- US Sanctions Project: अमेरिका ने चीन की पांच कंपनियों और एक व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाया, पाकिस्तानी बैलिस्टिक मिसाइल परियोजना में मदद करने का आरोप |
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- US Sanctions Project: चीन की इन कंपनियों पर लगाया गया बैन
- US Sanctions Project: अमेरिकी एक्शन पर क्या बोला चीन?
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US Sanctions Project: अमेरिका ने चीन की पांच कंपनियों और एक व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाया, पाकिस्तानी बैलिस्टिक मिसाइल परियोजना में मदद करने का आरोप |
US Sanctions Project: अमेरिकी विदेश विभाग ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ एक सख्त निर्णय लिया है, जिसमें चीन की सहायता से चल रहे पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट पर कड़ा रुख अपनाया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने यह स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के मामले में अमेरिका की नीति में कोई नरमी नहीं आई है। इसके तहत अमेरिका ने उन चीनी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है जो पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के विकास में सहयोग कर रही थीं। प्रतिबंधित संस्थानों में चीन की पांच कंपनियाँ और एक व्यक्ति शामिल हैं, जो इस तकनीक की आपूर्ति में अहम भूमिका निभा रहे थे।
US Sanctions Project: अमेरिका के इस फैसले का मकसद पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम में चीन की भागीदारी को रोकना है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानी जा रही थी। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इस निर्णय से पाकिस्तान और चीन के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग को कमजोर किया जाएगा। खासतौर पर बीजिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑटोमेशन फॉर मशीन बिल्डिंग इंडस्ट्री (RIAMB) को इस प्रतिबंध में प्रमुखता से शामिल किया गया है। यह संस्था सामूहिक विनाश के हथियार और उनके वितरण के साधनों के प्रसार के लिए कुख्यात मानी जाती है।
US Sanctions Project: अमेरिकी विदेश मंत्रालय के आदेश 13382 के तहत यह कदम उठाया गया है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकना है। यह आदेश उन संस्थानों और व्यक्तियों पर लागू होता है जो गैरकानूनी रूप से हथियारों या सैन्य तकनीक का प्रसार कर रहे हैं। अमेरिका के इस कड़े कदम के बाद यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान की सरकार इस पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है, क्योंकि अब तक पाकिस्तान की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
US Sanctions Project: इस निर्णय से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है, खासकर जब पाकिस्तान अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को लेकर वैश्विक दबाव में है। चीन का इस परियोजना में शामिल होना और अब उस पर लगाए गए प्रतिबंध ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को और अधिक सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। यह मामला आने वाले दिनों में वैश्विक राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।
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US Sanctions Project: चीन की इन कंपनियों पर लगाया गया बैन
US Sanctions Project: अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बताया कि बीजिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑटोमेशन फॉर मशीन बिल्डिंग इंडस्ट्री (RIAMB) ने पाकिस्तान की शाहीन-3 और अबाबील मिसाइल प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों में मदद की है। अमेरिका का दावा है कि यह कंपनी पाकिस्तान के मिसाइल प्रोजेक्ट के लिए रॉकेट मोटर्स के परीक्षण हेतु उपकरण खरीदने में सहयोग कर रही थी।
US Sanctions Project: अमेरिकी प्रतिबंध के तहत चीन की कई कंपनियों पर भी कार्रवाई की गई है, जिनमें हुबेई हुआचांगडा इंटेलिजेंट इक्विपमेंट कंपनी, यूनिवर्सल एंटरप्राइज और शीआन लोंगडे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट कंपनी शामिल हैं। इन कंपनियों ने पाकिस्तान स्थित इनोवेटिव इक्विपमेंट के साथ मिलकर काम किया था, जो मिसाइल परियोजनाओं से संबंधित था।
इसके अलावा, एक चीनी नागरिक पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिस पर आरोप है कि उसने चीन को उपकरण पहुंचाने में मदद की थी। अमेरिका के इस सख्त कदम का उद्देश्य पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम को कमजोर करना और चीन के साथ हो रहे तकनीकी सहयोग पर रोक लगाना है।
US Sanctions Project: अमेरिकी एक्शन पर क्या बोला चीन?
अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि वह पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखेगा, चाहे यह प्रोजेक्ट दुनिया के किसी भी हिस्से से संचालित हो रहा हो। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की गतिविधियां क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती हैं और इन्हें रोका जाना आवश्यक है।
दूसरी ओर, चीन ने अमेरिका द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों का कड़ा विरोध किया है। अमेरिका स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने अपने बयान में कहा कि चीन इस प्रकार के एकतरफा प्रतिबंधों का सख्त विरोध करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी भी प्राधिकरण के तहत नहीं आते हैं।
लियू पेंग्यू ने यह भी जोर दिया कि बीजिंग हमेशा अपने नागरिकों और कंपनियों के हितों की सुरक्षा के लिए खड़ा रहेगा और इस प्रकार की कार्रवाइयों का विरोध करता रहेगा।यह विवाद अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है, जहां दोनों देशों के हित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर टकरा रहे हैं।