SEBI Proposal on Derivatives: लोग जल्दी मुनाफा कमाने के लिए फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेगमेंट में कूदते हैं, जो हमेशा से जोखिम भरा माना गया है…
Today Breaking News, बाजार नियामक सेबी फ्यूचर एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) सेगमेंट में बढ़ती भागीदारी को लेकर चिंतित है। सेबी का मानना है कि डेरिवेटिव सेगमेंट में निवेशकों की बढ़ती संख्या उनके लिए अधिक जोखिम पैदा कर रही है। फ्यूचर एंड ऑप्शंस मार्केट में उच्च जोखिम के कारण निवेशक बड़ी मात्रा में पूंजी गंवा सकते हैं, जो उनकी वित्तीय स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकता है।
SEBI Proposal on Derivatives: इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए, सेबी ने जोखिम को कम करने के उद्देश्य से सख्त नियमों का प्रस्ताव पेश किया है। नए नियमों के तहत, निवेशकों को अपने निवेश को समझदारी से और सतर्कता के साथ करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके अलावा, निवेशकों को बेहतर शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करने पर भी जोर दिया जाएगा ताकि वे अपने निवेश के संभावित जोखिमों को समझ सकें और तदनुसार निर्णय ले सकें।
सेबी के इस कदम का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को अनियंत्रित जोखिमों से बचाना और बाजार की स्थिरता को बनाए रखना है। नियामक का मानना है कि यह प्रस्ताव न केवल निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ावा देगा बल्कि वित्तीय बाजार में विश्वास और पारदर्शिता को भी बढ़ाएगा।
इस कारण जरूरी हुए कड़े नियम
SEBI Proposal on Derivatives: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इंडिविजुअल स्टॉक डेरिवेटिव में ट्रेडिंग को अधिक नियंत्रित और कठिन बनाने के लिए नए प्रस्ताव पेश किए हैं। सेबी का मानना है कि हाल के समय में ऑप्शंस ट्रेडिंग में जिस तेजी से वृद्धि हुई है, उससे जुड़े जोखिम भी काफी बढ़ गए हैं।
नए प्रस्तावित नियमों का उद्देश्य इन जोखिमों को कम करना है, ताकि निवेशकों को अनावश्यक वित्तीय हानि से बचाया जा सके। सेबी ने देखा है कि ऑप्शंस ट्रेडिंग में वृद्धि के कारण कई निवेशक बिना पर्याप्त जानकारी या समझ के इस जटिल सेगमेंट में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो सकता है।
इन नए नियमों के तहत, ट्रेडिंग के मानकों को सख्त किया जाएगा, जिससे निवेशक अपने निवेश को समझदारी से और सावधानीपूर्वक कर सकें। इसके अतिरिक्त, सेबी निवेशकों को बेहतर शिक्षा और जानकारी प्रदान करने पर भी जोर देगा, ताकि वे अपने निवेश के निर्णय को अधिक सूचित और समझदारी के साथ ले सकें।सेबी के इन कदमों का मुख्य उद्देश्य न केवल निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ावा देना है, बल्कि वित्तीय बाजार की स्थिरता और पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करना है। यह उम्मीद की जा रही है कि इन कड़े नियमों से बाजार में संतुलन और विश्वास बहाल होगा।
SEBI Proposal on Derivatives: नियामक डेरिवेटिव मार्केट में बढ़ रही गतिविधियों के मद्देनजर उभर रहे जोखिम को नियंत्रित करने और बाजार की स्थिरता की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया जा सकता है। इससे पहले भी खबरें आई थीं कि इस बाजार में निवेशकों की बढ़ती गतिविधियों का नियंत्रण करने के लिए सेबी कई नए नियम लागू कर रहा है।इस समिति का मुख्य उद्देश्य होगा कि बाजार में स्थिरता बनाए रखी जाए और निवेशकों को अनावश्यक जोखिमों से बचाया जाए। समिति विशेषज्ञों और स्थानीय वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों से मिलकर बाजार की स्थिरता के निरीक्षण और सुनिश्चित करने का काम करेगी।
