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Muslim Chief Ministers in Indian Politics: भारतीय राजनीति में मुस्लिम मुख्यमंत्रियों का संदर्भ,पार्टियों और संख्या |

Muslim Chief Ministers in Indian Politics: मुख्यमंत्री राज्य की सरकार के सर्वोपरि नेता होते हैं, जिनका महत्व विशेष होता है। उन्हें राज्य के नीतियों का निर्धारण करना और उनके कार्यान्वयन का जिम्मा होता है। भारत में आजादी के बाद, कई मुस्लिम नेता राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर काम कर चुके हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है।

Muslim Chief Ministers in Indian Politics : भारत में अब तक, 2 केंद्र शासित प्रदेश और 6 राज्यों में कुल 18 मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं। सबसे ज्यादा मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री के पद पर जम्मू-कश्मीर में हैं, जहां 11 मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री रहे हैं। दूसरा केंद्र शासित प्रदेश है पुडुचेरी।

Muslim Chief Ministers in Indian Politics
Muslim Chief Ministers in Indian Politics

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: भारत के छह राज्यों में मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री बन चुके हैं, जो जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी के अलावा निम्नलिखित हैं – बिहार, असम, राज्यस्थान, महाराष्ट्र, मणिपुर और केरल। इनमें से असम एकमात्र राज्य है जहां मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री रहीं हैं। असम की पहली मुस्लिम महिला अनवरा तैमूर करीब सात महीने सीएम पद पर रहीं थीं।वैसे ही, मणिपुर भी ऐसा राज्य है जहां किसी मुस्लिम नेता ने एक नहीं बल्कि दो-दो बार मुख्यमंत्री का पद संभाला है। एम अलीमुद्दीन पहले 23 मार्च 1972 से 27 मार्च 1973 तक करीब एक साल और फिर 4 मार्च 1974 से 9 जुलाई 1974 तक करीब चार महीने मणिपुर के मुख्यमंत्री रहे थे।

यह जानकारी स्वीकार करती है कि भारतीय राजनीति में धार्मिक एवं समाजिक संरचना के साथ-साथ समानता की भावना भी है, जो मुस्लिम समुदाय को भी उच्च स्तर की राजनीतिक उपस्थिति में संलिप्त करती है।

केंद्र में किस पार्टी के दौर में सबसे ज्यादा मुस्लिम मुख्यमंत्री बनें

Muslim Chief Ministers in Indian Politics : भारत में पिछले करीब 30 वर्षों से मुस्लिम मुख्यमंत्री के पद पर एक संवेदनशीलता रही है। आखिरी बार अब्दुल रहमान अंतुले ने 9 जून 1980 से 12 जनवरी 1982 तक मुख्यमंत्री के पद पर काम किया था। इसके बाद, किसी राज्य में भी मुस्लिम मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं हुआ।

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा चार राज्यों में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाया है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के राज्यों में मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री के पद पर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, मणिपुर में मणिपुर पीपुल्स पार्टी और केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) से भी मुस्लिम मुख्यमंत्री बने हैं।

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: मुस्लिम समुदाय की उच्च राजनीतिक प्रतिस्थिति को देखते हुए, इसे एक प्रेरणादायक प्रक्रिया के रूप में स्वागत किया जा सकता है। हालांकि, इसमें अभी भी बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता है ताकि समाज के सभी वर्गों के नेताओं को उचित मौका मिल सके।

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: एक दिलचस्प बात यह है कि छह में से 5 राज्यों (83 फीसदी) में इंदिरा गांधी के दौर में मुस्लिम मुख्यमंत्री रहे। एकमात्र सीएच मोहम्मद कोया केंद्र में जनता पार्टी की सरकार के समय साल 1979 से 1979 में केरल के मुख्यमंत्री रहे थे। उस समय चरण सिंह भारत के प्रधानमंत्री रहे थे।इससे स्पष्ट होता है कि मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक प्रतिष्ठा के साथ-साथ उनकी उच्च स्तर की प्रतिनिधित्व में भागीदारी भी बढ़ी है। इसके साथ ही, इस तथ्य को भी नकारात्मक रूप में देखा जा सकता है कि इस अवधि के बाद केवल एक ही मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री का पद संभालने में सफल रहे।

Muslim Chief Ministers in Indian Politics
Muslim Chief Ministers in Indian Politics

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: यह सांकेतिक है कि समाज में समानता और सहमति की भावना को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक प्रक्रियाओं में नई सोच और विचार की जरूरत है। इसमें सभी समुदायों के नेताओं को बराबरी का अवसर देना हमारे राष्ट्रीय नैतिकता और संविदानिक दायित्व का हिस्सा है।

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राज्य में सबसे लंबे समय तक CM रहने वाले मुस्लिम नेता

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: किसी भी राज्य में, छह में से कोई भी मुस्लिम सीएम अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। लेकिन बरकतुल्लाह खान को आजादी के बाद भारत के मुस्लिम मुख्यमंत्री के रूप में सबसे लंबे समय तक सेवा करने का सम्मान मिला है। उन्होंने 9 जुलाई 1971 से 11 अक्टूबर 1973 तक करीब दो साल तीन महीने राजस्थान के सीएम के तौर पर सेवा की।

