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Diwali air quality: दिल्ली से नहीं, यूपी की दीवाली ने बढ़ाई प्रदूषण की समस्या! AQI रिपोर्ट में राजधानी को किया पछाड़, खराब वायु गुणवत्ता वाले 10 शहरों की सूची |

Diwali air quality: दिवाली के बाद यूपी के कई शहरों में प्रदूषण के बादल छाए, दिल्ली में पटाखों पर रोक का कोई असर नहीं |

Diwali air quality: दिल्ली से नहीं, यूपी की दीवाली ने बढ़ाई प्रदूषण की समस्या! AQI रिपोर्ट में राजधानी को किया पछाड़, खराब वायु गुणवत्ता वाले 10 शहरों की सूची |
Diwali air quality: दिल्ली से नहीं, यूपी की दीवाली ने बढ़ाई प्रदूषण की समस्या! AQI रिपोर्ट में राजधानी को किया पछाड़, खराब वायु गुणवत्ता वाले 10 शहरों की सूची |

Diwali air quality: दिवाली के बाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के आसपास की वायु गुणवत्ता अत्यधिक खराब हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पटाखों पर लगाए गए बैन के बावजूद, दिल्ली में आतिशबाजी का सिलसिला जारी रहा, जिससे प्रदूषण के स्तर में बेतहाशा वृद्धि हुई। इस बार दिवाली के उत्सव के दौरान न केवल दिल्ली बल्कि उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु प्रदूषण ने गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है।

Diwali air quality: यदि हम देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों पर नजर डालें, तो उत्तर प्रदेश के शहरों में सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति के लिए मुख्यतः आतिशबाजी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसने वायु गुणवत्ता को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में धकेल दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के प्रदूषण से न केवल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह दीर्घकालिक बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसलिए, सभी को इस समस्या के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि अगली बार ऐसे उत्सवों को मनाते समय स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सके।

Diwali air quality: टॉप टेन प्रदूषित शहर में दिल्ली का नाम नहीं

Diwali air quality: उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं, जहां प्रदूषण के कारण धुएं के बादल छाए हुए हैं। इस समय यूपी के संभल शहर की हवा सबसे अधिक प्रदूषित है, जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 423 दर्ज किया गया है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। इसके बाद मुरादाबाद का AQI 414 है, जो दूसरे स्थान पर है।

Diwali air quality: तीसरे स्थान पर रामपुर है, जहां AQI 407 के स्तर तक पहुंच गया है। सहारनपुर चौथे नंबर पर है, जहां का AQI 387 है। इसके बाद बदायूं का AQI 383 है, जो पांचवे स्थान पर है। इसी प्रकार, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली और अंबाला में भी प्रदूषण के गंभीर स्तर देखने को मिल रहे हैं, जिनका AQI क्रमशः 383, 383, 383 और 379 है। अंत में, मेरठ का AQI 374 है।

इन शहरों में प्रदूषण के स्तर ने लोगों की सांस लेने में कठिनाई पैदा कर दी है, और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। सभी नागरिकों को इस स्थिति के प्रति जागरूक रहना और सावधानी बरतनी चाहिए।

Diwali air quality: दिल्ली से नहीं, यूपी की दीवाली ने बढ़ाई प्रदूषण की समस्या! AQI रिपोर्ट में राजधानी को किया पछाड़, खराब वायु गुणवत्ता वाले 10 शहरों की सूची |
Diwali air quality: दिल्ली से नहीं, यूपी की दीवाली ने बढ़ाई प्रदूषण की समस्या! AQI रिपोर्ट में राजधानी को किया पछाड़, खराब वायु गुणवत्ता वाले 10 शहरों की सूची |

Diwali air quality: दिल्ली में रातभर होती रही आतिशबाजी 

Diwali air quality: हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। इस लिस्ट में दिल्ली 11वें स्थान पर है, जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 353 दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा 1 नवंबर 2024 सुबह 10 बजे का है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध का अनुपालन कराने के लिए 377 प्रवर्तन दलों का गठन किया था और स्थानीय संघों के माध्यम से जागरूकता फैलाने का कार्य किया था।

Diwali air quality: इसके बावजूद, पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली के कई इलाकों से बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों का उल्लंघन करने की खबरें आई हैं। इस दौरान धुंध से भरे आसमान ने 2020 में आए ‘गंभीर’ प्रदूषण के दिनों की यादें ताजा कर दीं, जब रात नौ बजे पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्रमश: 145.1 और 272 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था।

Diwali air quality: बढ़ते प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए, दिल्ली सरकार ने लगातार पांचवे साल भी राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की थी। हालांकि, इन प्रतिबंधों का प्रभाव कम नजर आ रहा है। नागरिकों की जागरूकता और सख्त निगरानी के बिना, प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।

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