Future Of India In 2047 : भारत , 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कितना तैयार?

Future of India In 2047 : भारत , 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कितना तैयार?

Future of India In 2047 : भारत , 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कितना तैयार?

Future of India In 2047 : उन्नत राष्ट्र , उच्च जीवन स्तर, बुनियादी ढांचे, और मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ टॉप HDI रैंकिंग का सिर्फ नाम नहीं, बल्कि मानव विकास का दर्जा।

Future of India In 2047: पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने का लक्ष्य रखा था। अब 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ भी ले चुके हैं और उनका तीसरा कार्यकाल भी शुरू हो चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पीएम मोदी का 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनने का सपना पूरा हो सकता है। इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि विकसित देश कहलाने के लिए भारत कितना तैयार है। देश की सामर्थ्य, अर्थव्यवस्था, विकास कार्यों में हो रहे बदलाव, और आम जनता की भूमिका पर ध्यान देते हुए इस मुद्दे पर गहराई से चर्चा की गई है।

Future of India In 2047 : भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने के सपने को पूरा करने के लिए आगे की 25 सालों में प्रति व्यक्ति की आय को 2,600 अमेरिकी डॉलर से पांच गुना बढ़ाकर 10,205 अमेरिकी डॉलर करना होगा। यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा। भारत को विकासशील देश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए, प्रति व्यक्ति की आय में 7.5% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 9% बनाए रखना होगा। यह संख्याएं बड़ी हैं और इन्हें पूरा करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने होंगे, जैसे नई और विकसित बुनियादी ढांचे, बढ़ते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं, और अर्थव्यवस्था के नए क्षेत्रों में निवेश।

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Future of India In 2047 : भारत , 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कितना तैयार?
Future of India In 2047 : भारत , 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कितना तैयार?

भारत को किन चुनौतियों का सामना करना करना पड़ेगा

आर्थिक असमानता: भारत के आर्थिक विकास के बावजूद, यहां के लोगों के आय और धन वितरण में बड़ी असमानता है। केंद्र सरकार को फिलहाल गरीबी से मुक्त कराने के लिए और भी योजनाओं को लाने की जरूरत है। गरीबी के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन के लिए विभिन्न सेक्टरों में निवेश करने, उद्यमिता को बढ़ावा देने, और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके लिए निरंतर प्रयास करना होगा ताकि समाज में समानता और सबका साथ, सबका विकास सिद्ध हो सके।

शिक्षा की गुणवत्ता: भारत में शिक्षा की गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाने की जरूरत है। दरअसल इस देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा अंतर है। इतना ही नहीं, उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण में सुधार की आवश्यकता है। विशेष रूप से गांवों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि समृद्धि और समानता के मामले में देश में सुधार होता रहे।

स्वास्थ्य सेवाएं: भारत के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार होनी चाहिए। यहां के लोगों को उच्च-गुणवत्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए अधिक निवेश करना होगा। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार के लिए नई स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों की स्थापना भी जरूरी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य शिक्षा को भी महत्वपूर्ण बनाना होगा ताकि लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़े और सही जानकारी मिले।

बुनियादी ढांचा: भारत का ग्रामीण क्षेत्र आज भी बुनियादी सुविधाओं से अछूता है। ऐसे में इस कमी को दूर करना भारत के विकसित देश बनने की राह में सबसे बड़ी चुनौती है। ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधा नहीं होने के कारण ही शहरी इलाकों पर दबाव बढ़ रहा है। इससे सामाजिक और आर्थिक विकास में असमानता बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और ऊर्जा के क्षेत्र में नए निवेशों की आवश्यकता है ताकि ग्रामीण भारत में भी समृद्धि और समानता का अवसर हो सके।

राजनीतिक और प्रशासनिक सुधार: भारत को भ्रष्टाचार और नौकरशाही में सुधार करने की आवश्यकता है। यह समस्याएं हमारे राष्ट्रीय विकास की रोकथाम हैं और इन्हें ठीक करने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। भ्रष्टाचार ने हमारे समाज को गंभीर नुकसान पहुंचाया है जैसे कि विकास में अवरोध, सामाजिक असमानता और लोकतंत्र के विकास में बाधाएं। नौकरशाही से बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और बेहतर रोजगार के अवसरों में भी कई रोकवाले हो जाते हैं। इसलिए, सरकार को यह समस्याओं का समाधान करने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि हमारे देश की विकास गति को अवरुद्ध किया जा सके।

