना चाहिए. पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय करने का प्रावधान है. सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाओं को लागू करना चाहिए.
- बलात्कार पीड़ितों के बयान पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए जाएंगे. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए.
- नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर कड़े नियम बनाये गए हैं. बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना जाता है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.
- कानून में अब उन मामलों के लिए दंड का प्रावधान है, जहां शादी के झूठे वादे करके महिलाओं को छोड़ दिया जाता है.
- महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर पीड़ितों को 90 दिनों के अंदर नियमित अपडेट हासिल करने और पीड़ितों को मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार प्रदान कराना जरूरी है.
- आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है.
- अब घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से की जा सकती है, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी. जीरो एफआईआर की शुरूआत से व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में, चाहे उसका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो, प्राथमिकी दर्ज करा सकता है.
- गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में अपनी पसंद के व्यक्ति को सूचित करने का अधिकार है, ताकि उसे तत्काल सहायता मिल सके. गिरफ्तारी का विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि परिवार और मित्र आसानी से इसे देख सकें.
- अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य है.
- “लिंग” की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल किया गया है, जो समानता को बढ़ावा देता है. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए, पीड़िता के बयान को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए. यदि उपलब्ध न हो, तो पुरुष मजिस्ट्रेट को महिला की उपस्थिति में बयान दर्ज करना चाहिए. बलात्कार से संबंधित बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किए जाने चाहिए, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो और पीड़िता को सुरक्षा मिले.
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