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Akhilesh Yadav: केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा झटका! अखिलेश यादव का कड़ा संदेश- ‘चुकाना पड़ेगा खामियाजा’|

Akhilesh Yadav का सरकार पर निशाना; अरबों के जहाजों के लिए पैसा, कर्मचारियों के लिए नहीं|

Akhilesh Yadav: केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा झटका! अखिलेश यादव का कड़ा संदेश- ‘चुकाना पड़ेगा खामियाजा’|

समाजवादी पार्टी के प्रमुख Akhilesh Yadav ने केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरबों रुपये के जहाजों और टपकते भवनों के लिए सरकार के पास पैसा है, लेकिन उन कर्मचारियों के लिए नहीं, जो वास्तव में सरकार को चलाते हैं। यादव ने केंद्र सरकार द्वारा 18 महीने के डीए (महंगाई भत्ता) का एरियर नहीं देने के फैसले की आलोचना की है।

कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी दी थी कि डीए का एरियर नहीं दिया जाएगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए Akhilesh Yadav ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है, जो अपने परिश्रम से सरकारी कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करते हैं। यादव के अनुसार, सरकार को अपनी प्राथमिकताएं ठीक से तय करनी चाहिए और कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में एक नई बहस को जन्म दिया है।

Akhilesh Yadav ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “सरकार के ‘वैश्विक आर्थिक महाशक्ति’ बनने के दावे का क्या मतलब है जब कर्मचारियों को उनके अधिकार का पैसा भी नहीं मिल रहा? केंद्र सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों को 18 महीने के डीए का एरियर न देने का फैसला, एक प्रकार से ‘सरकारी गारंटी’ से इनकार करने के समान है।”

उन्होंने आगे सवाल उठाया, “सरकार बताए कि लगातार बढ़ते जीएसटी कलेक्शन और कई ‘ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी’ का पैसा आखिर जा कहाँ रहा है?” यादव ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार के इन दावों और वास्तविकता में बहुत बड़ा अंतर है, और इस निर्णय ने कर्मचारियों के हितों को नजरअंदाज कर दिया है। उनका मानना है कि सरकार को अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट करनी चाहिए और उन कर्मचारियों की भलाई का ध्यान रखना चाहिए जो देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Akhilesh Yadav के इस बयान ने सरकार की नीतियों और आर्थिक प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे एक नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है। उन्होंने सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि सार्वजनिक धन का उपयोग कैसे किया जा रहा है।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख Akhilesh Yadav ने हाल ही में केंद्र सरकार की नीतियों पर गंभीर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “सरकार के पास अरबों रुपये के जहाजों और टपकते भवनों के लिए पैसा है, लेकिन वास्तविक रूप से सरकार को चलाने वाले कर्मचारियों के लिए नहीं।” यादव ने महंगाई के बढ़ते स्तर और कर्मचारियों को महंगाई भत्ता न मिलने पर भी चिंता जताई।

उनका कहना है कि महंगाई का बढ़ना और महंगाई भत्ता का न मिलना, सीमित आय वाले कर्मचारियों पर एक प्रकार की दोहरी मार है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब घर की वित्तीय चिंताएं कर्मचारियों पर हावी होंगी, तो इससे उनकी कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस स्थिति का परिणाम अंततः सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

Akhilesh Yadav के अनुसार, यह स्थिति न केवल कर्मचारियों की समस्याओं को बढ़ा रही है, बल्कि सरकारी कार्यक्षमता और प्रदर्शन को भी प्रभावित कर रही है। उनका बयान सरकार से कर्मचारियों की स्थिति सुधारने की मांग करता है, ताकि वे अपने काम में पूरी तरह से सक्षम रह सकें और आर्थिक दबाव से मुक्त हो सकें।

Akhilesh Yadav ने केंद्र सरकार की नीतियों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “भाजपा की सरकारें चुनाव तो लड़ेगी, लेकिन काम करने में नाकाम रहती हैं, और जो काम करते हैं, उन्हें भी उचित वेतन नहीं देतीं। भाजपा सरकार बुजुर्गों के प्रति भी संवेदनशील नहीं है। दवा और देखभाल के खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। क्या सरकार चाहती है कि वरिष्ठ नागरिक ‘पेंशन के लिए अनशन’ करें?”

उन्होंने रेलवे की छूट बंद करने को भी वरिष्ठ नागरिकों का अपमान बताया। यादव का कहना है कि भाजपा की नीतियां बुजुर्गों की समस्याओं को और बढ़ा रही हैं।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में जानकारी दी है कि केंद्र सरकार को कर्मचारियों की मांग का ज्ञापन प्राप्त हो गया है, लेकिन अभी उनकी मांग पूरी करना संभव नहीं है। इस फैसले ने एक करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को बड़ा झटका दिया है। यादव ने सरकार से जल्द राहत देने की मांग की है, ताकि कर्मचारियों और बुजुर्गों को न्याय मिल सके।

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