Population: मोदी सरकार जल्द शुरू कर सकती है जनगणना, 18 महीने में नए सर्वे को पूरा करने की योजना!

Population: मोदी सरकार जल्द शुरू कर सकती है जनगणना, 18 महीने में नए सर्वे को पूरा करने की योजना!

Population: मोदी सरकार जल्द शुरू कर सकती है जनगणना, 18 महीने में नए सर्वे को पूरा करने की योजना!

Population: भारत में हर 10 साल में होती है जनगणना, लेकिन 2021 में कोरोना महामारी की वजह से प्रक्रिया टल गई थी।

Population: मोदी सरकार जल्द शुरू कर सकती है जनगणना, 18 महीने में नए सर्वे को पूरा करने की योजना!
Population: मोदी सरकार जल्द शुरू कर सकती है जनगणना, 18 महीने में नए सर्वे को पूरा करने की योजना!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार जल्द ही देश में जनगणना कराने की योजना बना रही है। लंबे समय से लंबित Population सेंसस सर्वे को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। बुधवार, 21 अगस्त 2024 को सरकार से जुड़े दो सूत्रों ने इस जानकारी को साझा किया। समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए गए बयान में सूत्रों ने बताया कि सरकार इस जनगणना प्रक्रिया को सितंबर 2024 के आसपास शुरू कर सकती है।

कोरोना महामारी के कारण 2021 में होने वाली जनगणना टल गई थी, जिसके कारण देश में जनगणना की प्रक्रिया में देरी हुई। अब सरकार इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को पुनः आरंभ करने की तैयारी कर रही है। जनगणना न केवल Population की गणना का साधन है, बल्कि यह विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, और विकासात्मक नीतियों के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण होती है। केंद्र सरकार का उद्देश्य इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करना है ताकि इससे जुड़े सभी आवश्यक डाटा संग्रहण हो सके और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकें।

सूत्रों के अनुसार, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि यदि नया Population सर्वेक्षण अगले महीने से शुरू होता है, तो इसे पूरा करने में लगभग 18 महीने, यानी डेढ़ साल का समय लगेगा। अधिकारियों ने जानकारी दी है कि गृह मंत्रालय, जो जनगणना की प्रक्रिया की निगरानी करता है, और मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन ने इस प्रक्रिया के लिए समयसीमा निर्धारित कर दी है। दोनों मंत्रालयों का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक जनगणना के परिणाम जारी कर दिए जाएं।

यह जनगणना सर्वेक्षण देश की Population, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और अन्य महत्वपूर्ण आंकड़ों को इकट्ठा करने में अहम भूमिका निभाएगा। जनगणना के माध्यम से प्राप्त जानकारी सरकार की योजनाओं और नीतियों को दिशा देने में मददगार होगी। हालांकि, जब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस मामले पर केंद्र सरकार के दोनों मंत्रालयों से आधिकारिक पुष्टि के लिए संपर्क किया, तो तत्काल ई-मेल के माध्यम से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

यह जनगणना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में होने वाली जनगणना स्थगित कर दी गई थी। अब, जब सरकार इस प्रक्रिया को पुनः आरंभ करने की तैयारी कर रही है, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि किस तरह से इस सर्वेक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया जाएगा और इसके नतीजे कब तक सार्वजनिक किए जाएंगे।

Population: PMO से मंजूरी के बाद ही शुरू होगी जनगणना

एक सरकारी सूत्र ने यह भी खुलासा किया कि जनगणना प्रक्रिया को शुरू करने की अंतिम मंजूरी अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से नहीं मिली है, और इसी के इंतजार में प्रक्रिया रुकी हुई है। यह मंजूरी मिलने के बाद ही जनगणना की योजना को आगे बढ़ाया जा सकेगा।संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की पिछले साल जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है। 2023 में भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया था।

Population: मोदी सरकार जल्द शुरू कर सकती है जनगणना, 18 महीने में नए सर्वे को पूरा करने की योजना!
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इस महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलाव के चलते, जनगणना की आवश्यकता और भी बढ़ गई है, ताकि देश की बढ़ती Population और उसके प्रभावों को समझा जा सके। नई जनगणना के आंकड़े सरकार को वर्तमान Population के बारे में अद्यतन जानकारी देंगे, जो विभिन्न नीतियों और योजनाओं के निर्माण में सहायक होगी। यह प्रक्रिया देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और इसके शीघ्र शुरू होने की उम्मीद की जा रही है।

Population: देरी पर इकनॉमिस्ट भी कर चुके हैं केंद्र की निंदा

सरकार के भीतर और विभिन्न बाजार व उद्योग के अर्थशास्त्री जनगणना में हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं। उनका तर्क है कि इस देरी का असर अन्य महत्वपूर्ण सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की गुणवत्ता पर पड़ रहा है, जिसमें आर्थिक डेटा, महंगाई और रोजगार से संबंधित आकलन शामिल हैं। उनका कहना है कि इन सर्वेक्षणों की सटीकता और विश्वसनीयता जनगणना के अद्यतन आंकड़ों पर निर्भर करती है।

वर्तमान में उपयोग किए जा रहे अधिकांश डेटा सेट्स पिछले जनगणना, जो 2011 में हुई थी, के आधार पर ही तैयार किए गए हैं। इसके चलते, कई नीतिगत निर्णय और योजनाएं पुरानी जानकारी पर आधारित हो रही हैं, जिससे उनकी प्रासंगिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठता है।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध होने से सरकार को अधिक सटीक और वर्तमान वास्तविकताओं के अनुरूप डेटा मिलेगा, जो नीति निर्माण में बेहतर योगदान देगा। इस स्थिति को सुधारने के लिए, जनगणना प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग बढ़ रही है, ताकि आने वाले वर्षों में देश की विकास योजनाओं और आर्थिक सुधारों को सटीक दिशा मिल सके।

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