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: वहीं सबसे कम समय मुस्लिम सीएम रहने का रिकॉर्ड एच मोहम्मद कोया के नाम है, जो महज 53 दिन केरल के मुख्यमंत्र रहे थे। इससे स्पष्ट होता है कि मुस्लिम नेताओं के लिए राजनीतिक मार्ग पर चुनौतियां हैं, जिससे वे अपने कार्यकाल को पूरा कर पाने में संकोच कर सकते हैं।यह तथ्य स्पष्ट करता है कि राजनीतिक प्रक्रिया में समानता की अभिवृद्धि के लिए नई पहल की आवश्यकता है। सभी समाज के नेताओं को उचित मौका और समर्थन मिलना चाहिए ताकि वे अपनी क्षमताओं को पूरी तरह से प्रकट कर सकें और देश की उन्नति में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

केंद्र शासित प्रदेश में कितने मुस्लिम मुख्यमंत्री

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: देश में कुल 18 मुस्लिम मुख्यमंत्री केंद्र शासित प्रदेश से रहे हैं – जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी। आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर में अब तक सभी 11 मुख्यमंत्री मुस्लिम समुदाय से ही रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 5 मुख्यमंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने दिए हैं। इसके बाद कांग्रेस से तीन और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से दो मुख्यमंत्री बनें।

Muslim Chief Ministers in Indian Politics
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Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: वहीं पुडुचेरी से एकमात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री रहे एम ओ एच फारूक तीन बार सत्ता की कुर्सी पर बैठे। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में मुस्लिम समुदाय के नेताओं की उच्च स्तर की प्रतिस्था है। मुस्लिम समुदाय के नेताओं का सक्रिय हिस्सा होना राजनीतिक उत्तरदायित्व की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसके साथ ही, इस तथ्य ने यह भी साबित किया है कि भारतीय राजनीति में न्याय और समानता की भावना को मजबूत किया जा रहा है।

भारत में आज कितने मुस्लिम और अल्पसंख्यक समुदाय से मुख्यमंत्री?

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: वर्तमान में भारत में 30 मुख्यमंत्री हैं, जिनमें से सिर्फ छह अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। इन छह में से चार ईसाई, एक सिख और एक बौद्ध हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की 14.2 फीसदी आबादी के साथ सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह होने के बावजूद वर्तमान में कोई भी मुस्लिम मुख्यमंत्री पद पर नहीं है।

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Muslim Chief Ministers in Indian Politics : ह तथ्य स्पष्ट करता है कि भारतीय राजनीति में अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं का सक्रिय हिस्सा है, जो राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी कर रहे हैं। इससे समाज में समानता और सहयोग की भावना को मजबूत किया जा रहा है। हालांकि, इस समय में कोई मुस्लिम मुख्यमंत्री पद पर नहीं है, जो इस समुदाय के नेताओं की प्रतिष्ठा को चिरस्थायी बनाने के लिए एक चुनौती भी है।यह भी देखा जाता है कि भारतीय समाज में राजनीतिक नेताओं की विभिन्न सामाजिक समुदायों से समर्थन मिल रहा है, जो राजनीतिक प्रक्रिया को और भी ज्यादा समृद्ध और समानांतर बनाता है।

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Muslim Chief Ministers in Indian Politics : अल्पसंख्यक समुदाय के मुख्यमंत्रियों वाले दो राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्य में मुख्यमंत्री उसी समुदाय से आते हैं जिसका राज्य में बहुमत है। मेघालय, मिजोरम और नगालैंड ईसाई बहुल राज्य है और वहां ईसाई मुख्यमंत्री ही चुने गए हैं। इसी तरह पंजाब में सिख धर्म सबसे ज्यादा माना जाता है। यहां की 57.7% आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) सिख है और यहां के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी सिख हैं।

Muslim Chief Ministers in Indian Politics : यह स्पष्ट करता है कि भारतीय राजनीति में अल्पसंख्यक समुदायों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और वे जितने ही अधिकार वाले समुदाय होते हैं, उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में भी उतना ही महत्वपूर्ण स्थान मिलता है। इससे समाज में समानता और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है और राजनीतिक प्रक्रिया में विविधता और समृद्धि आती है। इस प्रकार, अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं की सक्रिय भूमिका ने भारतीय राजनीति को एक बेहतर दिशा में ले जाने में मदद की है।

Muslim Chief Ministers in Indian Politics: आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश ऐसे दो राज्य हैं जहां मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं, लेकिन राज्य के बहुसंख्यक लोग दूसरे धर्म को मानते हैं। मतलब, जहां आंध्र में ज्यादातर लोग हिंदू हैं लेकिन CM जगन मोहन रेड्डी क्रिश्चियन हैं। ऐसे ही अरुणाचल में सबसे ज्यादा हिंदू ही हैं लेकिन यहां सीएम पेमा खांडू बुद्धिस्ट हैं।

Muslim Chief Ministers in Indian Politics
Muslim Chief Ministers in Indian Politics

जबकि आंध्र में तो सिर्फ 1.3% लोग ही क्रिश्चियन हैं और अरुणाचल में 11.7% लोग बुद्धिस्ट हैं फिर भी इन दोनों राज्यों के मुखिया उसी धर्म के हैं। ये बात काफी दिलचस्प है।

Numerical Analysis of Muslim Chief Ministers: इससे हमें यह भी पता चलता है कि भारतीय राजनीति में अल्पसंख्यक समुदायों की उपस्थिति का महत्व है। यह न केवल राजनीतिक समानता की दिशा में एक प्रकार का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धर्म और समाज में ज्यों को त्यों व्यक्तिगत और सामाजिक स्थितियों का प्रभाव होता है। यहां पर राजनीति और सामाजिक रूप से विभिन्नताओं का संगम होता है जो हमारे समाज की विविधता को दर्शाता है।

 

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