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Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान; ईरान, अफगानिस्तान और अरब सागर से सटे 20 आतंकी समूहों की आजादी की लड़ाई |

Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?
Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान, पाकिस्तान का एक संवेदनशील और अशांत क्षेत्र, अपनी सीमाएं ईरान, अफगानिस्तान और अरब सागर से साझा करता है। इस क्षेत्र में कम से कम 20 ऐसे समूह सक्रिय हैं जिन्हें इन पड़ोसी देशों की सरकारें आतंकवादी मानती हैं। ये समूह बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हाल ही में, बलूचिस्तान में एक बार फिर से आतंकी हमलों की खबरें सामने आई हैं, जिसमें 32 से अधिक लोगों की जानें गई हैं। इन हमलों की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली है।

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान में लगातार होने वाले आतंकी हमले इस क्षेत्र की जटिलताओं और संघर्षों को उजागर करते हैं। पाकिस्तान, जो खुद आतंकवाद को पनाह देने के लिए जाना जाता है और जिसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई को कई देश संदिग्ध मानते हैं, उसी के खिलाफ वहां के संगठन आतंकी गतिविधियों में संलग्न हैं। ऐसे हमलों के बाद पाकिस्तान अक्सर भारत पर शक करता है, जबकि ये हमले उसके अपने ही भीतर पनप रहे असंतोष और विद्रोह का परिणाम होते हैं। बलूचिस्तान में जारी हिंसा और अशांति ने इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय ध्यान का केंद्र बना दिया है।

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान, क्षेत्रफल की दृष्टि से पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जिसकी सीमाएं ईरान, अफगानिस्तान और अरब सागर से मिलती हैं। बलूचिस्तान की समुद्री सीमा, विशेष रूप से अरब सागर से सटी हुई है, जो इस क्षेत्र में आतंकवाद का एक प्रमुख कारण मानी जाती है। इस सीमा का सामरिक महत्व और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता इसे आतंकी गतिविधियों के लिए संवेदनशील बनाती है।

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान में आतंकवाद की जड़ें समझने के लिए इस प्रांत के इतिहास और इसके लोगों की समस्याओं को जानना जरूरी है। बलूचिस्तान के लोग लंबे समय से पाकिस्तान सरकार से असंतुष्ट हैं। उनका मानना है कि उनके संसाधनों का शोषण किया जा रहा है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। इस असंतोष ने कई विद्रोही समूहों को जन्म दिया है, जो बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ये समूह पाकिस्तान सरकार के खिलाफ हथियार उठाने से भी नहीं चूकते और आतंकी हमलों का सहारा लेते हैं।

बलूचिस्तान की जटिलता और इसके लोगों की मांगों को समझे बिना, इस क्षेत्र में शांति स्थापित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

कैसे बना बलूचिस्तान?

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान का गठन चार अलग-अलग प्रिंसली स्टेट्स को मिलाकर किया गया है, जिनमें कलात, मकरान, लास बेला और खारन शामिल हैं। इन चार छोटे-छोटे राज्यों को एकीकृत करके बलूचिस्तान का बड़ा प्रांत बना। जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब जिस प्रकार भारत में कई रियासतें थीं, उसी तरह पाकिस्तान में भी कई रियासतें मौजूद थीं। इन रियासतों की अपनी स्वतंत्र पहचान थी, और वे पाकिस्तान में शामिल होने के बजाय अलग रहना चाहती थीं।

Baluchistan Terror Attacks: भारत में, सरदार वल्लभभाई पटेल ने रियासतों का भारत में विलय करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी तरह, पाकिस्तान ने भी अपनी रियासतों का विलय करवाया। हालांकि, यह प्रक्रिया बलूचिस्तान में सहज नहीं रही। बलूचिस्तान के शासकों और जनता में इस विलय को लेकर असंतोष और विद्रोह की भावना बनी रही, जो समय-समय पर उभरती रही है। यह असंतोष आज भी बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलनों और आतंकवाद का एक प्रमुख कारण है। बलूचिस्तान के जटिल इतिहास और उसके गठन को समझे बिना, वहां की मौजूदा परिस्थितियों और समस्याओं का आकलन करना मुश्किल है।

Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?
Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान की तीन रियासतें—मकरान, लास बेला, और खारन—पाकिस्तान के साथ विलय के लिए तुरंत तैयार हो गईं, लेकिन कलात रियासत के मुखिया, अहमद यार खान, इस निर्णय पर सहमत नहीं थे। अहमद यार खान, जो पाकिस्तान के कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना को अपना पिता समान मानते थे, चाहते थे कि कलात एक स्वतंत्र राष्ट्र बने और पाकिस्तान का हिस्सा न बने। इस दौरान, पाकिस्तान की ओर से विलय का दबाव लगातार बढ़ रहा था।

Baluchistan Terror Attacks: लंबी बातचीत और दबाव के बाद, 27 मार्च 1948 को, अहमद यार खान ने अंततः पाकिस्तान के साथ विलय की शर्तों को स्वीकार कर लिया। हालांकि, यह निर्णय कलात के सभी लोगों को स्वीकार्य नहीं था। अहमद यार खान के भाई, प्रिंस अब्दुल करीम और प्रिंस मोहम्मद रहीम, इस विलय के खिलाफ खड़े हो गए और उन्होंने बगावत कर दी। इस बगावत ने बलूचिस्तान में लंबे समय से जारी असंतोष और विद्रोह की भावना को और मजबूत कर दिया, जो आज भी क्षेत्र में विद्यमान है। बलूचिस्तान का इतिहास और इसके निवासियों की स्वतंत्रता की आकांक्षा इस क्षेत्र की वर्तमान जटिलताओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Baluchistan Terror Attacks: दोनों बागी भाइयों, प्रिंस अब्दुल करीम और प्रिंस मोहम्मद रहीम, ने मिलकर करीब एक हजार लड़ाकों की सेना बनाई, जिसे उन्होंने “दोश्त-ए-झालावान” नाम दिया। इस सेना ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया और हमले शुरू कर दिए। पाकिस्तानी सेना ने इस विद्रोह को दबाने के लिए जोरदार जवाबी कार्रवाई की, जिसके कारण दोनों भाइयों को अफगानिस्तान भागना पड़ा। हालांकि, अफगानिस्तान से उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला, जिससे मजबूर होकर उन्हें वापस कलात लौटना पड़ा।

Baluchistan Terror Attacks: कलात लौटते ही, पाकिस्तानी सेना ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें जेल में डाल दिया। यह बलूचिस्तान में पहला संगठित विद्रोह था, जिसे पाकिस्तानी सेना ने कुचल दिया। इस विद्रोह और इसके दमन ने बलूचिस्तान में असंतोष की जड़ों को और गहरा कर दिया, जो आने वाले वर्षों में बार-बार सामने आया। बलूचिस्तान के इस विद्रोह ने क्षेत्र की राजनीतिक और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला, और इसे पाकिस्तान के भीतर एक संवेदनशील और संघर्षपूर्ण क्षेत्र के रूप में स्थापित कर दिया।

Baluchistan Terror Attacks: बलोच लोगों के मन में आजादी की भावना हमेशा से जीवित रही। अलग-अलग समय पर कई नेताओं ने इस भावना को बढ़ावा दिया। नवाब नौरोज खान ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया, जबकि शेर मोहम्मद बिजरानी मारी ने गोरिल्ला युद्ध तकनीक का इस्तेमाल करके बलोच जनता को संगठित करने की कोशिश की। हालांकि, इन विद्रोहों को कभी पूरी सफलता नहीं मिली।

Baluchistan Terror Attacks: 1970 में, पाकिस्तानी राष्ट्रपति याहिया खान ने बलूचिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान का चौथा प्रांत घोषित कर दिया। इस निर्णय से बलोच लोगों में आक्रोश और भी बढ़ गया, क्योंकि वे इसे अपनी स्वतंत्रता और पहचान के खिलाफ मानते थे। इसके बाद, 1973 में, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने बलूचिस्तान की निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया और वहां मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस कदम ने बलूचिस्तान में विद्रोह की आग को और भड़का दिया।

Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?
Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?

