RSS BJP Relations: पुराने रिश्तों के बावजूद RSS और BJP के बीच विचारधारा में टकराव की झलक |
RSS BJP Relations: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS ) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच संबंधों में कुछ असामान्य स्थिति बनी हुई है। लोकसभा चुनावों के दौरान से ही राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है, और अब RSS ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। संघ ने 2 सितंबर, सोमवार को स्वीकार किया कि उसके और BJP के बीच कुछ मतभेद उभर आए हैं। हालांकि, संघ ने इन मतभेदों को ‘पारिवारिक मामला’ करार देते हुए कहा कि इसे आपसी बातचीत से सुलझा लिया जाएगा।
RSS BJP Relations: RSS का मानना है कि विवाद की जो भी वजहें हैं, उन्हें संवाद के माध्यम से हल किया जा सकता है, और इससे उनके रिश्तों पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा। संघ ने इस बात पर भी जोर दिया कि BJP और RSS का रिश्ता मजबूत है, और किसी भी असहमति को आपसी समझदारी से हल किया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम को संघ ने अपने घरेलू मुद्दे के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे यह साफ होता है कि वे इसे सार्वजनिक रूप से बढ़ावा नहीं देना चाहते।
RSS BJP Relations: केरल में एक कार्यक्रम के दौरान, RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर से जब BJP और संघ के बीच समन्वय की कमी के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने इसका स्पष्ट जवाब दिया। उन्होंने कहा, “RSS के 100 साल पूरे हो रहे हैं, और यह एक लंबी यात्रा रही है। इस लंबी यात्रा में कुछ कार्यात्मक चुनौतियाँ सामने आना स्वाभाविक है।” आंबेकर ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी कार्यात्मक चुनौतियों को हल करने के लिए संघ के पास एक व्यवस्थित तंत्र मौजूद है।
RSS BJP Relations: उन्होंने बताया कि संघ और BJP के बीच नियमित रूप से औपचारिक और अनौपचारिक मुलाकातें होती रहती हैं, जिनमें इन मुद्दों पर चर्चा और समाधान निकाला जाता है। आंबेकर ने यह भी कहा कि अगर कोई संघ और BJP के 100 साल के इतिहास को देखे, तो उसे इन सवालों का स्पष्ट उत्तर मिल जाएगा। उन्होंने संघ और BJP के बीच समन्वय की कमी के सवाल को इस व्यापक संदर्भ में रखकर समझाने की कोशिश की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संघ इन चुनौतियों को अपनी यात्रा का एक सामान्य हिस्सा मानता है और इन्हें हल करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है।
RSS BJP Relations: ‘पारिवारिक मामला है, सुलझा लिया जाएगा’- संघ
RSS BJP Relations: सुनील आंबेकर केरल के पलक्कड़ में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक के अंतिम दिन मीडिया को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। आंबेकर ने इशारा किया कि बैठक में संघ और BJP के बीच समन्वय से जुड़े मामलों पर भी विचार-विमर्श हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा दिए गए बयान के बाद RSS कैडर के उत्साह में आई कमी पर भी बैठक में चर्चा हुई।
RSS BJP Relations: जेपी नड्डा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि BJP अब ‘आत्मनिर्भर’ हो चुकी है और उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है। इस बयान ने संघ के कुछ कार्यकर्ताओं में असमंजस और निराशा पैदा की थी, जिसे बैठक में संबोधित किया गया। आंबेकर ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह के बयान और विचार-विमर्श संगठनात्मक प्रक्रियाओं का हिस्सा होते हैं, और उन्हें सही ढंग से समझा और सुलझाया जाता है। बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि संघ और BJP के बीच समन्वय और आपसी समझ बनी रहे, ताकि दोनों संगठनों के बीच कोई गलतफहमी न हो।