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रोज़गारहीन विकास: भारत वित्त वर्ष 2023-24 में 7.8% की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि का दावा तो करता है, लेकिन इससे रोज़गार का सृजन नहीं हो पाया। ऐसे में देश के लाखों लोग निम्न उत्पादकता वाले कृषि क्षेत्र में फँसे हुए हैं (जो सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15% योगदान करता है, लेकिन कार्यबल के 44% को नियोजित करता है)। भारत को अपने बढ़ते कार्यबल को नियोजित करने के लिये साल 2030 तक 115 मिलियन (11.5 करोड़) नौकरियां निकालने की जरूरत है।

व्यापक आय असमानता: हमारे देश में आय असमानता का स्तर भी काफी ज्यादा है और जनसंख्या का एक बड़ा भाग गरीबी का सामना कर रहा है। साल 2022-23 में राष्ट्रीय आय का 22.6% भाग केवल 1 प्रतिशत लोगों के पास गया था। यह समावेशी विकास और आबादी के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के लिये बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में बाधा उत्पन्न करती है। साल 2022 में भारत का HDI स्कोर 0.644 रहा और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा निर्धारित इस रैंकिंग में उसे 192 देशों में 134वें स्थान पर रखा गया।

विकसित अर्थव्यवस्था के लिए भारत को क्या करना चाहिये

Future of India In 2047: भारत को वैश्विक स्तर पर कॉम्पीटिव और रोजगार-योग्य कार्यबल के निर्माण के लिए व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास कार्यक्रमों में भारी निवेश करने की जरूरत है। इसके अलावा देश के बेहतर भविष्य के लिए बच्चों के पाठ्यक्रमों को AI, रोबोटिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा जैसी उभरती टेकनोलॉजी के अनुरूप तैयार करने की जरूरत है। इससे हमारे युवा शक्ति को नए और उच्च स्तर के जॉब्स में मिलने का मार्ग खुलेगा और उन्हें वैश्विक मंच पर स्थिति हासिल करने का मौका मिलेगा। ऐसे ही शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में नए तकनीकी और व्यावसायिक अवसरों को बढ़ावा देकर हम देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं।

स्टार्टअप हब स्थापित करने की जरूरत

Future of India In 2047 : देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को योजनाएं शुरू करनी चाहिए। जिससे ज्यादा ज्यादा लोग स्टार्टअप करें। इससे रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी अच्छी तरह से वित्तपोषित स्टार्टअप हब का नेटवर्क विकसित किया जाना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले MSMEs को भी बेहतर वित्तपोषण और विपणन योजनाओं के माध्यम से सहयोग देने की आवश्यकता है। यह सभी कदम लेने से हमारे देश में नए उद्यमियों को सही रुझान और समर्थन मिलेगा जिससे नये रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और विकास की रफ्तार में तेज़ी आएगी।

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ग्रीन कॉलर जॉब’ संबंधी क्रांति लाना

Future of India In 2047 : रिन्यूएवल ऊर्जा क्षेत्रों, वेस्ट मैनेजमेंट और सस्टेनेवल इन्फ्रास्ट्रक्टर डिपार्टमेंट के विकास के लिये आवश्यक कौशल के साथ कार्यबल को सुसज्जित करने के लिये उद्योग जगत की साझेदारी के साथ हरित रोज़गार ट्रेनिंग प्रोग्राम को लागू किया जा सकता है। हरित क्षेत्रों में श्रमिकों को नियुक्त करने और प्रशिक्षित करने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट और सब्सिडी प्रदान किया जाना चाहिये हरित रोज़गार सृजन और कार्यबल संक्रमण को बढ़ावा मिले।

