Daily Print News

Superstar : सुपरस्टार के एक फोन पर रातों-रात सलीम-जावेद को बदलनी पड़ी थी इस फिल्म की स्क्रिप्ट, वजह आपको हैरान कर देगी !

Superstar: सुपरस्टार के एक फोन पर रातों-रात सलीम-जावेद को बदलनी पड़ी थी इस फिल्म की स्क्रिप्ट, वजह आपको हैरान कर देगी !

Superstar
Superstar : सुपरस्टार के एक फोन पर रातों-रात सलीम-जावेद को बदलनी पड़ी थी इस फिल्म की स्क्रिप्ट, वजह आपको हैरान कर देगी !

Superstar: हिंदी सिनेमा में ऐसे कई राइटर्स हैं जो फिल्मों की कहानी कमाल की लिखते हैं, लेकिन सलीम-जावेद की जोड़ी जैसा स्क्रिप्टिंग का जादू आज तक कोई नहीं कर पाया। सलीम खान और जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर स्क्रिप्ट राइटर की थी, और बाद में जावेद अख्तर गीतकार भी बने। उनकी स्क्रिप्ट पर बड़े से बड़ा स्टार एक्टिंग करता था, लेकिन एक सुपरस्टार का कहना सलीम-जावेद भी मानते थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं 70’s के सुपरस्टार राजेश खन्ना की, जिनकी बात ना कोई डायरेक्टर, प्रोड्यूसर टाल सकता था और ना ही स्क्रिप्ट राइटर की इतनी हिम्मत थी।

राजेश खन्ना और ‘हाथी मेरे साथी’ का किस्सा

Superstar: यह किस्सा 1970 का है, जब फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ की स्क्रिप्ट बिना पढ़े राजेश खन्ना ने साइन कर दी थी। सलीम खान ने एक इंटरव्यू में यह किस्सा सुनाया था कि राजेश खन्ना ऐसे स्टार थे जिनकी बात हर कोई मानता था। एक रात उनका फोन आया और उन्होंने सलीम खान और जावेद अख्तर से मिलने की बात कही।

पैसों की जरूरत और स्क्रिप्ट में बदलाव

Superstar: रिपोर्ट्स के मुताबिक, सलीम खान ने बताया कि जब वो लोग राजेश खन्ना से मिलने गए तो उन्होंने कहा कि उन्हें पैसों की जरूरत थी, इसलिए उन्होंने फिल्म साइन कर दी। लेकिन अब वे ऐसी फिल्म नहीं कर सकते जो जानवरों पर आधारित हो। सलीम-जावेद ने उस समय राजेश खन्ना को समझाया कि जानवरों पर ऐसी फिल्म अभी तक नहीं बनी है और लोग इसे पसंद करेंगे। इसके बाद राजेश खन्ना ने कहा कि ठीक है, लेकिन इसमें लव स्टोरी के पार्ट को थोड़ा बढ़ाओ। फिर उनके कहने पर फिल्म की स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव हुए और राजेश खन्ना तैयार हुए।

फिल्म साल 1971 में रिलीज हुई और यह उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल हुई। राजेश खन्ना की बैक टू बैक जो 8 फिल्में सुपरहिट हुई थी, उनमें से एक ‘हाथी मेरे साथी’ भी थी।

राजेश खन्ना की पैसों की जरूरत

Superstar: बताया जाता है कि राजेश खन्ना जब स्टार नहीं बने थे, तब से उनके दिमाग में एक बंगला हुआ करता था जो मुंबई में समुद्र के किनारे स्थित था। वह बंगला जिसे बाद में राजेंद्र कुमार ने भी खरीदा था, लेकिन किसी वजह से उन्हें बेचना पड़ रहा था और उसे राजेश खन्ना खरीदना चाहते थे। बताया जाता है कि कुछ पैसे कम पड़ने के कारण उन्होंने कई ऐसी फिल्में साइन की जिनकी स्क्रिप्ट उन्होंने नहीं पढ़ी थी। हालांकि किस्मत अच्छी थी कि वे फिल्में सुपरहिट साबित हुईं। राजेश खन्ना ने वह बंगला लिया जिसका नाम ‘आशीर्वाद’ रखा था।

फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ की कहानी और सफलता

Superstar: ‘हाथी मेरे साथी’ की कहानी एक अनोखी थी, जिसमें जानवरों के साथ इंसान की दोस्ती को दिखाया गया था। फिल्म में राजेश खन्ना का किरदार रंजन (राजू) जानवरों से बहुत प्यार करता है, खासकर हाथियों से। फिल्म में एक भावुक और प्रेरणादायक कहानी थी जो दर्शकों के दिलों को छू गई।

फिल्म का संगीत भी एक बड़ी हिट साबित हुआ। ‘चल चल चल मेरे साथी’ और ‘दिलबर जानी’ जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। संगीतकारों की मेहनत और लता मंगेशकर, किशोर कुमार जैसे गायकों की आवाज ने गानों को अमर बना दिया।

सलीम-जावेद की जोड़ी का जादू

Superstar: सलीम-जावेद की जोड़ी हिंदी सिनेमा की सबसे सफल और प्रसिद्ध स्क्रिप्ट राइटिंग जोड़ियों में से एक है। उनकी फिल्मों में कहानी, संवाद, और चरित्रों की गहराई होती थी जो दर्शकों को बांधे रखती थी। ‘हाथी मेरे साथी’ में भी उन्होंने अपने हुनर का प्रदर्शन किया और फिल्म को एक अद्भुत कहानी में बदल दिया।

उनकी स्क्रिप्टिंग में नयापन और जीवन के विभिन्न पहलुओं का सुंदर चित्रण होता था। यही कारण है कि उनके लिखे संवाद और कहानियाँ आज भी याद की जाती हैं। सलीम-जावेद ने ‘शोले’, ‘दीवार’, ‘जंजीर’ जैसी अनेकों ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं जो हिंदी सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर हैं।

Superstar
Superstar : सुपरस्टार के एक फोन पर रातों-रात सलीम-जावेद को बदलनी पड़ी थी इस फिल्म की स्क्रिप्ट, वजह आपको हैरान कर देगी !

राजेश खन्ना का स्टारडम

राजेश खन्ना अपने समय के सबसे बड़े सुपरस्टार थे। उनकी फिल्मों का दर्शकों में जबरदस्त क्रेज था। उनके अभिनय की अद्वितीय शैली और चार्म ने उन्हें एक आइकन बना दिया। ‘हाथी मेरे साथी’ भी उनके करियर की एक महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई जिसने उनके स्टारडम को और भी ऊँचाइयों पर पहुंचाया।

राजेश खन्ना का व्यक्तित्व और उनकी अदाकारी ने फिल्म को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया। उनकी फिल्मों में भावुकता और गहराई होती थी जो दर्शकों को उनसे जोड़ देती थी। उनके चाहने वाले उन्हें ‘काका’ के नाम से पुकारते थे और उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते थे।

‘हाथी मेरे साथी’ की प्रभावशाली विरासत

‘हाथी मेरे साथी’ ने भारतीय सिनेमा में एक नई दिशा दी। यह फिल्म जानवरों के साथ इंसान की दोस्ती और उनकी सुरक्षा के महत्व को दर्शाती है। फिल्म ने लोगों के दिलों में जानवरों के प्रति प्यार और सहानुभूति का भाव बढ़ाया।

इस फिल्म की सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर कहानी और प्रस्तुति में दम हो तो किसी भी विषय पर फिल्म बनाई जा सकती है और वह सफल हो सकती है। ‘हाथी मेरे साथी’ आज भी एक क्लासिक फिल्म मानी जाती है और इसकी कहानी, संगीत, और अदाकारी को सराहा जाता है।

समापन

‘हाथी मेरे साथी’ का यह किस्सा हिंदी सिनेमा के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राजेश खन्ना का स्टारडम, सलीम-जावेद की जोड़ी का जादू, और फिल्म की अनोखी कहानी ने इसे एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बना दिया। इस घटना से यह भी साबित होता है कि बड़े स्टार्स का भी अपने करियर में संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

राजेश खन्ना की पैसों की जरूरत और सलीम-जावेद की स्क्रिप्ट में बदलाव की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सिनेमा की दुनिया में सब कुछ संभव है। अगर मेहनत और हुनर है तो किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है और सफलता हासिल की जा सकती है। ‘हाथी मेरे साथी’ एक प्रेरणादायक कहानी है जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है।

Exit mobile version
Skip to toolbar