इस मार्शल लॉ और राजनीतिक अस्थिरता के कारण बलूच लोगों में असंतोष और भी गहरा हो गया, जिसने क्षेत्र में लंबे समय तक हिंसा और संघर्ष की स्थिति को जन्म दिया। बलूचिस्तान का यह इतिहास आज भी वहां की जटिलताओं और संघर्षों की जड़ें समझने के लिए महत्वपूर्ण है।

52 साल में बलूचिस्तान कभी शांति नहीं रही

Baluchistan Terror Attacks: पिछले 52 वर्षों में बलूचिस्तान में कभी भी स्थिरता नहीं आ सकी है। इन वर्षों में विभिन्न ग्रुप्स लगातार बलूचिस्तान की आजादी की मांग करते रहे हैं, हथियार उठाते रहे हैं और पाकिस्तानी सेना तथा नागरिकों पर हमले करते रहे हैं। पाकिस्तान इन ग्रुप्स को आतंकवादी मानता है और इनसे निपटने के लिए कठोर उपाय करता है।

आज भी, बलूचिस्तान के ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में फैले हिस्सों में कम से कम 20 ऐसे ग्रुप्स सक्रिय हैं, जो इन देशों की सरकारों के लिए आतंकवादी माने जाते हैं। ये ग्रुप्स अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे हैं और लगातार हिंसा का सहारा ले रहे हैं।

Baluchistan Terror Attacks: इन संघर्षों ने बलूचिस्तान को एक स्थिरता की स्थिति से बहुत दूर कर दिया है और क्षेत्र में राजनीतिक, सामाजिक और सुरक्षा की समस्याओं को बढ़ा दिया है। बलूचिस्तान की ये जटिल स्थितियां, जहां शांति की उम्मीदें हमेशा धूमिल रहती हैं, इस बात को दर्शाती हैं कि किसी भी क्षेत्रीय संघर्ष को हल करने के लिए दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

Baluchistan Terror Attacks: हाल ही में पाकिस्तान में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली है, जो इस समय पाकिस्तान में सबसे बड़ा बलोच आतंकी ग्रुप है। BLA के अलावा, बलूचिस्तान में कई अन्य संगठन भी सक्रिय हैं जो बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनमें बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF), लश्कर-ए-बलूचिस्तान, बलूचिस्तान लिबरेशन यूनाइटेड फ्रंट, बलोच स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन, बलूच नेशनलिस्ट आर्मी, बलूच रिपब्लिकन आर्मी और यूनाइटेड बलोच आर्मी शामिल हैं।

Baluchistan Terror Attacks: ये संगठन लगातार पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ हमले करते हैं, अपने-अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं और बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग करते हैं। इन समूहों की गतिविधियों ने बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति को बेहद अस्थिर बना दिया है और क्षेत्रीय संघर्ष को जटिल कर दिया है। इन संगठनों की लगातार गतिविधियां पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सुरक्षा चुनौती बन गई हैं और बलूचिस्तान की स्थिति को स्थिर करने की प्रक्रिया को जटिल बना रही हैं।

बलूचिस्तान में धर्म के आधार पर भी ग्रुप

Baluchistan Terror Attacks: बलूचिस्तान में धर्म के आधार पर भी विभिन्न गुट सक्रिय हैं, जिनमें शिया और सुन्नी दोनों शामिल हैं। अंसार-उल-फुरकान, एक सुन्नी बलोच मिलिटेंट ग्रुप है, जिसे ईरान के लिए एक आतंकी संगठन के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, बलूचिस्तान में कई अन्य धार्मिक और आतंकवादी संगठन भी सक्रिय हैं, जो विभिन्न देशों के लिए सुरक्षा खतरे उत्पन्न करते हैं।

