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Astronaut: अंतरिक्ष में भूख;इसके पीछे का विज्ञान क्या कहता है?

Astronaut के भोजन में क्या होता है और मिशन के दौरान भूख कम क्यों लगती है;जानिए इसके पीछे का विज्ञान |

Astronaut: अंतरिक्ष में भूख;इसके पीछे का विज्ञान क्या कहता है?

अंतरिक्ष को रहस्यों से भरी दुनिया कहा जाता है, जहां जाने के लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है। कई देशों की स्पेस एजेंसियां लगातार अंतरिक्ष के बारे में अध्ययन और अनुसंधान कर रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्पेस में जाने वाले Astronaut अपने साथ खाने में क्या लेकर जाते हैं? और क्या स्पेस में रहने के दौरान उनकी भूख कम हो जाती है?

Astronaut अपने साथ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ लेकर जाते हैं, जिन्हें अंतरिक्ष में आसानी से खाया जा सके और जो लंबे समय तक ताजगी बनाए रखें। यह खाद्य पदार्थ आमतौर पर फ्रीज-ड्राइड होते हैं, जिन्हें पानी मिलाकर खाया जा सकता है। इनके अलावा, अंतरिक्ष में खाने के लिए ताजे फल, नट्स, और स्नैक्स भी शामिल होते हैं।

Astronaut मिशन के दौरान Astronaut की भूख कम लगने के पीछे का विज्ञान भी दिलचस्प है। शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में, शरीर की तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ जाते हैं, जिससे सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता प्रभावित होती है। इसके परिणामस्वरूप, भोजन का स्वाद कम हो जाता है और भूख भी कम लगती है। इसके अलावा, मिशन के दौरान तनाव और व्यस्तता भी भूख पर असर डाल सकते हैं। इस प्रकार, अंतरिक्ष में रहने वाले यात्रियों की भूख और भोजन की आवश्यकताएं पृथ्वी पर रहने वाले लोगों से भिन्न होती हैं।

अंतरिक्ष

अंतरिक्ष को लेकर अमेरिका, भारत, रूस, चीन और जापान समेत कई देशों की स्पेस एजेंसियां लगातार महत्वपूर्ण काम कर रही हैं। भारतीय मूल की नासा Astronaut सुनीता विलियम्स और उनके साथी, विमान में खराबी के कारण अंतरिक्ष में फंस गए थे, जिसके बाद से पूरी दुनिया उनकी सफल वापसी की प्रतीक्षा कर रही है।

Astronaut सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में अपने मिशन के दौरान कई महत्वपूर्ण प्रयोग और अनुसंधान किए हैं। उनके और उनके साथियों की सुरक्षा और वापसी के लिए नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां दिन-रात काम कर रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनीता और उनके साथी जल्द ही धरती पर वापस लौट आएंगे, जिससे उनके परिवार, दोस्तों और समर्थकों में उत्साह का माहौल है।

इस घटना ने अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा और तकनीकी चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित किया है। यह भी दर्शाता है कि अंतरिक्ष मिशनों में जोखिम हमेशा मौजूद रहता है, और ऐसे अभियानों के लिए तैयारियों का उच्चतम स्तर आवश्यक है। सुनीता और उनके साथियों की सुरक्षित वापसी के बाद, अंतरिक्ष अनुसंधान में नई दिशाओं और नई तकनीकों पर विचार किया जाएगा, जिससे भविष्य के मिशन और भी सुरक्षित और सफल हो सकें।

Astronaut सुनीता विलियम्स के स्पेस में फंसे होने के कारण सोशल मीडिया पर यूजर्स लगातार तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं। कई यूजर्स ने पूछा है कि वहां पर उन्हें खाना कैसे मिलता होगा और उनके पास जिंदा रहने के लिए कितना खाना बचा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनीता विलियम्स और उनके साथी के पास अभी पर्याप्त खाना है।

सुनीता अपने अंतरिक्ष मिशन में समोसे भी लेकर गई हैं, जो उनकी पसंदीदा डिश है। हालांकि, अंतरिक्ष में भोजन का अनुभव पृथ्वी से काफी अलग होता है। शून्य गुरुत्वाकर्षण के कारण, स्वाद और गंध की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे खाना उतना स्वादिष्ट नहीं लगता। जो भोजन धरती पर बहुत मन से खाया जाता है, वह अंतरिक्ष में फीका लगता है।

