24/7 surveillance for citizens’ safety: भारतीय खुफिया और जांच एजेंसियाँ , देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका |
24/7 surveillance for citizens’ safety: कल्पना कीजिए कि आप एक विशाल महल में रहते हैं। इस महल में असंख्य कमरे हैं, जिनमें से कुछ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। इन खास कमरों में गुप्तचर तैनात हैं, जिनका मुख्य कार्य महल के भीतर और बाहर होने वाली हर गतिविधि पर पैनी नजर रखना है। यदि कोई अनजान व्यक्ति महल में प्रवेश करने की कोशिश करता है या महल के अंदर कोई गड़बड़ी करता है, तो ये गुप्तचर तुरंत उसे पकड़कर कानून के हवाले कर देते हैं।
24/7 surveillance for citizens’ safety: भारत की खुफिया और जांच एजेंसियों का कार्य भी इसी तरह का होता है। इन एजेंसियों का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। ये एजेंसियां देश के भीतर और बाहर होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखती हैं, और आतंकवाद, जासूसी, और भ्रष्टाचार जैसे अपराधों को रोकने का काम करती हैं। इन एजेंसियों का नेटवर्क अत्यंत मजबूत और सुव्यवस्थित होता है, जो देश की सुरक्षा के लिए दिन-रात काम करता है।
24/7 surveillance for citizens’ safety: इस विशेष आलेख में, आप भारत की खुफिया और जांच एजेंसियों के कार्यों और उनकी संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। यहां आपको पता चलेगा कि ये एजेंसियां कैसे काम करती हैं और उनकी टीम कैसे बनाई जाती है। ये एजेंसियां गुप्त सूचनाओं को इकट्ठा करने और उनका विश्लेषण करने में माहिर होती हैं, जिससे देश के संभावित खतरों को समय रहते टाला जा सके। उनकी कुशलता और सतर्कता ही देश की सुरक्षा का आधार है, और उनका कार्य राष्ट्र के हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
भारत की खुफिया और जांच एजेंसियां देश की शांति और सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके संगठित और समर्पित प्रयासों के बिना, देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। यह आलेख आपको इन एजेंसियों के जटिल और महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में एक नई दृष्टि देगा।
इंटेलिजेंस और इन्वेस्टिगेशन एजेंसी में फर्क समझिए पहले
भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दो प्रमुख प्रकार की एजेंसियां काम करती हैं: खुफिया (Intelligence) एजेंसियां और जांच (Investigation) एजेंसियां। दोनों ही एजेंसियां राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका काम करने का तरीका भिन्न होता है।
खुफिया एजेंसियों का मुख्य कार्य देश के भीतर और बाहर संभावित खतरों का पता लगाना है। वे यह जानने का प्रयास करती हैं कि कहीं कोई देश भारत के खिलाफ साजिश तो नहीं रच रहा है या कोई आतंकी हमला करने की योजना तो नहीं बना रहा है। खुफिया एजेंसियां सूचना एकत्रित करती हैं, विश्लेषण करती हैं और खतरों का अनुमान लगाती हैं ताकि समय रहते उचित कदम उठाए जा सकें।
दूसरी ओर, जांच एजेंसियां खुफिया एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर काम करती हैं। जब खुफिया एजेंसियों को कोई संभावित खतरे का पता चलता है, तो वे जांच एजेंसियों को सूचित करती हैं। इसके बाद, जांच एजेंसियां उस मामले की पूरी छानबीन करती हैं, सबूत इकट्ठा करती हैं और अपराधियों को पकड़ने की कोशिश करती हैं। उनका कार्य अपराध की तह तक जाना और न्याय सुनिश्चित करना है।
इन एजेंसियों का तालमेल और आपसी सहयोग ही देश की सुरक्षा का आधार है। खुफिया एजेंसियां जहां भविष्य के खतरों को पहचानने और रोकने का कार्य करती हैं, वहीं जांच एजेंसियां उन खतरों की विस्तृत जांच कर अपराधियों को कानून के कठघरे में लाने का कार्य करती हैं। इस प्रकार, ये एजेंसियां मिलकर देश को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और उनके समन्वित प्रयासों के बिना राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
भारत की खुफिया और जांच एजेंसियों की कुशलता और सतर्कता ही देश की सुरक्षा की गारंटी है। इनके संगठित प्रयास और समर्पण से ही राष्ट्र सुरक्षित और समृद्ध रह सकता है।
देश की मुख्य खुफिया और जांच एजेंसियां कौन सी हैं?