Future of India In 2047 : “ग्रीन कॉलर जॉब” एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग उन नौकरियों को वर्णित करने के लिए किया जाता है जो पर्यावरणीय स्थिरता और हरित प्रौद्योगिकियों से जुड़े होते हैं। ये नौकरियां पारंपरिक ब्लू कॉलर और व्हाइट कॉलर नौकरियों से अलग हैं, क्योंकि इनका मुख्य फोकस पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, और स्थायी विकास पर होता है। ग्रीन कॉलर नौकरियों में शामिल लोग ऐसे कार्यों में संलग्न होते हैं जो पर्यावरणीय सुधार और सतत विकास को बढ़ावा देते हैं। इन नौकरियों में संलग्न व्यक्ति स्थायी और पर्यावरण में अच्छी दिशा में काम करते हैं जैसे कि विद्युत ऊर्जा, सौर ऊर्जा, परिवहन नेटवर्क, अधिक उत्पादक और कम अपशिष्ट, और अधिक से अधिक तरीकों से पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

ब्लू इकॉनमी’ की क्षमता को बढ़ाना 

Future of India In 2047 : “ब्लू इकॉनमी” भारत के लिए विकसित देश बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके द्वारा समुद्र, तटीय क्षेत्र, और महासागरों से जुड़े गतिविधियों को संरचित किया जाता है। इसमें समुद्री परिवहन, मछली पालन, तटीय पर्यटन, अपतटीय ऊर्जा, और समुद्री जैव विविधता के संरक्षण जैसे क्षेत्र शामिल होते हैं। ब्लू इकॉनमी के विकास से न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि यह आर्थिक वृद्धि को भी प्रोत्साहित करेगा।

Future of India In 2047 : समुद्री परियोजनाओं में निवेश से विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि की संभावनाएं हैं। जैसे कि मछली पालन, जल यातायात, समुद्री पर्यटन, और अपतटीय ऊर्जा के क्षेत्रों में नई तकनीकों और निवेशों के द्वारा विकास होगा। इससे समुद्री संसाधनों का संरक्षण भी होगा और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।

Future of India In 2047 : इससे न केवल अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूत करेगा। जलवायु परिवर्तन की समस्याओं का सामना करने के लिए समुद्री संसाधनों के सही उपयोग से ब्लू इकॉनमी एक सामर्थ्य विकल्प प्रदान करती है। इससे समुद्री जीवन, जलवायु, और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझा जा सकता है और उन्हें ठीक से प्रबंधित किया जा सकता है। इसलिए, ब्लू इकॉनमी को विकसित करने से हम न केवल अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करेंगे, बल्कि पर्यावरण की भी सुरक्षा और संरक्षण करेंगे।

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ब्लू इकॉनमी को बढ़ावा देने के उपाय 

Future of India In 2047: ब्लू इकॉनमी के विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी और निजी निवेश को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। सरकार को नीतियों और योजनाओं के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे समुद्री क्षेत्रों में नए और नवीनतम प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा सके। इससे निवेश का स्तर बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसरों का निर्माण होगा।

Future of India In 2047: समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए नीतियों और योजनाओं का निर्माण अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ये नीतियां और योजनाएं समुद्री परिवहन, मछली पालन, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, और समुद्री जैव विविधता के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करें।

Future of India In 2047 : इसके साथ ही, समुद्री क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना भी आवश्यक है। विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए नवाचारी प्रशिक्षण और पाठ्यक्रमों की जरूरत है, जो समुद्री तंत्र, समुद्री विज्ञान, और तटीय प्रबंधन में विशेषज्ञता प्रदान करे।

Future of India In 2047 : उच्च शिक्षा को भी समुद्री क्षेत्र में विस्तार करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। नौवहन, समुद्री विज्ञान, और तटीय प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा का विस्तार होना चाहिए, ताकि नए उद्यमों को अधिक संवेदनशीलता से काम करने का मौका मिल सके। इससे ब्लू इकॉनमी के क्षेत्रों में नए और नवीनतम निर्माण तथा प्रौद्योगिकियों का विकास होगा।

क्या होता है विकसित राष्ट्र

Future of India In 2047 : विकसित राष्ट्र उन देशों को कहा जाता है, जो उच्च जीवन स्तर, उन्नत बुनियादी ढांचे, और मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ मानव विकास सूचकांक (HDI) में टॉप रैंकिंग में होते हैं। विकसित राष्ट्रों में आर्थिक समृद्धि, उच्च जीवन स्तर, और मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ-साथ उन्नत शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं भी मोजूद होती हैं।विकसित राष्ट्रों के मानव विकास सूचकांक (HDI) में उच्च रैंक का मतलब है कि वहां के लोगों का जीवन स्तर, स्वास्थ्य, और शिक्षा का स्तर उत्कृष्ट है। इससे सामाजिक और आर्थिक विकास की संकेत स्थिति सामने आती है। ऐसे राष्ट्रों में नागरिकों को अच्छी चिकित्सा सेवाएं, शिक्षा, उच्च रोजगारी के मौके, और सहायक संरचनाएं उपलब्ध होती हैं।

