New Criminal Laws: पिछले साल संसद से पारित हुए तीन नए आपराधिक कानून, हंगामे पर विपक्ष के कई सांसद निलंबित |
New Criminal Laws: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार (1 जुलाई) को आरोप लगाया कि नए आपराधिक कानून सांसदों को निलंबित कर जबरन पारित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन संसदीय प्रणाली पर “बुलडोजर न्याय” को नहीं चलने देगा। खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दिनों पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता संविधान का आदर करने का दिखावा कर रहे हैं।
खरगे ने कहा कि पिछले वर्ष तीन नए आपराधिक कानूनों को पारित करने के दौरान, विपक्ष के कई सांसदों को सदन में हंगामा करने के लिए निलंबित कर दिया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ थी और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल इस तरह की जबरदस्ती को बर्दाश्त नहीं करेंगे और देश के संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।
New Criminal Laws: खरगे ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी सिर्फ दिखावा कर रहे हैं और असल में संविधान के सिद्धांतों का सम्मान नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करता रहेगा।
दरअसल, सोमवार से देश में तीन नए आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – लागू हो गए हैं। इन कानूनों को पिछले साल संसद से पारित किया गया था। जब इन कानूनों को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था, उस समय विपक्षी सांसदों ने काफी हंगामा किया था। इस हंगामे के चलते कांग्रेस, टीएमसी समेत कई दलों के दर्जनों सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।
New Criminal Laws: नए कानूनों के लागू होने पर विपक्षी दलों ने चिंता जताई है और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस प्रक्रिया को “बुलडोजर न्याय” कहा और इसे संसदीय प्रणाली पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन इस तरह के जबरदस्ती पारित कानूनों को स्वीकार नहीं करेगा और संविधान की रक्षा के लिए दृढ़ रहेगा। विपक्ष का आरोप है कि इन कानूनों को पारित करने के दौरान सरकार ने लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन किया और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास किया। विपक्षी दल इस मुद्दे पर एकजुट हैं और देश के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेते हैं।
संसदीय प्रणाली पर नहीं चलने देंगे बुलडोजर न्याय: मल्लिकार्जुन खरगे
New Criminal Laws: कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “चुनाव में राजनीतिक और नैतिक झटके के बाद मोदी जी और बीजेपी संविधान का सम्मान करने का दिखावा कर रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि आज से जो आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन नए कानून लागू हो रहे हैं, वे 146 सांसदों को निलंबित करके जबरन पारित किए गए हैं। INDIA अब इस ‘बुलडोजर न्याय’ को संसदीय प्रणाली पर हावी नहीं होने देगा।”
अंग्रेजों के कानून से मिली आजादी
New Criminal Laws: दरअसल, भारत में लंबे समय से अंग्रेजों के जमाने के कानून लागू थे। आजादी के सात दशक बाद भी देश की कानून व्यवस्था उन्हीं पुराने नियम-कायदों पर चल रही थी। पिछले साल सरकार ने निर्णय लिया कि जैसे अंग्रेजों से देश को आजादी मिली थी, वैसे ही उनके कानूनों से भी देश को मुक्त किया जाएगा। इसी दिशा में तीन नए आपराधिक कानून पेश किए गए, जिन्होंने ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली। इन नए कानूनों का उद्देश्य है कि भारत की न्याय प्रणाली को अधिक सुसंगत और आधुनिक बनाया जा सके, जिससे जनता को तेजी और पारदर्शिता से न्याय मिल सके। सरकार का मानना है कि यह कदम देश की संप्रभुता और स्वायत्तता को मजबूत करेगा।
New Criminal Laws: सरकार का मानना है कि नए कानूनों से आधुनिक न्याय प्रणाली की स्थापना होगी। इसमें कई महत्वपूर्ण सुधार शामिल होंगे, जैसे जीरो एफआईआर की व्यवस्था, जिससे किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज की जा सकेगी। इसके साथ ही, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दी जाएगी, जिससे लोगों को थाने के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
इसके अलावा, समन भेजने के लिए एसएमएस और अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया तेजी से और अधिक प्रभावी तरीके से पूरी हो सके। जघन्य अपराधों की जांच के दौरान घटनास्थल की वीडियोग्राफी को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे साक्ष्यों की प्रमाणिकता सुनिश्चित की जा सके और न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़े।
सरकार का दावा है कि इन सुधारों से न्याय प्रणाली अधिक सुसंगत, पारदर्शी और उत्तरदायी बनेगी, जिससे आम जनता को न्याय मिलने में सहूलियत होगी और कानून व्यवस्था में सुधार होगा। इन नए कदमों से देश की न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आएगा, जो लंबे समय से अपेक्षित था।
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