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इस प्रस्तावित समिति के माध्यम से, नियामक निवेशकों के साथ सहयोग करके बाजार की सुरक्षा और स्थिरता में सुधार करने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। यह समिति निवेशकों के हित में नए नियमों और दिशानिर्देशों का निर्माण भी कर सकती है, जो वित्तीय बाजार के लिए सुधारक बन सकते हैं।
वेबसाइट पर डिस्कशन पेपर
SEBI Proposal on Derivatives: सेबी ने इस विषय पर अपनी वेबसाइट पर एक डिस्कशन पेपर प्रकाशित किया है। इस पेपर में सेबी ने प्रस्ताव रखा है कि इंडिविजुअल स्टॉक के डेरिवेटिव सौदों के साथ पर्याप्त तरलता होनी चाहिए और बाजार के भागीदारों की ओर से ट्रेडिंग इंटरेस्ट होनी चाहिए। वर्तमान में यह तरह की व्यवस्था सिर्फ इंडेक्स के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के लिए ही है, जो कि सेबी के प्रस्ताव के अनुसार बदलनी चाहिए।
Latest News, पेपर में यह भी बताया गया है कि इसके माध्यम से बाजार में अधिक निष्कर्षीयता आएगी और निवेशकों को अधिक चयन की सुविधा मिलेगी। सेबी का कहना है कि यह बदलाव वित्तीय बाजार के लिए सुधारक होगा और निवेशकों को बेहतर निष्कर्षीयता और ट्रांसपेरेंसी की सुविधा प्रदान करेगा।इस प्रस्ताव के माध्यम से सेबी निवेशकों को वित्तीय बाजार में अधिक सुरक्षा और स्थिरता के साथ निवेश करने के लिए आग्रह कर रहा है।
ऐसे में बढ़ जाता है जोखिम
SEBI Proposal on Derivatives: नियामक का मानना है कि अगर डेरिवेटिव सौदों के अंडरलाइंग कैश मार्केट में पर्याप्त गहराई नहीं होती है और लेवरेज किए गए डेरिवेटिव के साथ पोजिशन की उचित लिमिट नहीं होती है, तो ऐसे में बाजार में भाव को मैनिपुलेट करने, वोलटिलिटी के ज्यादा होने और निवेशकों की सुरक्षा के साथ समझौता हो जाने की आशंका अधिक रहती है। इसके अलावा, यदि डेरिवेटिव सौदों के लिए गहराई और लिमिट में बदलाव न हो, तो वित्तीय बाजार में विश्वास कम हो सकता है और निवेशकों का विश्वास टूट सकता है। इसलिए, सेबी को यह चिंता है कि इस तरह की विवादित प्रथाओं से बाजार की स्थिरता को खतरा हो सकता है और निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
कई गुना बढ़े डेरिवेटिव में सौदे
SEBI Proposal on Derivatives: बाजार के आंकड़े बताते हैं कि बीते कुछ सालों के दौरान भारत में डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग कई गुना बढ़ी है। एनएसई के अनुसार, 2023-24 के दौरान ट्रेड किए गए इंडेक्स ऑप्शंस की नॉशनल वैल्यू साल भर पहले की तुलना में डबल से ज्यादा हो गई। बीते पांच सालों में देश में ऑप्शंस ट्रेडिंग में कई गुने की तेजी आई है। इसके पीछे मुख्य रूप से खुदरा निवेशक जिम्मेदार हैं। उनकी तेजी से बढ़ती रुचि और प्राथमिकता डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग में बढ़ती संपत्ति के लिए जिम्मेदार है। इसके साथ ही, उन्हें निवेश के तरीके और जोखिमों को समझने की जरूरत है ताकि वे सुरक्षित और सत्यापित निवेश कर सकें। इसी तरह, वित्तीय शोध और संशोधन बढ़ावा देने के लिए निवेशकों को सक्षम बनाने के लिए अधिक उपयुक्त उपाय भी लिए जाने चाहिए।
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