Small-business-in-india : भारत की अर्थव्यवस्था में अनइनकॉर्पोरेटेड एंटरप्राइजेस यानी अनऑफिशियल इकोनॉमी का महत्वपूर्ण स्थान है।
Small-business-in-india : यह सेक्टर छोटे बिजनेस जैसे मोहल्ले की दुकानें, कारीगर, फेरी वाले, छोटे-मोटे कारखाने आदि शामिल हैं, जो बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चलते हैं। ये अनऑफिशियल इकोनॉमी का हिस्सा होते हैं और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर या अनौपचारिक अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है।
अनऑफिशियल इकोनॉमी का महत्व
Small-business-in-india: अनऑफिशियल इकोनॉमी का भारत में रोजगार सृजन और कम पढ़े-लिखे लोगों को काम देने में महत्वपूर्ण योगदान है। यह सेक्टर आमतौर पर छोटे पैमाने पर संचालित होता है और अधिकांशत: पारिवारिक आधार पर चलता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यह अनऑफिशियल इकोनॉमी भारत के आधे से ज्यादा सामान बनाने और सर्विस देने का काम करती है। इसके साथ ही, देश में रोजगार देने वालों में से भी तीन-चौथाई से ज्यादा इसी सेक्टर से जुड़े हैं।
पिछले सात सालों का हाल
Small-business-in-india: हालांकि, पिछले सात सालों में इस अनऑफिशियल इकोनॉमी का हाल काफी बुरा हो गया है। कई छोटे बिजनेस बंद हो गए और करीब 16.45 लाख नौकरियां भी चली गईं। यह जानकारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की ओर से हाल ही में कराए गए सर्वे (2021-22 और 2022-23) के नतीजों से मिली है।
रोजगार के आंकड़े
Small-business-in-india: NSSO के सर्वे के अनुसार, अनऑफिशियल इकोनॉमी में रोजगार की स्थिति में गिरावट आई है। छोटे व्यवसाय, जो बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करते थे, अब संघर्ष कर रहे हैं। यह समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां कृषि के अलावा छोटे व्यवसाय प्रमुख आय का स्रोत थे, वहाँ भी इन व्यवसायों के बंद होने से रोजगार की समस्या बढ़ गई है।
भारत में छोटे-मोटे बिजनेस का हाल: रोजगार के आंकड़े क्या बयान करते हैं?
Small-business-in-india: भारत की अर्थव्यवस्था में छोटे-मोटे व्यवसायों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ये व्यवसाय न केवल आर्थिक विकास में योगदान देते हैं बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजित करते हैं। इस लेख में, हम इन व्यवसायों के मौजूदा हालात और सरकारी आंकड़ों के आधार पर उनकी स्थिति पर चर्चा करेंगे।
अनऑफिशियल इकोनॉमी का महत्व
Small-business-in-india: अनइनकॉर्पोरेटेड एंटरप्राइजेस यानी अनऑफिशियल इकोनॉमी में वे छोटे बिजनेस शामिल होते हैं जो बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चलते हैं। मोहल्ले की दुकानें, कारीगर, फेरी वाले, छोटे-मोटे कारखाने आदि सभी इस अनऑफिशियल इकोनॉमी का हिस्सा हैं। यह सेक्टर रोजगार पैदा करने और कम पढ़े-लिखे लोगों को काम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आमतौर पर पारिवारिक आधार पर चलाया जाता है और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर या अनौपचारिक अर्थव्यवस्था भी कहलाता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अनऑफिशियल इकोनॉमी भारत के आधे से ज्यादा सामान बनाने और सेवाएं प्रदान करने का काम करती है। साथ ही, देश में रोजगार देने वालों में से भी तीन-चौथाई से ज्यादा इसी सेक्टर से जुड़े हैं।
सर्वे और उसके नतीजे
Small-business-in-india: नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की ओर से हाल ही में कराए गए सर्वे (2021-22 और 2022-23) के अनुसार, अनऑफिशियल इकोनॉमी का हाल काफी बुरा हुआ है। पिछले सात सालों में कई छोटे बिजनेस बंद हो गए और करीब 16.45 लाख नौकरियां भी चली गईं।
हालांकि, कुछ सेक्टर में धंधे बढ़े हैं, खासकर गांवों में। सर्वे के अनुसार, अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक और अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक के समय के बीच छोटे कारखानों (मैन्युफैक्चरिंग), दुकानों (ट्रेड), और दूसरी सेवाओं से जुड़े बिजनेस की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पहले जहां करीब 5.97 करोड़ ऐसे बिजनेस थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 6.50 करोड़ हो गई है। गांव में यह बढ़ोतरी और भी ज्यादा रही है। कुल मिलाकर करीब 3.56 करोड़ बिजनेस तो सिर्फ गांव में ही चल रहे हैं जबकि शहरों में यह संख्या करीब 2.94 करोड़ है।
व्यवसायों की श्रेणियाँ
Small-business-in-india: इन 6.50 करोड़ बिजनेस में से ज्यादातर ऐसे हैं जहां मालिक खुद ही काम करता है। ऐसे बिजनेस को ‘ओन अकाउंट एस्टेब्लिशमेंट’ (OAE) कहते हैं। इनकी संख्या करीब 5.53 करोड़ है। वहीं बाकी करीब 97 लाख बिजनेस ऐसे हैं जहां मालिक नौकर रखता है। इन्हें ‘हाइर्ड वर्कर एस्टेब्लिशमेंट’ (HWE) कहा जाता है।
छोटे बिजनेस में कौन सा काम सबसे ज्यादा?
