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Rape-Murder Case: ‘निर्भया’ से ‘अभया’ तक…12 साल बाद भी क्यों नहीं रुक रही महिलाओं के खिलाफ हिंसा?

Rape-Murder Case: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर घटना से देशभर में उबाल, महिला सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल |

Rape-Murder Case: ‘निर्भया’ से ‘अभया’ तक…12 साल बाद भी क्यों नहीं रुक रही महिलाओं के खिलाफ हिंसा?

Rape-Murder Case: 12 साल पहले दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस वीभत्स घटना के बाद देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले। सरकारें बदलीं, कानूनों में सुधार हुआ, और टेक्नोलॉजी ने भी काफी तरक्की की। देश ने हर क्षेत्र में प्रगति की, जिसमें महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी। वक्त बदला, स्थान बदले, लेकिन एक चीज़ जो नहीं बदली, वह है महिलाओं के प्रति समाज की संकीर्ण मानसिकता और बेटियों के साथ होने वाली बर्बरता।

Rape-Murder Case: निर्भया कांड के बाद लोगों ने महिला सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाई, लेकिन समाज की सोच में बदलाव अभी भी अधूरा है। आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो समाज के इस घिनौने पहलू को उजागर करती हैं। 12 साल बाद भी, हमारी बेटियों को सुरक्षित वातावरण देने की दिशा में समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी पूरी नहीं हो पाई है। यह विडंबना है कि इतने प्रयासों के बावजूद, महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

Rape-Murder Case: एक बार फिर पूरा देश सदमे और आक्रोश में है, सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार दिल्ली की जगह कोलकाता है और निर्भया की जगह एक और बहादुर बेटी अभया है। निर्भया के दोषियों को आठ साल बाद फांसी दी गई थी, और उम्मीद की जा रही थी कि इससे देश में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि हर दिन कहीं न कहीं ऐसी घटनाएं घट रही हैं।

Rape-Murder Case: फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ घटनाएं इतनी भयानक होती हैं कि वे पूरे देश को झकझोर देती हैं। वर्षों से सोया हुआ समाज एक बार फिर जागता है, लोगों में आक्रोश बढ़ता है, मीडिया में चर्चा तेज होती है, और कुछ समय तक मामला गरम रहता है। लेकिन धीरे-धीरे ये घटनाएं लोगों की यादों से धुंधली हो जाती हैं, और समाज फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आता है।

हर बार हम उम्मीद करते हैं कि अब कुछ बदलेगा, लेकिन फिर वही पुरानी कहानी दोहराई जाती है। यही विडंबना है कि हमारी संवेदनाएं केवल कुछ समय के लिए जागृत होती हैं, और फिर से हम उस उदासीनता में लौट जाते हैं जिससे हम निकलना ही नहीं चाहते।

बदली हुई सोच से आएगा बदलाव

Rape-Murder Case: कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना ने एक बार फिर से समाज को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद सवाल उठता है कि निर्भया कांड के बाद रेप के लिए कड़े कानून बनाए जाने के बावजूद अपराधियों के मन में ऐसे जघन्य अपराध करने से पहले डर क्यों नहीं उत्पन्न होता? आखिर ऐसी हैवानियत क्यों नहीं थमती?

Rape-Murder Case: काउंसिल इंडिया की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ निशि का मानना है कि कानून में बदलाव अपनी जगह महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी अधिक आवश्यक है समाज की सोच में बदलाव। हमारे समाज में आज भी महिलाओं को हेय दृष्टि से देखा जाता है, जो इस तरह के अपराधों को बढ़ावा देता है।

Rape-Murder Case: ‘निर्भया’ से ‘अभया’ तक…12 साल बाद भी क्यों नहीं रुक रही महिलाओं के खिलाफ हिंसा?

