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Blood after death: मृत्यु के बाद खून पानी में बदलता है? जानें इस धारणा की वैज्ञानिक सच्चाई !

Blood after death: क्या वाकई इंसान की मौत के बाद पानी में बदल जाता है खून? जानें क्या है इसकी हकीकत !

Blood after death: अक्सर यह कहा जाता है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति के शरीर में खून पानी में बदल जाता है। यह धारणा कई लोगों के बीच भ्रम उत्पन्न करती है। इस लेख में हम इस मिथक की सच्चाई को समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे कि मृत्यु के बाद शरीर में खून के साथ वास्तव में क्या होता है।

Blood after death
Blood after death: मृत्यु के बाद खून पानी में बदलता है? जानें इस धारणा की वैज्ञानिक सच्चाई !

मृत्यु के बाद खून का क्या होता है?

Blood after death : जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके शरीर की जीवनरक्षक प्रक्रियाएँ रुक जाती हैं। इसका मतलब है कि हृदय का पंपिंग कार्य बंद हो जाता है, जिससे रक्त प्रवाह भी रुक जाता है। इस स्थिति में शरीर में कई भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाएँ शुरू होती हैं, जिनका परिणाम विभिन्न प्रकार के शव संकेतों के रूप में सामने आता है।

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लिविडिटी या लिवर मोर्टिस (Postmortem Lividity)

Blood after death : मृत्यु के तुरंत बाद एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया शुरू होती है जिसे लिविडिटी या लिवर मोर्टिस कहा जाता है। यह प्रक्रिया तब होती है जब खून शरीर के सबसे निचले हिस्से में जमा होने लगता है, क्योंकि हृदय अब उसे पंप नहीं कर रहा होता। इस अवस्था को “लिवर मोर्टिस” कहते हैं और यह मृत्यु के कुछ घंटों के भीतर शुरू हो जाती है।

लिवर मोर्टिस की प्रक्रिया

  1. मृत्यु के तुरंत बाद: मृत्यु के एक घंटे के भीतर लिवर मोर्टिस के शुरुआती लक्षण देखे जा सकते हैं। इस समय, खून त्वचा पर दबाव डालने लगता है, और इसके कारण शरीर के निचले हिस्से में लाल या बैंगनी निशान बनने लगते हैं।
  2. 2-4 घंटे के बाद: मृत्यु के 2 से 4 घंटे के बीच लिवर मोर्टिस अपने अधिकतम स्तर पर पहुंच जाता है। इस समय तक खून अभी भी तरल अवस्था में होता है, और दबाव हटाने पर ये निशान कम हो सकते हैं।
  3. 9-12 घंटे के बाद: 9 से 12 घंटे के भीतर खून जमने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है और निशान स्थायी हो जाते हैं। अब खून के तरल होने की अवस्था समाप्त हो जाती है, और ये निशान स्थायी रूप से शरीर पर बने रहते हैं।

रक्त के पतले होने का प्रभाव

Blood after death : मृत्यु के बाद खून का पतला होना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसके पीछे का कारण है कि शरीर में रक्त प्रवाह रुक जाता है और नया खून नहीं बनता। इसका परिणाम यह होता है कि शरीर का खून गाढ़ा और थक्का बनने लगता है, जो पहले तरल होता है। इससे ऐसा लग सकता है कि शरीर का खून पानी में बदल गया है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता।

शव के साथ होने वाली अन्य प्रक्रियाएँ

  1. रिगोर मोर्टिस (Rigor Mortis): मृत्यु के कुछ घंटे बाद शव की मांसपेशियाँ कठोर हो जाती हैं, जिसे रिगोर मोर्टिस कहते हैं। यह प्रक्रिया मृत्यु के लगभग 2 से 6 घंटे के भीतर शुरू होती है और 24 से 48 घंटे के बीच अपने चरम पर पहुंचती है। इसके बाद, मांसपेशियाँ फिर से ढीली हो जाती हैं।
  2. डीकंपोजीशन (Decomposition): मृत्यु के बाद शव में डीकोम्पोजीशन प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें शरीर के ऊतक और अंगों का विघटन होता है। यह प्रक्रिया शरीर के भीतर के बैक्टीरिया और एंजाइमों की क्रिया से होती है, जो शव को सड़ाते हैं।

निष्कर्ष

Blood after death : यह कहना कि इंसान की मृत्यु के बाद उसका खून पानी में बदल जाता है, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही नहीं है। मृत्यु के बाद शरीर में खून का तरल होना और गाढ़ा होना सामान्य प्रक्रियाओं का हिस्सा है। लिवर मोर्टिस के कारण खून शरीर के निचले हिस्से में जमा होता है और लाल या बैंगनी निशान बनते हैं, लेकिन खून वास्तव में पानी में नहीं बदलता।

Blood after death : इस प्रकार, यह समझना महत्वपूर्ण है कि शारीरिक प्रक्रियाएँ मृत्यु के बाद की अवस्था में कैसे काम करती हैं और इन्हें किस प्रकार से समझा जा सकता है। विज्ञान की मदद से हम इन प्राकृतिक घटनाओं को सही ढंग से समझ सकते हैं और मिथकों से दूर रह सकते हैं।

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