Ratan Tata funeral: पारसियों की दोखमेनाशिनी परंपरा; रतन टाटा के अंतिम संस्कार का अनूठा पहलू |

Ratan Tata funeral: रतन टाटा का पार्थिव शरीर वरली के पारसी शमशान में दोपहर को लाया जाएगा, जहां प्रार्थना के बाद इलेक्ट्रिक अग्निदाह से अंतिम संस्कार किया जाएगा |

Ratan Tata funeral: पारसियों की दोखमेनाशिनी परंपरा; रतन टाटा के अंतिम संस्कार का अनूठा पहलू |
Ratan Tata funeral: पारसियों की दोखमेनाशिनी परंपरा; रतन टाटा के अंतिम संस्कार का अनूठा पहलू |

Ratan Tata funeral: टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा का निधन बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। वह 86 वर्ष के थे और कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर ने देशभर में शोक की लहर दौड़ा दी है। रतन टाटा ने भारतीय उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अनेक सामाजिक पहल की। उनका पार्थिव शरीर आज दोपहर 3:30 बजे अंतिम संस्कार के लिए रवाना होगा, जहां पारसी परंपरा के अनुसार उनकी विदाई की जाएगी। उनके योगदान और विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा।

Ratan Tata funeral: सूत्रों के अनुसार, रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसी रीति-रिवाज से वर्ली के श्मशान में किया जाएगा, लेकिन इसमें दोखमेनाशिनी परंपरा का पालन नहीं किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को वरली के पारसी शमशान भूमि में लाया जाएगा, जहां सबसे पहले प्रेयर हॉल में रखा जाएगा। प्रेयर हॉल में लगभग 200 लोग शामिल हो सकेंगे, और यह प्रार्थना 45 मिनट तक चलेगी। इस दौरान पारसी रीति से ‘गेह-सारनू’ का पाठ किया जाएगा। इसके बाद, रतन टाटा के पार्थिव शरीर के मुंह पर कपड़े का एक टुकड़ा रखकर ‘अहनावेति’ का पहला अध्याय पढ़ा जाएगा, जो शांति प्रार्थना की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

Ratan Tata funeral: यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद, पार्थिव शरीर को इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखा जाएगा और अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया की जाएगी। रतन टाटा का पारसी समुदाय से गहरा नाता था, और इस समुदाय में अंतिम संस्कार का तरीका अन्य समुदायों से काफी भिन्न है। पारसी रीति-रिवाजों में पार्थिव शरीर को श्मशान में लाने के बाद, उसे विशेष धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से विदाई दी जाती है, जो उनकी संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा हैं।

Ratan Tata funeral: रतन टाटा का योगदान भारतीय उद्योग में अविस्मरणीय रहेगा, और उनकी विदाई में शामिल होने वाले लोग उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी, और उनके कार्यों को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत माना जाएगा।

Ratan Tata funeral: दोखमेनाशिनी परंपरा के तहत होता है पारसियों में अंतिम संस्कार

पारसी समुदाय की प्राचीन परंपरा के अनुसार, शवों का अंतिम संस्कार “दोख्मा” नामक स्थान पर किया जाता है, जहां शव को चीलों के लिए छोड़ दिया जाता है। यह परंपरा पारसी धर्म में शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है। दोख्मा में शव को छोड़कर प्राकृतिक विधि से नष्ट करने का विश्वास है कि यह मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति प्रदान करता है। हालाँकि, समय के साथ कई पारसी समुदाय के लोग इस परंपरा को छोड़ते जा रहे हैं और इलेक्ट्रिक अग्निदाह जैसी आधुनिक विधियों को अपनाने लगे हैं, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान को प्रभावित कर रही है।

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Ratan Tata funeral: करीब तीन हजार साल पुरानी है परंपरा

पारसी समुदाय की अंतिम संस्कार परंपरा लगभग 3,000 वर्ष पुरानी है। इस परंपरा के तहत, शव को “दखमा” या “टावर ऑफ साइलेंस” पर रखा जाता है, जहां उसे शुद्ध करने के बाद मांसाहारी पक्षियों, खासकर चीलों, द्वारा खाया जाता है। दखमा या टावर ऑफ साइलेंस को पारसियों का कब्रिस्तान माना जाता है, जो एक गोलाकार खोखली संरचना होती है। यह स्थान पारसी धर्म में मृतकों के लिए पवित्र होता है, और यहां शवों को प्राकृतिक रूप से नष्ट करने का उद्देश्य आत्मा की शांति सुनिश्चित करना है। इस अनूठी परंपरा को पारसी संस्कृति की पहचान माना जाता है।

Ratan Tata funeral: अंतिम दर्शन के लिए एनपीसीए लॉन में रखा गया पार्थिव शरीर

रतन एन टाटा का पार्थिव शरीर गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:30 बजे एनसीपीए लॉन, नरीमन पॉइंट, मुंबई में ले जाया जाएगा, ताकि आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। टाटा ग्रुप ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे गेट 3 से एनसीपीए लॉन में प्रवेश करें और गेट 2 से बाहर निकलें। इस दौरान परिसर में पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। रतन टाटा के योगदान और उनकी विरासत को याद करते हुए, लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए एकत्रित होंगे।

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