निशि के अनुसार, जब तक समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और बराबरी का भाव नहीं आता, तब तक सिर्फ कानून से बदलाव की उम्मीद करना बेमानी है। हमें समाज की मानसिकता में जड़ से परिवर्तन लाने की जरूरत है, जहां महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा का हक मिले, ताकि ऐसे अपराध करने का दुस्साहस कोई न कर सके।

कुछ और कहानी कह रहे हैं आंकड़े

Rape-Murder Case: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 में महिलाओं के खिलाफ 2,44,270 अपराध दर्ज किए गए थे, जिनमें 24,923 रेप के मामले शामिल थे। यह आंकड़े उस समय समाज को झकझोरने वाले थे। हालांकि, घटना के एक दशक बाद भी ऐसी घटनाओं में कमी आने की बजाय, ये अपराध तेजी से बढ़े हैं।

Rape-Murder Case: एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2022 में महिलाओं के खिलाफ 4,45,256 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें 31,516 रेप की घटनाएं शामिल हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि 10 वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है, जो कि एक चिंताजनक स्थिति है।

Rape-Murder Case: इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि महिला सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं, और समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा पर काबू पाने में हम अभी भी असफल रहे हैं। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी इंगित करती है कि समाज की सोच में बदलाव लाने की जरूरत है ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें और उन्हें हर क्षेत्र में समान अधिकार मिल सकें।

लड़कियों को देखना होगा सम्मान की नजर से

Rape-Murder Case: मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ निशि का मानना है कि निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा मिलने के बावजूद, ऐसे कई अन्य मामले भी सामने आए जहां अपराधियों को उचित सजा नहीं मिली या उनकी सजा उस तरह कठोर नहीं थी। उनका कहना है कि केवल कानून को सख्त करना पर्याप्त नहीं है। समाज की सोच को बदलना ज्यादा प्रभावी होगा, खासकर तब जब लड़कों के मन में बचपन से ही लड़कियों के प्रति सम्मान पैदा किया जाए।

Rape-Murder Case: निशि ने जोर दिया कि इस बदलाव की शुरुआत परिवार और समाज से होनी चाहिए। अगर परिवार में बच्चों को सही मूल्य और नैतिकता सिखाई जाए, तो यह उनके जीवनभर के व्यवहार में झलकेगा। लड़कों को यह समझाना जरूरी है कि लड़कियां केवल सम्मान की पात्र हैं, और उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। इस दृष्टिकोण को समाज के सभी स्तरों पर अपनाना चाहिए ताकि महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा और अपराधों में कमी लाई जा सके।

कानून का महत्व अपनी जगह है, लेकिन निशि का मानना है कि सामाजिक और मानसिक स्तर पर बदलाव लाना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है जिससे हम महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण तैयार कर सकते हैं।

Rape-Murder Case: उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति के मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वह किस वातावरण में रह रहा है और उसका मित्र समूह कैसा है, ये बातें उसके व्यक्तित्व को आकार देती हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर बचपन में कोई लड़का अपनी बहन या महिला मित्र पर हाथ उठाता है, तो उस समय उसे रोकना और समझाना बेहद जरूरी है कि लड़कियों पर हाथ नहीं उठाया जा सकता। यह छोटा कदम लड़के के मन में एक सम्मान और डर पैदा कर सकता है, जो बाद में उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाता है।

Rape-Murder Case: अगर बचपन से ही लड़के को इस तरह की गलतियों पर नहीं रोका गया, तो उसके मन से धीरे-धीरे डर खत्म हो जाता है, और वह आगे चलकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार कर सकता है। उनका मानना है कि मेल-डोमिनेंट सोसायटी में बच्चे घर में ही देखते हैं कि परिवार के अन्य सदस्य मां या बहन के साथ सही तरीके से व्यवहार नहीं कर रहे। यह दृष्टिकोण भी बच्चे के मन पर गहरा असर डालता है।

इसलिए, परिवार और समाज का कर्तव्य है कि बच्चों को बचपन से ही महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता का महत्व सिखाया जाए, ताकि वे बड़े होकर महिलाओं के साथ सही और सम्मानजनक व्यवहार कर सकें।

फिल्मों का ही पड़ता है असर

Rape-Murder Case: उन्होंने आगे कहा कि फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हाल ही में रिलीज़ हुई ‘कबीर सिंह’ और ‘एनीमल’ जैसी फिल्मों में महिलाओं के प्रति सम्मान की कमी दिखाई गई, यहां तक कि उन पर हिंसा भी की गई। ये फिल्में मानसिक विकास की दिशा को प्रभावित करती हैं, और इस संदर्भ में बॉलीवुड की भी बड़ी भूमिका होती है।

Rape-Murder Case: ‘निर्भया’ से ‘अभया’ तक…12 साल बाद भी क्यों नहीं रुक रही महिलाओं के खिलाफ हिंसा?

