NSA (National Security Agency) : अजीत डोभाल की एनएसए पद पर तीसरी बार नियुक्ति , 2014 से अब तक की यात्रा |
NSA (National Security Agency) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ, अजीत डोभाल को एक बार फिर भारत का नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) नियुक्त किया गया है। डोभाल को पहली बार 2014 में एनएसए नियुक्त किया गया था। इसके बाद, 2019 में उन्हें इस पद पर दोबारा नियुक्त किया गया और अब, मोदी के तीसरे कार्यकाल में भी उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसका मतलब है कि अगले पांच वर्षों तक डोभाल एनएसए पद पर बने रहेंगे। एनएसए का पद केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है,
जो देश की सुरक्षा नीतियों और रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डोभाल की इस नियुक्ति से यह साफ हो जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी का उन पर विश्वास और भरोसा अटल है। डोभाल की नेतृत्व क्षमता और उनके अनुभव ने उन्हें इस महत्वपूर्ण पद पर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है।
NSA (National Security Agency) अजीत ने इस पद को संभालने के कुछ ही दिनों बाद राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। डिप्टी एनएसए राजिंदर खन्ना को एडिशनल एनएसए के रूप में पदोन्नत किया गया है, जबकि टीवी रविचंद्रन को डिप्टी एनएसए नियुक्त किया गया है।
NSA (National Security Agency) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) भारत की सुरक्षा और सामरिक नीति निर्धारण का प्रमुख संस्थान है। इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्थापित किया था। इसका उद्देश्य देश की सुरक्षा चुनौतियों का व्यापक और समन्वित ढंग से मुकाबला करना है। NSC राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं, जैसे आंतरिक सुरक्षा, बाहरी खतरों, सामरिक नीति और आतंकवाद से निपटने के लिए नीति निर्माण और समन्वय करता है।
NSA (National Security Agency) का पद NSC के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एनएसए का कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का निर्धारण और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करना है। वे प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को सुरक्षा से संबंधित मामलों पर सलाह देते हैं और विदेशी राष्ट्रों के साथ सामरिक वार्ता में भी भाग लेते हैं। एनएसए के नेतृत्व में, NSC देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार करती है।
इन बदलावों के साथ, अजीत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत और प्रभावी ढांचा स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
NSA (National Security Agency) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) भारत की एक प्रमुख सरकारी संस्था है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों पर सलाह और नीति निर्धारण करना है। इस संस्था की स्थापना 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुई थी।
NSC का कार्यक्षेत्र व्यापक है और यह देश के विभिन्न सुरक्षा मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का काम करती है। इसमें आंतरिक सुरक्षा, बाहरी खतरों का मुकाबला, सामरिक नीतियों का निर्धारण और आतंकवाद से निपटने के लिए रणनीतियाँ शामिल हैं। NSC के माध्यम से सरकार को सभी सुरक्षा संबंधित पहलुओं पर एक समन्वित दृष्टिकोण मिलता है, जिससे सुरक्षा नीति को अधिक प्रभावी और संगठित तरीके से लागू किया जा सके।
NSC के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, जो प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देते हैं और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करते हैं। NSC देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत और व्यापक रणनीति तैयार करने में सहायक होती है, जिससे भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सके।
इस प्रकार, NSC भारत की सुरक्षा नीति और रणनीतिक निर्णयों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पूर्व पीएम वाजपेयी ने क्यों किया था राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का गठन
NSA (National Security Agency) इस संस्था का गठन साल 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था | इसके गठन का मुख्य उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श और नीति-निर्धारण करना था |
NSA (National Security Agency) 5 प्वाइंट में समझिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के गठन का कारण
