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Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा, पुरी में 53 साल बाद दोबारा, राष्ट्रपति मुर्मू भी शामिल होंगे |

Jagannath Rath Yatra 2024: ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार, 1971 के बाद इस साल दो-दिवसीय रथ यात्रा, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी |

Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा, पुरी में 53 साल बाद दोबारा, राष्ट्रपति मुर्मू भी शामिल होंगे |
Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा, पुरी में 53 साल बाद दोबारा, राष्ट्रपति मुर्मू भी शामिल होंगे |

Jagannath Rath Yatra 2024: ओडिशा के पुरी शहर में पिछले कुछ दिनों से विशेष रौनक देखने को मिल रही है। भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के लिए शहर पूरी तरह से तैयार है, जो रविवार से प्रारंभ होने वाली है। इस बार का आयोजन विशेष है क्योंकि यह यात्रा 53 वर्षों बाद दो दिनों तक चलेगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी रविवार को लाखों श्रद्धालुओं के साथ इस रथ यात्रा में शामिल होंगी। राज्य सरकार ने इसके लिए विशेष इंतजाम किए हैं।

अधिकारियों के अनुसार, ओडिशा सरकार ने यात्रा के सुचारू संचालन के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं, ताकि यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो सके। आमतौर पर यह यात्रा एक ही दिन में आयोजित की जाती है, लेकिन इस बार इसके विशेष आयोजन के चलते तैयारियों में और भी वृद्धि की गई है। श्रद्धालुओं में भी इस अद्वितीय आयोजन को लेकर काफी उत्साह है और वे भगवान जगन्नाथ की इस पवित्र यात्रा में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं।

इस साल दो दिन की यात्रा के पीछे ये है वजह

Jagannath Rath Yatra 2024: जानकारों का कहना है कि ग्रह-नक्षत्रों की विशेष गणना के अनुसार, इस वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा दो-दिवसीय रखी गई है। इससे पहले, 1971 में इस तरह का आयोजन किया गया था। परंपरा से हटकर, इस बार तीनों भाई-बहन देवी-देवताओं – भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र से संबंधित कुछ विशेष अनुष्ठान भी रविवार को ही संपन्न किए जाएंगे। यह निर्णय विशेष ज्योतिषीय गणनाओं और धार्मिक परंपराओं के आधार पर लिया गया है। इस अनूठे आयोजन ने श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह भर दिया है, और वे बड़ी संख्या में पुरी में एकत्रित हो रहे हैं।

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Jagannath Rath Yatra 2024: राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस भव्य आयोजन के लिए विशेष तैयारियां की हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो और सभी अनुष्ठान सुचारू रूप से संपन्न हो सकें। इस वर्ष का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, और इससे संबंधित हर गतिविधि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ इस दिव्य अवसर का हिस्सा बनने के लिए आतुर हैं।

जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार पर खड़े रहेंगे रथ

Jagannath Rath Yatra 2024: रथ यात्रा में शामिल होने वाले रथों को जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार के सामने खड़ा किया गया है, जहां से उन्हें गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाएगा। ये रथ वहां एक सप्ताह तक रहेंगे। रविवार दोपहर को भक्त इन रथों को खींचेंगे। इस साल रथ यात्रा और संबंधित अनुष्ठान, जैसे ‘नवयौवन दर्शन’ और ‘नेत्र उत्सव,’ एक ही दिन रविवार, 7 जुलाई 2024 को आयोजित किए जाएंगे। ये अनुष्ठान आमतौर पर रथ यात्रा से पहले आयोजित किए जाते हैं। इस बार के विशेष आयोजन ने श्रद्धालुओं में भारी उत्साह भर दिया है।

Jagannath Rath Yatra 2024: राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस भव्य आयोजन के लिए विशेष तैयारियां की हैं, ताकि सभी अनुष्ठान सुचारू रूप से संपन्न हो सकें। श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ इस दिव्य अवसर का हिस्सा बनने के लिए आतुर हैं, और वे बड़ी संख्या में पुरी में एकत्रित हो रहे हैं। इस आयोजन के दौरान, भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के प्रति भक्तों की गहरी आस्था और भक्ति देखने को मिलेगी, जो इस पवित्र यात्रा का मुख्य आकर्षण है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्नान पूर्णिमा के दिन अधिक स्नान करने के कारण देवता अस्वस्थ हो जाते हैं और इसलिए वे अंदर ही रहते हैं। इस समय के दौरान, भक्त देवताओं के दर्शन नहीं कर पाते हैं। ‘नवयौवन दर्शन’ से पहले, पुजारी एक विशेष अनुष्ठान ‘नेत्र उत्सव’ का आयोजन करते हैं। इस अनुष्ठान में देवताओं की आंखों की पुतलियों को नए सिरे से रंगा जाता है, जिससे वे नवयौवन में दिखाई दें। यह अनुष्ठान देवताओं की ताजगी और उनकी दिव्य दृष्टि को पुनः स्थापित करने का प्रतीक होता है।

Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा, पुरी में 53 साल बाद दोबारा, राष्ट्रपति मुर्मू भी शामिल होंगे |
Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा, पुरी में 53 साल बाद दोबारा, राष्ट्रपति मुर्मू भी शामिल होंगे |

Jagannath Rath Yatra 2024: ‘नवयौवन दर्शन’ के दौरान, भक्त लंबे इंतजार के बाद देवताओं के दर्शन करते हैं, जो उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यकारी माना जाता है। इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन हर वर्ष बड़ी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ किया जाता है, जिसमें पुरी और अन्य स्थानों से भारी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह परंपरा देवताओं की दिव्यता और उनके प्रति भक्ति को गहराई से महसूस करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है, जिससे भक्तों के मन में अपार संतोष और आनंद की अनुभूति होती है।

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