Diesel-Petrol Sale: चुनाव प्रचार के बावजूद ईंधन की खपत में नहीं दिखी वृद्धि |
Diesel-Petrol Sale: चुनाव प्रचार अभियान के जोर पकड़ने के साथ डीजल और पेट्रोल जैसे ईंधनों की खपत में अक्सर तेजी देखी जाती थी, लेकिन इस बार आंकड़े कुछ अलग ही तस्वीर पेश कर रहे हैं। प्रचार अभियान की गहमागहमी के बावजूद, डीजल और पेट्रोल की बिक्री में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है। यह स्थिति अनपेक्षित है और विशेषज्ञ इस पर अलग-अलग राय दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह आर्थिक मंदी का संकेत हो सकता है, जबकि अन्य इसे बदलते उपभोक्ता व्यवहार और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में वृद्धि के रूप में देख रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह प्रवृत्ति किस दिशा में जाती है।
Diesel-Petrol Sale: लोकसभा चुनाव 2024 की महीनों लंबी अवधि का आधे से ज्यादा समय बीत चुका है। अब सिर्फ 2-3 सप्ताह का चुनावी सीजन बचा हुआ है। इस दौरान डीजल-पेट्रोल की बिक्री के आंकड़े चौंकाने वाले रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि चुनावी अभियान के जोर पकड़ने के बावजूद डीजल और पेट्रोल की बिक्री में वृद्धि नहीं हुई, बल्कि इसमें कमी आई है। यह अप्रत्याशित परिवर्तन विशेषज्ञों और आम जनता दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
इससे भी पढ़े :- झारखंड के मंत्री आलमगीर पर ED के आरोप, रिमांड नोट में खुलासा |
इतनी रही पेट्रोल की बिक्री
Diesel-Petrol Sale: पीटीआई की एक रिपोर्ट में सरकारी तेल कंपनियों द्वारा डीजल और पेट्रोल समेत विभिन्न ईंधनों की बिक्री के आंकड़ों की जानकारी दी गई है। आंकड़ों के अनुसार, मई महीने के पहले 15 दिनों में देश भर में पेट्रोल की बिक्री 1.367 मिलियन टन रही। यह आंकड़ा पिछले साल के मई महीने के पहले 15 दिनों की तुलना में लगभग समान है, जब 1.36 मिलियन टन पेट्रोल की बिक्री हुई थी।
डीजल की बिक्री में गिरावट
Diesel-Petrol Sale: वहीं डीजल की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। 1 मई से 15 मई के दौरान सरकारी तेल कंपनियों ने देश भर में 3.28 मिलियन टन डीजल की बिक्री की, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 1.1 प्रतिशत कम है। डीजल की बिक्री में यह गिरावट लगातार जारी है। इससे पहले, अप्रैल महीने में डीजल की खपत में सालाना आधार पर 2.3 प्रतिशत और मार्च महीने में 2.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी।
चुनावी मौसम में बढ़ती है डिमांड
Diesel-Petrol Sale: डीजल सबसे अधिक खपत होने वाला ईंधन है। आम तौर पर यह देखा जाता रहा है कि चुनावी सीजन में डीजल की मांग बढ़ जाती है। चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उम्मीदवारों द्वारा वाहनों का अधिक इस्तेमाल किया जाता है, जिससे डीजल और पेट्रोल की खपत में वृद्धि होती है। हालांकि, इस बार स्थिति अलग है। डीजल की बिक्री में गिरावट देखी जा रही है, जबकि पेट्रोल की खपत लगभग उसी स्तर पर बनी हुई है, जहां यह पिछले साल थी।
Diesel-Petrol Sale: 1 मई से 15 मई के बीच सरकारी तेल कंपनियों ने देश भर में 3.28 मिलियन टन डीजल की बिक्री की, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 1.1 प्रतिशत कम है। डीजल की बिक्री में यह गिरावट लगातार जारी है, इससे पहले अप्रैल महीने में डीजल की खपत में 2.3 प्रतिशत और मार्च महीने में 2.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। दूसरी ओर, मई महीने के पहले 15 दिनों में पेट्रोल की बिक्री 1.367 मिलियन टन रही, जो पिछले साल की समान अवधि के 1.36 मिलियन टन के आंकड़े के करीब है। यह स्थिति विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बन गई है।
सात चरणों में लोकसभा चुनाव
Diesel-Petrol Sale: लोकसभा चुनाव हर पांच साल में एक बार होते हैं। इस बार लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान हो रहा है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ था। अब तक चार चरणों में मतदान संपन्न हो चुके हैं। अंतिम, यानी सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा। इसके बाद, 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित किए जाएंगे।
इस चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के समर्थन में जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान देश भर में रैलियां, जनसभाएं और रोड शो आयोजित किए जा रहे हैं। उम्मीदवार और पार्टी नेता जनता से मिलकर अपने-अपने वादे और नीतियां प्रस्तुत कर रहे हैं। इस चुनावी माहौल में मतदाताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका वोट ही देश के भविष्य की दिशा तय करेगा।