भारत में विभिन्न खुफिया एजेंसियां देश की सुरक्षा और अपराधों के खिलाफ संघर्ष करती हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) देश की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है जो देश के अंदर आतंकवाद, जासूसी जैसी गतिविधियों को निगरानी में रखती है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) एक विदेशी खुफिया एजेंसी है जो दूसरे देशों में हो रही गतिविधियों पर नजर रखती है।
सीबीआई भ्रष्टाचार और बड़े अपराधों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी है, खासकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों से जुड़े मामलों में। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) विशेष रूप से आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच करती है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध इस्तेमाल को रोकने का काम करती है। डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) सीमा शुल्क चोरी और कर चोरी से जुड़े मामलों की जांच करती है।
इन एजेंसियों का संगठन और कार्य विशेष रूप से देश की सुरक्षा और सुरक्षितता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे समय-समय पर अपराधियों को नियंत्रित करते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
भारत की आंख और कान इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली इस एजेंसी का मुख्य कार्य देश की अंदर की हर गतिविधि पर नजर रखना है। इसकी स्थापना साल 1887 में हुई थी, जब इसे ‘सेंट्रल स्पेशल ब्रांच’ के नाम से जाना जाता था। यह विश्व में सबसे पुरानी खुफिया एजेंसियों में मानी जाती है। 1968 तक इसे देश के बाहर और अंदर दोनों स्थानों से खुफिया जानकारी जुटाने का कार्य था। लेकिन 1968 में विदेशी खुफिया जानकारी के लिए अलग से ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)’ का गठन किया गया। इसके बाद से इस एजेंसी का मुख्य काम देश की आंतरिक गतिविधियों की निगरानी करना और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना हो गया है।
भारतीय खुफिया ब्यूरो (IB) अपने गुप्त कामकाज के लिए प्रसिद्ध है। यह एजेंसी देश के अंदर गुप्त जानकारी जुटाने में विशेषज्ञ है और जासूसी कार्य के लिए भी जानी जाती है। इसका मुख्य कार्य जासूसी करने वालों को पकड़ना और आतंकवाद जैसी सुरक्षा संबंधी गतिविधियों को रोकना है। IB में अधिकांश लोग पुलिस (IPS) या टैक्स विभाग (IRS) से आते हैं, कुछ लोग सेना से भी लिए जाते हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो के मुखिया, यानी डायरेक्टर इंटेलिजेंस ब्यूरो (DIB), विशेष रूप से पुलिस (IPS) से होते हैं।
इस एजेंसी ने कई महत्वपूर्ण काम किए हैं, लेकिन इन कार्यों की जानकारी सामान्यतः अधिक जनता तक नहीं पहुंचती है। IB इतनी गुप्त तरीके से काम करती है कि इसकी गतिविधियों और कार्यक्षमता के बारे में विस्तृत जानकारी मिलना बहुत मुश्किल होता है।
परदेस में भारत की आंख रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)
रॉ भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है जो दूसरे देशों में हो रही गतिविधियों पर नजर रखती है। इसका मुख्य कार्य विदेशी खुफिया जानकारी जुटाना होता है और इसे कैबिनेट सेक्रेटेरियट में ‘सेक्रेटरी (रिसर्च)’ कहा जाता है। रॉ के अधिकारी सीधे प्रधानमंत्री और ज्वॉइंट इंटेलिजेंस कमेटी को जवाबदेह होते हैं। ये संसद को किसी भी मामले पर जवाब नहीं देते और इसलिए इनका काम RTI अधिनियम के दायरे में नहीं आता।
रॉ के पहले प्रमुख रमेशवर नाथ ने अपने 9 साल के कार्यकाल में इसे एक महत्वपूर्ण खुफिया एजेंसी बनाया। उनकी नेतृत्व में रॉ ने विश्व में अपना विशेष स्थान बनाया, विशेषकर 1975 में सिक्किम को भारत में मिलाने जैसे महत्वपूर्ण घटनाओं में इसकी भूमिका रही।
