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Tax On Stocks: क्या सरकार रिटेल निवेशकों की है स्लीपिंग पार्टनर? क्यों ये सुनकर वित्त मंत्री नहीं रोक पाईं अपनी हंसी |

Tax On Stocks: शेयरों और शेयरों पर कर, ब्रोकरेज शुल्क के अतिरिक्त, निवेशकों को एसटीटी, जीएसटी, स्टाम्प ड्यूटी के साथ शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का भुगतान करना पड़ता है |

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“क्या सरकार रिटेल निवेशकों की है स्लीपिंग पार्टनर? क्यों ये सुनकर वित्त मंत्री नहीं रोक पाईं अपनी हंसी”

Tax On Stocks: भारतीय वित्त मंत्रालय के कार्यक्रमों और नीतियों का दर्शन करते समय, यह अक्सर देखा गया है कि रिटेल निवेशकों के लिए व्यापक संरक्षा प्रावधान नहीं है। इसका कारण है कि सरकार को इस सेगमेंट की विशेष चिंता नहीं होती है, जो अक्सर अधिक उत्थानशील निवेशकों के पूर्ण समर्थन को प्राथमिकता देते हैं।

Tax On Stocks: जब तक इस अंतराल के लिए स्पष्ट सुरक्षा नीतियों की अनुपस्थिति रहेगी, रिटेल निवेशकों का संगठित आधार दबा हुआ रहेगा। ऐसे मामलों में, वित्त मंत्री को अपने निर्णयों पर एक और नज़र डालने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे न केवल वित्तीय स्थिरता में सुधार होगा, बल्कि देश के निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा।

Tax On Stocks: सरकार के द्वारा अधिक सुरक्षा प्रदान करने से रिटेल निवेशकों की आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी। यह निवेशकों को नए अवसरों के प्रति अधिक उत्साही बनाए रखेगा और वित्तीय बाजार में भी नई स्थितियों को तैयार करेगा। इससे वित्त मंत्री और सरकार के द्वारा लिये गए निर्णयों की सार्थकता और प्रभावकारिता बढ़ेगी।

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इस प्रकार, वित्त मंत्री को रिटेल निवेशकों के मामले में सकारात्मक निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि देश के निवेशकों को विश्वसनीयता और सुरक्षा का अनुभव हो सके। इससे हमारी आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय वित्तीय बाजार का स्थिर और सुदृढ़ विकास संभव होगा।

निवेशकों के शेयरों पर कर: मुंबई में बीएसई (BSE) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Tax On Stocks: मुंबई के बीएसई (BSE) में हाल ही में एक घटना ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ रिटेल निवेशकों के शेयरों पर कर पर ध्यान खींचा। एक रिटेल निवेशक ने खुद को वर्किंग पार्टनर बताते हुए कहा कि सरकार को उनकी तरह स्लिपिंग पार्टनर के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि शेयरों में निवेश से होने वाली कमाई पर कई प्रकार के टैक्स का बोझ उठाया जा रहा है। यह घटना बताती है कि निवेशकों को अधिक टैक्स सहित अन्य कई नियमों का सामना करना पड़ रहा है जब वे अपनी कमाई का बजट बना रहे हैं।

Tax On Stocks: निवेशक ने वित्त मंत्री से इस मुद्दे पर सवाल पूछा, जिसका उत्तर वित्त मंत्री ने देते हुए कहा कि उनके पास इसका जवाब नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि निवेशकों के मुद्दे पर सरकार की तरफ से एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है ताकि वे अपनी निवेश स्ट्रेटेजी को सही तरीके से प्लान कर सकें।

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Tax On Stocks: इस घटना ने साबित किया कि निवेशकों को सरकार से एक स्थिर नियामकीय परियोजना की आवश्यकता है जो उनकी निवेश संबंधी जिम्मेदारियों को सही रूप में समझ सके। इससे न केवल निवेशकों की योग्यता बढ़ेगी, बल्कि वित्त मंत्री और सरकार की सार्थक नीतियों का भी प्रमोटन होगा।

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रिटेल निवेशक के सवाल से वित्त मंत्री हुईं क्लीन बोल्ड!

Tax On Stocks: वित्त मंत्री सीतारमण ने हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान देशभर में एक उत्सव की तरह अपनी सरकार के कामों का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के लगातार तीसरी बार सत्ता में आने पर सरकार ने किए गए कामों का जवाबदेहीपूर्वक उल्लेख किया। इसी समारोह में, मंगलवार को मुंबई के बीएसई में वित्त मंत्री ने भारत 2047 के लिए संबोधन किया। संबोधन के बाद, एक निवेशक ने शेयर मार्केट में शेयरों के खरीद-फरोख्त पर लगने वाले टैक्सों के बोझ के बारे में सवाल किया।

Tax On Stocks: इस सवाल को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और सरकार इसे गंभीरता से देख रही है। उन्होंने बताया कि टैक्स विषय पर सरकार ने पिछले समय में कई प्रमुख कदम उठाए हैं जैसे कि ब्रैक्सिट टैक्स और अन्य कदम। वह यह भी दिखाया कि सरकार उन निवेशकों के मसीहा है जो शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हैं और उनकी मनोबल को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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Tax On Stocks: इस सवाल-जवाब के माध्यम से, वित्त मंत्री ने दिखाया कि सरकार के पास निवेशकों के मुद्दों को सुनने और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए विशेष मेहरबानी है। यह भी साबित होता है कि सरकार ने निवेशकों के हित में कदम उठाने का दृढ़ संकल्प लिया है।

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सरकार डकार रही सारा मुनाफा!

