IDF airstrike impact: इजरायली हमले से ईरान की मिसाइल इंडस्ट्री को भारी नुकसान, उबरने में लगेंगे दो साल!
IDF airstrike impact: शनिवार, 26 अक्टूबर को इजरायली वायुसेना ने ईरान के कई महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिनका उपयोग लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए ठोस ईंधन के निर्माण में होता था। इन हमलों के बाद तेहरान के मिसाइल कार्यक्रम की ताकत को बड़ा झटका लगा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान के इन सैन्य केंद्रों में ऐसे उपकरण मौजूद थे, जिनका निर्माण ईरान में संभव नहीं था, और जिन्हें चीन से मंगवाया जाता था।
IDF airstrike impact: इस हमले का मकसद ईरान की मिसाइल क्षमता को कमजोर करना माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कार्रवाई के चलते ईरान को अपने मिसाइल कार्यक्रम को पुनः स्थापित करने में काफी कठिनाई हो सकती है, जिससे उसकी रणनीतिक क्षमता पर असर पड़ सकता है। इजरायली हमलों का यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे ईरान की शक्ति संतुलन में कमी आ सकती है।
IDF airstrike impact: तेहरान का एयर डिफेंस सिस्टम भी तबाह
इजरायली सूत्रों के अनुसार, शनिवार को चार S-300 वायु रक्षा बैटरियों को भी निशाना बनाया गया, जो महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थानों पर तैनात थीं। इन बैटरियों का उद्देश्य किसी भी सैन्य अभियान के दौरान तेहरान के परमाणु और ऊर्जा सुविधाओं की सुरक्षा करना था। इसके अतिरिक्त, एक ड्रोन निर्माण संयंत्र और परचिन सैन्य परिसर की एक सुविधा पर भी हमला किया गया। इस क्षेत्र में पहले परमाणु हथियारों से जुड़ी रिसर्च और डेवलपमेंट गतिविधियों की पहचान की गई थी, जिससे इसकी सुरक्षा को और अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा था।
IDF airstrike impact: इन हमलों के परिणामस्वरूप ईरान की रक्षा क्षमता को गंभीर नुकसान हुआ है, खासकर उन स्थानों पर जो देश की परमाणु सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक माने जाते थे। विशेषज्ञों का कहना है कि इन रणनीतिक स्थानों पर हुए हमलों से ईरान की सैन्य शक्ति कमजोर हो सकती है और भविष्य में रक्षा संबंधी तैयारियों पर इसका असर पड़ सकता है। इजरायली कार्रवाई से क्षेत्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां और देश भी चिंतित हैं।
IDF airstrike impact: नुकसान की भरपाई करने में लग सकता है एक साल
IDF airstrike impact: अरबी स्वतंत्र ऑनलाइन अखबार इलाफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली वायुसेना ने हाल के हमलों में ईरान की एक गुप्त बैलिस्टिक मिसाइल फैक्ट्री को निशाना बनाया। इस फैक्ट्री में खैबर और हज कासेम मिसाइलों के संचालन के लिए उपयोग किए जाने वाले ईंधन मिक्सर का बड़ा भंडार था, जिसे हमले में नष्ट कर दिया गया। बताया जा रहा है कि ईरान ने इसी महीने की शुरुआत में इजरायल पर इन दोनों मिसाइलों का प्रयोग किया था, जिससे इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
IDF airstrike impact: इस हमले से ईरान के मिसाइल निर्माण की गति पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि ईंधन मिक्सर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों की कमी से मिसाइल कार्यक्रम की पुनः स्थापना कठिन हो जाएगी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस कार्रवाई के बाद ईरान की रक्षा तैयारियों में कमी आ सकती है और उसे मिसाइल उत्पादन में तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इजरायल की यह रणनीति क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और ईरान के हमलावर मंसूबों पर रोक लगाने की दृष्टि से अहम मानी जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली हमले में ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल फैक्ट्री को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है। एक सूत्र ने इलाफ को जानकारी दी कि यह फैक्ट्री ईरान की मिसाइल इंडस्ट्री की रीढ़ मानी जाती थी, जिसे अब सेवा से बाहर कर दिया गया है। फैक्ट्री में मौजूद प्रत्येक भारी ईंधन मिक्सर की लागत लगभग दो मिलियन डॉलर थी, और इस हमले में ऐसे करीब 20 मिक्सर नष्ट हो गए हैं।
IDF airstrike impact: वाल्ला की रिपोर्ट के मुताबिक, इन उपकरणों को फिर से तैयार करने में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैक्ट्री को फिर से पूर्ण संचालन में लाने में कम से कम दो वर्ष का समय लग सकता है। ईरान की मिसाइल इंडस्ट्री के जानकार सूत्रों के अनुसार, इस हमले से ईरान के मिसाइल कार्यक्रम की प्रगति में बड़ा व्यवधान पैदा हुआ है। इजरायली हमले का यह प्रभाव ईरान की सामरिक ताकत को कमजोर कर सकता है, क्योंकि इन मिक्सरों के बिना मिसाइल उत्पादन संभव नहीं हो पाएगा। इस कार्रवाई को क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।