Rape-Murder Case: निशि ने कहा कि परिवार के अलावा, किशोरावस्था में दोस्तों का प्रभाव सबसे अधिक होता है। अगर हम ध्यान दें, तो बच्चा पांचवीं या छठी कक्षा तक हर चीज अपने माता-पिता से पूछ कर करता है। लेकिन उसके बाद, वह अपने दोस्तों और समूह का हिस्सा बन जाता है। इस समय पर अभिभावकों को उससे सख्त अंदाज में बात करने के बजाय, दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए और उसे समझाना चाहिए।

Rape-Murder Case: माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे से प्यार से बात करें, उसकी भावनाओं और विचारों को समझने की कोशिश करें। अगर इस उम्र में बच्चों को सही दिशा दिखाने में मदद की जाए, तो वे गलत संगत या विचारधारा से बच सकते हैं और समाज में महिलाओं के प्रति सही दृष्टिकोण अपना सकते हैं। ऐसे समय में उनकी मानसिकता को सही दिशा में मोड़ना बेहद आवश्यक है।

सेक्स एजुकेशन की वकालत की

Rape-Murder Case: निशि ने स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की अनिवार्यता पर जोर दिया, ताकि लड़के शारीरिक अंतर के बावजूद लड़कियों को बराबरी का सम्मान दे सकें। उनका मानना है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को शामिल करना जरूरी है और इस विषय पर जो सामाजिक वर्जनाएं हैं, उन्हें दूर करना चाहिए।

Rape-Murder Case: उन्होंने कहा कि बच्चों को यह समझाना चाहिए कि लड़का और लड़की के बीच केवल शारीरिक बनावट का अंतर है, और महिला भी इसी समाज का हिस्सा है, किसी दूसरी दुनिया से नहीं आई है। इस शिक्षा से बच्चों के मन में महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता की भावना विकसित हो सकती है।

Rape-Murder Case: सेक्स एजुकेशन न केवल शारीरिक तथ्यों को समझने में मदद करता है, बल्कि यह सामाजिक और भावनात्मक जागरूकता भी बढ़ाता है। जब बच्चे यह सीखेंगे कि शारीरिक अंतर का सम्मान करना जरूरी है, और किसी भी व्यक्ति को उसकी शारीरिक बनावट के आधार पर आंका नहीं जाना चाहिए, तो समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में सुधार होगा। निशि का मानना है कि इस शिक्षा को प्रारंभिक स्तर पर ही देना चाहिए, ताकि बच्चे सही समय पर सही मूल्य सीख सकें और बड़े होकर एक समावेशी और सम्मानजनक समाज का निर्माण कर सकें।

Rape-Murder Case: निशि ने कोलकाता में अभया के साथ हुई घटना के अपराधियों को जल्द और कड़ी सजा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अपराधों की त्वरित और कठोर सजा से अपराधियों को सही संदेश मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।

Rape-Murder Case: मीडिया की भूमिका पर चर्चा करते हुए निशि ने कहा कि इन घटनाओं को प्रमुखता से उठाना महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि जब ऐसी घटनाएं मीडिया में बड़े पैमाने पर कवरेज प्राप्त करती हैं, तो इसका एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक असर होता है। यदि कोई अपराध छुपा कर किया जा रहा है और वह मीडिया में सामने आता है, तो यह अपराधियों के मन में डर पैदा करता है। यह डर उन्हें अपराध करने से रोक सकता है, क्योंकि उनका मस्तिष्क ऐसे कार्यों के बारे में सोचने लगता है कि ये सार्वजनिक हो सकते हैं और सजा का सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए, मीडिया की भूमिका न केवल सूचना देने की होती है, बल्कि यह अपराधियों के मनोविज्ञान को प्रभावित करने और समाज में सुरक्षा की भावना बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण होती है। निशि का मानना है कि मीडिया का यह प्रभाव अपराधों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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