Small-business-in-india: भारत की अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर यानी अनऑफिशियल इकोनॉमी में छोटे-मोटे बिजनेस का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिना रजिस्ट्रेशन वाले कुल कारोबारों में से 27.41% मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े हैं। इनमें छोटे कारखाने, हस्तशिल्प और घरेलू उद्योग शामिल हैं। इन कारखानों में वस्त्र, खिलौने, जूते और अन्य घरेलू सामान का उत्पादन होता है।
दूसरी ओर, 34.71% कारोबार दुकानदारी या ट्रेड से जुड़े हैं। इनमें किराने की दुकानें, रिटेल स्टोर्स, फेरी वाले और अन्य छोटे व्यापारी शामिल हैं। यह सेक्टर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में।
सर्विस सेक्टर का योगदान
Small-business-in-india: बाकी बचे 37.88% कारोबार सर्विस सेक्टर से जुड़े हैं। इसमें व्यक्तिगत सेवाएं, जैसे ब्यूटी पार्लर, सैलून, टेलरिंग, और छोटे-छोटे कारीगर शामिल हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाले अन्य छोटे व्यवसाय भी शामिल हैं।
गांव और शहरों में कारोबार
Small-business-in-india: गांव और शहर दोनों जगह सबसे ज्यादा कारोबारी ट्रेड और कपड़े बनाने के काम से जुड़े पाए गए हैं। शहरों में सबसे ज्यादा रिटेल दुकानदारी और व्यक्तिगत सेवाओं का कारोबार चलन में है। ग्रामीण इलाकों में लोग कपड़े बनाने, खेती से जुड़े उपकरण और वस्त्र निर्माण जैसे व्यवसायों में ज्यादा जुड़े होते हैं। शहरों में रिटेल दुकानें और व्यक्तिगत सेवाएं जैसे सैलून और ब्यूटी पार्लर प्रमुखता से चलाए जाते हैं।
कारोबार की स्थिरता और काम के घंटे
Small-business-in-india: देशभर में करीब 94% छोटे बिजनेस सालभर में कम से कम 9 महीने तो चले ही हैं। गांव में यह आंकड़ा 93.9% है और शहरों में 94.8% है। इससे पता चलता है कि छोटे व्यवसाय काफी हद तक स्थिर हैं और लोगों को निरंतर रोजगार प्रदान करते हैं।
एक दिन में काम के घंटे की बात करें तो आधे से ज्यादा कारोबार रोजाना 8 से 11 घंटे चलते हैं। करीब 54.4% कारोबार ऐसे हैं जो हफ्ते में 6-7 दिन, रोजाना 8 से 11 घंटे चलते हैं। यह दर्शाता है कि छोटे व्यवसाय के मालिक और कर्मचारी काफी मेहनत करते हैं और अपने काम को नियमित रूप से अंजाम देते हैं।
छोटे कारोबारियों में कौन सा राज्य आगे?
Small-business-in-india: सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022-23 में उत्तर प्रदेश (13.82%), पश्चिम बंगाल (12.03%) और महाराष्ट्र (9.37%) में सबसे ज्यादा अनऑफिशियल कारोबार पाए गए. ये आंकड़े ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के लिए हैं. हालांकि कुछ राज्यों में कारोबार कम भी हुए, कोरोना महामारी के बाद 2022-23 में गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में छोटे कारोबारों की संख्या कम हो गई है. वहीं, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कारोबार बढ़े. सबसे ज्यादा नौकरी देने वाले छोटे कारखाने महाराष्ट्र (13.29%) में पाए गए.
खास बात ये है कि तेलंगाना (43.32%), पश्चिम बंगाल (32.74%) और कर्नाटक (31.42%) जैसे कुछ राज्यों में 30 फीसदी से ज्यादा छोटे बिजनेस महिलाएं चला रही हैं. आंध्र प्रदेश के गांव में 22.8% गैर-कृषि कारोबार ऐसे हैं जिनकी कोई पक्की दुकान नहीं है. वहीं, तेलंगाना में तो 70.9% कारोबार सीधे घर से ही चलाए जाते हैं, यानी गांव में घर से चलने वाले कारोबार सबसे ज्यादा इसी राज्य में हैं.
छोटे बिजनेस चलाने वाले आखिर कौन से समुदाय के लोग?
Small-business-in-india: सरकारी रिपोर्ट बताती है कि पूरे देश में छोटे बिजनेस चलाने वाले 51.9 फीसदी लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आते हैं. इसके बाद अन्य वर्ग (30%), अनुसूचित जाति (13.2%) और अनुसूचित जनजाति (4.4%) समुदाय से आते हैं.
करीब 41% बिजनेस तो सीधे घर से ही चलाए जाते हैं. कोई महिला घर पर ही सिलाई का काम करती है तो कोई घर से ही पूजा का सामान बेचता है. करीब 44% बिजनेस घर से बाहर किसी जगह पर चलते हैं. जहां नौकर रखने वाले बिजनेस (HWEs) की बात है तो उनमें से 83.7% किसी पक्की जगह पर चलते हैं. वहीं खुद काम करने वाले बिजनेस में से ज्यादातर (46%) घर से ही चलाए जाते हैं.