RSS BJP Relations: जेपी नड्डा के बयान को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हुआ था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने स्पष्ट किया, “अन्य मुद्दों को भी सुलझा लिया जाएगा। यह एक पारिवारिक मामला है। तीन दिवसीय बैठक हुई है और सभी ने इसमें हिस्सा लिया है। सब कुछ ठीक चल रहा है।” इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, आंबेकर ने इस दौरान संघ और BJP के बीच मतभेदों पर भी बात की, लेकिन उन्होंने दोनों संगठनों के बीच कथित समन्वय की कमी से पूरी तरह इनकार नहीं किया। यह पहली बार था जब संघ ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि दोनों संगठनों के बीच कुछ समस्याएँ हैं।
हालांकि, आंबेकर ने इस बात पर जोर दिया कि इन मुद्दों को आपसी समझ से हल किया जाएगा और इससे संगठन के कामकाज पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि संघ और BJP के बीच समन्वय के मुद्दे पर आंतरिक रूप से चर्चा चल रही है, और इसे सुलझाने के प्रयास जारी हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि संघ अपने संगठनात्मक ढांचे और रिश्तों में पारदर्शिता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
RSS BJP Relations: क्या BJP को मिल रहे संघ प्रचारक? आंबेकर ने दिया जवाब
RSS के एक नेता ने कहा कि जब लक्ष्यों की बात आती है, तो BJP और RSS दोनों का उद्देश्य एक ही है। उन्होंने कहा, “लंबी यात्राओं के दौरान एक बात हमेशा स्पष्ट रहती है: RSS का मतलब है ‘राष्ट्र सर्वोपरि।’ हर स्वयंसेवक यह मानता है कि राष्ट्र शाश्वत और सनातन है। भविष्य में इसकी उन्नति की अपार संभावनाएं हैं, और इसी कारण हम सभी देश की सेवा के लिए समर्पित हैं। यही RSS की मूल विचारधारा है, और बाकी सभी बातें सिर्फ कार्यात्मक मुद्दों के रूप में सामने आती हैं।”
नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि संगठन का हर सदस्य इस मूलभूत सिद्धांत में विश्वास करता है और इसे अपने आचरण में उतारता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चाहे जो भी कार्यात्मक चुनौतियाँ सामने आएं, वे संगठन की सेवा और समर्पण की भावना को कम नहीं कर सकतीं। RSS की इस राष्ट्रवादी दृष्टिकोण पर आधारित विचारधारा ही उसकी शक्ति का स्रोत है, और इसी विचारधारा को सभी स्वयंसेवक अपने जीवन में अमल में लाने का प्रयास करते हैं। संगठन के भीतर इसी समझ से कामकाज की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाया जाता है।
RSS BJP Relations: जब आंबेकर से पूछा गया कि क्या BJP को संगठन स्तर पर पर्याप्त RSS प्रचारक नहीं मिल रहे हैं, तो उन्होंने स्पष्ट किया, “BJP में पहले से ही कई RSS स्वयंसेवक और प्रचारक सक्रिय हैं। इस स्थिति में यह सवाल कैसे उठ सकता है? किसी प्रचारक को कहां और कैसे नियुक्त करना है, यह पूरी तरह से RSS की नीति के तहत तय किया जाता है। इसके लिए हमारे पास कई मानदंड हैं, और यह एक सुव्यवस्थित प्रणाली है।”
RSS BJP Relations: आंबेकर ने इस बात पर जोर दिया कि संघ की इस व्यवस्था में कोई कमी नहीं है, और यह पूरी प्रक्रिया संघ के अपने सिद्धांतों और जरूरतों के आधार पर संचालित होती है। उन्होंने यह भी कहा कि RSS और BJP के बीच समन्वय और सहयोग का ढांचा बहुत मजबूत है, और प्रचारकों की नियुक्ति से जुड़ी सभी निर्णय संगठन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं।
RSS BJP Relations: उनकी इस प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि संघ अपने प्रचारकों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है, और BJP में उनके योगदान को लेकर कोई समस्या नहीं है। संगठन की प्रणाली को सुव्यवस्थित और प्रभावी बताया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि हर स्तर पर आवश्यकतानुसार प्रचारक उपलब्ध रहें।
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