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Future of India In 2047 : उन्नत बुनियादी ढांचे वाले राष्ट्रों में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षित जल-जीवन, और उच्च वित्तीय संरचना होती है। यहां के नागरिकों को सुरक्षित और स्थिर जीवन जीने के लिए शक्तिशाली और विश्वसनीय बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं। विकसित राष्ट्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में प्रगति होती है जो समृद्धि और समाज में समानता को बढ़ावा देती है। इस प्रकार, विकसित राष्ट्रों का उदाहरण और प्रेरणा दूसरे देशों के लिए होता है ताकि वे भी समृद्धि और सामर्थ्य की दिशा में अग्रसर हो सकें।

भारत कैसा देश है 

Future of India In 2047 : विकासशील देशों की सूची में भारत को शामिल करना एक महत्वपूर्ण और गर्वान्वित कार्य है। विकासशील देशों का मतलब होता है वे देश जो अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, और मानव विकास सूचकांक (HDI) के माध्यम से विकसित देशों की तुलना में थोड़ा कम स्तर पर हों। इनमें भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, और नाइजीरिया जैसे देश शामिल हैं। ये देश आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

Future of India In 2047 : भारत एक विकसित देश होने के नाते, अपनी बुनियादी ढांचा को मजबूत करने और मानव विकास के क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए कई नई पहलों की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, उसे आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि अर्थव्यवस्था के विकास में वृद्धि, बेरोजगारी कम करना, और अनुसंधान और विकास के क्षेत्रों में नए नवाचार।

इस संदर्भ में, भारत को सकारात्मक दिशा में अग्रसर होते हुए, विकासशील देशों की सूची में शामिल होने पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए, लेकिन साथ ही उसे अपने क्षेत्रों में नयी संभावनाओं को खोजने और समस्याओं का समाधान करने के लिए भी तत्परता से काम करना चाहिए।

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एनडीए सरकार ने किन योजनाओं के तहत रखी थी विकसित भारत की नींव 

Future of India In 2047 : लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश को सरकार के कार्यकाल में हुई योजनाओं के तेज काम करने की बात कही। उन्होंने इसे बताया कि मोदी सरकार ने विकसित भारत के लिए नींव रखी है, साथ ही जनता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी योजनाएं बनाई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहली बार एक सरकार ने घर, सड़क आदि की योजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए नई सोच लाई है। उन्होंने यह भी जताया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाएं जल्दी पूरी की गईं हैं जैसे कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, योजनाएं साकार, और सड़कों के विकास का काम। उन्होंने इसे बताया कि पहली बार किसी सरकार ने घर, सड़क आदि की योजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए नई सोच लाई है। उन्होंने यह भी जताया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाएं जल्दी पूरी की गईं हैं जैसे कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, योजनाएं साकार, और सड़कों के विकास का काम।

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ये योजनाएं लाई सरकार 

Future of India In 2047 : भारतीय सरकार ने 2014 से विकास के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियाँ लागू की हैं। पहली, जल जीवन हरियाली अभियान जैसी योजनाओं से जल संकट को हल किया। दूसरी, स्वच्छ भारत अभियान ने स्वच्छता में सुधार किया। तीसरी, आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाया। चौथी, प्रधानमंत्री आवास योजना ने गरीबों को घर पहुंचाया। पांचवीं, जन धन योजना ने वित्तीय समावेशीता को बढ़ावा दिया। छठी, मुद्रा योजना ने छोटे उद्यमियों को सहायता प्रदान की। सातवीं, स्टार्टअप इंडिया ने नए उद्यमों को बढ़ावा दिया। आठवीं, डिजिटल इंडिया ने डिजिटलीकरण को गति दी। नौवीं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने लड़कियों के भविष्य को सुरक्षित किया। दसवीं, एक्सेलरेट इंडिया ने अर्थव्यवस्था को तेजी से प्रगति की दिशा में बढ़ावा दिया।

