National Flag Day: भारत में अब तक इतने बार बदला गया है राष्ट्रीय झंडा; एक बार धर्मों के आधार पर तय हुए थे रंग – जानिए पूरी कहानी |
National Flag Day : आज, 21 जुलाई को भारत में राष्ट्रीय ध्वज दिवस (नेशनल फ्लैग डे) मनाया जा रहा है। भारतीय ध्वज को आमतौर पर तिरंगा कहा जाता है। आगामी 15 अगस्त को, देश की स्वतंत्रता की सालगिरह के मौके पर, सड़कों पर हजारों लोग हाथों में तिरंगा लिए हुए नजर आएंगे। भारतीय तिरंगे का इतिहास काफी पुराना है।
वर्ष 1906 में भारत को अपना पहला आधिकारिक ध्वज प्राप्त हुआ था। हालांकि, आज जिस तिरंगे को हम राष्ट्रीय ध्वज के रूप में जानते हैं, उसे 1947 में आधिकारिक रूप से फहराया गया था।
National Flag Day : भारतीय झंडे के बदलने की प्रक्रिया पर नजर डालें तो पता चलता है कि यह कई बार बदला गया है। खासतौर पर, महात्मा गांधी ने धर्मों के आधार पर झंडे के रंगों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एक बार, गांधी जी ने सुझाव दिया था कि झंडे के रंग विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करें। यह ऐतिहासिक संदर्भ आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है।
इस विशेष दिन पर, हम तिरंगे के बदलते इतिहास और इसके महत्व को याद कर रहे हैं। यह केवल एक झंडा नहीं, बल्कि हमारी स्वतंत्रता, एकता और विविधता का प्रतीक है।
अब तक छह बार बदला गया भारत का झंडा
National Flag Day : भारत का पहला आधिकारिक झंडा पहली बार 1906 में कोलकाता में फहराया गया था। यह झंडा आज के तिरंगे से पूरी तरह अलग था। इसमें हरा, पीला और लाल रंग शामिल थे, साथ ही कमल का फूल और चांद-सूरज के प्रतीक भी बने थे। झंडे के मध्य में “वंदे मातरम” लिखा हुआ था।
इसके ठीक एक साल बाद, 1907 में, दूसरा झंडा सामने आया जिसे मैडम भीकाजी कामा और उनके क्रांतिकारी साथियों ने पेरिस में फहराया था। इस झंडे में लाल रंग की जगह केसरिया रंग लिया गया और आठ कमल के फूलों की जगह आठ सितारे बने थे। यह झंडा भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण था।
इसके बाद, 1917 में एनी बेसेंट ने लोकमान्य तिलक के साथ मिलकर एक नया झंडा फहराया, जो पहले से काफी अलग था। इस झंडे में लाल रंग की पांच और हरे रंग की चार पट्टियां थीं, और बाईं ओर यूनियन जैक बना हुआ था। चांद और सितारे भी इस झंडे में शामिल थे।
National Flag Day : साल 1921 में एक बार फिर भारत के झंडे में बदलाव किया गया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की विजयवाड़ा सभा में एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को नया झंडा प्रस्तुत किया। गांधी जी ने इस झंडे में कुछ बदलाव किए, जिसमें एक अतिरिक्त पट्टी जोड़ी गई और झंडे में चरखा भी शामिल किया गया। यह चरखा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया और इसके साथ ही झंडे का डिजाइन भी बदल गया।
साल 1931 में भारत का झंडा एक बार फिर से बदला गया। यह नया झंडा आज के तिरंगे से काफी मेल खाता था। इस झंडे में सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और नीचे हरे रंग की पट्टी थी। सफेद पट्टी के मध्य में एक चरखा बना हुआ था। भारतीय कांग्रेस ने इस झंडे को आधिकारिक रूप से अपनाया था, और यह उस समय के स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया।
National Flag Day : इसके बाद, जुलाई 1947 में भारत के झंडे में एक अंतिम बदलाव हुआ। इस झंडे का डिज़ाइन अब तक प्रचलित है। इस नए झंडे में ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और नीचे हरा रंग रखा गया। चरखे की जगह पर अशोक चक्र ने ले ली थी, जो 24 स्पोक्स वाला था और इसे भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण प्रतीक माना गया। इस झंडे का डिज़ाइन पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था, जिनकी योजना और दृष्टिकोण ने भारतीय झंडे को एक राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्थापित किया।
यह झंडा भारत की एकता, अखंडता और विविधता का प्रतीक है और स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाता है।
हरा रंग मुसलमानों के लिए लाल रंग हिंदुओं के लिए
National Flag Day : साल 1921 में जब कांग्रेस कमेटी की विजयवाड़ा सभा में एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को एक झंडा पेश किया, तब इस झंडे में केवल दो रंग थे—हरा और लाल। हरा रंग मुसलमानों का प्रतीक था, जबकि लाल रंग हिंदुओं का प्रतीक था। महात्मा गांधी ने इसे देखा और महसूस किया कि इस झंडे में भारत के सभी धर्मों और समुदायों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। उन्होंने सफेद रंग को जोड़ने का सुझाव दिया, जिसे भारत के बाकी धर्मों और लोगों का प्रतीक माना गया।
National Flag Day : इस बदलाव के बाद, झंडे में तीन रंग हो गए—हरा, सफेद, और लाल। यह रंग संयोजन आज के तिरंगे में भी शामिल है, जो देश की विविधता और एकता का प्रतीक है। महात्मा गांधी की यह पहल भारत की एकता की भावना को दर्शाती है और उन्होंने इसे इस तरह से डिज़ाइन किया कि हर धर्म और समुदाय का प्रतिनिधित्व हो सके। इस तरह, 1921 का झंडा आज के राष्ट्रीय ध्वज की नींव बना।