Bangladesh Violence: बांग्लादेश में आरक्षण विवाद;कर्फ्यू और गोली मारने के आदेश के पीछे की कहानी |

Bangladesh Violence: बांग्लादेश में आरक्षण विवाद;कर्फ्यू और गोली मारने के आदेश के पीछे की कहानी |

Bangladesh Violence

Bangladesh Violence: सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध में बांग्लादेश में छात्रों का सड़कों पर उग्र प्रदर्शन, कई लोगों की मौत |

Bangladesh Violence : बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर उभर रहे विवाद ने हिंसक रूप धारण कर लिया है। देशभर में हिंसा की लहर फैल चुकी है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं। हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने शनिवार को राजधानी ढाका समेत कई प्रमुख इलाकों में गश्त की। सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सख्त कर्फ्यू लागू कर दिया है।

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Bangladesh Violence: बांग्लादेश में आरक्षण विवाद;कर्फ्यू और गोली मारने के आदेश के पीछे की कहानी |

Bangladesh Violence : उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश दिए गए हैं। इससे पहले भी आरक्षण के मुद्दे पर तनाव बढ़ रहा था, लेकिन अब हालात बेहद खराब हो चुके हैं। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों ने पूरे देश में भय का माहौल पैदा कर दिया है।

सरकार के इस कदम का मकसद हिंसा को रोकना और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, लेकिन इससे जनता के बीच आक्रोश और बढ़ गया है। आरक्षण के इस विवाद ने बांग्लादेश को गहरे संकट में डाल दिया है, जहां हर तरफ अशांति और अस्थिरता का माहौल है।

Bangladesh Violence : सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव और सांसद ओबैदुल कादर ने कर्फ्यू को लेकर स्पष्ट किया है कि यह आधी रात से शुरू होकर अगले दिन दोपहर 12 बजे तक लागू रहेगा। इसके बाद, दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक लोगों को आवश्यक कार्यों के लिए बाहर निकलने की अनुमति दी जाएगी। इस दौरान वे अपने जरूरी काम निपटा सकते हैं।

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Bangladesh Violence : सरकार ने इस दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अधिकारियों को उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का निर्देश दिया गया है, ताकि हिंसा पर तुरंत काबू पाया जा सके।

कर्फ्यू के इन कठोर नियमों का उद्देश्य हिंसा और उपद्रव को रोकना है। हालांकि, इन उपायों से जनता के बीच भय और असंतोष का माहौल बना हुआ है। सरकार का मानना है कि इन सख्त कदमों से स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और शांति स्थापित होगी।

इस बीच, नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए घरों में रहें और केवल आवश्यक कार्यों के लिए ही बाहर निकलें। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सरकार किसी भी तरह की ढील देने के मूड में नहीं है।

कार्यालयों और संस्थानों को किया गया बंद 

Bangladesh Violence : न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, शनिवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका की सुनसान सड़कों पर सैनिकों ने गश्त की। सरकार ने सभी कार्यालयों और संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद रखने का निर्देश जारी किया है। पिछले एक सप्ताह में कम से कम 114 लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे स्थिति की गंभीरता का पता चलता है।

इससे पहले, अधिकारियों ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया था। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि हिंसा और विरोध प्रदर्शनों को रोका जा सके, जो कि आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुए थे और तेजी से बढ़ रहे थे।

सरकार की ओर से यह निर्णय देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। सैनिकों की गश्त और संस्थानों को बंद करने के आदेश से उम्मीद है कि स्थिति में सुधार आएगा।

नागरिकों से अपील की गई है कि वे घर में रहें और केवल आवश्यक कार्यों के लिए ही बाहर निकलें। इन सख्त कदमों के बावजूद, जनता में भय और असंतोष का माहौल है। सरकार की प्राथमिकता अब हिंसा को रोकना और शांति स्थापित करना है, ताकि देश में सामान्य स्थिति बहाल हो सके।

जानें क्या है इस प्रदर्शन की वजह 

Bangladesh Violence : बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शन और हिंसा की वजह सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर है। प्रदर्शनकारियों के एक समूह का मानना है कि 1971 की आजादी की लड़ाई में शामिल लोगों के वंशजों को सरकारी नौकरी में मिल रहे आरक्षण को जारी रखा जाए। दूसरी ओर, एक दूसरा धड़ा इस आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहा है। इन विरोधाभासी मांगों के कारण देश में तनाव और हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जनता और सरकार के बीच इस मुद्दे पर गहरी असहमति है, जिससे प्रदर्शन और विवाद बढ़ते जा रहे हैं।

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यहां समझे आरक्षण का पूरा गणित

Bangladesh Violence : बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिवारों को 30 फीसदी आरक्षण मिलता है। महिलाओं को 10 फीसदी आरक्षण मिलता है, जबकि जिला कोटा के तहत पिछड़े जिलों में रहने वाले लोगों को भी 10 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को 5 फीसदी और विकलांग लोगों को 1 फीसदी आरक्षण दिया जाता है।

शेख हसीना सरकार ने 2018 में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद इस आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया था। हालांकि, इस साल जून में हाईकोर्ट ने इस फैसले को गलत ठहराया। कोर्ट के फैसले के बाद अब यह आरक्षण व्यवस्था फिर से लागू होने जा रही है। इसी को लेकर बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण है कि कुछ लोग इस व्यवस्था को जारी रखना चाहते हैं, जबकि अन्य इसे खत्म करना चाहते हैं। इस विवाद ने देश में तनाव और अस्थिरता पैदा कर दी है, जिससे सरकार के लिए स्थिति को संभालना चुनौतीपूर्ण हो गया है। प्रदर्शनकारियों की विभिन्न मांगों के कारण देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।

जानें क्यों बैकफुट पर है सरकार 

Bangladesh Violence : शेख हसीना सरकार ने 2018 में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। अब, हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस व्यवस्था को दोबारा लागू करना सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है। इस फैसले से संबंधित छात्रों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि सरकारी नौकरियां केवल उन्हीं लोगों को दी जा रही हैं जो शेख हसीना की सरकार का समर्थन करते हैं।

छात्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया में मेरिट के आधार पर नौकरी देने की जगह, राजनीतिक समर्थन और अनुशासन को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। इस स्थिति ने सरकार की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है, क्योंकि उसे न केवल कानून के अनुसार आरक्षण व्यवस्था को लागू करना है, बल्कि नौकरियों में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने का भी दबाव है। इस विवाद ने सरकार और छात्रों के बीच असंतोष को बढ़ा दिया है, जो देश के राजनीतिक और सामाजिक माहौल को प्रभावित कर सकता है।

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