Diesel-Petrol Sale: लोकसभा चुनाव का यह चरणबद्ध तरीका सुनिश्चित करता है कि विभिन्न क्षेत्रों में शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से मतदान हो सके। चुनाव आयोग की निगरानी और प्रशासन की तैयारी से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहती है। अब सभी की नजरें 1 जून और 4 जून पर टिकी हैं, जब अंतिम मतदान और नतीजे सामने आएंगे।
इन कारणों से भी मिलता है सपोर्ट
Diesel-Petrol Sale: अभी डीजल-पेट्रोल की बिक्री में गिरावट के आंकड़े इसलिए भी चौंकाने वाले हैं, क्योंकि चुनावी सीजन के अलावा अन्य कारक भी खपत को समर्थन देने वाले मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, इस समय गर्मियों का मौसम अपने चरम पर है। इस मौसम में ईंधन की खपत सामान्यतः बढ़ जाती है, क्योंकि लोग गर्मी से बचने के लिए अपनी गाड़ियों में एसी का अधिक इस्तेमाल करते हैं। इसके अतिरिक्त, हाल ही में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में लंबे समय बाद कटौती की गई थी। मार्च महीने में करीब दो साल के बाद पहली बार डीजल-पेट्रोल की कीमतों में 2-2 रुपये प्रति लीटर की कटौती हुई थी। इस प्रकार की कीमतों में कमी से भी खपत में वृद्धि होनी चाहिए थी।
Diesel-Petrol Sale: इस सीजन में खेती के चलते भी ईंधन, विशेषकर डीजल की मांग में तेजी आती है। किसान अपने कृषि कार्यों के लिए डीजल का अधिक उपयोग करते हैं, जिससे डीजल की खपत बढ़ जाती है। बावजूद इसके, वर्तमान में डीजल-पेट्रोल की बिक्री में गिरावट देखी जा रही है, जो एक अप्रत्याशित घटना है। यह स्थिति न केवल विशेषज्ञों के लिए बल्कि नीति निर्माताओं के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।
सबसे ज्यादा डीजल की बिक्री
Diesel-Petrol Sale: देश में सभी पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में अकेले डीजल का योगदान लगभग 40 प्रतिशत होता है। डीजल का सबसे अधिक उपयोग ट्रांसपोर्ट सेक्टर में होता है, जहां इसकी खपत का हिस्सा लगभग 70 प्रतिशत है। ट्रकों, बसों, और अन्य वाणिज्यिक वाहनों के लिए डीजल प्रमुख ईंधन है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में वस्तुओं और यात्रियों को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Diesel-Petrol Sale: कृषि क्षेत्र में भी डीजल का महत्वपूर्ण योगदान है। किसान अपने ट्रैक्टर, पंप सेट और अन्य कृषि उपकरणों को चलाने के लिए डीजल का व्यापक रूप से उपयोग करते हैं। खेती की विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे कि जुताई, सिंचाई, और फसल कटाई में डीजल का उपयोग आवश्यक हो गया है। इसके बिना कृषि कार्यों की कुशलता और समयबद्धता में कमी आ सकती है।
इस प्रकार, डीजल की खपत देश की अर्थव्यवस्था और विभिन्न उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ट्रांसपोर्ट और कृषि के अलावा, निर्माण, खनन, और अन्य औद्योगिक गतिविधियों में भी डीजल का उपयोग व्यापक रूप से होता है। इसलिए, डीजल की खपत में किसी भी प्रकार की गिरावट अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव डाल सकती है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
एटीएफ और एलपीजी की बढ़ी खपत
Diesel-Petrol Sale: मई महीने में (1 से 15 मई तक) विमानन ईंधन यानी एटीएफ की बिक्री में बढ़ोतरी देखने को मिली है। सालाना आधार पर इस दौरान एटीएफ की खपत 4.1 फीसदी बढ़कर 3.14 लाख टन पर पहुंच गई है। इसी तरह, सालाना आधार पर रसोई गैस यानी एलपीजी की भी बिक्री में वृद्धि देखी गई है। इसकी बिक्री साल भर पहले की तुलना में 1.1 फीसदी बढ़कर 1.21 मिलियन टन हो गई है।
Diesel-Petrol Sale: इस बढ़ती बिक्री में गर्मियों का मौसम एक महत्वपूर्ण कारक है। गर्मियों में विमानों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे एटीएफ की खपत में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, लोग अपने घरों में अधिक एलपीजी का उपयोग करते हैं जिससे इसकी बिक्री में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यह तरंग बिक्री में बढ़ोतरी को संकेत देती है कि लोग गर्मियों के आने के साथ-साथ अधिक यात्रा करने और अधिक घरेलू उपयोग के कारण इन पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हो रही है।
इससे भी पढ़े :- क्या सरकार रिटेल निवेशकों की है स्लीपिंग पार्टनर? क्यों ये सुनकर वित्त मंत्री नहीं रोक पाईं अपनी हंसी |