CPI Inflation: जून में खाद्य महंगाई दर 9.36% पर पहुंची, मई में थी 8.83% |
CPI Inflation: खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा महंगाई दर एक बार फिर से 5 फीसदी के पार पहुंच गई है। जून 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.08 फीसदी रही, जबकि मई 2024 में यह 4.80 फीसदी थी। खाद्य महंगाई दर में भी वृद्धि देखी गई है और यह 9 फीसदी के पार चली गई है। जून में खाद्य महंगाई दर 9.36 फीसदी रही, जबकि मई में यह 8.83 फीसदी थी। लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी महंगाई दर में और वृद्धि हो सकती है, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति पर और दबाव पड़ेगा।
CPI Inflation: खाद्य वस्तुओं की कीमतों में यह उछाल मुख्यतः मौसम के प्रभाव, उत्पादन में कमी और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण हो रहा है। सरकार द्वारा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बावजूद, बाजार में कीमतों की बढ़ती प्रवृत्ति चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में आम जनता को राहत देने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
महंगाई दर में उछाल
CPI Inflation: सांख्यिकी मंत्रालय ने जून महीने के लिए खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किए हैं। डेटा के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल के चलते जून 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.08 फीसदी दर्ज की गई है। मई में यह दर 4.75 फीसदी थी, जिसे बाद में संशोधित कर 4.80 फीसदी कर दिया गया। पिछले साल जून 2023 में खुदरा महंगाई दर 4.87 फीसदी रही थी। इस साल जून महीने में खाद्य महंगाई दर 9.36 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि मई में यह 8.83 फीसदी थी। जून 2023 में खाद्य महंगाई दर 4.31 फीसदी थी।
CPI Inflation: इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में भी महंगाई दर में वृद्धि जारी रह सकती है, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति पर और दबाव पड़ेगा। ऐसे समय में, सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि लोगों को राहत मिल सके।
साग-सब्जियों और दालों की बढ़ी महंगाई
CPI Inflation: देश के कई हिस्सों में भारी बारिश के कारण सब्जियों की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है, जिससे साग-सब्जियां महंगी हो गई हैं। जून में सब्जियों की महंगाई दर 29.32 फीसदी रही, जबकि मई में यह 27.33 फीसदी थी। दालों की महंगाई दर जून में 16.07 फीसदी रही, जो मई में 17.14 फीसदी थी, जिससे मामूली कमी आई है। फलों की महंगाई दर जून में 7.1 फीसदी रही, जबकि मई में यह 6.68 फीसदी थी। अनाज और उससे जुड़े उत्पादों की महंगाई दर 8.75 फीसदी रही, जो मई में 8.69 फीसदी थी।
CPI Inflation: चीनी की महंगाई दर 5.83 फीसदी दर्ज की गई, जबकि मई में यह 5.70 फीसदी थी। अंडों की महंगाई दर में गिरावट आई है और यह जून में 3.99 फीसदी रही, जबकि मई में यह 7.62 फीसदी थी। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि विभिन्न खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है। जहां सब्जियों और फलों की कीमतें बढ़ी हैं, वहीं दालों और अंडों की महंगाई दर में कमी आई है। ऐसे समय में, उपभोक्ताओं को सावधानीपूर्वक बजट प्रबंधन की आवश्यकता है ताकि वे इस महंगाई के प्रभाव से खुद को बचा सकें।
सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर फिरा पानी
CPI Inflation: खुदरा महंगाई दर में उछाल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए एक बड़ा झटका है। आरबीआई की कोशिश इसे 4 फीसदी तक लाने की थी, लेकिन अब यह दर फिर से 5 फीसदी के ऊपर चली गई है। इस स्थिति में, आरबीआई की ओर से पॉलिसी रेट्स में कटौती की संभावनाओं पर भी ब्रेक लग गया है। गुरुवार को ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि महंगाई दर अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है और यह तय लक्ष्य से अधिक है। खुदरा महंगाई दर में इस बढ़ोतरी के कारण आरबीआई को अपनी मौद्रिक नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
CPI Inflation: बढ़ती महंगाई दर से न केवल आम जनता प्रभावित हो रही है, बल्कि इससे आर्थिक स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है। आरबीआई को अब महंगाई पर काबू पाने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि कीमतों में स्थिरता लाई जा सके और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सके। वर्तमान परिस्थितियों में, आरबीआई की प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रित करने की होनी चाहिए, जिससे आम जनता को राहत मिल सके और देश की आर्थिक वृद्धि में स्थिरता बनी रहे।
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