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Ukraine War End: जेलेंस्की का नया प्लान; रूस-यूक्रेन जंग के अंत के लिए, जानें पीएम मोदी की भूमिका |

Ukraine War End: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए बनाई ‘व्यापक योजना’ |

Ukraine War End: जेलेंस्की का नया प्लान; रूस-यूक्रेन जंग के अंत

Ukraine War End: रूस-यूक्रेन युद्ध को अब दो साल से अधिक समय हो चुका है। फरवरी 2022 में शुरू हुई इस भीषण जंग ने यूक्रेन और रूस जैसे दो सुंदर देशों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। इस संघर्ष ने न केवल इन देशों की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को तबाह किया है, बल्कि लाखों लोगों के जीवन को भी प्रभावित किया है।

Ukraine War End: इस कठिन दौर में, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने युद्ध समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। उन्होंने भारत में एक शिखर सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य रूस के साथ शांति स्थापित करना है।टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन की यात्रा पर थे, तब राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यह प्रस्ताव उनके सामने रखा। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले किया जा सकता है।

Ukraine War End: जेलेंस्की का लक्ष्य है कि इस शिखर सम्मेलन में विश्व के प्रमुख नेताओं की दूसरी बैठक आयोजित की जाए, जो जून में हुए पहले शिखर सम्मेलन का अनुसरण करेगी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कीव के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाना है, ताकि रूस के साथ चल रहे युद्ध में यूक्रेन की स्थिति को मजबूत किया जा सके।

Ukraine War End: जेलेंस्की का यह कदम दर्शाता है कि यूक्रेन शांति की दिशा में गंभीरता से प्रयासरत है और वह इस संकट से उबरने के लिए वैश्विक समर्थन की अपेक्षा कर रहा है। भारत में आयोजित होने वाला यह शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां विश्व के नेता एकजुट होकर इस संघर्ष का समाधान खोजने की दिशा में काम करेंगे।

Ukraine War End: अभी तक बैठक की मेजबानी के लिए भारत सहमत नहीं

Ukraine War End: भारत में प्रस्तावित इस बैठक को लेकर एक महत्वपूर्ण चिंता उभर कर सामने आई है, क्योंकि अब तक इसमें रूस को शामिल नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त को अपनी यूक्रेन यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था। हालांकि, बैठक की मेजबानी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने अभी तक कोई स्पष्ट सहमति नहीं दी है।

Ukraine War End: जेलेंस्की का नया प्लान; रूस-यूक्रेन जंग के अंत के लिए, जानें पीएम मोदी की भूमिका |

Ukraine War End: यह अनिश्चितता इस सम्मेलन के भविष्य को लेकर सवाल खड़े करती है, क्योंकि रूस की भागीदारी के बिना युद्ध समाप्ति के प्रयास अधूरे रह सकते हैं। जबकि यूक्रेन इस बैठक को शांति स्थापना के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखता है, भारत की स्थिति और रूस की गैरमौजूदगी इस प्रयास की सफलता पर असर डाल सकती है। ऐसे में, इस मामले पर भारत का अंतिम निर्णय और रूस की संभावित भागीदारी आने वाले समय में इस शिखर सम्मेलन की दिशा तय करेगी।

Ukraine War End: किसी भी मामले में टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी- भारतीय विदेश मंत्रालय

Ukraine War End: यूक्रेन के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत हमेशा से इस संघर्ष का समाधान बातचीत के माध्यम से प्राप्त करने की वकालत करता रहा है। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक, समाधानकारी और व्यावहारिक जुड़ाव की वकालत की है। यह बात स्पष्ट है कि हम रूस और यूक्रेन दोनों के साथ उच्चतम स्तर पर संपर्क में हैं।”

Ukraine War End: रणधीर जायसवाल ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही शांति के हित में रचनात्मक भूमिका निभाने की भारत की इच्छा को स्पष्ट किया है। हालांकि, इस स्तर पर शांति वार्ता के विशिष्ट तौर-तरीकों और मार्गों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि शांति वार्ता का प्रारंभ कब और कैसे हो, इसका फैसला संघर्ष में शामिल दोनों पक्षों का विशेषाधिकार है।

भारत की भूमिका को लेकर उन्होंने कहा, “एक मित्र और साझेदार के रूप में, हम किसी भी व्यवहार्य और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान या प्रारूप का समर्थन करेंगे, जो इस संघर्ष में शांति बहाल कर सके।” भारत की यह स्थिति दर्शाती है कि वह न केवल एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि वह उन सभी प्रयासों का समर्थन करेगा जो यूक्रेन और रूस के बीच शांति स्थापित करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत, संघर्ष के समाधान के लिए एक सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी निर्णय का अधिकार अंततः संघर्ष में शामिल पक्षों के हाथ में है।

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