Future of India In 2047 :  मेक इन इंडिया: मेक इन इंडिया अभियान का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण और निवेश का केंद्र बनाना है। इस अभियान के तहत भारत के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे नौकरियों के अवसरों में वृद्धि हुई है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ विश्व व्यापार में भी भारत की उपस्थिति को बढ़ावा देता है। इस अभियान के माध्यम से विभिन्न उद्योगों में नए और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके भारत ने अपनी विशेषता को बढ़ावा दिया है। इससे देश के लोगों को अधिक रोजगार संबंधित अवसर मिले हैं और उनकी आय में सुधार हुआ है।

स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छ भारत अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य भारतीय लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस अभियान का मुख्य लक्ष्य स्वास्थ्य में सुधार और पर्यटन को बढ़ावा देना है। स्वच्छता को संरक्षित रखने से अनेक बीमारियों से बचाव होता है और साथ ही पर्यटन क्षेत्र में भी विकास होता है। इस अभियान के तहत लोगों को साफ-सफाई के महत्व को समझाया जा रहा है और साफ और स्वस्थ भारत की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है।

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जन धन योजना: इस योजना के तहत हर भारतीय को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच मिली है। इसके अंतर्गत लाखों लोगों के बैंक खाते खोले गए हैं। यह योजना वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी ताकि सभी लोग बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकें और वित्तीय समृद्धि में योगदान दे सकें। इसके माध्यम से लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता के साथ-साथ बैंकिंग की महत्वपूर्णता और उपयोगिता को भी समझाया जा रहा है। इस योजना के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं को आम जनता के लिए सुलभ और सहज बनाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि देश की आर्थिक समृद्धि में सकारात्मक परिवर्तन आ सके।

डिजिटल इंडिया: इस योजना की शुरुआत देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और भारत में डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए की गई है। इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाना और सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन करना भी है। इससे लोगों को सरकारी योजनाओं और सेवाओं तक आसान पहुंच मिलेगी, जिससे सरकारी कार्य कारगरता में सुधार होगा और लोगों की जीवन में सुधार आएगा। इससे आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान होगा।

स्किल इंडिया: इस योजना की शुरुआत देश के युवा वर्ग को विभिन्न कौशल सिखाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य युवाओं को नौकरी पाने के योग्य बनाना और उद्योग की मांग के अनुसार प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना है। इस योजना के माध्यम से युवाओं को नौकरी के अवसरों में नवाचार और कौशल की ऊर्जा तक पहुंच मिलती है, जो उन्हें अग्रणी और प्रोफेशनल बनने में मदद करती है। यह योजना विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर बनाने में सहायक है और उद्यमिता को बढ़ावा देने में मदद करती है।

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स्मार्ट सिटी मिशन: यह योजना भी एनडीए के पहले कार्यकाल में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य भारत के शहरी क्षेत्रों को स्मार्ट और टिकाऊ बनाना है। इस मिशन के अंतर्गत, 100 शहरों का चयन किया गया है जिनमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सुगम परिवहन और उच्च गुणवत्ता वाली जीवनशैली प्रदान करने की योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से, नए और विशेष उपक्रमों की शुरुआत करने का प्रयास किया गया है जो शहरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इससे नागरिकों को सुगमता, सुरक्षा, और सामर्थ्य का अनुभव होगा और शहरों का विकास और प्रगति में मदद मिलेगी।

उज्ज्वला योजना: इस योजना के तहत जो लोग गरीब परिवारों से आते हैं उन्हें मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिया जाता है। इससे उनकी जीवनशैली में सुधार हुआ और पर्यावरण के अनुकूल उपायों को बढ़ावा मिला। इस प्रक्रिया से उनके घरों में बेहतर गैस संस्थान का निर्माण हुआ, जिससे उन्हें सफलतापूर्वक गैस का उपयोग करने में सहायता मिली। इससे उनकी खर्च पर भी कमी आई और वह अधिक साफ ऊर्जा का उपयोग करने लगे। इस योजना ने गरीब परिवारों की जीवनस्तर में सुधार लाया और उन्हें सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा की सुविधा प्रदान की।

 

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