रॉ को अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA की तर्ज पर ही बनाया गया है। इसमें सबसे ऊपर ‘सेक्रेटरी (रिसर्च)’ होते हैं, जो विशेष खुफिया ऑपरेशन्स और विदेशी जानकारी को संभालते हैं। उनके नीचे एक ‘एडिशनल सेक्रेटरी’ होता है जो अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी लेता है। इसके बाद कई ‘जॉइंट सेक्रेटरी’ होते हैं, जो विभिन्न देशों या क्षेत्रों के लिए कार्य करते हैं। जैसे एक जॉइंट सेक्रेटरी सिर्फ पाकिस्तान से जुड़े मामलों की निगरानी करेगा, तो दूसरा चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा, दो ‘स्पेशल जॉइंट सेक्रेटरी’ इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्निकल विभागों को संभालते हैं, जो नवाचारी तकनीकी जानकारी पर नजर रखते हैं।
मध्य भारत में स्थित रॉ का कार्यक्षेत्र पूरी तरह से गुप्त रहता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हमें उपलब्ध है। रॉ का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जहां से यह विदेशी खुफिया जानकारी का प्रबंधन करता है। इसके अलावा, देश के विभिन्न क्षेत्रों में रीजनल ऑफिस भी हैं, जो RAW स्टेशनों से संबंधित होते हैं और वहां से जुड़ी कार्यवाहियों का प्रबंधन करते हैं। प्रत्येक रीजनल ऑफिस का कंट्रोलिंग ऑफिसर विदेश में तैनात फील्ड ऑफिसर्स की कार्यवाहियों का प्रबंधन करता है।
फील्ड ऑफिसर्स और उनके उपक्रमी कई स्रोतों से जानकारी एकत्र करते हैं। यह जानकारी पहले सीनियर फील्ड ऑफिसर या डेस्क ऑफिसर द्वारा जांची जाती है और उसके बाद डेस्क ऑफिसर इसे एडिशनल सेक्रेटरी को प्रस्तुत करता है। फिर इस जानकारी को आगे भेजने के लिए निर्णय लिया जाता है, जो विशेष क्षेत्रीय और विदेशी खुफिया जानकारी की जिम्मेदारी लेते हैं।
भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)
सीबीआई भारत की प्रमुख जांच एजेंसी है, जो देश के अंदर होने वाले विभिन्न अपराधों की जांच करती है। इसकी शुरुआत में सीबीआई को मुख्य रूप से रिश्वतखोरी और सरकारी भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए बनाया गया था। लेकिन 1965 में इसके कार्यक्षेत्र को विस्तारित कर दिया गया, और अब यह केंद्र सरकार के कानूनी उल्लंघन, राज्यों में संगठित अपराध, अन्य एजेंसियों या अंतरराष्ट्रीय स्तर के मामलों की भी जांच करती है।
सीबीआई का कार्य इतना महत्वपूर्ण है कि इसे सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के दायरे में नहीं शामिल किया गया है। जब भी बड़े अपराध जैसे हत्या, अपहरण या आतंकवाद के मामले सामने आते हैं, तो आमतौर पर सीबीआई से उनकी जांच करने का आदेश दिया जाता है। कई बार पीड़ित पक्ष अदालत में आपील करते हैं कि सीबीआई इस मामले की जांच करें।
सीबीआई का कार्य विभागों में बांटा गया है, जिसमें विशेष जांच टीमें होती हैं जो विभिन्न प्रकार के अपराधों की जांच करती हैं।
- एंटी करप्शन डिविजन
- स्पेशल क्राइम्स डिविजन
- इकनॉमिक ऑफेंस डिविजन
- पॉलिसी एंड इंटरनेशनल पुलिस कॉपरेशन डिविजन
- एडमिनिस्ट्रेशन डिविजन
- डायरेक्टरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन डिविजन
- सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी डिविजन
सीबीआई की अगुवाई एक डायरेक्टर करता है, जो आमतौर पर एक IPS अधिकारी होता है और उनकी रैंक पुलिस महानिदेशक के बराबर होती है। डायरेक्टर को एक विशेष कमेटी चुनती है, जिसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act) 1946 के तहत बनाया गया है। इस कमेटी का गठन लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 के जरिए संशोधित किया गया है। सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल आमतौर पर दो साल का होता है, लेकिन इसे तीन साल तक भी बढ़ाया जा सकता है।
सीबीआई में कई अन्य रैंक के अधिकारी भी होते हैं, जो भारतीय राजस्व सेवा (IRS) या IPS से आते हैं। इनमें शामिल हैं: स्पेशल डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, सीनियर सुपरंटटेंड ऑफ पुलिस, सुपरंटटेंड, एडिशनल सुपरंटटेंड, डिप्टी सुपरंटटेंड, इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल, और कांस्टेबल। इन अधिकारियों की टीम मिलकर विभिन्न प्रकार के अपराधों की जांच करती है और उन पर कार्रवाई करती है।