Astronaut को विशेष रूप से तैयार किया गया खाना दिया जाता है, जिसे फ्रीज-ड्राइड किया जाता है और आसानी से खाया जा सकता है। इन खाद्य पदार्थों में पोषण की सभी आवश्यकताएं पूरी की जाती हैं ताकि Astronaut स्वस्थ रह सकें। इस प्रकार, अंतरिक्ष में भोजन की तैयारी और उपभोग एक महत्वपूर्ण विषय है, जो यात्रियों की सेहत और मिशन की सफलता के लिए आवश्यक है।

Astronaut को भूख क्यों नहीं लगती

एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भूख क्यों नहीं लगती, इसे जानने के लिए ऑस्ट्रेलिया की RMIT यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च की गई है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने VR और अंतरिक्ष यान के सिम्युलेटेड माहौल का उपयोग किया। इसका उद्देश्य यह समझना था कि अंतरिक्ष यात्रा किसी व्यक्ति की गंध और भोजन के अनुभव पर कैसे प्रभाव डालती है।

Astronaut रिसर्च के परिणाम इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। शोध में पाया गया कि शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में, शरीर की तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ जाते हैं, जिससे सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता प्रभावित होती है। इसके परिणामस्वरूप, भोजन का स्वाद कम हो जाता है और भूख भी कम लगती है।

इसके अलावा, अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान तनाव और व्यस्तता भी भूख पर असर डाल सकती है। इस रिसर्च ने यह भी दर्शाया कि भोजन का अनुभव और उसकी इच्छा अंतरिक्ष में अलग हो जाती है, जो पृथ्वी पर सामान्य रूप से अनुभव की गई भूख से भिन्न होती है। इन परिणामों से Astronaut के लिए बेहतर खाद्य प्रबंधन और उनके अनुभव को सुधारने के नए तरीके खोजने में मदद मिल सकती है।

Astronaut: अंतरिक्ष में भूख;इसके पीछे का विज्ञान क्या कहता है?

रिपोर्ट के मुताबिक, खाने का पूरा स्वाद लेने के लिए हमें सभी इंद्रियों की आवश्यकता होती है। Astronaut को खाने में उतना स्वाद नहीं आता है, इसका एक संभावित कारण अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण (ग्रेविटी) की कमी है। ग्रेविटी के बिना, शारीरिक तरल पदार्थ पैरों की ओर नहीं खींचे जाते, बल्कि सिर की ओर जमा हो जाते हैं। इससे बंद नाक जैसी परेशानी होती है।

आपने भी यह अनुभव किया होगा कि सर्दी में जब नाक बंद होती है, तो खाने की खुशबू नहीं आती है, जिससे मनपसंद खाने में भी उतना स्वाद नहीं आता है। अंतरिक्ष में भी यही स्थिति होती है, जिससे भोजन का अनुभव फीका पड़ जाता है। इसके अलावा, शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे भूख भी कम लगती है।

इस कारण से, Astronaut के लिए भोजन का स्वाद और उनकी भूख पृथ्वी पर रहने वाले लोगों से भिन्न होती है। यह अंतरिक्ष मिशनों की चुनौतियों में से एक है, जिसके समाधान के लिए निरंतर अनुसंधान किया जा रहा है ताकि Astronaut को बेहतर अनुभव और पोषण मिल सके।

स्पेस में खाना

अब सवाल है कि आखिर Astronaut स्पेस में क्या लेकर जाते हैं। बता दें कि अंतरिक्ष में जाने वाले स्पेसक्राफ्ट के हर टुकड़े के लिए वजन और मात्रा हमेशा प्राथमिक डिजाइन कारक रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Astronaut अपने लिए कितने वजन का खाना लेकर जाते हैं? अंतरिक्ष में भोजन के लिए अनुमानित वजन 1.72 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन तक सीमित होता है, जिसमें 0.45 किलोग्राम पैकेजिंग वजन भी शामिल है।

आप सोच रहे होंगे कि खाने-पीने पर इतनी रोक क्यों है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अंतरिक्ष के शून्य गुरुत्वाकर्षण के लिए भोजन को एक विशेष प्रसंस्करण और पैकेजिंग तकनीक की आवश्यकता होती है। यह तकनीक सुनिश्चित करती है कि भोजन लंबे समय तक सुरक्षित रहे और आसानी से खाया जा सके।

Astronaut को विशेष रूप से तैयार किया गया खाना दिया जाता है, जो पौष्टिक और संतुलित होता है। इस भोजन को फ्रीज-ड्राइड किया जाता है और खाने से पहले पानी मिलाकर पुनः सक्रिय किया जाता है। इस प्रकार, अंतरिक्ष में भोजन की तैयारी और खपत एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो Astronaut की सेहत और मिशन की सफलता के लिए आवश्यक होती है।

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