- JDU political turmoil: बिहार में अधिकारी शासन पर प्रशांत किशोर का ताजा बयान; जनता को विचार करने की आवश्यकता!
- JDU political turmoil: ‘दो-चार सलाहकारों के पास पूरी व्यवस्था’
- इससे भी पढ़े:- अमेरिका और चीन के बाद 2050 तक सुपरपावर बनने वाला यह देश, पूर्व ब्रिटिश पीएम ने भारत या पाकिस्तान का किया जिक्र
- JDU political turmoil: ‘…इसलिए बिहार में अधिकारियों का बोलबाला’
- इससे भी पढ़े:- मंदिर या दरगाह; कोई भी धार्मिक स्थल लोगों की जिंदगी में रुकावट नहीं बन सकता, सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर कहा |
JDU political turmoil: बिहार में अधिकारी शासन पर प्रशांत किशोर का ताजा बयान; जनता को विचार करने की आवश्यकता!
JDU political turmoil: बिहार में 2 अक्टूबर से “जन सुराज” नामक नई राजनीतिक पार्टी का आगाज होने जा रहा है, जिसके पीछे प्रशांत किशोर हैं। किशोर, जो एक प्रमुख चुनावी रणनीतिकार हैं, लगातार नए-नए दावे कर रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने 30 सितंबर को एक सियासी बयान देकर सबको चौंका दिया। एएनआई से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि भविष्य में जेडीयू का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा और नीतीश कुमार के दल का भविष्य भी अनिश्चित है।
JDU political turmoil: प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि जेडीयू का कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा, क्योंकि यह दल नीतीश कुमार की पहचान से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार की पूरी राजनीतिक पूंजी उनके नाम पर निर्भर करती है। जब यह पूंजी समाप्त हो जाएगी, तो दल का अस्तित्व कैसे बचेगा?” किशोर का यह बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर सकता है, खासकर जेडीयू और नीतीश कुमार के समर्थकों के बीच। उनके इस दावे ने बिहार की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है और देखना होगा कि इसका असर आगामी चुनावों पर कैसे पड़ता है।
JDU political turmoil: ‘दो-चार सलाहकारों के पास पूरी व्यवस्था’
JDU political turmoil: प्रशांत किशोर ने हाल ही में बिहार की राजनीतिक स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “अगर आप बिहार में किसी व्यक्ति से बात करेंगे, तो वह यही बताएगा कि यहां अधिकारियों का राज है। यह तो जंगलराज है। लोगों को सोचने की जरूरत है कि यह स्थिति कैसे बनी। नीतीश कुमार पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से उन्होंने विधायकों और मंत्रियों के बजाय अपनी व्यवस्था को केवल कुछ सलाहकारों के हाथों में छोड़ दिया है।”
JDU political turmoil: किशोर ने आगे कहा कि नीतीश कुमार की हालिया स्थिति शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय नहीं रहने के कारण उनकी कार्यशैली पर असर डाल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग उनके इर्द-गिर्द हैं, वे ही असली सत्ता चला रहे हैं। उनका मानना है कि जब नेतृत्व कमजोर होता है, तो प्रशासन भी प्रभावित होता है। यह विचार बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दर्शाता है कि सत्ता के केंद्रीकरण और कमजोर नेतृत्व के कारण अधिकारी राज कैसे पनपता है। किशोर का यह बयान बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है और आगामी चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है।
इससे भी पढ़े:- अमेरिका और चीन के बाद 2050 तक सुपरपावर बनने वाला यह देश, पूर्व ब्रिटिश पीएम ने भारत या पाकिस्तान का किया जिक्र
#WATCH | Patna, Bihar: On Bihar CM-JD(U) chief Nitish Kumar & his remark "being run by 4 retired advisors" for the CM, Jan Suraaj founder Prashant Kishor says, "When JD(U) won't even remain, what is the question about his successor? I had been a part of JD(U) and worked with… pic.twitter.com/IfkEnVTfwb
— ANI (@ANI) September 30, 2024
JDU political turmoil: ‘…इसलिए बिहार में अधिकारियों का बोलबाला’
JDU political turmoil: प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीतिक स्थिति पर गंभीर चिंताएँ व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी किसी के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है। ये लोग सेवानिवृत्त हैं और सरकारी नौकरी से प्राप्त पावर का लाभ उठाने में लगे हुए हैं। किशोर ने स्पष्ट किया कि जब जनता ने इन लोगों को जनादेश नहीं दिया है, तब इनकी शक्ति और प्रभाव का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने बताया कि ये सलाहकार नीतीश कुमार के द्वारा नियुक्त किए गए हैं और इनका जनता या सरकारी व्यवस्था से कोई सरोकार नहीं है। यही कारण है कि बिहार में अधिकारियों का बोलबाला देखने को मिल रहा है; जो अधिकारी चाहेंगे, वही होगा।
JDU political turmoil: किशोर ने बिहार के समक्ष तीन महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया: स्मार्ट मीटर, शराबबंदी, और जमीन सर्वे। उन्होंने यह बताया कि जमीन सर्वे जैसे महत्वपूर्ण विषय पर नीतीश कुमार ने अब तक कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है। इसके पीछे किसका निर्णय है? यह सब सलाहकारों द्वारा चलाया जा रहा है।
JDU political turmoil: उन्होंने शराबबंदी के मुद्दे पर भी गंभीरता से बात की, यह कहते हुए कि बिहार में शराबबंदी के नाम पर हर घर में शराब की होम डिलीवरी हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस नीतिगत असफलता के चलते राज्य को 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है, और शराब एवं बालू माफिया फल-फूल रहे हैं। किशोर का यह बयान बिहार के वर्तमान शासन और उसके सलाहकारों की नीतियों पर सवाल उठाता है, और इससे प्रदेश की राजनीतिक स्थिति में हलचल मच सकती है।
JDU political turmoil: प्रशांत किशोर ने स्मार्ट मीटरों की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को डराकर स्मार्ट मीटर लगाने के लिए मजबूर कर रही है, लेकिन क्या सरकार जनता की आवाज़ सुनने का प्रयास कर रही है? किशोर ने गांवों की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि जब लोग रिचार्ज नहीं कर पाते, तो उनकी बिजली कट जाती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर किसी ने 10 दिन बाद मीटर का रिचार्ज कराया, तो भी उन्हें फिक्स कॉस्ट का भुगतान करना पड़ता है। यानी, 1000 रुपये के रिचार्ज पर उन्हें केवल 400-500 रुपये ही मिलते हैं।
JDU political turmoil: किशोर ने यह भी कहा कि यह सही या गलत निर्णय है, यह अलग बात है, लेकिन लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे जनता की बात सुनें। यदि निर्णय लेने में जनता की राय शामिल नहीं की जाएगी, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। इस प्रकार की नीतियों से न केवल जनता का विश्वास उठता है, बल्कि इससे सरकारी प्रणाली की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। किशोर का यह बयान स्मार्ट मीटर की नीति पर सवाल उठाता है और सरकार से जनहित में निर्णय लेने की अपील करता है।