आतंकवाद से लड़ने के लिए बनी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
26/11 मुंबई हमलों के बाद आतंकवाद से बेहतर तरीके से लड़ने के लिए भारत सरकार ने 2008 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का गठन किया। ये एक संसद अधिनियम के तहत बनाई गई एजेंसी है और इसकी मुख्य जिम्मेदारी आतंकवाद से जुड़े खास मामलों की जांच और उन पर मुकदमा चलाने का है। NIA सिर्फ इस तरह के विशेष मामलों को ही देखती है, जिनमें देश की अखंडता, सुरक्षा या गरिमा को खतरा हो। इसे आतंकवादी घटनाओं की जांच और उनके खिलाफ कार्रवाई में अपनी विशेषता है।
NIA को कई तरह के अधिकार भी दिए गए हैं:
- छापेमारी करने का अधिकार
- संदिग्ध चीजों को जब्त करने का अधिकार
- संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार
- सबूत जुटाने का अधिकार
- आतंकी संगठनों और उनके सदस्यों का डेटाबेस बनाने और रखने का अधिकार
माननीय NIA की अगुवाई एक डायरेक्टर जनरल करते हैं। यह अधिकारी एक IPS अफसर होते हैं, जिनकी रैंक पुलिस महानिदेशक के समान होती है। डायरेक्टर जनरल के साथ-साथ NIA में स्पेशल/एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) और इंस्पेक्टर जनरल (IG) भी काम करते हैं, जो उनकी सहायता करते हैं। यह एजेंसी देश भर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समर्थन प्रदान करने के लिए अलग-अलग राज्यों में ब्रांच ऑफिस भी स्थापित कर चुकी है।
NIA में ऊंचे पदों पर नियुक्ति भारतीय पुलिस सेवा (IPS) या भारतीय राजस्व सेवा (IRS) से की जाती है। इसके अलावा, निचले पदों पर भर्ती SSC या अन्य राज्यों की पुलिस द्वारा होती है, जो सीधे परीक्षा द्वारा चयन के आधार पर होती हैं।
आतंकवाद के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए भारत सरकार ने कई स्पेशल कोर्ट बनाए हैं। ये कोर्ट NIA के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज मामलों की सुनवाई करते हैं। इन कोर्ट्स की स्थापना NIA एक्ट 2008 की धारा 11 और 22 के तहत की गई है। इन अदालतों में जजों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है, लेकिन सिफारिश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से ली जाती है।
NIA की ये विशेष अदालतें सत्र न्यायालय (कोर्ट ऑफ सेशन) के तर्ह से कार्य करती हैं। इन कोर्ट्स को 1973 की दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सभी अधिकार प्राप्त होते हैं, जिन्हें उनके कार्य के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)
NCB की स्थापना 1986 में हुई थी। यह एजेंसी देश के विभिन्न राज्यों की पुलिस और केंद्रीय विभागों के साथ मिलकर काम करती है और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करती है। NCB भारत में विदेशी एजेंसियों के साथ सहयोग भी करती है जो ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में शामिल हैं।
एनसीबी एक महत्वपूर्ण एजेंसी है जो तीन मुख्य कार्यों के लिए प्रसिद्ध है: ड्रग्स की तस्करी को रोकना, कानून को लागू करना, और गुप्त सूचनाओं को इकट्ठा करना। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 भी इसे नशे के लिए इस्तेमाल होने वाली हानिकारक दवाओं के खिलाफ संज्ञान में लेता है। एनसीबी की अगुवाई, यानी डायरेक्टर जनरल का पद, अक्सर एक IPS या IRS अफसर करता है। इसके साथ ही, एनसीबी में कई अन्य पदों पर भी अफसर होते हैं जो भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), और अन्य अर्धसैनिक बलों से चुने जाते हैं।
NCB को बनाने के पीछे ये दो अहम कानून हैं:
- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटाנס एक्ट, 1985 (NDPS Act 1985)