Tax On Stocks: निवेशक ने वित्त मंत्री से यह सवाल उठाया कि क्यों सरकार रिटेल निवेशकों पर सीजीएसटी (CGST), आईजीएसटी (IGST), स्टांप ड्यूटी (Stamp Duty), एसटीटी (Securities Transaction Tax), और एलटीसीजी (Long Term Capital Gain) लगाती है। इसके कारण सरकार की कमाई ब्रोकरों से अधिक होती है। उन्होंने वित्त मंत्री से कहा कि वे कई प्रकार के जोखिम लेकर निवेश कर रहे हैं, लेकिन सारा मुनाफा भारत सरकार खा रही है। उन्होंने कहा, “मैं अपने पैसे, जोखिम और स्टॉफ के साथ वर्किंग पार्टनर हूं और आप (सरकार) स्लिपिंग पार्टनर (Sleeping Partner) हैं.” इस बयान के बाद भी वित्त मंत्री सीतारमण ने अपनी हंसी को रोक नहीं पाईं, और हॉल में मौजूद सभी लोगों ने भी हंसी में बहकर खुशी जताई।

घर खरीद पर 11% लगता है टैक्स

Tax On Stocks: निवेशक का सवाल यहाँ खत्म नहीं हुआ। उन्होंने वित्त मंत्री से घर खरीद पर लगने वाले जीएसटी और स्टॉंप ड्यूटी को लेकर भी सवाल दाग दिया। उन्होंने वित्त मंत्री से कहा, “घर खरीदने पर नगद भुगतान को खत्म कर दिया गया है। मुंबई में घर खरीदना किसी सपने से कम नहीं है। मैं टैक्स देता हूं, मेरा पास व्हाइटमनी है। हमलोग टैक्स का भुगतान करते हैं। मिस्टर लोढ़ा (डेवलपर) नगद नहीं स्वीकार करते। उन्होंने कहा मेरे बैंक खाते में जो बैलेंस है ये वो रकम है जो सरकार को टैक्स चुकाने के बाद बचा है। और जब हम घर खरीदते हैं तो हमें स्टॉंप ड्यूटी और जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है। मुंबई जैसे शहरों में घर खरीदते हैं तो घर की कीमत का कुल 11 फीसदी टैक्स के रूप में हमारे जेब से चला जाता है। निवेशक ने वित्त मंत्री से पूछा ऐसे में हमारे जैसे व्यक्ति जिसके पास सीमित साधन है आप उसकी मदद कैसे करेंगी। और कैसे कोई निवेशक फंक्शन करेगा जिसपर इतना सारा टैक्स का बोझ लाद दिया गया है जिसमें सरकार स्लिपिंग पार्टनर है और मैं बगैर किसी इनकम के वर्किंग पार्टनर हूं।”

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

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Tax On Stocks: वित्त मंत्री से बीएसई में ब्रोकर द्वारा पूछे गए यह सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। अद्वैत अरोड़ा ने लिखा है, “मैं इस रिटेल निवेशक के सवाल से पूरी तरह सहमत हूं। शेयर बाजार के निवेशक का असली दर्द यही है।” राजीव मेहता ने भी लिखा है, “बीएसई में वित्त मंत्री सीतारमण स्टॉक मार्केट के निवेशक के इस सवाल से हिल गईं।” यह बताता है कि स्टॉक मार्केट के निवेशकों की परेशानियाँ सोशल मीडिया पर भी व्याप्त हैं और इसे सामाजिक जागरूकता के माध्यम से उजागर किया जा रहा है।

टैक्स के बोझ से निवेशक परेशान

Tax On Stocks: निवेशकों का दर्द टैक्स के बोझ से बढ़ रहा है। इस रिटेल निवेशक के सवाल में सभी निवेशकों का दर्द छुपा है, जिन्हें बाजार में होने वाले मुनाफे पर लगने वाले टैक्स के बोझ से परेशानी है। यह समस्या निवेशकों के लिए मुख्य है क्योंकि टैक्स का बोझ उनके निवेश को कमजोर कर देता है और उन्हें कम मुनाफा दिखाई देता है। निवेशक इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हैं जो उनकी निवेश योजनाओं को प्रभावित करता है। इस संदर्भ में, सरकार को निवेशकों के टैक्स बोझ को कम करने के लिए उपायों को ध्यान में रखना होगा ताकि निवेशकों को बाजार में आत्मनिर्भरता और उत्साह बनाए रखने में सहायता मिल सके।

 

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