Ram Mandir New Dress Code: राम मंदिर ट्रस्ट ने नया ड्रेस कोड जारी किया , पुजारियों के लिए पीले रंग की धोती, चौबंदी और पगड़ी अनिवार्य |
Ram Mandir New Dress Code: अयोध्या के राम मंदिर में हाल ही में की गई नई सूचना के अनुसार, पुजारियों के लिए एक नया ड्रेस कोड लागू किया गया है। अब पुजारी भगवा रंग की बजाय पारंपरिक पीले रंग के कपड़ों में नजर आएंगे। इसके अतिरिक्त, उन्हें अब मंदिर के अंदर फोन लेकर नहीं जाने दिया जाएगा।
अयोध्या के राम मंदिर के नियमों में एक बार फिर से महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब मंदिर के पुजारी पारंपरिक पीले रंग के कपड़ों में दिखाई देंगे, जो पहले के भगवा रंग के कपड़ों की जगह लेंगे। इसके अलावा, अब पुजारी मंदिर के अंदर अपने फोन नहीं ले जा पाएंगे।
Ram Mandir New Dress Code: समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर ट्रस्ट ने पुजारियों के लिए एक नया ड्रेस कोड जारी किया है। इस नए ड्रेस कोड के अनुसार, पुजारी अब पीले रंग की धोती, चौबंदी (एक विशेष प्रकार का कुर्ता) और पगड़ी पहनेंगे। इससे पहले, राम लला के गर्भगृह में सेवा करने वाले पुजारी भगवा पगड़ी, भगवा कुर्ता और धोती धारण करते थे।
Ram Mandir New Dress Code: रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए बताया गया है कि पुजारियों के फोन ले जाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सुरक्षा कारणों से लिया गया है। हाल ही में मंदिर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह कदम उठाया गया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मंदिर की पवित्रता और गोपनीयता बनी रहे, यह प्रतिबंध आवश्यक समझा गया।
Ram Mandir New Dress Code: मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, नए ड्रेस कोड और फोन प्रतिबंध के निर्देशों का पालन करना सभी पुजारियों के लिए अनिवार्य होगा। नए नियमों का उद्देश्य न केवल मंदिर की गरिमा को बनाए रखना है, बल्कि पुजारियों की वेशभूषा में एकरूपता और अनुशासन भी सुनिश्चित करना है।
Ram Mandir New Dress Code: इस बदलाव का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि नए कपड़े विशेष रूप से पीले रंग के चुने गए हैं, जो हिंदू धर्म में शुभ और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार, पुजारियों का नया परिधान धार्मिक अनुष्ठानों की पवित्रता को और बढ़ाएगा। ट्रस्ट ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पुजारियों को इन नए निर्देशों का पालन करने के लिए उचित प्रशिक्षण दिया जाएगा। पगड़ी बांधने और धोती पहनने की सही विधि सिखाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
Ram Mandir New Dress Code: यह पहल न केवल मंदिर की सुरक्षा को बढ़ावा देगी बल्कि धार्मिक परंपराओं का सम्मान करते हुए एक संगठित और सुसज्जित वातावरण भी प्रदान करेगी। नए नियमों के साथ, राम मंदिर प्रशासन उम्मीद करता है कि श्रद्धालुओं को एक अनुशासित और पवित्र वातावरण में पूजा करने का अवसर मिलेगा, जो उनकी आस्था को और मजबूत करेगा।
1 जुलाई से लागू हुआ नया ड्रेस कोड
Ram Mandir New Dress Code: मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, नया ड्रेस कोड एक जुलाई से लागू हो गया है। इस नए ड्रेस कोड के तहत, पगड़ी पीले रंग के सूती कपड़े से बनाई गई है, जिसे सिर पर बांधा जाएगा। नए पुजारियों को पगड़ी बांधने की विधि की प्रशिक्षण भी दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि चौबंदी कुर्ते में कोई बटन नहीं होगा और इसे बांधने के लिए एक धागा पिरोया गया है। इसके अलावा, पीले रंग की धोती, जो सूती कपड़े का एक टुकड़ा है, को कमर के चारों ओर बांधा जाएगा और यह पूरे पैरों को टखनों तक ढकेगी।
Ram Mandir New Dress Code: इस नए ड्रेस कोड का उद्देश्य पुजारियों की वेशभूषा में एकरूपता लाना है और धार्मिक स्थल की परंपराओं का सम्मान करना है। मंदिर प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि नए पुजारियों को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे इस ड्रेस कोड का सही तरीके से पालन कर सकें। इस बदलाव से मंदिर की पवित्रता और सुंदरता में भी वृद्धि होगी।
हर सहायक पुजारी को मिलेंगे 5 ट्रेनी पुजारी
Ram Mandir New Dress Code: मंदिर में मुख्य पुजारी की सहायता के लिए चार सहायक पुजारी नियुक्त किए गए हैं। ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक सहायक पुजारी के अधीन पांच प्रशिक्षु पुजारी होंगे। यह प्रशिक्षु पुजारी नियमित रूप से अपने वरिष्ठों के मार्गदर्शन में कार्य करेंगे। पुजारीगण सुबह 3:30 बजे से रात 11:00 बजे तक अपनी सेवाएं देंगे। ट्रस्ट के अनुसार, प्रत्येक पुजारियों की टीम को दिन में कुल पांच घंटे सेवा देनी होगी, जिसमें पूजा, आरती, और अन्य धार्मिक कार्य शामिल हैं।
Ram Mandir New Dress Code: यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि मंदिर में पूजा-पाठ की निरंतरता बनी रहे और सभी धार्मिक अनुष्ठान सही समय पर संपन्न हों। ट्रस्ट का यह कदम मंदिर की सेवा को अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है। प्रशिक्षु पुजारियों को न केवल धार्मिक अनुष्ठानों की विधि सिखाई जाएगी बल्कि उन्हें मंदिर की परंपराओं और रीति-रिवाजों का भी ज्ञान दिया जाएगा। इस पहल से न केवल पुजारियों का कार्यभार कम होगा, बल्कि भविष्य के लिए कुशल पुजारियों की एक नई पीढ़ी भी तैयार होगी।
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