- प्रिवेंशन ऑफ इलिसिट ट्रैफिकिंग इन नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटाנס एक्ट, 1988
NCB का प्रमुख कार्य भारत में नशीली दवाओं की तस्करी को रोकना है। इस कार्य में NCB अकेले नहीं है, बल्कि यह कई अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ संयुक्त रूप से काम करता है। इनमें कस्टम डिपार्टमेंट, जीएसटी, राज्य पुलिस, राज्य एक्साइज, सीबीआई, और सीईआईबी शामिल हैं। ये सभी एजेंसियां साझा संविदानिक ड्यूटी निभाती हैं और संगठनित तरीके से सहयोग करती हैं ताकि नशीली दवाओं की तस्करी और इसके अपराधिक कार्यों को पूरी तरह से रोका जा सके। एनसीबी ने अपने कार्यक्षेत्र में व्यापक अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग भी बढ़ाया है ताकि विदेशी एजेंसियां भी इस मुद्दे में सहायता कर सकें।
तस्करी रोकने में सबसे आगे डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI)
मुख्य रूप से भारत सरकार की एक खास खुफिया एजेंसी, डीआरआई वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्यरत होती है। इसका मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में किसी भी प्रकार की चीज छिपाकर या गलत तरीके से न लाई जाए। डीआरआई विभिन्न विपणन विधियों, जैसे ड्रग्स, सोना, हीरे, इलेक्ट्रॉनिक सामान, विदेशी मुद्रा, और फेक करेंसी जैसी चीजों की तस्करी रोकती है।
डीआरआई में सीबीआईसी के अधिकारी काम करते हैं, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात रहते हैं। इन अधिकारियों का मुख्य उद्देश्य अवैध व्यापार और तस्करी को रोकना होता है और उन लोगों को दंडित करना होता है जो इस प्रकार के अपराधों में शामिल होते हैं।
इसके अतिरिक्त, डीआरआई के अधिकारी विदेशी दूतावासों में भी तैनात रहते हैं, जहां उन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सरकारों के साथ सहयोग करने का मौका मिलता है।
मुख्य रूप से भारत सरकार की एक विशेष खुफिया एजेंसी, डीआरआई की अगुवाई एक डायरेक्टर जनरल करता है जिसकी रैंक भारत सरकार के मुख्य आयुक्त के बराबर होती है। डीआरआई का मुख्य कार्यक्षेत्र नई दिल्ली में स्थित है, जिसे सात जोनों में बांटा गया है। प्रत्येक जोन के लिए एक अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल (आयुक्त रैंक) नियुक्त किया गया है, जो अपने क्षेत्र में सम्पूर्ण जिम्मेदारी भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अफसरों के साथ संभालता हैं।
इन जोनों के भीतर कई छोटे दफ्तर होते हैं जैसे रीजनल यूनिट्स, सब-रीजनल यूनिट्स और इंटेलिजेंस सेल्स। इन छोटे दफ्तरों में विभिन्न रैंक के अफसर कार्यरत होते हैं जैसे एडिशनल डायरेक्टर, जॉइंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर, सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर और इंटेलिजेंस ऑफिसर।
इससे भी पढ़े :-
- यूपी में भाजपा का किला क्यों हुआ धराशायी? समीक्षा रिपोर्ट में हार के 12 कारण सामने आए |
- बिहार के इस जिले में नए कानून के तहत पहली FIR, 2 गिरफ्तार, मामले की विवरण |
- कोर्ट की चेतावनी , धर्मांतरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के विचार |
- निफ्टी 24200 के पार , सेंसेक्स 79,840 पर शेयर बाजार का नया उच्चतम स्तर |
- शेयर बाजार स्थिर, मिडकैप इंडेक्स ने छुआ नया शिखर !
- एनटीए ने घोषित किया NEET UG री-एग्जाम का परिणाम, संशोधित रैंक सूची जारी |
- कांग्रेस का विरोध, खरगे ने कहा – ‘सांसदों को निलंबित कर जबरन पारित किए आपराधिक कानून’
- आज से हुए ये 7 बड़े बदलाव , क्रेडिट कार्ड से लेकर एलपीजी की कीमतों में असर |
- क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए महत्वपूर्ण सूचना! इन बैंकों के नियम एक तारीख से हो रहे हैं परिवर्तन |
- कोहली-रोहित के बाद रवींद्र जडेजा ने भी टी20 से लिया संन्यास, वनडे और टेस्ट जारी रखेंगे |
- राहुल गांधी के भाषण पर बवाल, हिंदू, हिंसा और किसान पर पीएम समेत 5 नेताओं की जोरदार प्रतिक्रिया |