- Aadhaar card limitations: सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को उम्र के प्रमाण के रूप में मान्यता देने से किया इंकार, हाईकोर्ट का आदेश अस्वीकार किया|
Aadhaar card limitations: सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को उम्र के प्रमाण के रूप में मान्यता देने से किया इंकार, हाईकोर्ट का आदेश अस्वीकार किया|
Aadhaar card limitations: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आधार कार्ड को उम्र प्रमाण के रूप में मान्यता देने से मना करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि उम्र निर्धारित करने के लिए स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र जैसे अन्य वैध दस्तावेज़ प्राथमिकता रखेंगे। UIDAI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आधार कार्ड केवल पहचान के लिए मान्य है, जबकि जन्मतिथि के प्रमाण के लिए इसे सही नहीं माना गया है।
Aadhaar card limitations: यह महत्वपूर्ण फैसला उस मामले से संबंधित है जिसमें हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के पीड़ित को मुआवजा देने के लिए आधार कार्ड के आधार पर उम्र निर्धारित की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलटते हुए कहा कि आधार कार्ड की वैधता केवल पहचान के लिए है और इसे उम्र प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आयु निर्धारण के लिए अधिक विश्वसनीय दस्तावेज़ों का उपयोग किया जाना चाहिए।
Aadhaar card limitations: सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय विभिन्न मामलों में कानूनी दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है, खासकर जब बात उम्र निर्धारण की आती है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र या अन्य सरकारी दस्तावेज़ ज्यादा प्रभावी और विश्वसनीय होंगे। इस फैसले से यह संदेश मिलता है कि पहचान और उम्र प्रमाण के लिए अलग-अलग मानक हैं, और नागरिकों को सही दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। यह निर्णय न केवल कानूनी प्रणाली में स्पष्टता लाता है, बल्कि नागरिकों को अपने अधिकारों और दस्तावेजों की वैधता को समझने में भी मदद करता है।
Aadhaar card limitations: हाईकोर्ट का फैसला और सुप्रीम कोर्ट का प्रतिवाद
Aadhaar card limitations: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के फैसले में बदलाव करते हुए मृतक की उम्र का निर्धारण आधार कार्ड के आधार पर किया। पहले, एमएसीटी ने मृतक की उम्र स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र में दर्ज जन्मतिथि के अनुसार निर्धारित की थी और उसी के आधार पर मुआवजे की गणना की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे बदलकर मृतक की आयु 47 वर्ष मानते हुए मुआवजे की राशि को घटाकर 9.22 लाख रुपये कर दिया।
इस निर्णय को मृतक के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ द्वारा सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि एमएसीटी का निर्णय सही था और मृतक की उम्र की पहचान के लिए आधार कार्ड को मान्यता नहीं दी जा सकती। इस फैसले ने यह साबित किया कि विभिन्न दस्तावेज़ों की वैधता को देखते हुए ही मुआवजे की गणना की जानी चाहिए, ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।
Aadhaar card limitations: आधार कार्ड के संदर्भ में UIDAI के परिपत्र का उल्लेख
Aadhaar card limitations: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने निर्णय में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के 8/2023 परिपत्र का उल्लेख किया। इस परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि आधार कार्ड पहचान स्थापित करने के लिए एक दस्तावेज़ के रूप में उपयोगी हो सकता है, लेकिन इसे जन्म तिथि प्रमाणित करने के लिए मान्यता नहीं दी जा सकती। UIDAI ने पहले से ही इस विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि आधार में दर्ज जन्मतिथि को वैध प्रमाण नहीं माना जाएगा।
इसका कारण यह है कि आधार कार्ड में जन्मतिथि में बदलाव की सीमित अनुमति होती है, जिससे यह प्रमाणित करना कठिन हो जाता है कि दी गई जन्मतिथि सही है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय यह दर्शाता है कि दस्तावेजों की वैधता और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर जब बात उम्र के निर्धारण की आती है। इस प्रकार, अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि नागरिकों को सही और विश्वसनीय दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता है, ताकि कानूनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 का संदर्भ
Aadhaar card limitations: सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 का संदर्भ दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि उम्र के निर्धारण में स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र प्राथमिकता रखता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में स्कूल प्रमाणपत्र को विश्वसनीय माना जाना चाहिए, जबकि आधार कार्ड को जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता। इस निर्णय ने यह सुनिश्चित किया है कि उम्र निर्धारण में सही और मान्य दस्तावेजों का ही इस्तेमाल किया जाए, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनी रहे।
Aadhaar card limitations: इस फैसले का महत्व
यह फैसला कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- टैक्स और मुआवजा मामलों में स्पष्टता: अदालत का यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि मुआवजा निर्धारण और अन्य कानूनी मामलों में आधार कार्ड को जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में नहीं माना जाए।
- UIDAI के दिशा-निर्देशों का पालन: इस फैसले से UIDAI द्वारा आधार कार्ड के उपयोग से संबंधित दिशा-निर्देशों की प्रासंगिकता बढ़ती है और आधार को केवल पहचान प्रमाण के रूप में ही सीमित किया जाता है।
इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधार कार्ड को कानूनी मामलों में जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल इस मामले के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि अन्य कानूनी मामलों में भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।