Baluchistan Terror Attacks: इनमें जैश-उल-अदल, हरकत-अंसार, हिजबुल-फुराकान, इस्लामिक स्टेट, आईएसआईएस-खोरासान, तहरीक-ए-तालिबान, लश्कर-ए-झांगवी और सिपाह-ए-शहाबा जैसे समूह शामिल हैं। ये ग्रुप्स बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के लिए कुख्यात हैं और विभिन्न आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।

Baluchistan Terror Attacks: इन धार्मिक और आतंकवादी समूहों की मौजूदगी ने बलूचिस्तान की सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है। ये संगठन न केवल स्थानीय समुदायों के बीच तनाव पैदा करते हैं, बल्कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरे का कारण बनते हैं। बलूचिस्तान की इन जटिलताओं को समझना और इस पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती है।

पाकिस्तान के साथ चीन भी बलूचिस्तान के लिए खतरा?

Baluchistan Terror Attacks: अरब सागर से बलूचिस्तान की सीमा और वहां के आतंकी हमलों का एक महत्वपूर्ण कारण चीन से जुड़ा हुआ है। चीन, पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर काम कर रहा है, जो बलूचिस्तान से होकर गुजरता है। CPEC परियोजना का एक प्रमुख हिस्सा ग्वादर पोर्ट को विकसित करना है, जो बलूचिस्तान के तट पर स्थित है। चीन की इस विशाल परियोजना के कारण, बलूचिस्तान में पहले से ही असंतोष और आजादी की मांग करने वाले लोग अब चीन को भी एक बड़ा खतरा मानते हैं।

Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?
Baluchistan Terror Attacks: 52 साल पुरानी आग; क्यों बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर हमले कर रहे हैं पाकिस्तान के आतंकी?

Baluchistan Terror Attacks: इसके परिणामस्वरूप, बलूचिस्तान के विभिन्न संगठन, जो पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं, चीन और पाकिस्तान दोनों पर हमले करते रहते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य CPEC को विफल करना और ग्वादर पोर्ट के विकास को रोकना है। इस स्थिति ने बलूचिस्तान में आतंकवाद और हिंसा की गतिविधियों को और बढ़ा दिया है। इन हमलों के कारण CPEC परियोजना की प्रगति में बाधा आती है, और बलूचिस्तान की जटिल स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।

बलूचिस्तान में हमलों के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराना गलत

Baluchistan Terror Attacks: अब आप शायद समझ गए होंगे कि बलूचिस्तान में बार-बार हो रहे आतंकी हमलों के पीछे मुख्य वजह बलोच लोगों की आजादी की मांग है। यह संघर्ष पाकिस्तान के गठन के साथ ही शुरू हुआ था। बलोच लोग लंबे समय से पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं और इसके लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।

Baluchistan Terror Attacks: जब भी पाकिस्तान को अपनी स्थिति बचानी होती है, तो वह इन आतंकी हमलों का आरोप भारत पर लगाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि भारत का बलूचिस्तान के मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं है। बलूचिस्तान में सक्रिय संगठन, जिनका उल्लेख पहले किया गया है, पाकिस्तान के लिए पर्याप्त समस्याएँ उत्पन्न कर रहे हैं। ये संगठन पाकिस्तान के भीतर ही आतंक और असंतोष फैलाते हैं।

Baluchistan Terror Attacks: पाकिस्तान की स्थिति यह है कि उसके आतंकी ही पाकिस्तान के नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। पाकिस्तान, जो इन आतंकियों को पनाह देने के लिए जाना जाता है, खुद को इन समस्याओं से निपटने में असमर्थ पाता है। इस स्थिति ने बलूचिस्तान में आतंकवाद को और भी बढ़ा दिया है और पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

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