- दरअसल उस वक्त वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर सुरक्षा संबंधी चुनौतियां तेजी से बदल रही थीं | भारत को अलग अलग तरह के खतरों, जैसे आतंकवाद, सीमा पार से होने वाली गतिविधियां और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करते देखते हुए एक संगठित और समर्पित निकाय की आवश्यकता थी |
- इसके अलावा इस संस्था का गठन अलग अलग सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए किया गया था| यह परिषद सभी संबंधित निकायों की कोशिशों को इकट्ठा कर, सुरक्षा नीति को ज्यादा प्रभावी बनाने में मदद करती है|
- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुख्य काम केंद्र सरकार को सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देना और नीति-निर्धारण प्रक्रिया में सहायता करना है| यह परिषद राष्ट्रीय सुरक्षा के अलग अलग पहलुओं पर गहन विश्लेषण और चर्चा करती है और सरकार को अपनी राय और सिफारिशें प्रस्तुत करती है|
- साल 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था और इसके बाद, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का गठन परमाणु नीति और दीर्घकालिक रक्षा योजना के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया था|
कितना ताकतवर होता है एनएसए का पद
NSA (National Security Agency) NSC का मुख्य कार्यकारी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री का सलाहकार होता है| इसके अलावा इस पद पर बैठे व्यक्ति को भारत की खुफिया एजेंसियां, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) सीधे रिपोर्ट करती हैं| यही कारण है कि NSC को भारत का प्रमुख और सबसे ताकतवर कार्यालय माना जाता है |
कौन करता है एनएसए की नियुक्ति
NSA (National Security Agency) कौन होगा इसकी नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति समिति करती है | इस समिति के अध्यक्ष देश के पीएम होते हैं | इतना ही नहीं एनएसए का काम भी प्रधानमंत्री की तरफ से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की देखभाल करना है | एनएसए चीन के साथ भारत के प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार के तौर पर बात करते हैं|
सुरक्षा मामलों में भी एनएसए पाकिस्तान और इजरायल के साथ भारत के दूत के रूप में काम करते हैं| अजीत डोभाल सहित अब तक पांच लोग इस पद पर रह चुके हैं |
एनएसए का काम भी समझिये
NSA (National Security Agency) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का एक महत्वपूर्ण पद है| इस पद तो संभालने वाले व्यक्ति को मुख्य काम राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों पर पीएम और केंद्र सरकार को सलाह देना होता है| इस भूमिका में, NSA कई महत्वपूर्ण कार्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं |
NSA (National Security Agency) राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है और नीति निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है |इसके अलावा NSA राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और नीति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| वह देश की सुरक्षा चुनौतियों का विश्लेषण करता है और उनसे निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियां तैयार करता है|
NSA (National Security Agency) अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में भी एक्टिव भूमिका निभाता है| वह अन्य देशों के सुरक्षा अधिकारियों और एजेंसियों के साथ संवाद करता है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है| इसके अलावा एनएसएस NSC के अलग अलग घटकों, जैसे संयुक्त खुफिया समिति , रणनीतिक नीति समूह, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का भी नेतृत्व करता है|
आतंकवाद और उग्रवाद से निपटना
NSA (National Security Agency) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ रणनीतियां विकसित करने और उनके कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाता है| वह आतंकवाद से संबंधित खुफिया जानकारी का विश्लेषण करता है और सुरक्षाबलों के साथ मिलकर आतंकवादी खतरों को समाप्त करने के उपाय करता है|
कौन बन सकता है एनएसए
NSA (National Security Agency) इस पद को संभालने के लिए किसी व्यक्ति का आईपीएस या आईएएस होना बेहद जरूरी है| भारत के पहले एनएसए बृजेश मिश्र देश थे, उन्होंने साल 1998 से लेकर 2004 तक इस पद को संभाला था. इसके बाद साल 2004 से 2005 तक जेएन दीक्षित एनएसए रहे| और 2005 से 2010 के दौरान एमके नारायऩम ने इस पद को संभालने की जिम्मेदारी ली |
NSA (National Security Agency) साल 2010 से 2014 के दौरान शिवशंकर मेनन ने एनएसए के पद को संभाला | मेनन के बाद अजित डोभाल 2014 में एनएसए बने| पिछले दिनों उन्हें लगातार तीसरी बार एनएसए नियुक्त किया गया है|
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