Chandra Grahan: 18 साल बाद ब्रह्मांड में घटने वाली अद्भुत घटना;शनि को चंद्र ग्रहण से खतरा!

Chandra Grahan: 24-25 जुलाई 2024 की मध्यरात्रि अद्भुत शनि Chandra Grahan;वैज्ञानिकों ने इसे ‘लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न’ नाम दिया |

Chandra Grahan;वैज्ञानिकों ने इसे 'लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न' नाम दिया
Chandra Grahan;वैज्ञानिकों ने इसे ‘लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न’ नाम दिया

आमतौर पर कई बार चंद्रमा बादलों के पीछे छिप जाता है। चांद के बादलों में छिपने को लेकर कई गीत और कविताएं बन चुकी हैं। लेकिन इस बार कुछ अद्भुत होने जा रहा है, जब बादलों में छिपने वाला चांद अपनी ओट से शनि को छिपाने वाला है। यह दुर्लभ खगोलीय घटना भारत में पूरे 18 साल बाद होगी। इस दौरान शनि चंद्रमा के पीछे छिप जाएगा और चंद्रमा के किनारे से वलय की तरह नजर आएगा। दुनियाभर के खगोल वैज्ञानिकों के लिए यह घटना अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण होगी। यह खगोलीय घटना ‘लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न’ के नाम से जानी जाती है।

24-25 जुलाई 2024 की मध्यरात्रि को यह अद्भुत दृश्य आसमान में देखा जा सकेगा। इस घटना के दौरान चंद्रमा शनि को पूरी तरह से ढक लेगा, जिससे शनि का वलय चंद्रमा के किनारों से झांकता हुआ दिखाई देगा। यह दृश्य न केवल खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी आकर्षक होगा। इस प्रकार की घटनाएं बहुत ही दुर्लभ होती हैं और इसे देखना एक अनूठा अनुभव होगा। दुनियाभर के खगोल वैज्ञानिक इस घटना का बारीकी से अध्ययन करेंगे और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने की कोशिश करेंगे।

कब दिखाई देगा शनि Chandra Grahan

यह दुर्लभ घटना 24-25 जुलाई की मध्यरात्रि को घटने वाली है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस समय रात्रि में कुछ घंटों के लिए आसमान में इसे देखा जा सकेगा। शनि को Chandra Grahan तब लगता है जब चंद्रमा अपनी ओट में शनि को छिपा लेता है। चंद्रमा के पीछे छिपे होने के कारण, चांद के किनारे से शनि वलय या रिंग की तरह नजर आएंगे। वैज्ञानिकों ने इसे ‘लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न’ (Lunar Occultation of Saturn) का नाम दिया है।

यह खगोलीय घटना भारत में 18 साल बाद घटने वाली है, जिससे इसे और भी विशेष बना देती है। दुनियाभर के खगोल वैज्ञानिक इस अद्भुत घटना का अध्ययन करने के लिए उत्साहित हैं। यह दृश्य न केवल खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी बेहद आकर्षक होगा। चंद्रमा और शनि के इस अद्वितीय संयोजन को देखना एक अनोखा अनुभव होगा। वैज्ञानिक इस घटना का बारीकी से निरीक्षण करेंगे और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने की कोशिश करेंगे। यह घटना न केवल विज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि खगोलीय घटना के शौकीनों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

भारत में 24 जुलाई की रात को एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिलेगी। रात करीब 1:30 बजे से यह नजारा शुरू होगा, जिसमें चंद्रमा धीरे-धीरे शनि को ढकना शुरू करेगा। लगभग 15 मिनट बाद, चंद्रमा पूरी तरह से शनि को अपनी ओट में ले लेगा। यह स्थिति करीब 2:25 बजे तक बनी रहेगी, जब शनि फिर से चंद्रमा के पीछे से निकलता दिखाई देगा। इस प्रकार, रात 1:30 बजे से 2:25 बजे तक आसमान में चंद्रमा और शनि के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहेगा। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए लोग बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि यह नजारा बहुत ही दुर्लभ और रोमांचक है।

कहां-कहां देखा जा सकेगा शनि Chandra Grahan

शनि Chandra Grahan का अद्भुत नजारा न केवल भारत में, बल्कि इसके पड़ोसी देशों में भी देखा जा सकेगा। हालांकि, विभिन्न देशों में इस घटना का समय थोड़ा अलग हो सकता है। श्रीलंका, म्यांमार, चीन और जापान जैसे देशों में भी इस खगोलीय घटना को देखा जा सकेगा। इस नजारे को आप बिना किसी उपकरण के खुली आंखों से भी देख सकते हैं। हालांकि, शनि के रिंग या वलय को स्पष्ट रूप से देखने के लिए आपको दूरबीन की आवश्यकता हो सकती है। यह घटना खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए एक दुर्लभ अवसर है, जो उन्हें आकाश में अद्वितीय और सुंदर दृश्यों का आनंद लेने का मौका देगी।

Chandra Grahan;वैज्ञानिकों ने इसे 'लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न' नाम दिया
Chandra Grahan;वैज्ञानिकों ने इसे ‘लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न’ नाम दिया

अक्टूबर में फिर लगेगा शनि Chandra Grahan

भारत में 24 जुलाई की रात को एक अनोखी खगोलीय घटना घटित होने वाली है। रात लगभग 1:30 बजे से यह दृश्य प्रारंभ होगा, जब चंद्रमा धीरे-धीरे शनि को ढकना शुरू करेगा। करीब 15 मिनट बाद, चंद्रमा पूरी तरह से शनि को अपनी ओट में ले लेगा। यह स्थिति रात 2:25 बजे तक बनी रहेगी, जब शनि पुनः चंद्रमा के पीछे से निकलता हुआ दिखाई देगा। इस प्रकार, रात 1:30 बजे से लेकर 2:25 बजे तक आसमान में चंद्रमा और शनि के बीच लुकाछिपी का अद्भुत खेल चलता रहेगा।

इस खगोलीय घटना को देखने के लिए लोग बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं, क्योंकि यह दृश्य अत्यंत दुर्लभ और रोमांचक है। इस अद्भुत खगोलीय घटना को बिना किसी उपकरण के खुली आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन यदि आप शनि के रिंग या वलय को स्पष्ट रूप से देखना चाहते हैं, तो दूरबीन की आवश्यकता हो सकती है। न केवल भारत में, बल्कि श्रीलंका, म्यांमार, चीन और जापान जैसे पड़ोसी देशों में भी इस खगोलीय घटना का आनंद लिया जा सकेगा। यह घटना खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए एक अनमोल अवसर है, जो उन्हें आकाश में अद्वितीय और सुंदर दृश्यों का अनुभव करने का मौका प्रदान करेगी।

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