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NIRF Ranking: NIRF 2024 की सूची में बिहार के कई विश्वविद्यालयों का नाम शामिल, विभिन्न श्रेणियों में मूल्यांकन |

NIRF Ranking: NIRF में बिहार के विश्वविद्यालयों की स्थिति; पटना यूनिवर्सिटी की रैंक क्या है?

NIRF Ranking: NIRF 2024 की सूची में बिहार के कई विश्वविद्यालयों का नाम शामिल
NIRF Ranking: NIRF 2024 की सूची में बिहार के कई विश्वविद्यालयों का नाम शामिल

NIRF Ranking: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2024 की घोषणा की। इस बार की सूची में बिहार के कई विश्वविद्यालयों को मान्यता मिली है। ओवरऑल विश्वविद्यालय रैंकिंग श्रेणी में पटना आईआईटी ने टॉप 100 में जगह बनाई है, जो बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय रैंकिंग श्रेणी में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर को टॉप 200 में स्थान प्राप्त हुआ है, जो इसके अकादमिक और शोध क्षमताओं को दर्शाता है।

NIRF Ranking: स्टेट पब्लिक विश्वविद्यालय श्रेणी में पटना यूनिवर्सिटी ने भी उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया और टॉप 100 में स्थान पाया। यह सम्मान विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता और समर्पण को मान्यता देता है। इन रैंकिंग्स से यह स्पष्ट होता है कि बिहार के शिक्षा संस्थान देशभर में अपनी गुणवत्ता और मानक के लिए पहचाने जा रहे हैं।

पटना आईआईटी का प्रदर्शन शानदार

NIRF Ranking  2024 की ओवरऑल विश्वविद्यालय रैंकिंग श्रेणी में बिहार के पटना आईआईटी और पटना एम्स को टॉप 100 में स्थान मिला है, जो राज्य के शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता को उजागर करता है। इसके अतिरिक्त, एनआईटी पटना को भी इस सूची में टॉप 150 में जगह मिली है, जो इसके अकादमिक मानकों की पुष्टि करता है।

NIRF Ranking: हालांकि, इंजीनियरिंग श्रेणी में 101 से 300 के बीच राज्य के किसी भी संस्थान को स्थान नहीं मिला है। देशभर के 1463 इंजीनियरिंग कॉलेजों में से बिहार के केवल 12 कॉलेज शामिल हैं। यह दर्शाता है कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में राज्य की उपस्थिति सीमित है।

NIRF Ranking: मैनेजमेंट श्रेणी में, आइआइएम बोधगया ने 33वीं रैंक प्राप्त की है, जो इसकी उच्च शिक्षा गुणवत्ता का संकेत है। वहीं, अमेटी यूनिवर्सिटी और चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान पटना ने 101 से 150 रैंकिंग के बीच स्थान पाया है। ये रैंकिंग्स राज्य के विभिन्न शैक्षणिक क्षेत्रों में उपलब्धियों को दर्शाती हैं और भविष्य में सुधार की संभावनाओं को भी उजागर करती हैं।

NIRF Ranking: कई चीजों पर करता है मूल्यांकन 

NIRF Ranking: राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) विभिन्न श्रेणियों में उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) का मूल्यांकन करता है। इस मूल्यांकन में संस्थानों की व्यवस्था, अनुसंधान प्रदर्शन, छात्रों के प्लेसमेंट, और स्नातक के बाद उच्च शिक्षा में चयन जैसे प्रमुख पहलुओं को शामिल किया जाता है। NIRF की रैंकिंग प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता और उनकी उपलब्धियों को सही तरीके से परखा जाए।

NIRF Ranking: NIRF की स्थापना 2016 में हुई थी, और तब से इसने काफी वृद्धि देखी है। 2016 में उच्च शिक्षा संस्थानों की भागीदारी 3,565 थी, जो 2024 में बढ़कर 10,845 हो गई है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि अधिक संस्थान अब रैंकिंग प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं और अपनी गुणवत्ता का मूल्यांकन करा रहे हैं। साथ ही, श्रेणियों और विषय डोमेन की संख्या भी 2016 में चार से बढ़कर 2024 में सोलह हो गई है। इस विस्तार से रैंकिंग प्रक्रिया को और अधिक विस्तृत और समावेशी बनाया गया है।

NIRF Ranking: विशेष रूप से, मेडिकल श्रेणी में 182 संस्थानों ने इस वर्ष भाग लिया है, जो इस क्षेत्र के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। इसी तरह, मैनेजमेंट श्रेणी में 876 संस्थान शामिल हुए हैं, जिनमें बिहार के 12 संस्थान भी शामिल हैं। यह आंकड़ा राज्य में मैनेजमेंट शिक्षा के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण संस्थानों की उपस्थिति को दर्शाता है।

NIRF Ranking: फार्मेसी श्रेणी में 467 संस्थानों ने रैंकिंग के लिए भाग लिया, जिसमें बिहार के चार संस्थान शामिल हैं। यह दिखाता है कि फार्मेसी शिक्षा में भी राज्य की भागीदारी बढ़ रही है और संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

NIRF Ranking: इंजीनियरिंग श्रेणी में देशभर के 1,463 कॉलेजों ने भाग लिया है, लेकिन बिहार के केवल 12 संस्थान इसमें शामिल हुए हैं। यह संख्या बताती है कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में बिहार की उपस्थिति सीमित है, और यहां के संस्थानों को और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि वे राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

इस प्रकार, NIRF रैंकिंग ने विभिन्न श्रेणियों में संस्थानों की गुणवत्ता और उपलब्धियों को मापने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। यह रैंकिंग न केवल संस्थानों के प्रदर्शन को दर्शाती है, बल्कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विकास की दिशा में भी संकेत देती है।

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